कहते हैं कि 'जब अन्य चीजों को सीखने के प्रयास खत्म हो जाते हैं वहीं प्रेम प्रकट होता है। आप तभी प्रेम कर सकते हैं जबकि आप आधिपत्य की कोशिश नहीं करते हैं।'
जब आपका दिल, दिमाग की चीजों चालाकियों से नहीं भरा होता, तब प्रेम से भरा होता है। एकमात्र और अकेला प्रेम ही है जो निवर्तमान दुनिया के पागलपन, उसकी भ्रष्टता को खत्म कर सकता है। प्रेम के सिवा, कोई भी संकल्पना, सिद्धांत, वाद दुनिया को नहीं बदल सकते।
आप तभी प्रेम कर सकते हैं जब आप आधिपत्य करने की कोशिश नहीं करते, ईर्ष्यालु या लालची नहीं होते। जब आप में लोगों के प्रति आदर होता है, करूणा होती है, हार्दिक स्नेह उमड़ता है तब आप प्रेम में होते हैं। जब आप अपनी पत्नी, प्रेमिका, अपने बच्चों, अपने पड़ोसी, अपने बदकिस्मत सेवकों के बारे में सद्भावपूर्ण ख्यालों में होते हैं तब आप प्रेम में होते हैं।
प्रेम ऐसी चीज नहीं जिसके बारे में सोचा विचारा जाए, कृत्रिम रूप से उसे उगाया जाए, प्रेम ऐसी चीज नहीं जिसका अभ्यास कर कर के सीखा जाए। विश्वबंधुत्व और भाईचारा आदि सीखना दिमागी बाते हैं प्रेम कतई नहीं।
जब भाईचारा, विश्वबंधुत्व, दया, करूणा और समर्पण सीखना पूर्णत: रूक जाता है, बनावटीपन ठहर जाता है तब असली प्रेम प्रकट होता है। प्रेम की सुगंध ही उसका परिचय होता है।
रेगिस्तान की तरह शुष्क आज के सभ्य विश्व में जहाँ भौतिक सुख और इच्छाएं ही प्रमुख हो गए हैं प्रेम नहीं बचा है। लेकिन फिर भी प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं। आपके पास प्यार ही नहीं जब तक सुन्दरता न हो।
सुन्दरता वह नहीं जो आप बाहर देखते हैं-कोई सुन्दर वृक्ष, एक सुन्दर तस्वीर, एक भव्य सुन्दर इमारत या एक सुन्दर स्त्री बल्कि सुन्दरता आपका वह अन्त:करण है जो आपकी आंख बाहर को प्रक्षेपित करती है।
जब आपके दिल दिमाग जानते हैं कि प्रेम क्या है केवल तब ही सुन्दरता का अहसास हो सकता है। बिना प्रेम और सौन्दर्य बोध के किसी प्रकार की सच्ची नैतिकता का अस्तित्व ही नहीं हो सकता। आप और हम सभी यह अच्छी तरह जानते हैं कि बिना प्रेम के आप कुछ भी करें, समाज सुधार करें, भूखों को खिलायें आप और अधिक पाखंड, वैषम्य और उलझनों में पड़ेंगे।प्रेम का अभाव ही हमारी कुरूपता, दिल और दिमाग की कंगाली का कारण है।
जब प्रेम और सौन्दर्य आपके मन में होता है तब आप जो भी करते हैं लयबद्ध होता है, विधिसम्मत होता है। यदि आप जानते हैं कि प्रेम कैसे करना है, तब आप कुछ भी करें यह अवश्य ही सभी समस्याओं का हल बन जाता है।
जब आपका दिल, दिमाग की चीजों चालाकियों से नहीं भरा होता, तब प्रेम से भरा होता है। एकमात्र और अकेला प्रेम ही है जो निवर्तमान दुनिया के पागलपन, उसकी भ्रष्टता को खत्म कर सकता है। प्रेम के सिवा, कोई भी संकल्पना, सिद्धांत, वाद दुनिया को नहीं बदल सकते।
आप तभी प्रेम कर सकते हैं जब आप आधिपत्य करने की कोशिश नहीं करते, ईर्ष्यालु या लालची नहीं होते। जब आप में लोगों के प्रति आदर होता है, करूणा होती है, हार्दिक स्नेह उमड़ता है तब आप प्रेम में होते हैं। जब आप अपनी पत्नी, प्रेमिका, अपने बच्चों, अपने पड़ोसी, अपने बदकिस्मत सेवकों के बारे में सद्भावपूर्ण ख्यालों में होते हैं तब आप प्रेम में होते हैं।
प्रेम ऐसी चीज नहीं जिसके बारे में सोचा विचारा जाए, कृत्रिम रूप से उसे उगाया जाए, प्रेम ऐसी चीज नहीं जिसका अभ्यास कर कर के सीखा जाए। विश्वबंधुत्व और भाईचारा आदि सीखना दिमागी बाते हैं प्रेम कतई नहीं।
जब भाईचारा, विश्वबंधुत्व, दया, करूणा और समर्पण सीखना पूर्णत: रूक जाता है, बनावटीपन ठहर जाता है तब असली प्रेम प्रकट होता है। प्रेम की सुगंध ही उसका परिचय होता है।
रेगिस्तान की तरह शुष्क आज के सभ्य विश्व में जहाँ भौतिक सुख और इच्छाएं ही प्रमुख हो गए हैं प्रेम नहीं बचा है। लेकिन फिर भी प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं। आपके पास प्यार ही नहीं जब तक सुन्दरता न हो।
सुन्दरता वह नहीं जो आप बाहर देखते हैं-कोई सुन्दर वृक्ष, एक सुन्दर तस्वीर, एक भव्य सुन्दर इमारत या एक सुन्दर स्त्री बल्कि सुन्दरता आपका वह अन्त:करण है जो आपकी आंख बाहर को प्रक्षेपित करती है।
जब आपके दिल दिमाग जानते हैं कि प्रेम क्या है केवल तब ही सुन्दरता का अहसास हो सकता है। बिना प्रेम और सौन्दर्य बोध के किसी प्रकार की सच्ची नैतिकता का अस्तित्व ही नहीं हो सकता। आप और हम सभी यह अच्छी तरह जानते हैं कि बिना प्रेम के आप कुछ भी करें, समाज सुधार करें, भूखों को खिलायें आप और अधिक पाखंड, वैषम्य और उलझनों में पड़ेंगे।प्रेम का अभाव ही हमारी कुरूपता, दिल और दिमाग की कंगाली का कारण है।
जब प्रेम और सौन्दर्य आपके मन में होता है तब आप जो भी करते हैं लयबद्ध होता है, विधिसम्मत होता है। यदि आप जानते हैं कि प्रेम कैसे करना है, तब आप कुछ भी करें यह अवश्य ही सभी समस्याओं का हल बन जाता है।
Source: Spiritual News in Hindi & Horoscope 2014
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