Thursday 31 July 2014

JU education three studentexpend twocrormoney gwaliormp

जीवाजी यूनिवर्सिटी प्रशासन बैचलर ऑफ होटल मैनेजमेंट एण्ड कैटरिंग टेक्नोलॉजी (बीएचएम एण्ड सीटी) के 3 छात्रों की पढ़ाई पर 2 करोड़ रुपए खर्च करेगा। रोजगार की भरपूर संभावनाओं के बावजूद भारी भरकम फीस और योग्य शिक्षकों की कमी के चलते इस कोर्स से छात्रों ने कदम पीछे खींच लिए हैं। यही कारण है कि चालू शैक्षणिक सत्र में 60 सीट में से केवल 3 ही भरी हैं।

केन्द्र की मदद से संचालित है कोर्स

होटल मैनेजमेंट एण्ड कैटरिंग टेक्नोलॉजी रोजगारपरक कोर्स है। होटलों की बढ़ती संख्या और मनपसंद खाने की बढ़ती डिमांड से इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। केन्द्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने इसी उद्देश्य से बीएचएम एण्ड सीटी कोर्स को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य विश्वविद्यालयों को अनुदान दिए। 3 साल पहले जेयू को भी 2 करोड़ अनुदान स्वीकृत हुआ।

90 लाख के खरीदे जाएंगे उपकरण

जेयू में वर्ष 2012 में 3 वर्षीय यह कोर्स शुरू हुआ था। इसमें 40 ओपन और 20 पैमेंट सीट रखी गईं, लेकिन पहले साल केवल 8 छात्रों ने ही प्रवेश लिया, जो इसी साल पास आउट हो जाएंगे। दूसरे साल भी इतने ही छात्रों ने दिलचस्पी दिखाई, परंतु इस साल यह संख्या घटकर मात्र 3 रह गई। पर्यटन मंत्रालय ने 2 करोड़ रुपए अनुदान स्वीकृत किया है, जिसमें से 10 लाख रुपए जारी कर दिए हैं। जेयू इस राशि को खर्च कर चुका है। अब 90 लाख रुपए उपकरण खरीदने के लिए दिए जा रहे हैं। इसके लिए जेयू विज्ञापन जारी कर चुका है।

बंद नहीं करेंगे कोर्स

कोर्स संचालन के लिए कम से कम 5 एडमिशन जरूरी हैं, ऐसा न होने पर कोर्स बंद कर दिया जाता है। लेकिन बीएचएम एण्ड सीटी कोर्स बंद नहीं किया जाएगा। जेयू अधिकारियों का कहना है चूंकि कोर्स संचालन का खर्च पर्यटन मंत्रालय उठा रहा है, इसलिए कोर्स बंद नहीं हो सकता।

इसलिए खींचे कदम

    अंचल के छात्रों को इस रोजगारपरक कोर्स का अधिक ज्ञान नहीं है, फिर भी जेयू ने प्रचार-प्रसार नहीं किया।

    प्रदेश और अंचल के साथ ही अन्य जिलों के प्रमुख सरकारी कॉलेजों में काउंसलिंग की जाना चाहिए थी।

    अधिक फीस के कारण भी छात्रों ने कदम खींचे हैं।

    योग्य शिक्षकों की कमी है, साथ ही समय पर न तो क्लास लगती हैं और न ही परीक्षा व रिजल्ट घोषित होता है।

यह है कोर्स की स्थिति

    जेयू में संचालित बीएचएम एण्ड सीटी कोर्स में 40 ओपन और 20 पैमेंट सीट हैं।

    एडमिशन के लिए न्यूनतम योग्यता कम से कम 50 प्रतिशत के साथ इन्टरमीडिएट जरुरी है।

    कोर्स की अवधि 3 साल है, जिसके तहत 6 सेमेस्टर एग्जाम होते हैं।

    प्रत्येक सेमेस्टर की फीस 30 हजार से अधिक है।

इनका कहना है

कोर्स तो ठीक है लेकिन फीस बहुत अधिक है। पूछताछ में पता चला था कि शिक्षकों का भी संकट है। इसलिए एडमिशन नहीं लिया। -पंकज गुप्ता, छात्र।

कोर्स के प्रति अंचल के छात्रों का लगाव नहीं है। प्रचार, प्रसार की कमी और समय पर परीक्षा और रिजल्ट घोषित न होना भी कम एडमिशन का कारण है। कोर्स चूंकि पर्यटन मंत्रालय के अनुदान से संचालित है, इसलिए 3 एडमिशन के बाद भी उसे बंद नहीं किया जाएगा। -प्रो. आरए शर्मा, समन्वयक, बीएचएम एण्ड सीटी।


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Generic drugs gives in bhopal aiims

राजधानी के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) में इलाज कराना सस्ता पड़ेगा। दरअसल, प्रबंधन अपने डॉक्टरों से मरीजों को जेनरिक दवाइयां लिखवाएगा। जिनकी कीमत बाजार भाव से 10 से 20 गुना कम होगी।

बुधवार को ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) के जनरल मैनेजर पीके सांतरा ने एम्स के डायरेक्टर डॉ. संदीप कुमार से मुलाकात की और एम्स में जेनरिक दवाइयां लिखने की अपील की। हालांकि डॉक्टरों को सिर्फ जेनरिक दवाइयों के लिखने का ही बंधन नहीं रहेगा।

10 से 20 गुना सस्ती दवाइयां

सांतरा प्रदेश के पहले जन औषधि स्टोर के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए। एम्स के पास स्थित इस स्टोर का उद्घाटन गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने किया। इस स्टोर में सिर्फ जेनरिक दवाइयां मिलेंगी, जो बाजार भाव से 10 से 20 गुना कम दामों पर उपलब्ध होंगी। वर्तमान में 242 तरह की दवाइयां स्टोर में उपलब्ध हैं। आगे चलकर 361 तरह की दवाइयां मिलेंगी। मेडिकल साइंसेस में इन 361 तरह की दवाइयों को थेरेप्यूटिक दवाइयां माना जाता है, जिनसे लगभग सभी तरह की बीमारियों का इलाज संभव है। हालांकि पहले दिन बहुत कम लोग इस स्टोर पर दवाइयां खरीदने पहुंचे।

निजी डॉक्टरों को करेंगे प्रेरित

सांतरा ने बताया कि केन्द्र सरकार चाहती है कि सभी डॉक्टर जेनरिक दवाइयां ही लिखें। प्राइवेट सेक्टर के डॉक्टरों को जेनरिक दवाइयां लिखने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए मध्यप्रदेश में जल्द ही एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो अपनी टीम के माध्यम से डॉक्टरों को जेनरिक दवाइयां लिखने के फायदे बताएगा।

3 साल में खुलेंगे 3 हजार स्टोर

अगले तीन साल में देश भर में तीन हजार जेनरिक दवाइयों के जनऔषधि स्टोर खुलेंगे। मध्यप्रदेश में स्टोर खोलने के लिए 25 आवेदन आए थे, जिसमें से दस के साथ एग्रीमेंट हो गया है। एक स्टोर को ड्रग लाइसेंस भी प्राप्त हो गया है। दवा स्टोर संचालक को दवाई पर 16 प्रतिशत मार्जिन प्राप्त होगा, जिससे इन्हें बेचना उसके लिए घाटे का सौदा साबित नहीं होगा। साथ ही मरीजों को 10 से 20 गुना ज्यादा सस्ती दवाइयां मिलेंगी।

प्रचार-प्रसार करेंगे

बीपीपीआई के जनरल मैनेजर सांतरा ने माना कि अभी लोगों में जेनरिक दवाओं के प्रति काफी गलतफहमी हैं, इन्हें दूर करने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा। लोगों को जेनरिक दवाइयों के प्रति जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जनऔषधि स्टोर पर मिलने वाली सभी दवाइयां एनएबीएल लैब में जांचने के बाद बेची जाएंगी। दवाइयों का प्रत्येक बैच चेक किया जाएगा।

मरीज को कौन-सी दवा लिखना है, यह डॉक्टर के विवेक के ऊपर निर्भर करता है। हम एम्स के डॉक्टरों को जेनरिक दवाइयां लिखने के प्रति जागरूक करेंगे।

- डॉ. संदीप कुमार, डायरेक्टर, एम्स भोपाल


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Rickshaw stand on indore airport

इंदौर का देवी अहिल्या एयरपोर्ट देश का पहला और अकेला हवाई अड्डा बन सकता है जिस पर ऑटो रिक्शा स्टैंड होगा। एआईसीटीएसएल द्वारा एयरपोर्ट प्रबंधन को पत्र लिखकर टेली रिक्शा काउंटर के लिए जगह उपलब्ध करवाने की मांग की गई है। कंपनी की मांग पर एयरपोर्ट प्रबंधन ने विस्तृत प्रस्ताव मांगा है। अंतिम मंजूरी दिल्ली से मिलेगी।

एआईसीटीएसएल ने हाल ही में एयरपोर्ट डायरेक्टर को पत्र भेजकर काउंटर के लिए जगह देने की मांग की थी। कंपनी ने कहा था कि काउंटर से टेली रिक्शा बुक करने की सुविधा यात्रियों को मिलेगी। टेली रिक्शा उन्हें गंतव्य तक किफायती किराए में पहुंचा सकेगी।

उल्लेखनीय है कि एआईसीटीएसएल शहर में करीब 200 ऑटोरिक्शा को कॉल सेंटर से जोड़कर टेलीरिक्शा सेवा उपलब्ध करवा रहा है। कंपनी के पत्र के जवाब में एयरपोर्ट डायरेक्टर आरएन शिंदे का कहना है कंपनी इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव बनाकर भेज तो उसे मंजूरी के लिए अथॉरिटी को भेजा जाएगा।

श्री शिंदे के अनुसार अब तक देश के किसी भी एयरपोर्ट पर ऑटोरिक्शा स्टैंड के लिए जगह नहीं दी गई है। पहली बार ऐसी मांग आई है। अथॉरिटी इस पर जो भी निर्णय लेगी उसी पर अमल होगा। आमतौर पर टैक्सी स्टैंड आदि के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाती है। हालांकि ऑटोरिक्शा स्टैंड के लिए पहली बार बात हो रही है इसलिए ऊपर से निर्णय का इंतजार है।


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Singrauli police arrest two greenpeace activists

मध्य प्रदेश के सिंगरौली में अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ग्रीनपीस के अस्थाई दफ्तर से हाई फ्रीक्वेंसी एंटीना बरामद होने से हड़कंप मच गया। इसके सहारे कई किलोमीटर तक के रेंज से सिग्नल को पकड़ा जा सकता है।

पुलिस के संचार उपकरण भी इसके निशाने पर थे। इसका इस्तेमाल सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियां ही करती हैं। पुलिस ने अभद्रता करने पर एनजीओ के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। ग्रीनपीस की वरिष्ठ अधिकारी प्रिया पिल्लई का कहना है कि सोची-समझी साजिश के तहत यह कार्रवाई की गई है।

जानकारी के अनुसार, मंगलवार को पुलिस की टीम ने अमीलिया गांव स्थित ग्रीनपीस के अस्थाई दफ्तर में दबिश दी। इस दौरान पुलिस को सिग्नल बूस्टर, सोलर पैनल, आउटर और मोबाइल फोन मिले। इसके अलावा पेड़ पर एक हाई फ्रीक्वेंसी एंटीना लगा मिला था।

पुलिस जब इन अत्याधुनिक उपकरण को जब्त करने की कार्रवाई कर रही थी, उसी दौरान एनजीओ के तीन सदस्यों ने पुलिसकर्मियों से अभद्रता की। इस पर दो को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि एक भागने में सफल रहा।

दोनों को बुधवार को अदालत में पेश कर पुलिस रिमांड पर ले लिया गया। एसपी डी कल्याण चक्रवती ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ की जा रही है कि यह उपकरण उन्हें कहां से मिले। इन उपकरणों का निजी तौर पर प्रयोग प्रतिबंधित है।


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Sudhir sharma sent jail for judicial remand

व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले के एक आरोपी और खनन व्यवसायी सुधीर शर्मा को अदालत ने 15 दिन का न्यायिक रिमांड पर दे दिया है। सुधीर शर्मा को जेल भेज दिया गया है। अदालत में शर्मा के खिलाफ नारेबाजी भी हुई।

जिला अदालत की सीजेएम पंकज सिंह माहेश्वरी की कोर्ट में सुधीर शर्मा को एसटीएफ ने पेश किया। शर्मा की पुलिस रिमांड की अवधि समाप्त होने पर उसे आज कोर्ट में पेश किया गया था। गौरतलब है कि सुधीर शर्मा के लंबे समय से फरार होने के कारण पुलिस ने उस पर पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया था।

उसने अग्रिम जमानत के भी प्रयास किए लेकिन जब वह किसी भी अदालत से जमानत पाने में नाकाम रहा तो पिछले दिनों अदालत में पेश हो गया था। एसटीएफ ने सुधीर शर्मा से पूछताछ की लेकिन उससे विशेष जानकारी जुटाने में नाकाम रहा।

शर्मा के खिलाफ नारे लगाए

सुधीर शर्मा को जब अदालत लाया गया तो आशुतोष कुमार नामक व्यक्ति ने उसके खिलाफ नारेबाजी की। सुधीर शर्मा मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए उसने अदालत कैम्पस में दौड़ लगाई। पुलिस ने उसे पकड़ लिया है लेकिन फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की है। अपने आपको आरएसएस कार्यकर्ता बताने वाले आशुतोष का कहना था कि हजारों नौजवानों का भविष्य खराब करने वाले सुधीर शर्मा ने आरएसएस का नाम बदनाम किया है।


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DEd collage take arbitrary fee

प्रदेश के डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) कॉलेज विद्यार्थियों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं। फीस पर किसी प्रकार का नियंत्रण न होने से यह स्थिति बनी है। डीएड कॉलेजों की इस मनमानी को लेकर शिकायतें भी आ चुकी हैं। इसके चलते डीएड कॉलेजों की जांच के निर्देश भी हुए हैं, लेकिन जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई। उधर, डीएड कॉलेजों की एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ये अपनी सीटें पहले ही भर चुके हैं।

प्रदेश में 500 से अधिक डीएड कॉलेज हैं। इनमें करीब 27 हजार सीटें हैं। राजधानी में डीएड कॉलेजों की संख्या करीब 80 हैं। इन कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया पिछले महीने शुरू हुई थी। राजधानी सहित प्रदेशभर के डीएड कॉलेजों की सीटें फुल हो चुकी हैं। डीएड की अधिक डिमांड के चलते कॉलेजों ने विद्यार्थियों से मनमानी फीस वसूली है। स्थिति यह है कि राजधानी सहित प्रदेशभर के कॉलेजों में डीएड की कुल फीस 80 हजार से सवा लाख तक है। इनकी एडमिशन प्रक्रिया 15 जुलाई को खत्म हो चुकी है।

इसलिए कस नहीं पा रहा शिकंजा

डीएड कॉलेजों की फीस को लेकर सरकार ने अब तक कोई नियम ही नहीं बनाए हैं। इसके चलते डीएड कॉलेजों द्वारा मनमानी की जा रही है। कॉलेजों अपनी फीस के संबंध में कॉलेजों की वेबसाइट पर किसी प्रकार की जानकारी भी नहीं दी है। बीएड, एमएड सहित अन्य पाठ्यक्रमों की फीस तय करने के लिए फीस कमेटी का गठन हुआ है, लेकिन डीएड की फीस कॉलेज खुद तय कर रहे हैं।

एडमिशन में भी मनमानी

हैरत की बात तो यह है कि डीएड कॉलेजों की एडमिशन प्रक्रिया को लेकर भी कोई पारदर्शिता नहीं है। सभी पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन एडमिशन हो रहे हैं। बीएड में तो प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिले हुए हैं। इधर, डीएड में कॉलेज स्तर पर एडमिशन हो रहे हैं। इस वजह से डीएड कॉलेज खुलेआम सीटों को बेच रहे हैं। जो छात्र जितनी अधिक फीस देता है, उसका दखिला डीएड में हो जाता है।

परीक्षा देने आते हैं छात्र

डीएड कॉलेजों में पूरे साल क्लास तक नहीं लगती है। विद्यार्थी एडमिशन के बाद सीधे परीक्षा देने आते हैं। इसी की फीस विद्यार्थियों से वसूली जाती है। उधर, माध्यमिक शिक्षा मंडल भी डीएड कॉलेजों की मनमानी को लेकर गंभर नहीं है।

इनका कहना है

-डीएड कॉलेजों द्वारा अधिक फीस वसूली की बात सामने आईं हैं। इनकी जांच के लिए समिति बनाई गई। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

पारस चंद्र जैन, स्कल शिक्षा मंत्री

-कॉलेजों की जांच को लेकर समिति गठित हो गई है। समिति जल्द ही अपनी जांच शुरू करेगी।

पुष्पलता सिंह, सचिव, माशिमं

कुछ कॉलेजों की फीस

-मिलेनियम कॉलेज-85 हजार फीस

-तक्षशिला कॉलेज-80 हजार से अधिक

-कमलनाथ कॉलेज ऑफ एजुकेशन-80 हजार से 1 लाख तक

-सभी कॉलेजों की लगभग यही स्थिति है

कॉलेजों एक नजर में

प्रदेश में डीएड कॉलेज-550

राजधानी में डीएड कॉलेज-80

डीएड कॉलेजों में सीटें-करीब 27 हजार

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DNA test reveals love affair and birth of daughter

22 साल पुराने प्रेम संबंध में हुई पुत्री को लेकर बुधवार को कुटुम्ब न्यायालय ने डीएनए टेस्ट का आदेश दिया है। महिला ने कहा पहले आरोपी प्रेमी उसे भरण-पोषण देता था, लेकिन अब वह मुकर गया। उधर आरोपी ने महिला और उसकी बच्ची को पहचानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मुख्य चिकित्सका अधिकारी को पत्र लिखकर जवाब मांगा है कि इंदौर में ऐसे कौन-से शासकीय चिकित्सालय हैं, जहां डीएनए टेस्ट होता है? न्यायाधीश भारती बघेल ने सुनवाई की।

1992 में सुखलिया की रहने वाली युवती का स्कीम-94 में रहने वाले रमेश वर्मा से प्रेम संबंध बने। वर्तमान में रमेश देवास की ओरिएंटल इंश्यूरेंस कंपनी में कैशियर हैड के पद पर है। वह उसे शादी के लिए कहता था, लेकिन मुकर गया। उसका कहना था कि लोक लज्जा और सामाजित दायित्व के चलते उसे अन्य महिला से शादी करनी होगी। युवति ने हामी भरी तो उसने वचन दिया कि वह जिंदगीभर उसका और उससे जन्मी पुत्री का भरण-पोषण करेगा। तब से वह स्वेच्छा से लगातार भरण पोषण दे रहा था, लेकिन 2012 से इंकार कर दिया।

संबंध है तो करवाएं डीएनए

रमेश ने कोर्ट में साफ कहा कि उसके महिला से कभी संबंध थे ही नहीं तो बच्ची उसकी कैसे होगी। इस पर महिला ने वकील विशाल शर्मा और मनीष यादव के माध्यम से धारा-45 के तहत आवेदन लगाकर पुत्री और रमेश का डीएनए टेस्ट करवाने की मांग की।

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Chhattisgarh government approved ration card amendment bill congress angry on bill

राशन कार्ड निरस्तीकरण मामले में सरकार को घेरने वाली कांग्रेस ने एक बार फिर पलटवार किया है। पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि सरकार ने विधानसभा में चुनावी लाभ लेने के लिए असंवैधानिक कार्य किया है और इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित मंत्रिमंडल , मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और कलेक्टर जिम्मेदार हैं।

श्री बघेल ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2012 विधानसभा में पारित करने के बाद इसके लिए नियम को विधानसभा के पटल पर रखा जाना था, लेकिन इसका पालन न कर सरकार ने असंवैधानिक कार्य किया है। इस वजह से पिछले 10 महीने में जो राशन कार्ड बने और निरस्त किए गए हैं, वह पूरी तरह अवैधानिक है और यह स्वतः शून्य हो गया है। उन्होंने इस मामले में कोर्ट जाने की भी चेतावनी दी है। कांग्रेस ने दस्तावेजों के साथ आरोप लगाया।

श्री बघेल ने कहा कि राजपत्र में प्रकाशन के बाद इसके लिए नियम बनाने के लिए मंत्रिमंडल की उपसमिति बनानी थी । इस नियम की प्रति विधानसभा के पटल पर रखनी थी, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया ।

श्री बघेल ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें सरकार के खिलाफ आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि करीब 10 महीने के भीतर जितने राशन कार्ड बने , निरस्त हुए और इस दौरान जो राशन बांटे गए हैं, वह भ्रष्टाचार के दायरे में आता है।

सत्ता हासिल करने राजनीतिक खेल

श्री बघेल ने आरोप लगाया कि राशन कार्ड बनाने और निरस्तीकरण का खेल राजनीतिक कारणों से किया गया। विधानसभा चुनाव में भाजपा के लाभ के लिए अफसरों ने नियम बनाकर उसे जारी कर दिया और इसी आधार पर राशन कार्ड बनाए गए। वहीं राशन का आवंटन भी 10 महीने तक चलता रहा। उन्होंने राशन के आवंटन में 14 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है।

मुख्यमंत्री इस्तीफा दें

श्री बघेल ने कहा कि इस मामले में सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने खाद्य सुरक्षा का देशभर में ढिंढोरा पीटा और संवैधानिक पद पर रहते हुए उन्होंने असंवैधानिक कृत्य किया है। ऐसे मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

बघेल ने मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है। इस मौके पर प्रदेश प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन, कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी, राजेश बिस्सा, महेन्द्र छाबड़ा, सुशील आनंद शुक्ला, आरपी सिंह, शिव ठाकुर सहित कांग्रेस पदाधिकारी मौजूद थे।

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Never go to school and passed exam after bribe

फर्जी या गैर मान्यता प्राप्त बोर्ड से हायर सेकंडरी परीक्षा पास कर इंजीनियरिंग कर रहे छात्रों की जांच में कई खुलासे हो रहे हैं। इस फर्जीवाड़े की जांच में यह बात सामने आई है कि कुछ छात्र 10 हजार रुपए परीक्षा फीस भरकर बोर्ड परीक्षा पास कर ली है, कुछ छात्रों को बोर्ड का पूरा नाम ही नहीं मालूम है, तो कुछ प्रायोगिक परीक्षा में भी शामिल नहीं हुए। फिर भी ज्यादातर छात्र प्रथम श्रेणी में बोर्ड परीक्षा पास कर लिए हैं। यह खुलासे फर्जीवाड़े की जांच कर रहे प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति (एएफआरसी) की सुनवाई में छात्र कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि फर्जी बोर्ड की डिग्रियों के सहारे 92 छात्रों ने पिछले साल प्रदेश के विभिन्न निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश ले लिया था। इन छात्रों की अंकसूची छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई भेजी गई थी। संदेह होने पर विश्वविद्यालय ने इन बोर्ड्स की जांच कराई, जिसमें चार बोर्ड फर्जी पाए गए। इनमें बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन मध्य भारत ग्वालियर, बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन नईदिल्ली, अजमेर बोर्ड और बोर्ड ऑफ स्कूल तथा तकनीकी एजुकेशन छत्तीसगढ़ बिलासपुर शामिल है।

फर्जी बोर्ड से डिग्रीधारी छात्र

बोर्ड छात्रों की संख्या

बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन मध्य भारत ग्वालियर 70

बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन नईदिल्ली 07

बोर्ड ऑफ स्कूल एवं तकनीकी एजुकेशन बिलासपुर 14

अजमेर बोर्ड 01

कुल 92 छात्र

सुनवाई में उपस्थित नहीं हो रहे पूरे छात्र

एएफआरसी ने फर्जी बोर्ड वाले छात्रों को अपना पक्ष रखने के लिए कार्यालय में उपस्थित होने के लिए नोटिस दी थी। अलग-अलग बोर्ड के छात्रों को 16, 23 व 30 जुलाई को सुनवाई के लिए बुलाया गया था, लेकिन इस सुनवाई में पूरे छात्र उपस्थित नहीं हुए। बुधवार को सुनवाई के लिए बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन नईदिल्ली के सातों छात्रों को बुलाया गया था। इसमें केवल एक छात्र ही उपस्थित हुआ। वहीं एक छात्र ने पत्र के माध्यम से सफाई दी है।

फैसला 6 अगस्त को

एएफआरसी के सदस्य जेपी अग्रवाल ने बताया कि गैर मान्यता प्राप्त बोर्ड से इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने वाले मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। इसमें चार बोर्ड से डिग्री लेने वाले 92 छात्रों को सुनाई के लिए अलग-अलग बुलाया गया था। एएफआरसी ने छात्रों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया था। इस संबंध में अंतिम फैसला 6 अगस्त को सुनाया जाएगा।

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Every month one corer rupee line loss

विद्युत विभाग में लगातार लाइन लॉस के प्रतिशत में इजाफा हो रहा है। प्रतिमाह एक करोड़ यूनिट बिजली यूं ही व्यर्थ हो जा रही है। इस तरह दो करोड़ की बिजली का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसमें एक करोड़ रुपए की बिजली श्रमिक बस्तियों में लंगर डालकर चोरी कर ली जाती है। शेष एक करोड़ रुपए की बिजली खराब उपकरण व लाइन की वजह से लॉस हो जाता है। वर्तमान में लाइन लॉस 34.15 फीसदी तक जा पहुंचा है। पिछले तीन माह के अंदर ही इसमें दो प्रतिशत की वद्धि हुई है।

वितरण विभाग पर लाइन लॉस घटाने का दबाव है। प्रत्येक वर्ष 5 फीसदी लाइन लॉस घटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दिशा में विद्युत विभाग के अफसरों द्वारा जी तोड़ कोशिश किए जाने के बाद भी लाइन लॉस पर काबू नहीं पाया जा सका है। वित्तीय वर्ष समाप्त होते तक लाइन लॉस में 3 से 4 फीसदी की कमी आती है, किंतु नए वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही लाइन लॉस में पुनः इजाफा हो जाता है। वित्तीय वर्ष 2013-14 में लाइन लॉस की स्थिति 38.14 फीसदी थी। विभाग द्वारा इसमें अंकुश लगाया गया और स्थिति 33.26 फीसदी पहुंच गई थी, जबकि विभाग को 31.23 फीसदी लाइन लॉस करने का लक्ष्य दिया गया था।

विभाग अपने लक्ष्य से दो फीसदी पीछे रहा। अब विभाग को 5 फीसदी करने का लक्ष्य दिया गया है। इस आंकड़े में भी अब इजाफा हो गया और लाइन लॉस 34.15 फीसदी से 31 तक पहुंंच गया था। वर्तमान यह आंकड़ा 35 फीसदी से ज्यादा पार हो चुका है। लाइन लॉस को आंकड़े की दृष्टि से देखा जाए तो वर्ष 2013-14 में विभाग को शहरी क्षेत्र से ही 19 करोड़ यूनिट से ज्यादा लाइन लॉस झेलना पड़ा है, जो अपने निर्धारित लक्ष्य से काफी अधिक था।

बताया जाता है कि विभाग को प्रतिमाह एक करोड़ से भी ज्यादा यूनिट की लाइन लॉस का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इसमें विभिन्न माध्यमों से बिजली चोरी भी शामिल है। यानी दो करोड़ से भी ज्यादा राशि की प्रतिमाह नुकसान वितरण विभाग को झेलना पड़ रहा है और इस राशि का कोई हिसाब ही विभाग के पास स्पष्ट रूप से नहीं रहता है। लाइन लॉस में बिजली चोरी का मामला भी शामिल है। जितना लॉस अव्यवस्था की वजह से हो रहा है, उतना ही लॉस हूकिंग व चोरी छिपे बिजली का उपयोग किए जाने से हो रहा है।

लक्ष्य भी अलग-अलग

वितरण कंपनी ने लाइन लॉस को कम करने हेतु लक्ष्य भी अलग-अलग मापदंड के अनुसार रखा है। भले ही हूकिंग के माध्यम से बिजली चोरी हो रही है या फिर तारों में खराबी या अन्य तकनीकी खामियां हो। विभाग द्वारा इस लाइन लॉस की ही दृष्टि से देखता है। कंपनी ने इस वर्ष लाइन लॉस कम करने हेतु अलग नियम बनाए हैं, जिसके तहत 30 से 40 फीसदी लाइन लॉस वाले क्षेत्र को पांच फीसदी तथा इससे ज्यादा होने पर 10 फीसदी लाइन लॉस कम करना होगा।

इस बार 7 फीसदी घटाने की चुनौती

वितरण कंपनी ने कोरबा जिले को लाइन लॉस करने का लक्ष्य सौंपा है। पांच फीसदी कम करने का लक्ष्य दिया गया है। उक्त लक्ष्य 33.26 से कम कर लगभग 28 फीसदी लाना होगा, किंतु लाइन लॉस में इजाफा होकर 35 फीसदी पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में विभाग को कोरबा में सात फीसदी लाइन लॉस कम करना होगा।

तकनीकी लॉस कम

वितरण विभाग द्वारा लाइन लॉस के लिए गाइड लाइन तैयार की गई है। उसके मुताबिक तकनीकी लाइन लॉस में ट्रांसफार्मर एवं विद्युत तारों की खराबी को शामिल किया गया है। इससे 15 फीसदी से भी ज्यादा लाइन लॉस नहीं होना चाहिए, लेकिन जिले में इसका आंकड़ा काफी अधिक है। वर्तमान में 34.15 फीसदी लाइन लॉस है, इसलिए 19.15 लाइन लॉस कम करना होगा। इस 19.15 फीसदी लाइन लॉस में हूकिंग मीटर बाइपास व बिजली चोरी भी शामिल है।

बकाया पहुंचा 33 करोड़

वितरण विभाग का बकाया 33 करोड़ पहुंच गया है। वित्तीय वर्ष 2013-14 के समापन पर मार्च में एरियर्स की स्थिति 29 करोड़ थी, जो तीन माह में बढ़कर 33 करोड़ हो गई है। विभाग द्वारा मेंटेनेंस पर ही इस दौरान ज्यादा ध्यान दिया गया है। वसूली अभियान नहीं चलाए जाने की वजह से बकाया राशि में इजाफा होते गया और 4 करोड़ रुपए बढ़ गए हैं। अब बारिश शुरू हो चुकी है, ऐसी स्थिति में बकायादारों के खिलाफ अभियान चलाना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है। बारिश के बाद अभियान शुरू होगा तब तक बकाया राशि में इजाफा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

बकायादारों के खिलाफ शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा। लाइन लॉस को कम करने के लिए एबीसी केबल लगाए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी केबल लगाने की प्रक्रिया राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत किया जा रहा है। प्रथम चरण में 225 किलोमीटर तक केबल बिछाया जा चुका है।

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Bazar kareli then spread diarrhea in muswanvadhi

करेली, कामता और मुसवा नवागांव में फिर डायरिया फैल गया है। इन गांवों के आधा दर्जन से ज्यादा डायरिया पीड़ितों को सिमगा अस्पताल में भर्ती किया गया है। सात दिन पूर्व ब्लॉक के कामता, मुसवानवागांव, करेली में डायरिया के प्रकोप के कारण अनेक लोग पीड़ित थे। सबसे ज्यादा खराब स्थिति करेली में थी। स्वास्थ्य विभाग के अमला ने प्रभावित गांवों में कैंप लगाकर मरीजों का उपचार किया था।

वहीं पेयजल स्त्रोत की सफाई के लिए क्लोरिन की दवाई बांटे थे। गंदे स्थान पर ब्लीचिंग पावडर छिड़का गया। जैसे-तैसे डायरिया पर नियंत्रण पा लिया गया लेकिन पिछले दो दिनों से फिर से करेली, कामता एवं मुसवानगॉव तथा बछेरा में डायरिया का प्रकोप फैल गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिमगा में सोमवार को ग्राम कामता के सुकवारो बाई, गीता बाई, बिरबल, कौसल एवं तीन साल की बच्ची राधिका तथा मुसवा नवागॉव के चिंताराम, बासन बाई, पौसरी के धनाराम एवं बछेरा के मुकेश साहू भर्ती है।

बीएमओ डॉ. जीएस सोम ने बताया कि प्रभावित गॉव में कैंप तो नही लगाया है लेकिन उस क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकताओं को दवाई वितरण करने एवं स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मैने पूर्व में ही बता दिया था की इन गांवों में पेयजल के लिए बिछे पाइप लाइन में कुछ स्थानों पर छेद हो गया है जिसमें से गंदा पानी रिसकर पाइप लाइन से घर तक पहुंच रहा है। इसकी जानकारी एसडीएम एवं पीएचई विभाग को दी गई थी लेकिन डायरिया के दुबारा लौटने से ऐसा लगता है कि पेयजल स्त्रोत को दुरुस्त नही किया गया है।

पोल्ट्री फार्म की बदबू से ग्रामीण परेशान

उल्लेखनीय है कि ग्राम कामता में 30 एकड़ में स्थित पोल्‍ट्री फार्म से आने वाले तेज बदबू एवं बड़ी-बड़ी हरे रंग की मक्खियों से कामता ही नही बल्की पौसरी, ओटगन, लांजा, बिनैका, मुसवानवागांव, झिरिया डोगरीया, रिंगनी आदि गांवों के लोग काफी परेशान हैं। बार-बार ग्रामीणों द्वारा पोल्‍ट्री फार्म के खिलाफ शिकायत करने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई।

अगर इस स्थिती पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया तो बड़ी बीमारी फैलने की आशंका है। इस संबंध में बीएमओ डॉ.जीएस सोम का कहना है कि बरसात के मौसम में प्रायः सभी गांवों में उल्टी-दस्त के छिटपुट मरीज पाए जाते हैं। लोगो को अपने खाने पीने का विषेश ध्यान रखना चाहिए। रही सवाल बड़ी-बड़ी मक्खियों का तो यह वाकई चिंता की बात है। ऐसे मक्खियों से बहुत जल्द इंफैक्शन होने का खतरा बना रहता है।

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50 thousand students made ors

छत्तीसगढ़ के 13 जिलों के लगभग 50 हजार बच्चों ने ओआरएस घोल बनाकर रिकार्ड बनाया है। इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा। बुधवार को छत्तीसगढ़ शिशु अकादमी और महावीर इंटरनेशनल की ओर से यह आयोजन किया गया। ओआरएस डे के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम में 10 से 18 वर्ष के बच्चों ने अन्य बच्चों को ओआरएस घोल बनाना सिखाया।

'बच्चे सिखाएं बच्चों को' नामक इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र शामिल हुए। कार्यक्रम के संयोजक मुकेश शाह ने बताया कि भारत में हर साल 0 से 5 वर्ष तक के लगभग 2 लाख बच्चों की मौत डायरिया के कारण होती है। यही कारण है कि बच्चों को इस संबंध में जानकारी देने के लिए यह आयोजन किया गया।

टीम ने किया अवलोकन

कार्यक्रम के अवलोकन के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की टीम छत्तीसगढ़ आई हुई थी। स्कूलों में अवलोकन के बाद देर शाम वृंदावन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में ओआरएस घोल बनाने के रिकार्ड का सर्टिफिकेट संस्थान को प्रदान किया गया।

रायपुर के इन स्कूलों में आयोजन

संस्था के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.जयेश कावड़िया ने बताया कि कार्यक्रम में रायपुर से जेएन पाण्डेय स्कूल, मिंटू पब्लिक स्कूल, छत्रपति शिवाजी स्कूल, गुजराती स्कूल, बालाजी स्कूल, कन्या शाला सहित अन्य स्कूलों के बच्चे शामिल हुए।

ऐसे बनाएं ओआरएस घोल

बच्चों ने बच्चों को सिखाया कि 200 एमएल पानी में एक चुटकी नकम को घोल लें। इसके पश्चात इसमें नमक का 12 गुणा शक्कर मिलाएं। इस प्रकार ओआरएस का घोल घर पर ही तैयार किया जा सकता है।

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Contractors is leaving horoscope

ठेकेदारों के पुराने पंजीयन शासन के आदेशानुसार निरस्त हो चुके हैं। इसे देखते हुए निगम ने ठेकेदारों की कुंडली निकालनी शुरू कर दी है। जिन पर कोई आरोप या पुराना बकाया होगा,उसकी पहले वसूली की जाएगी। इसके बाद ही निगम में जमा उनकी सुरक्षा निधि वापस की जाएगी।

पूरे प्रदेश में ठेकेदारी व्यवस्था अब बदल गई है। इसके तहत सभी ठेकेदारों को ई-पंजीयन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। जिन ठेकेदारों का पुराना विभागवार पंजीयन है वह 26 जुलाई से समाप्त हो गया है। ऐसी स्थिति में ठेकेदार अब निगम में जमा अपनी सुरक्षा निधि लेने के लिए आ रहे हैं। 12 ठेकेदारों को उनकी सुरक्षा निधि लौटाई भी जा चुकी है।

इधर निगम अपने ठेकेदारों से अंतिम संबंध तोड़ने के पूर्व उनकी भी कुंडली खंगाल रहा है। इसमें उन पर किसी तरह की लेनदारी बकाया या अन्य कोई दंड की जानकारी ली जा रही है। जिन पर बकाया निकल रहा है,उनकी अमानत राशि लौटाने के पूर्व वसूली करने की तैयारी है, ताकी निगम को घाटा न हो। यहां यह बताना लाजिमी है कि निगम के अधिकांश पुराने ठेकेदार अब तक अपना ई-पंजीयन नहीं करा पाए हैं। इसके चलते निगम से निकलने वाले काम की निविदा में वे नहीं ले पाएंगे।

ठेकेदारों में नाराजगी

नगर निगम के ठेकेदार नई पंजीयन व्यवस्था को लागू करने से खासे नाराज हैं। इसके चलते उन्होंने आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। उनका आरोप है कि पंजीयन व्यवस्था बिना व्यापक प्रचार-प्रसार लागू कर दी है। इसके चलते निगम के ज्यादातर ठेकेदार अपना पंजीयन नहीं करा पाए हैं। अगर इसे अनिवार्य रूप से लागू किया गया तो ठेकेदारों के अलावा निगम को भी नुकसान होगा।

नई ठेकेदारी व्यवस्था लागू करने के पूर्व व्यापार प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है। इसके अलावा जिन ठेकेदारों ने पंजीयन कराने की प्रक्रिया शुरू की है,उसमें काफी समय लगाया जा रहा है। इससे ठेकेदार अपात्र हो रहे हैं। शासन से और समय देने की मांग की जाएगी। - राजकुमार तिवारी, सचिव, नगर निगम ठेकेदार संघ

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Bhilai cable cut in coke owen at bsp

भिलाई इस्पात संयंत्र के कोक ओवंस के पास बिजली का केबल कट गया। यहां पर हालपैक में कोल परिवहन के लिए पोकलैंड से कोयला भरा जा रहा था, जिसने कोयले के साथ-साथ मिट्टी और केबल को उखा़ ड दिया। इसकी वजह से 24 घंटे तक वेगन ट्रिपलर शट डाउन रहा।

संयंत्र के कोक ओवंस के पाइल नंबर 22 के समीप 3 केबल को पोकलैंड ने काट दिया। सोमवार की रात यहां पर हालपैक में पोकलैंड के माध्यम से सीडीआई कोल का परिवहन किया जा रहा था। चैन माउंटेन पोकलेन मशीन से कोयला उठाया जा रहा था। इसी दौरान चालक की लापरवाही की वजह से यहां पर लगा 440 वोल्ट के तीन केबल कट गए। इससे वहां पर अचानक चिंगारी भी केबल में उठने लगी। इसकी जानकारी होते ही तत्काल वहां पर बिजली आपूर्ति बंद की गई। केबल को जोड़ने में पूरे 24 घंटे लग गए। इससे बीएसपी को लाखों रुपए की क्षति होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

रॉ-मटेरियल का अनलोडिंग बंद

केबल जलने की वजह से यहां पर रॉ-मटेरियल मेकेनेकली अनलोडिंग बंद हो गया। 24 घंटे तक यहां पर पूरे कार्य बंद रहे। कोल परिवहन का कार्य भी रुका रहा।

बड़ा हादसा टला

प्लांट के अंदर कोक ओवंस के पास तीन केबल को पोकलैंड से काटे जाने की खबर के बाद प्रबंधन परेशान हो गया। क्योंकि पूर्व में भी इसी तरह से केबल में आग लगने से कई दिनों तक उत्पादन बंद था।


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Wednesday 30 July 2014

Admission and scholarship information on mobile

मध्‍यप्रदेश का तकनीकी शिक्षा विभाग अब जल्द ही एडमिशन और स्कॉलरशिप से संबंधित सभी जानकारी इंजीनियरिंग के छात्रों के मोबाइल पर देगा। इसके लिए विभाग मोबाइल एप तैयार कराने जा रहा है। विभाग ने मोबाइल एप तैयार करने का जिम्मा क्रिस्प को सौंपा है। किस्प एक सप्ताह के भीतर इस मोबाइल एप को तैयार कर देगा। फिलहाल विभाग एडमिशन होने की जानकारी एसएमएस के जरिए देता है, जबकि स्कॉलरशिप की जानकारी नहीं मिलने से छात्रों को भटकना होता है। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग ने भी इस साल से इसी तरह के मोबाइल एप के जरिए एडमिशन और स्कॉलरशिप की जानकारी देनी शुरू की है। इससे छात्रों को सुविधा हो रही है।

तकनीकी शिक्षा विभाग अब तक एसएमएस और ई-मेल के जरिए छात्रों को एडमिशन की जानकारी देता रहा है। हालांकि यह जानकारी छात्रों को एडमिशन होने के बाद मिलती थी। लेकिन अब विभाग एंड्राइड मोबाइल पर एप के जरिए एडमिशन की जानकारी देना शुरू करने जा रहा है। इस मोबाइल एप में खास बात यह रहेगी कि छात्र को अपने एडमिशन और स्कॉलरशिप का स्टेटस भी पता चलता रहेगा। इसके अलावा विभाग की छात्रों के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं की जानकारी भी इसी एप के जरिए छात्रों को मिल सकेगी। इससे छात्रों को भटकना नहीं पड़ेगा।

छात्रों को करना होगा डाउनलोड

मोबाइल एप बनने के बाद विभाग इस एप को नाम देगा। इसके बाद छात्र अपने एंड्राइड मोबाइल पर प्ले स्टोर में जाकर इसे डाउनलोड कर सकेंगे। इसके बाद हर छात्र को अलग लॉग इन आईडी और पासवर्ड देगा। इस लॉग इन आईडी और पासवर्ड के जरिए छात्र अपना एकाउंट खोल सकेंगे। इस एकाउंट को खोलने पर छात्र अपनी स्कॉलरशिप का स्टेटस और एडमिशन के संबंध में जानकारी हासिल कर सकेगा।

उच्च शिक्षा विभाग ने शुरू की है सुविधा

इस साल से उच्च शिक्षा विभाग इस तरह की सुविधा शुरू कर चुका है। यह सुविधा मिलने से छात्रों को इंटरनेट कैफे या कॉलेज के चक्कर एडमिशन की जानकारी के लिए नहीं लगाने पड़े। साथ ही स्कॉलरशिप की जानकारी के लिए विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़े।

जल्द शुरू कर दी जाएगी सुविधा

मोबाइल एप तैयार करने का जिम्मा क्रिस्प को दिया गया है। यह सुविधा जल्द शुरू कर दी जाएगी। अधिकांश छात्रों के पास एंड्राइड फोन है। इससे छात्रों को एडमिशन और स्कॉलरशिप के साथ ही छात्रों से संबंधित जानकारी मोबाइल एप पर मिल सकेगी।

Loss of rs 10 crore by floods in harda

जिले में सोमवार को आई बाढ़ से करीब 10 करोड़ का नुकसान किया है। सबसे ज्यादा नुकसान जिले की सड़कों और पुल-पुलियाओं का हुआ है। इसके अलावा भी खेती किसानी में काफी नुकसान हुआ है। लोगों के घरों में रखा सामान भी खराब होने से आर्थिक नुकसानी हुुई है। जिले में हुई नुकसानी का सर्वे कराने के आदेश जिला प्रशासन ने जारी कर दिए हैं।

जानकारी के अनुसार जिले में सोमवार को जिले में 24 घंटे के भीतर 56 मिमी बारिश दर्ज की गई। जिसमें सबसे ज्यादा हरदा विकासखंड में 106 मिमी हुई है। अतिवर्षा के कारण उत्पन्ना हुई बाढ़ ने जिले के करोड़ों रुपए का नुकसान किया है। खेतों में सोयाबीन सहित अन्य खरीफ की फसलों की बोवनी हो गई है, जिसके पौधे छोटे-छोटे हैं और खेतों में लगातार पानी भराने से पौधे गलने लगे हैं।

हालांकि मंगलवार को मौसम साफ होने और धूप निकलने के बाद किसानों को राहत मिली है। प्रशासनिक अधिकारियों ने एक अनुमान बताते हुए कहा कि सोमवार को आई बाढ़ से जिले में करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, यह आंकड़ा अधिकृत नहीं है, जिसका सही आंकलन सर्वे के बाद ही हो पाएगा।

सड़कों ज्यादा नुकसान

सोमवार को छीपानेर मार्ग पर सुकनी नदी पर बना पुल टूटने की खबर से हड़कंप मच गया। दोपहर में यह पुल टूटा और शाम को खंडवा मार्ग पर मुहाल नदी का पुल क्षतिग्रस्त हो गया। दो प्रमुख पुलों के क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रशासन भी हरकत में आया। मुहाल पुल की मरम्मत का काम तो सोमवार रात से शुरू कर दिया था। परिणामस्वरूप मंगलवार को शाम के समय हलके वाहनों का आवागमन पुल से शुरू हो सका।

तीन अन्य पुलिया भी क्षतिग्रस्त हुईं, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत्‌ बनी हैं। खबर मिली थी कि चारूवा की माचक नदी पर बना पुल की रिर्टनिंग वॉल क्षतिग्रस्त होने से वहां भी आवागमन प्रभावित हुआ। सिराली में घोंघई नदी पर बना पुल भी बारिश में बह गया। टिमरनी विकासखंड में निर्माणाधीन पुल के बहने की खबर है।

खेतों में गल रही फसलें

किसानों ने बताया कि खेतों में लगातार पानी गिरने से फसलों की जड़ों के सड़ने का डर है। जिले में खरीफ की फसलों में करीब सवा लाख हैक्टेयर रकबा में बोवनी हो गई है। जिसमें सोयाबीन का रकबा सबसे ज्यादा है। किसानों का कहना है कि बाढ़ के पानी के कारण खेतों में पानी भरा गया और फसलों के गलने की आशंका बढ़ गई। हालांकि मौसम में आए बदलाव और मंगलवार को निकली धूप ने किसानों को राहत दी है। किसानों का कितना नुकसान हुआ यह अभी नहीं कहा जा सकता है।

भोपाल में रही गहमागहमी

सोमवार को हरदा में आई बाढ़ की गुंज राजधानी में भी रही। सोमवार और मंगलवार को मिडिया में आई खबरों के बाद अधिकारियों ने आनन-फानन में व्यवस्था करने के निर्देश दिए। अबगांव में सुकनी नदी के टूटे पुल की खबर से हड़कंप मचा रहा। लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों ने संबंधित अधिकारियों को चेताया कि 24 घंटे के भीतर मार्ग पर आवागमन सुचारू किया जाए। वरिष्ठ कार्यालय से मिले निर्देशों के अनुसार दो प्रमुख पुल-पुलियाओं के काम शुरू किए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की पुल-पुलियाओं पर कोई काम नहीं हो पाया। विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सुबह से ही भोपाल से वरिष्ठ अधिकारियों ने फटाफट काम करने के निर्देश दिए।

अभी भी गत वर्ष से पीछे

इस साल जिले में शुरूआती दौर में भले ही बारिश नहीं हुई, लेकिन अब हुई झमाझम बारिश होने के बाद भी गत वर्ष से 300 मिमी पीछे हैं। जिले में चालू मानसून मौसम के दौरान गत एक जून से अब तक 641.2 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। गत वर्ष की इसी अवधि की औसत वर्षा 956.3 मिमी है। अधीक्षक भू-अभिलेख ने बताया कि अभी तक हरदा में 679 (गत वर्ष 947.6) मिमी, टिमरनी में 653. (गत वर्ष 866.2) मिमी तथा खिरकिया में 591.8 मिमी (गतवर्ष 1054) मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। जिले की सामान्य वर्षा 1261.7 मिमी है। पिछले 24 घंटों में हरदा में 105.9 मिमी, टिमरनी में 43 मिमी तथा खिरकिया में 167.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।

Two killed in betul tapti river boat overturns

जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर दामजीपुरा में ताप्ती नदी में एक नाव पलट गई जिससे दो लोगों की मौत हो गई है। नाव में सवार 14 लोगों को दूसरी नौका के लोगों ने बचा लिया। डूबने वाले लोगों के शवों का अभी पता नहीं चला है। इनमें एक महिला और एक बच्चा है।

नाव में सवार खुर्दा के एक आदिवासी दीनदयाल पुत्र भूता के मुताबिक कुनखेड़ी और डोडाजाम के बीच खुर्दा है जहां तक बारिश के दिनों में केवल नाव से ही जाया जा सकता है। ग्रामीणों को लाने ले जाने के लिए दो लोगों की नावें लगी हैं जिनकी क्षमता चार-चार लोगों की है। मंगलवार को दोपहर में एक नौका में केवट 16 लोगों को बैठाकर नदी पार करा रहा था।

दीनदयाल के अनुसार नदी के बीच में पहुंचकर नाव पानी के बहाव से असंतुलित होने लगी तो दूसरी नौका के केवट ने उसके पास पहुंचकर 14 लोगों को अपनी नाव में बैठा लिया। मगर इसी बीच दो लोग पानी में बह गए जिन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके बारे में काफी देर तक पता नहीं चलने पर दामजीपुरा पुलिस चौकी को सूचना दी गई।

नदी में बहे लोगों के न तो शव मिले हैं और न ही उनके बारे में कोई जानकारी पता लगी है। लापता लोगों में खुर्दा की 40 साल की काड़ोबाई पत्नी साबूलाल और सात साल का बच्चा लतीफ आदिवासी है।

Action under section 144 if crops fire in filed

खेतों में फसल जलाने पर अब किसान पर धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए कृषि विभाग ने राज्य के सभी कलेक्टर को निर्देश दे दिए हैं। यह बात नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सोमवार को ओलावृष्टि मामले में सुनवाई के दौरान कृषि विभाग की ओर से बताई गई। कृषि विभाग ने एनजीटी को फसलों के अवशेष (नरवई) के निस्तारण की योजना और कार्यविधि की जानकारी दी।

कृषि विभाग द्वारा बताया गया कि राज्य में हर साल 332 लाख टन नरवई जलाई जाती है, जो जमीन के लिए बहुत नुकसानदायक है। इसके लिए जन जागरण अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। विभाग ने इस संबंध में राज्य के सभी जिलों के कलेक्टर को दिशा निर्देश दे दिए हैं।

जिससे नरवई को खेत में नहीं जलाया जा सके। वहीं उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जा सके। कृषि विभाग ने बताया कि नरवई से खाद बनाने की योजना बनाई जा रही है। नरवई से बनाए गए खाद से भूमि उपजाऊ होगी, वहीं जल संरक्षण में भी फायदा होगा। एनजीटी ने कृषि विभाग को याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सुझावों पर भी अमल करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी।

हार्वेस्टर में स्ट्रा रीपर होगा जरूरी

कृषि विभाग द्वारा बताया गया कि नरवई को जलाने से रोकने के लिए हार्वेस्टर में स्ट्रा रीपर अनिवार्य किया जाएगा। जिससे फसल नीचे तक काटी जा सकेगी। जिससे भूसा बनाया जा सके। सुनवाई में इस दौरान पूछा गया कि बाहर से आने वाले हार्वेस्टर में स्ट्रा रीपर नहीं लगे होने की स्थिति में कृषि विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी। इस पर कृषि विभाग द्वारा बताया गया कि कलेक्टर को दिशा निर्देश दिए गए हैं कि राज्य में बाहर से आने वाले हार्वेस्टर को भी तभी प्रवेश दिया जाएगा, जब उनके हार्वेस्टर में स्ट्रा रीपर लगा होगा।

पुराने आंकड़े प्रस्तुत किए एआईसी ने

एनजीटी ने एग्रीकल्चर इंश्युरेंस कंपनी (एआईसी) से मुआवजे के संबंध में पूछा तो एआईसी द्वारा जबाव दिया गया कि उनके पास ओलावृष्टि के संबंध में खराब हुई फसलों के आंकड़े नहीं हैं। इस पर याचिकाकर्ता द्वारा पूछा गया कि गत सुनवाई में जो आंकड़े मौखिक तौर पर बताए गए हैं, वे कौन से थे। इस पर एआईसी ने बताया कि वर्ष 2013 में सोयाबीन फसल खराब होने के आंकड़ों को बताया गया था, जिनका मुआवजा अब तक बांटा जा रहा है।

मार्च में दायर हुई थी याचिका

गत 13 मार्च को पर्यावरणविद डॉ. सुभाष पांडेय द्वारा एनजीटी में याचिका दायर की गई। जिसमें बताया गया कि ओला वृष्टि कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है। मानवीय गलतियों के कारण और उस पर प्रशासन द्वारा सख्ती के कदम न उठाए जाने से यह स्थिति निर्मित होती है। एनजीटी ने सभी पक्षों को सुनते हुए केंद्र और मप्र सरकार से जवाब मांगा था।

-एनजीटी में ओलावृष्टि मामले में सुनवाई

-कृषि विभाग ने प्रस्तुत किया जबाव

-स्ट्रा रीपर वाले हार्वेस्टर का उपयोग किए जाने की बात

-बाहर से आने वाले हार्वेस्टर को भी सशर्त प्रवेश की मिलेगी अनुमति

-हर साल राज्य में 332 लाख टन फसल के अवशेष जलाए जाते हैं खेतों में

-अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी

Wife kidnapped police says do second marriage

न्यू खातीपुरा निवासी एक शख्स की पत्नी का आठ दिन पहले उसके घर से अपहरण हो गया। वह मदद के लिए तीन दिन से हीरा नगर थाने के चक्कर काट रहा है, लेकिन पुलिस उसकी पत्नी को बेवफा कहकर उसे तलाक लेने और दूसरी शादी करने की सलाह दे रही है। पुलिस के इस रवैया से नाराज होकर मंगलवार को उसने एसपी से मदद की गुहार लगाई।

न्यू खातीपुरा निवासी फल कारोबारी बाबू सिंह लोधी ने बताया कि उसकी पत्नी रजनी 20 जुलाई को घर से अचानक लापता हो गई। उसने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। बाबू ने बताया कि दो-तीन दिन पहले पत्नी ने एक नंबर से कॉल किया। बोली कि उसे दो लोग अपहरण कर ले गए हैं। आगरा के पास किसी गांव में कैद कर रखा है। उसने छिपकर फोन लगाया है।

यह सुनते ही बाबू के होश उड़ गए। उसने हीरा नगर पुलिस से संपर्क किया, लेकिन वहां पुलिस का चौंकाने वाला रवैया सामने आया है। पुलिस वालों का कहना था कि तेरी पत्नी किसी के साथ भाग गई है। तू अपनी पत्नी से तलाक लेकर दूसरी शादी कर ले।

बाबू का कहना है कि उसका दिल नहीं माना और अगले दिन फिर थाने में उसने गुहार लगाई, लेकिन इस बार पुलिस वालों का कहना था कि तेरी पत्नी को क्राइम ब्रांच वाले ढूंढ़ रहे हैं। यहां चक्कर मत लगा।

इसके बाद बाबू ने एसपी ओपी त्रिपाठी से शिकायत की। बाबू का कहना था कि यहां भी सुनवाई नहीं होने पर वह आईजी के पास जाएगा।

बाबू का कहना है कि यदि पत्नी बेवफा हुई तो कोई बात नहीं, लेकिन यदि उसे किसी ने अगवा किया है तो कुछ भी गलत हो सकता है, लेकिन पुलिस मदद नहीं कर रही है। बाबू के दो बच्चे भी हैं। 

Tuesday 29 July 2014

Snake creates problem all parts of vehical opned

शहर के देवेन्द्रनगर मेन रोड पर मंगलवार की दोपहर एक सांप की वजह से एक स्कूटी सवार की जमकर परेड हो गई। देवेन्द्रनगर तिराहे से कुछ दूरी पर खड़ी स्कूटी में एक सांप घुस गया। खबर सुनकर वहां भीड़ जमा हो गई और लोग अपने- अपने तरीके से सांप को बाहर निकालने की कोशिश करने लगे। लोगों की इस हरकत का सांप पर उल्टा असर होने लगा।

सांप बाहर निकलने के बजाय गाड़ी के ही अंदर आगे- पीछे छिपने की कोशिश करने लगा। भीड़ के बीच खड़े गाड़ी मैकेनिक्स अपनी दुकान से पाना- पेंचिस लेकर पहुंच गए। सांप को बाहर निकालने के लिए उन्होंने दनादन एक के बाद एक पार्ट्स खोलना शुरू कर दिए। किसी ने सीट खोल दी तो किसी ने और कुछ। आखिरी में सांप हेड लाइट में जा घुसा तो मैकेनिक्स ने उसे भी खोल दिया।

सांप फिर गाड़ी के इंजन की तरफ गया और वहीं से बाहर निकल गया। एक युवक ने हिम्मत दिखाई और सांप को एक लकड़ी पर उठाकर दूर फेंक दिया। इसमें करीब ढाई घंटे लगा गए। इस बीच वहां भीड़ इतनी हो गई कि पुलिस को आना पड़ा। गाड़ी से सांप के बाहर निकलते ही भीड़ छंट गई और मैकेनिक्स भी वहां से चलते बने। इसके साथ ही जिस युवक की स्कूटी थी, उसकी मुसीबत शुरू हो गई।

गाड़ी के खुले पुर्जों को वह जोड़ने की कोशिश करने लगे, मैकेनिक्स को भी आवाज दी, लेकिन सब अपने- अपने काम में व्यस्त हो चुके थे। कोई उनकी मदद के लिए नहीं आया। युवक के काफी कहने पर किसी ने मदद की और उसकी गाड़ी ठीक हुई।

Chhattisgarh government has made mps their levantine

राज्य की भाजपा सरकार ने प्रदेश के सभी सांसदों को अपना कर्जदार बना लिया है। केंद्र सरकार की ओर से सांसद निधि जारी करने में हो रहे विलंब के चलते राज्य सरकार ने ही अपने फंड से सांसदों को एक-एक करोड़ रुपए कर्ज के रूप में दे दिए हैं, जब केंद्र से सांसद निधि मिलेगी, तब इसे समायोजन कर लिया जाएगा। राज्य शासन ने इसकी सूचना देते हुए कलेक्टरों को सांसदों से विकास कार्य का प्रस्ताव मंगाने को कहा है।

वित्त व सांख्यिकी विभाग छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर से पहुंचे पत्र के अनुसार सांसद निधि के तहत संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए निर्वाचित सांसदों द्वारा दिए जाने वाले प्रस्तावों पर गंभीरता के साथ अमल करना है। इन प्रस्तावों की तकनीकी स्वीकृति देने के साथ ही कार्य कराने समुचित व्यवस्था करनी होगी। वित्त व सांख्यिकी विभाग ने कहा है कि निर्वाचित सांसदों को सांसद निधि के तहत एक करोड़ रुपए रुपए एडवांस राज्य शासन दे रहा है। जब केंद्र सरकार से सांसद निधि मिलेगी, तब उसे राज्य के सरकारी खजाने में जमा कराया जाएगा।

गौर करने वाली बात यह है कि अब तक सांसदों को केंद्र सरकार की ओर से सांसद निधि के रूप में एक रुपए नहीं मिले हैं, जबकि लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान इन्होंने जनता के सामने बड़े-बड़े वायदे किए थे। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद अब पाटी के सांसदों पर वायदे पूरे करने का दबाव बढ़ गया है। जाहिर है, वायदे पूरे करने के लिए राशि की भी जरूरत पड़ेगी। लिहाजा, ये सांसद केंद्र सरकार की ओर मुंह ताक रहे थे। राज्य से भाजपा के 10 सांसद चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं।

सिर्फ दुर्ग से एक सांसद कांग्रेस का है। इसलिए भाजपाई सांसदों की छवि को बरकरार रखने और उनके वायदों को समय पर पूरा कराने का बीड़ा भी राज्य सरकार ने उठाया है। इसी के तहत राज्य सरकार ने सभी सांसदों को एक-एक करोड़ रुपए जारी किए हैं। इतनी ही राशि दुर्ग के कांग्रेस सांसद को भी जारी की गई है। जानकारी के अनुसार राज्य शासन के निर्देशों की जानकारी जिला प्रशासन ने निर्वाचित सांसदों को देने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी है।

जिले में दो सांसदों का दखल

बिलासपुर जिले में बिलासपुर व कोरबा लोकसभा क्षेत्र के सांसदों के बराबर का दखल है। जिले के नक्शे में शामिल मरवाही विधानसभा क्षेत्र कोरबा लोकसभा के अंतर्गत आता है। कोरबा लोकसभा के निर्वाचित सांसद डॉ. बंशीलाल महतों की सांसद निधि से मरवाही विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य होने हैं। लिहाजा, मरवाही विधानसभा में सांसद निधि से कार्य के लिए डॉ. महतों का दबाव भी बना रहेगा।

संभाग के पांचों सांसद भाजपा के

बिलासपुर संभाग के अंतर्गत पांच लोकसभा क्षेत्र को शामिल किया गया है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि सभी निर्वाचित सांसद भाजपा के हैं। बीते कार्यकाल के दौरान कोरबा लोकसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में थी। हाल ही संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट को भी भाजपा ने कांग्रेस से छीन लिया है।

लोकसभा क्षेत्र का नाम निर्वाचित सांसद

0 बिलासपुर लखन लाल साहू

0 कोरबा डॉ. बंशीलाल महतो

0 जांजगीर श्रीमती कमला देवी पाटले

0 रायगढ़ विष्णु देव साय

0 सरगुजा कमलभान सिंह

राज्य शासन का इस संबंध में पत्र प्राप्त हुआ है। निर्वाचित सांसदों को इसकी जानकारी व विकास कार्यों के संबंध में प्रस्ताव मंगाने के निर्देश सांख्यिकी विभाग को दिए गए हैं।

सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, कलेक्टर

After land sliding kk railway line blocked

किरंदुल कोत्तावालसा (केके) रेललाइन भारी बारिश के चलते बंद हो गई है। इससे बस्तर का रेल संपर्क टूट गया है। घने जंगलों, पहाड़ों व घाटियों से गुजरी केके रेललाइन की पटरी सोमवार रात जरती और मल्लीगुड़ा स्टेशनों के बीच तीन-चार स्थानों पर भूस्खलन के चलते बह गई। जरती के नजदीक 30 मीटर लंबे रेलपांत के नीचे की मिट्टी बह गई है जिससे पटरी क्षतिग्रस्त हो गई है।

इसके अलावा जरती से क्षत्रीपुट के बीच 35 किलोमीटर रेललाइन पर लगभग 29 जगहों पर पहाड़ों से गिरे मलबे का ढेर जमा हो गया है। मौके पर पहुंचे रेल अफसरों के मुताबिक इस रेलमार्ग को शुरू होने में चार-पांच दिन का समय लग सकता है। हालांकि यह तभी संभव होगा जब बारिश थम जाए। दरअसल घाट सेक्शन में जिन स्थानों पर रेललाइन बाधित है वहां दोनों ओर पहाड़ व गहरी खाइयां होने से मलबा हटाने का काम मुश्किल साबित हो रहा है।

बताया गया है कि अब भी पहाड़ों से स्खलन जारी है जो पटरी पर जमा हो रहा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वाल्टेयर रेलमंडल के डीआरएम अनिल कुमार मंगलवार को खुद घटनास्थल पहुंचे। नईदुनिया से फोन पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि रेलमार्ग को काफी क्षति पहुंची है। सैकड़ों मजदूरों को मलबा हटाने में लगाया गया है लेकिन बारिश और लगातार भूस्खलन से काम प्रभावित हो रहा है।

दुर्ग एक्सप्रेस अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

रेलमार्ग बाधित होने से यात्री ट्रेनों का संचालन भी पूरी तरह बंद करना पड़ा है। जगदलपुर-दुर्ग पैसेंजर को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया है जबकि हावड़ा जगदलपुर समलेश्वरी एक्सप्रेस को आडिशा के टिटलागढ़ तक चलाया जा रहा है। भुवनेश्वर-जगदलपुर हीराखंड एक्सप्रेस व विशाखापटनम किरंदुल वन व्हीके पैसेंजर को कोरापुट तक चलाया जा रहा है। समलेश्वरी और पैसेंजर ट्रेन के रैक जगदलपुर में खड़े हैं। कोरापुट तक मार्ग बंद होने से किसी भी ट्रेन का संचालन कोरापुट से जगदलपुर के बीच नहीं किया जा रहा है।

Bogus phone calls to the police sleepless

छत्‍तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में फोन के माध्यम से ठगी का धंधा चरम पर है। आए दिन इसकी शिकायत पुलिस को मिल रही है। पर पुलिस के सामने चुनौती यह है कि इस प्रकार के ज्यादातर कॉल नेट से किए जाते हैं, जिसकी कॉल डिटेल मिलना काफी मुश्किल होता है। अब बैंकों पर भी इस मामले में मिलीभगत के आरोप लगने लगे हैं। पुलिस भी इन मामलों में बैंकों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है कि आखिर खातों की पूरी जानकारी अन्य किसी को कैसे मिल जाती है।

आए दिन लोगों को फोन करके उनके डेबिट कार्ड की डिटेल पूछी जाती है, उसके बाद खाते से पैसे गायब हो जाते हैं। इस तरह की सैकड़ों शिकायत पुलिस को मिल चुकी है। पहले भी इस तरह की ठगी के कई प्रकरण पुलिस के पास पेंडिंग हैं, लेकिन ये मामले लाटरी के नाम पर ठगी के होते थे। कभी चेहरा पहचानने के नाम पर तो कभी वर्ग पहेली भरने के नाम पर। किसी को कार का प्रलोभन दिया जाता था तो किसी को पैसा मिलने का।

कई लोग लुट पिटकर पुलिस के पास आते हैं। पर पुलिस के सामने चुनौती है कि अज्ञात आरोपियों को पकड़े कैसे। इन लोगों के पास न सिर्फ बैंक कस्टमर के मोबाइल नंबर होते हैं, बल्कि एकाउंट डिटेल भी होती है। लेकिन आरोपी न तो पकड़ा जाता और न ही उसका पता चलता है।

लेकिन अब ठगों ने अपना पैटर्न बदल लिया है, उन्होंने लोगों के बैंक एकाउंट से उनके मोबाइल नंबर को लेकर उन्हें फोन कर एकाउंट सुधारने के नाम पर ठगी करने लगे हैं। थानों में इस तरह की शिकायतों के अंबार लगे हैं। हालांकि एक भी मामले में आज तक एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकी है। लेकिन अब पुलिस इन मसलों पर आरपार की लड़ाई के मूड में दिख रही है।

ज्यादातर कॉल बिहार से

इस तरह के ज्यादातर कॉल बिहार से आते हैं। यदि आपने रिस्पांस नहीं दिया, तब भी वे पीछे पड़ जाते हैं और आपसे आपके एटीएम कार्ड का सीरियल नंबर जानने की कोशिश करते हैं। शहर के रामभाठा के एक व्यक्ति के पास जब इस तरह का फोन आया तो उसे लगा कि बैंक वालों ने फोन किया होगा। उसने एटीएम कार्ड का सीरियल नंबर बता दिया, इसके बाद पिन कोड भी पूछा गया। उसके द्वारा कोड बताते ही धन्यवाद बोलकर फोन काट दिया और तत्काल उसके एकाउंट के 22 हजार रुपए निकाल लिए गए।

बैंक से मिलता है डिटेल्स

ठगी करने वालों को खाताधारकों की पूरी डिटेल्स कहां से मिलती है? क्योंकि यदि आम आदमी को अपने बैंकों से इस तरह की डिटेल्स लेना चाहे तो उसे काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। लेकिन दूसरों को यह जानकारी कैसे लीक हो रही है, यह सवाल अब बैंकों पर भारी पड़ने वाला है। किसी के एकाउंट को नेट पर तभी देखा जा सकता है जब उसके पास उसका नंबर और पासवर्ड हो। ऐसे में बैंक कर्मचारियों पर संदेह होना बाजिव जान पड़ता है।

तीन माह में 78 शिकायत

जिले के थानों में तीन माह में 78 शिकायतें इस तरह की मिली हैं। वहीं कई लोग अपराध होने के बाद भी शिकायत नहीं करते हैं, उनकी कोई गिनती नहीं है। इसके बाद भी पुलिस ऐसे मामलों में अब तक शिकायत दर्ज करने के अलावा कुछ नहीं करती। शिकायतकर्ताओं में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो ठगी के शिकार हो चुके हैं। शिकायत के बाद फोन ट्रैस किया जाता है और डिटेल्स भी निकाली जाती है, जिस पर आगे कार्रवाई होती है। पर सूत्रों के अनुसार ऐसी कॉल की कोई डिटेल पुलिस को नहीं मिलती है।

नेट से किया जाता है कॉल

इस तरह के ज्यादातर कॉल नेट से किए जाते हैं और नेट से की गई कॉल का आईपी एड्रेस ही मिलता है, जो सर्विस प्रदाता द्वारा बराबर बदल दिया जाता है। इसलिए किसी भी हालत में आईपी एड्रेस के सहारे किसी कॉल को ट्रैस नहीं किया जा सकता है। इसलिए पुलिस अब सीधे बैंकों से बात करने की कोशिश कर रही है। साथ ही वह यह भी जानने की कोशिश करेगी कि किसी भी खाते के डिटेल्स जानने की तकनीक आखिर क्या है?

सभी शिकायतों पर कार्रवाई की जाएगी। हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर बैंकों से ज्यादातर सूचनाएं लीक कैसे हो जाती हैं। इस संबंध में तकनीक का ज्ञान रखने वालों का भी सहयोग लिया जाएगा।

Fire erupted in the name of religion

मंगलवार देर शाम सोशल मीडिया में एक धर्म विशेष के नाम पर टिप्पणी करने और आपत्तिजनक तस्वीर अपलोड करने से लोगों का गुस्सा भड़क गया। यह खबर पलभर में पूरे शहर में आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते भारी संख्या में भीड़ ने सिविल लाइन थाने का घेराव कर दिया। इस दौरान भीड़ आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग पर अड़ी रही। दूसरी ओर इसके विरोध में दूसरे गुट ने करोना चौक के पास चक्काजाम कर दिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल ने जैसे ही हवा में लाठियां लहराईं, जवाब में भीड़ ने पथराव कर दिया। इससे कुछ लोगों के साथ ही पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर है।

सोशल साइट में धर्म विशेष के नाम पर आपत्तिजनक और अभद्र टिप्पणी करने के विरोध में मंगलवार देर शाम भारी संख्या में युवाओं ने करोना चौक पर नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद चक्काजाम कर दिया गया। सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और माहौल को नियंत्रित करने का प्रयास करने लगे, लेकिन पुलिस को देखकर युवकों का गुस्सा और भड़क गया। इस दौरान पुलिस अधिकारियों के साथ उनकी झूमा-झटकी भी हुई। युवाओं ने बीच चौक पर टॉयर जलाकर विरोध-प्रदर्शन किया।

आक्रोशित भीड़ पुलिस अधिकारियों से सोशल साइट पर टिप्पणी करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग पर अड़ी रही। इस दौरान कुछ युवकों की भीड़ एक मोहल्ले में घुसने का प्रयास कर रही थी, लेकिन पुलिस के जवानों ने उस मार्ग को पूरे समय तक घेरकर रख लिया था। बेकाबू भीड़ को देखते हुए पुलिस को सड़क की दोनों ओर बेरिकेट्स लगाकर आवाजाही बंद करनी पड़ी। इसके चलते पुलिस व युवाओं के बीच झड़प भी हुई।

इसी बीच स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हवा में लाठियां भांजनी शुरू कर दीं। इसके जवाब में भीड़ ने पथराव कर दिया, जिससे कई लोग घायल हो गए। पथराव की सूचना मिलते ही अतिरिक्त बल भेजा गया। देर रात तक वहां तनाव की स्थिति बनी रही और भारी संख्या में बल तैनात रहा। इस बीच कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, एसपी बीएन मीणा, एएसपी विजय पांडेय समेत शहर के सभी थानों के टीआई मौके पर पहुंच गए थे।

डंटे रहे पुलिस के अफसर

सदर बाजार करोना चौक के पास भीड़ के बेकाबू होने की खबर मिलते ही एएसपी श्री पांडेय, सीएसपी हरीश यादव, कोटा के एसडीओपी विभोर सिंह,कोतवाली और सिविल लाइन थाने के थाना प्रभारी, सिटी कोतवाली के सहित अन्य पुलिस अधिकारी देर रात मौजूद रहे।

अफसरों से भी तकरार

करोना चौक में चक्काजाम और पथराव की सूचना मिलते ही अतिरिक्त कलेक्टर नीलकंठ टेकाम, तहसीलदार देवेंद्र केशरवानी आदि भी पहुंच गए थे। भीड़ के बीच खड़े कुछ लोगों ने उन पर भी अपनी भड़ास निकाली।

कलेक्टर व एसपी देते रहे समझाइश

स्थिति नियंत्रण से बाहर होने की सूचना मिलते ही कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी व एसपी बीएन मीणा भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने लाउडस्पीकर के जरिए भीड़ को शांत करने का प्रयास किया। वे जांच के बाद आरोपी को पकड़ने का आश्वासन भी देते रहे, लेकिन भीड़ तत्काल कार्रवाई करने की मांग को लेकर अड़ी रही।

कलेक्टर पर भी हमला

आक्रोशित भीड़ को कलेक्टर श्री परदेशी समझाइश दे रही थे कि इसी बीच भीड़ ने पथराव कर दिया। इस दौरान पुलिस ने भी लाठियां भांजनी शुरू कर दी। इसके जवाब में कुछ युवकों ने भी लाठी से जवाबी हमला कर दिया। इससे समझाइश दे रहे कलेक्टर श्री परदेशी के सिर पर भी अचानक लाठी पड़ गई। हालांकि उन्हें गंभीर चोट नहीं आई है। इसके बाद पुलिस बल ने उन्हें सुरक्षा घेरे में लेकर भीड़ से अलग किया।

गिरफ्तारी की मांग को लेकर घेराव

सोशल साइट में आपत्तिजनक तस्वीर और कमेंट्स दोपहर बाद प्रसारित हो चुके थे, जिसे देखकर धर्म विशेष के लोगों में आक्रोश फैल गया। शाम को सैकड़ों की संख्या में लोग सिविल लाइन थाने पहुंचे और तस्वीर अपलोड करने वाले की गिरफ्तारी की मांग करते हुए थाने का घेराव कर दिया।

समाचार कवरेज करते नईदुनिया का रिपोर्टर घायल

करोबा चौक में चक्काजाम की सूचना मिलते ही मीडियाकर्मी भी खबर कवरेज करने पहुंच गए। इस बीच अचानक पथराव होने लगा और समाचार कवरेज करने गए नईदुनिया के रिपोर्टर सुरेश पांडेय के सिर पर एक पत्थर आ लगा, जिससे वे लहूलुहान हो गए। मौके पर मौजूद अन्य मीडियाकर्मी ने उन्हें सिम्स ले गए, जहां उपचार कराया गया।

सिविल लाइन थाने में एफआईआर दर्ज

मंगलवार देर रात इस मामले में सिविल लाइन थाने में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। तैय्यबा चौक निवासी धनंजय की रिपोर्ट पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 66 (क) आईटी एक्ट, 153 (क), (ख), 295 (क) का मामला दर्ज किया है। धनंजय ने पुलिस को बताया कि मंगलवार शाम साढ़े छह बजे वह अपने मोबाइल पर फेसबुक चला रहा था, तभी उसके एक दोस्त ने इस आपत्तिजनक तस्वीर व कमेंट्स की जानकारी दी।

दो बसों में तोड़फोड़, आग

आक्रोशित भीड़ ने देर रात शिव टॉकीज चौक स्थित टूर एंड ट्रेवर्ल्स की खड़ी दो बसों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। सूचना मिलते ही पुलिस दमकल के साथ तत्काल मौके पर पहुंची। इधर, पुलिस के पहुंचते ही युवक वहां से भाग निकले। इस घटना के बाद शहर के सभी चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया।

समाज प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई है। हमने जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। कानून व्यवस्था के तहत प्रमुख चौक-चौराहों में पुलिस बल तैनात किया गया है। स्थिति नियंत्रण में है।

सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, कलेक्टर

कुछ असामाजिक तत्वों ने सोशल साइट पर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाली आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट की थीं। इसके बाद तनाव का माहौल बन गया। स्थिति को सामान्य करने का प्रयास किया जा रहा है। धार्मिक भावना को आहत पहुंचाने वाले किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा।

विजय पांडेय, एएसपी, सिटी

Jyoti father said his daughter disputes with husband

शहर की ज्‍योति के कानपुर में हुए मर्डर में पुलिस अभी तक हत्‍यारे को पकड़ नहीं पाई है। लेकिन मर्डर को लेकर उसके पत‍ि पर पीयूष दासानी पर शक गहराता जा रहा है। जबलपुर से कानपुर पहुंचे ज्‍योति के पिता शंकर नाग्‍देव का कहना है कि दामाद और उनकी बेटी के बीच नहीं बनती थी।

नाग्‍देव का कहना है कि कुछ दिनों पहले ही ज्‍योति ने अपनी मम्‍मी को फोन कर कहा था कि पीयूष और उसके बीच संबंधों में दूरी आती जा रही है। ज्‍योति ने कहा था कि उसके ससुर बहुत अच्‍छे हैं, वे ही दोनों के बीच प्रेम बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं पीयूष और उसकी मां उसके साथ बिल्‍कुल अच्‍छा व्‍यवहार नहीं करते। नाग्‍देव के अनुसार उनकी बेटी ने यह बात अपनी एक स्‍कूल में पढ़ाने वाली सहेली से भी बताई थी। यह बात पता चलने के बाद उन्‍होंने अपने दामाद और समधी से फोन पर बात करने का भी मन बनाया था लेकिन उसके पहले यह हादसा हो गया।

फोन को हाथ नहीं लगाने देता था पीयूष

नाग्‍देव के अनुसार उनकी बेटी ने शिकायत की थी कि पीयूष उसे अपना मोबाइल छूने नहीं देता। वह बाथरूम में घंटों किसी से बात करते रहता था। जब भी वह इस बारे में पीयूष से पूछती तो दोनों के बीच झगड़ा हो जाता। नाग्‍देव का कहना है कि ज्‍योति के अंतिम संस्‍कार के बाद इस बारे में जब उन्‍होंने दामाद से पूछा तो उसने यह बात स्‍वीकार की थी कि वह ज्‍योति को अपना मोबाइल छूने नहीं देता था। पर वह ऐसा क्‍यों करता था इसका जवाब पीयूष ने नहीं दिया।

Morena seized 12 quintals of adulterated cheese illegal dairy in morena

आगरा-मुंबई हाईवे पर पनीर बनाने की अवैध डेयरी को प्रशासन व खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने संयुक्त कार्रवाई के दौरान पकड़ा। डेयरी पर टीम ने 12 क्विंटल मिलावटी पनीर, 110 टीन वनस्पति घी, 30 पैकेट बेकरी पाउडर व एक केन एसिड पकड़ा। खासबात यह थी कि डेयरी लंबे अरसे से चल रही थी, लेकिन इसे चलाने के लिए प्रशासन व खाद्य सुरक्षा विभाग से किसी तरह का लाइसेंस नहीं लिया गया था। टीम ने यह कार्रवाई अपर तहसीलदार काजल दीक्षित के नेतृत्व में की। कार्रवाई के निर्देश एडीएम विवेक सिंह ने दिए थे। कार्रवाई में सिविल लाइन टीआई अमित सिंह भदौरिया मय बल के मौजूद थे।

इसलिए हुई कार्रवाई

पिछले कई दिनों से जिला प्रशासन के पास शहर की डेयरियों पर मिलावटी पनीर बनाने की सूचना मिल रही थी। इस वजह से एडीएम ने अपर तहसीलदार काजल दीक्षित व खाद्य सुरक्षा अधिकारी अवनीश गुप्ता के नेतृत्व में टीम गठित कर पुलिस बल के साथ सोमवार को सभी पनीर बनाने की डेयरियों पर कार्रवाई शुरू की। हालांकि लाइसेंस वाली डेयरियों पर टीम को कुछ नहीं मिला। इसी दौरान सूचना मिली कि ग्वालियर की तरफ मारुति सर्विस सेंटर के पास अवैध रूप से पनीर बनाने की फैक्ट्री संचालित की जा रही है। इसके बाद टीम डेयरी पर पहुंची।

40 डलियों में था 12 क्विंटल पनीर

टीम जब डेयरी पर पहुंची तो पनीर को डलियों में पैक किया जा रहा था। खाद्य सुरक्षा अधिकारी अवनीश गुप्ता के मुताबिक 40 डलियों में करीब 12 क्विंटल पनीर है। क्योंकि एक डलिया में 40 से 45 किलो पनीर पैक किया जाता है। पनीर को थर्माकोल की डलियों में पैक किया गया था।

वनस्पति घी मिलाते थे पनीर में

डेयरी में टीम को 110 वनस्पति घी की भरी हुई टीन मिली हैं। अधिकारियों के मुताबिक वनस्पति घी व बेकरी पाउडर को मिलाकर पनीर बनाया जाता था, जिससे पनीर में फैट आ जाए। साथ ही पनीर अधिक दिनों तक चले। क्योंकि शुद्घ पनीर को अधिक दिनों तक रखा नहीं जा सकता है।

एसिड से जलने से बची तहसीलदार

डेयरी में एक केन एसिड रखा हुआ था। अपर तहसीलदार काजल दीक्षित ने एक केन को चेक करने के लिए उसमें हाथ डाल रहीं थी। तभी केन छलक गई और एसिड जमीन पर गिर पड़ा, जिससे जमीन पर झाग बनने लगा। कहीं केन में तहसीलदार का हाथ चला जाता तो निश्चित तौर पर जल जातीं।

न लाइसेंस था न ही कोई दस्तावेज

कार्रवाई के दौरान जब अफसरों ने डेयरी संचालक हिमांशू बंसल से खाद्य सुरक्षा विभाग से जारी किया हुआ लाइसेंस मांगा तो उसने बताया कि अभी डेयरी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। पहले यह डेयरी गणेशपुरा में बंसल डेयरी के नाम से चलती थी। अभी हाल ही में यहां पर डेयरी खोली है। इसलिए इसका रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस नहीं लिया था।

खाद्य सुरक्षा विभाग ने लिए सैंपल

खाद्य सुरक्षा विभाग के अफसर अवनीश गुप्ता व अन्य अफसरों ने डेयरी में पनीर, वनस्पति घी, बेकरी पाउडर आदि का सैंपल लिया। साथ ही पनीर को जब्त कर लिया गया। अब इस मिलावटी पनीर को नष्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।

कहां-कहां जाता था इस डेयरी से मिलावटी पनीर

इस डेयरी से मिलावटी पनीर ग्वालियर, भोपाल सहित प्रदेश के महानगरों में जाता था। इसके अलावा आगरा, छत्तीसगढ़ के रायपुर सहित अन्य जगहों पर भी भेजा जाता है। खासबात यह है कि थर्माकोल की डलियों में पनीर को बर्फ के साथ रखकर भेजा जाता है, जिससे पनीर अधिक दिन तक चले।

धमकाने भी पहुंचे नेताओं के समर्थक

मौके पर कार्रवाई करने के लिए पहुंचे खाद्य सुरक्षा विभाग के अफसरों को धमकाने के लिए एक विधायक के समर्थक भी पहुंचे। समर्थक ने अफसरों के साथ अभद्रता भी की। हालांकि पुलिस बल को देखकर उसने मौके से खिसकने में ही भलाई समझी।

इनका कहना है

-एडीएम के निर्देश पर डेयरियों पर सोमवार को कार्रवाई की गई। इसी दौरान हाईवे पर एक डेयरी ऐसी मिली जिसके पास किसी तरह का लाइसेंस नहीं था। डेयरी में 12 क्विंटल के करीब मिलावटी पनीर, वनस्पति घी, बेकरी पाउडर व एसिड मिला है। डेयरी पर मिली सामग्री के सैंपल लिए गए हैं।

अवनीश गुप्ता, खाद्य सुरक्षा अधिकारी मुरैना

Key man reflexes saved karnataka express by accident

मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर पगढाल और छिदगांव रेलवे स्टेशनों के बीच अप रेलवे ट्रेक पर लगभग 5 इंच पटरी टूटी देखकर चाबीमैन के होश फाख्ता हो गए। वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसे पटरी पर तेज रफ्तार से आती हुई ट्रेन दिखी। उसने तत्काल लाल झंडी दिखाकर ट्रेन को रोकने का संकेत दिया। यदि चाबीमैन को टूटी पटरी देखने में चंद मिनट की देरी होती तो बड़ा हादसा हो सकता था। हालांकि इसके बाद कर्नाटक एक्सप्रेस करीब दो घंटे तक वहीं खड़ी रही। ट्रेक टूटा होने के कारण मुंबई की ओर जाने वाले अन्य गाड़ियां भी प्रभावित हुई। बाद में ट्रेक को ठीक करने का काम शुरू किया गया।

सोमवार सुबह लगभग साढ़े नौ बजे चाबीमैन मधु धनगर पटरियों का निरीक्षण कर रहा था। इसी दौरान उसे अप ट्रेक पर एक पटरी का करीब पांच इंच का हिस्सा टूटा हुआ दिखा। इसी दौरान ट्रेक पर नई दिल्ली से बैंगलूर जा रही कर्नाटक एक्सप्रेस आती हुई दिखाई दी। वह पहले तो यह सोचकर घबरा गया कि यदि ट्रेन नहीं रुकी तो बड़ा हादसा हो जाएगा। इसके बाद उसने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए लाल झंडी दिखाकर ट्रेन को रोकने का संकेत दिया। ट्रेन की रफ्तार ज्यादा थी, इसके बावजूद ड्राइवर ने लाल झंडी देखकर खतरे को भांप लिया और ट्रेन को टूटी पटरी तक पहुंचने के पहले ही रोक दिया। इसके बाद पटरी टूटी होने की जानकारी रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को दी।

यात्रियों में दहशत

पटरी टूटी होने की जानकारी लगते ही ट्रेन में बैठे यात्रियों में दहशत का माहौल छा गया। ट्रेन रुकने के बाद ड्राइवर ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद तत्काल पगढाल के उप स्टेशन प्रबंधक एसआर सिंह को सूचना दी। सूचना मिलते ही रेलवे के इंजीनियरों की टीम मौके पर पहुंची और दो घंटे की मशक्कत के बाद टूटी पटरी को फिर से जोड़ा गया। इसके बाद ट्रेक पर यातायात शुरू हो सका।

कर्नाटक एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे सुमन अग्रवाल ने बताया कि ट्रेन अपनी रफ्तार में थी। बिना किसी स्टेशन के अचानक जब ट्रेन रुकी तो उन्हें अनहोनी की आशंका हुई। ट्रेन रुकने के बाद कुछ यात्री नीचे उतर गए। बातचीत के जरिए पता चला कि बीच में पटरी टूटी हुई थी। यदि ट्रेन नहीं रुकती तो बड़ा हादसा हो जाता। एक कर्मचारी की सूझबूझ और दूरदर्शिता से हजारों यात्रियों की जान बच गई। अन्य यात्री भारत शर्मा ने बताया कि ट्रेन रुकने पर पहले तो लगा कि कोई सामान्य कारण से ट्रेन रुकी होगी। बाद में जानकारी लगी तो हाथ-पांव फूल गए। बाद में हमने ईश्वर को धन्‍यवाद दिया।

दो घंटे खड़ी रही ट्रेन

पगढाल और छिदगांव के बीच खंबा क्रमांक 695-5-7 अप ट्रेक की एक पटरी टूट जाने से यात्री कर्नाटक एक्सप्रेस सहित अन्य गाड़ियां प्रभावित रहीं। बानापुरा रेलवे स्टेशन पर कामायनी और भागलपुर एक्सप्रेस खड़ी रही। जबकि डोलरिया रेलवे स्टेशन पर लखनऊ एक्सप्रेस और पैसेंजर को रोका गया। सोमवार सुबह से ही तेज बारिश हो रही थी। इसके कारण भी यात्री परेशान होते रहे।

Fraudulent student give sbi exam in place of other

किसी और की जगह एसबीआई की लिखित परीक्षा देते एक फर्जी छात्र रातीबड़ पुलिस के हत्थे चढ़ गया। आरोपी बिहार का रहने वाला है, जो राजस्थान के अभ्यर्थी की जगह परीक्षा में बैठा था। सात दिन पहले भी इंजीनियरिंग छात्र किसी और की जगह लिखित परीक्षा देते पकड़ा गया था। दोनों के तार एक ही गिरोह से जुड़ रहे हैं। पिछली बार भी बिहार का आरोपी राजस्थान के परीक्षार्थी की जगह पकड़ा गया था।

रातीब़ड़ पुलिस के मुताबिक 7/5 अमलताश, शाहपुरा निवासी संजय पागे स्थानीय प्रधान कार्यालय एसबीआई में सहायक महाप्रबंधक के पद पदस्थ हैं। उन्होंने बताया कि रविवार को रातीबढ़ स्थित एक निजी कॉलेज में बैंक की परीक्षा थी। कागजातों की जांच के दौरान उन्हें राजस्थान निवासी मनोहर लाल मीणा पर शक हुआ। परीक्षा दे रहे परिक्षार्थी के हस्ताक्षर और फोटो मिलान किए गए तो आरोपी पकड़ा गया। पूछताछ में उसने अपना नाम पटना निवासी श्लोक कुमार (23) पुत्र रघुनाथ सिंह बताया।

उसने बताया कि वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। एसबीआई की दो बार लिखित परीक्षा पास कर चुका है, लेकिन इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाया। उसे भोपाल आकर मनोहर लाल मीणा की जगह लिखित परीक्षा देने के लिए 10 हजार रुपए मिलने वाले थे।

उससे पहले 20 जुलाई को हुई परीक्षा में भी इसी कॉलेज से राजस्थान निवासी मुकेशचंद्र मीणा की जगह परीक्षा देते इंजीनियरिंग छात्र पटना निवासी प्रतीक शेखर गिरफ्तार हुआ था। पुलिस उससे पूछताछ के बाद भी गिरोह के सूत्रधार का पता नहीं लगा पाई है। प्रतीक फिलहाल जेल में बंद है।

STFS probe is in right direction uma bharti

कुछ समय पूर्व व्‍यापमं घोटाले की सीबीआई से जांच की मांग करने वाली उमा भारती के सुर अब बदल गए हैं। यहां पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय जल संसाधन व नदी संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि व्यापमं घोटाले के मामले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की जांच बिल्‍कुल सही दिशा में जा रही है।

उमा का कहना था कि शुरुआत में उन्होंने भी इस मामले में सीबीआई जांच का सुझाव दिया था, क्योंकि यह मामला दूसरे राज्यों तक भी फैला था। लेकिन अब उन्‍होंने पाया है कि एसटीएफ इस मामले की ठीक से जांच कर रहा है। गौरतलब है कि उमा ने एक बार कहा था कि व्यापमं घोटाला बिहार के चारा घोटाले से भी बड़ा है, इसलिए इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए।

TI arrived on stretcher in court

हाईकोर्ट की फटकार के बाद सोमवार को दुर्घटना में घायल गौरेला टीआई एसएस शुक्ला को स्ट्रेचर में अदालत लाया गया। सुनवाई के दौरान उन्हें कोर्ट रूम के अंदर स्ट्रेचर में सुला कर रखा गया। बहस के लिए अधिवक्ता के नहीं आने पर 30 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख दी गई है।

गौरेला पुलिस ने पिछले वर्ष गौरेला निवासी सविता सोनी को गांजा बेचने के आरोप में पकड़ा था। इस मामले में तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार नायडू की अदालत में सुनवाई चल रही है। पिछले एक वर्ष से जेल में बंद महिला ने निचली अदालत से जमानत खारिज होने पर हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया। आवेदन में कहा गया कि बयान के लिए टीआई सहित अन्य को कई बाद समंस जारी किया गया।

इसके बावजूद पुलिस कर्मी गवाही के लिए अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे। इसके कारण आवेदिका को जेल में रहना पड़ रहा है। आवेदन को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक बिलासपुर को तलब किया था। इसमें वारंट और समंस तामीली में होने वाले विलंब व पुलिस की लापरवाही पर जमकर फटकार लगाई थी।

हाईकोर्ट में उपस्थित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने टीआई के बीमार होने की बात कही। हाईकोर्ट ने टीआई को स्ट्रेचर में कोर्ट लाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट की फटकार के बाद सोमवार को उन्हें पुलिस लाइन की एंबुलेंस से जिला न्यायालय लाया गया।

Naxal encounter the first day of the week a pile of martyrdom

नक्सलियों के शहीदी सप्ताह के पहले दिन सोमवार को सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के रामाराम के जंगलों में पुलिस व नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक नक्सली मारा गया वहीं सीआरपीएफ के दो जवान घायल हो गए हैं। शहीदी सप्ताह के चलते बस्तर के अंदरूनी इलाकों में यातायात भी प्रभावित रहा। सोमवार को सीआरपीएफ व पुलिस की संयुक्त पार्टी सर्चिंग के लिए निकली थी।

रामाराम से लगे जंगल में छिपे नक्सलियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की। घटना में सीआरपीएफ के एक हवलदार समेत दो जवानों को गोली छीलती हुई निकली जिससे वह मामूली रूप से घायल हो गए। उनका प्राथमिक उपचार चिंतलनार में किया गया। करीब दो घंटे तक चली गोलीबारी के बाद घटना स्थल की सर्चिंग करने पर एक वर्दीधारी नक्सली का शव बरामद किया गया है। एक भरमार बंदूक भी मिली है। घायल जवानों का नाम अभी ज्ञात नहीं हुआ है।

अफवाह निकली गोलीबारी की घटना

शहीद सप्ताह के पहले दिन कुआकोण्डा थाने पर नक्सली गोलीबारी की अफवाह ने पुलिस के आला अफसरों के कान खड़े कर दिए। रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात कुआकोण्डा थाना पर नक्सलियों द्वारा आधे घंटे तक गोलीबारी की खबर आई थी जिसे एसपी ने नकारते महज अफवाह बताया है। एसपी कमलोचन कश्यप का कहना है कि आधी रात थाने पर नक्सलियों ने गोलीबारी नहीं की। वे स्वयं कुआकोण्डा थाना में मौजूद थे।

एसपी के अनुसार पुलिस को खुफिया सूत्रों से यह जानकारी मिली थी कि कुछ संघम सदस्य सुकमा मार्ग पर भूसारास घाटी में सड़क खोदने की फिराक में हैं। इस पर वे दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे थे। वहां मौके पर कोई नजर नहीं आया। एसपी ने बताया कि शहीद सप्ताह के मद्देनजर आलनार की तरफ सर्चिंग पर निकले जवानों ने नक्सलियों द्वारा बनाए गए स्मारक को ध्वस्त किया है। नक्सलियों की सक्रियता को देखते पुलिस ऐहतियात बरत रही है।

थमे बसों के पहिए

3 अगस्त तक चलने वाले शहीदी सप्ताह के पहले दिन दक्षिण बस्तर में यातायात पर नक्सली खौफ नजर आया। नक्सली दहशत से नारायणपुर के ओरछा, दंतेवाड़ा के कटेकल्याण व मारडूम मार्ग पर यात्री बसों के पहिए थमे रहे। वहीं सुकमा-कोंटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगने से बसों का परिचालन ठप रहा। दहशत फैलाने की मंशा से नक्सलियों ने दंतेवाड़ा-सुकमा मार्ग पर गादीरास के पास सड़क के दोनों ओर पेड़ों पर बड़ी तादाद में पर्चे चिपकाए थे। इसी तरह बारसूर-मारडूम मार्ग पर भी पर्चे मिलने की खबर है।

Rupees four lac demands for rti

राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारियों ने जानकारी छिपाने के लिए नया रास्ता निकाला है। सूचना के अधिकार के तहत अधिकारियों ने पहले तो जानकारी नहीं दी। सूचना नहीं देने पर जब प्रथम अपील की गई तो जानकारी देने के लिए चार लाख रुपए से ज्यादा की मांग की गई है। एक-एक जिलों की जानकारी के लिए एक लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की मांग की गई।

जबकि नियम यह कहता है कि आरटीआई में सूचना मांगने पर अगर 30 दिन के अंदर विभाग जानकारी नहीं देता है तो उसके बाद उसे निःशुल्क जानकारी देनी होती है। इसके बावजूद राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से राशि जमा करने की मांग की।

सूचना के अधिकार में संजीव अग्रवाल ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन के सर्व शिक्षा अभियान, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और एनईपीजीईएल के लिए आवंटित राशि और खर्च का ब्योरा मांगा था। इसमें टेंडर प्रक्रिया से लेकर ठेकेदार संस्थाओं के बारे में जानकारी मांगी गई थी। राजीव गांधी शिक्षा मिशन में पिछले तीन साल में केंद्र सरकार ने 6600 करोड़ रुपए का फंड भेजा है, जिसे स्कूलों के निर्माण से लेकर अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में खर्च करना था। बताया जा रहा है कि वर्ष 2013-14 के लिए राजीव गांधी शिक्षा मिशन में 1250 करोड़ रुपए का फंड स्वीकृत हुआ है।

नियम में है निःशुल्क सूचना देने का प्रावधान

जन सूचना अधिकारी को 30 दिन के अंदर सूचना उपलब्ध करानी है। अगर 30 दिन की निश्चित समयावधि में सूचना नहीं दी जाती है तो यह माना जाएगा कि सूचना देने से इंकार कर दिया गया। निश्चित समयावधि में अगर सूचना नहीं दी जाती है तो आवेदनकर्ता से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता है और सूचना निःशुल्क देनी होगी।

प्रथम अपील के बाद भेजने लगे पत्र

आरटीआई कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल ने बताया कि राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारियों ने प्रथम अपील के बाद जिलों से जानकारी देने के लिए पत्र आने शुरू हुए। 13 मई को बस्तर के दस्तावेजों की जानकारी देने के लिए एक लाख 53 हजार रुपए जमा करने के लिए पत्र भेजा गया। छह जून को धमतरी की जानकारी देने की जगह सिर्फ अवलोकन करने के लिए पत्र भेजा गया।

इसमें अवलोकन के लिए प्रथम घंटे 50 रुपए, इसके बाद पांच रुपए प्रति 15 मिनट की मांग की गई। सात जून को महासमुंद जिले के तीन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की जानकारी देने के लिए 34 हजार रुपए की मांग की गई। 12 जून को बैकुंठपुर जिले की जानकारी देने के लिए भी एक लाख 53 हजार रुपए जमा करने का पत्र भेजा गया। मुंगेली से 31 जून को पत्र आया, जिसमें लिखा था कि 28970 रुपए जमा करने पर जिले में संचालित तीन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के खर्चों का ब्योरा देंगे।

फैक्ट फाइल

11 मार्च 2014 को राजीव गांधी शिक्षा मिशन से मांगी गई जानकारी

2 मई 2014 को जानकारी नहीं मिलने पर की गई प्रथम अपील

Buses not running on first day of maoist week

जिले के कुछ धुर नक्सली क्षेत्रों में नक्सली शहीद सप्ताह के पहले दिन सोमवार को बंद का खासा असर रहा। सबसे अधिक प्रभाव औंधी क्षेत्र में रहा। इसके अलावा मानपुर, मोहला, अंबागढ़ चौकी थानों के अंतर्गत धुर नक्सली गांव कहलाने वाले गांव में बंद का मिला-जुला असर रहा। बीहड़ जंगल से लगे गांव में बंद का असर रहा। वहीं औंधी क्षेत्र में बसें बिलकुल भी नहीं चली।

नांदगांव से मानपुर से कुछ आगे तक ही बसें चली। इसके आगे औंधी से महाराष्ट्र बार्डर तक बसें बंद रही। इस दौरान यात्रियों को भटकना पड़ गया। इधर नक्सली सप्ताह के पहले दिन औंधी क्षेत्र के ग्राम डोमी में नक्सलियों ने पर्चें फेंके हैं। पर्चों में नक्सलियों का समर्थन और पुलिस का विरोध करने का फरमान है।

नक्सलियों द्वारा हर साल 28 जुलाई से 3 अगस्त तक मनाए जाने वाले शहीद सप्ताह का मानपुर, मोहला, छुरिया, अंबागढ़ चौकी क्षेत्र में बंद का असर कोई खास नहीं रहा। मानपुर के अंदरूनी जंगल से लगे गांवों में ही कुछ हद तक असर रहा। इसके अलावा औंधी क्षेत्र में व्यापक असर रहा।

मानपुर तक चली बसें

शहर सहित विभिन्न रूटों से अंबागढ़ चौकी मार्ग से मोहला होते हुए मानपुर मार्ग तक ही बसें चली। इसके आगे मानपुर, और औंधी के बीच चलने वाली बसों में कमी रही। कुछ बस संचालकों ने बंद के आह्वान पर दहशत में वाहन नहीं निकाले। वहीं कुछ बसें पूर्व की तरह रूट पर चली। इसके अलावा औंधी से महाराष्ट्र की ओर जाने वाली बसें के पहिए अपने स्थान से हिले भी नहीं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में व्यवसाय भी नक्सली बंद के चलते बंद रहा। ग्रामीणों ने भी अपने खेतों से दूरी बनाए रखी।

डोमी में फेंगे पर्चे

शहीद सप्ताह से पूर्व बीती रात्रि नक्सलियों ने औंधी और डोमी सहित ग्रामीण क्षेत्र में नक्सली पर्चे भी फेंके। पर्चे में नक्सली सप्ताह पर ग्रामीणों से बंद रखने की अपील की गई थी। ग्राम डोमी में मिले पर्चें में नक्सलियों का समर्थन करते हुए बंद रखने कहा है।

औंधी क्षेत्र में पर्चे मिलने की खबर है। पुलिस ने ग्रामीण क्षेत्रों में चौकसी बढ़ा दी है। लोगों को नक्सली बंद में ध्यान न देकर काम जारी रखने कहा गया है।

Maoist martyr week start police give alert

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के शहीदी सप्ताह को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। नक्सली हर साल 28 जुलाई से तीन अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाते हैं। इस दौरान नक्सलियों की ओर से बड़ी वारदात की कोशिश की जाती है।

इसे देखते हुए एडीजी नक्सल ऑपरेशन आरके विज ने नक्सल प्रभावित सभी जिलों के एसपी को अलर्ट जारी किया है। साथ ही महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्यप्रदेश बॉर्डर पर भी सक्रियता बढ़ाने का निर्देश दिया है। इस बीच, नक्सलियों ने किरंदुल-कोत्तावालसा रेललाइन के बचेली क्रू में ट्रेन ड्राइवरों और गार्डों को शहीदी सप्ताह के दौरान शाम के बाद ट्रेनें नहीं चलाने की धमकी दी है।

ट्रेनों का परिचालन रोकने के आदेश

नक्सली धमकी मिलने के बाद ड्राइवर-गार्ड दहशत में आ गए हैं। रेलवे ने धमकी और ड्राइवरों के विरोध को देखते हुए रविवार से रात आठ बजे के बजाए दो घंटा पहले शाम छह बजे से ही किरंदुल से दंतेवाड़ा के बीच ट्रेनों का परिचालन रोकने आदेश जारी कर दिया है। नक्सलियों की ओर से मिली धमकी की रिपोर्ट शनिवार रात को बचेली क्रू सेक्शन प्रभारी रविकुमार ने वाल्टेयर रेलमंडल को दी थी।

रविवार सुबह वाल्टेयर रेल मंडल से किरंदुल व जगदलपुर रेलखंड को मिले आदेश में आगामी तीन अगस्त तक सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक ही मालगाड़ियां चलाने को कहा गया है। रेलवे प्रशासन ने दंतेवाड़ा से किरंदुल तक 50 किलोमीटर की रेललाइन में पेट्रोलिंग करने के बाद ही आवागमन शुरू करने का निर्देश दिया है।

राजनांदगांव के औंधी में नक्सलियों के शहीदी सप्ताह को लेकर पर्चे भी फेंके हैं। इस दौरान ग्रामीणों को त्योहार मनाने एवं व्यवसायियों को काम पूरी तरह बंद रखने की चेतावनी भी दी गई है। राजनांदगांव में एएसपी नक्सल ऑपरेशन विवेक शुक्ला ने बताया कि इलाके में सर्चिंग बढ़ा दी गई है।

क्षेत्र में बंद जैसी कोई स्थिति नहीं रहेगी। औंधी के कुछ ग्रामीण क्षेत्र में नक्सलियों ने शुक्रवार शाम 7 से 8 बजे के बीच पर्चे फेंक दिए थे। गौरतलब है कि पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने वाले नक्सली साथियों, कमांडर की याद में नक्सली शहीदी सप्ताह मनाते हैं।