श्रीराम भगवान के चरित्र पर कई भाषाओं में रामकथाएं लिखी गई हैं। इनमें से महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण सर्वोपरि है।
वाल्मीकि रामायण जो कि मूलतः संस्कृत भाषा में लिखी गई है। इसे पढ़कर ऐसा नहीं लगता मानो उन्होंने श्रीराम के बारे में जो कुछ भी देखा और सुना उसे उन्होंने वेदों की भाषा में अंकित किया है।
वाल्मीकि रामायण के अलावा अन्य रामायण भी लोकप्रिय हैं, उनमें 'अध्यात्म रामायण', 'आनंद रामायण', 'अद्भुत रामायण' तथा तुलसीदास कृत 'श्री रामचरितमानस' आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
गोस्वामी तुलसीदास ने अनेकानेक रामायण ग्रंथ लिखे जाने के संदर्भ में कहा है कि- 'रामायन सतकोटि अपारा।'
वाल्मीकि रामायण के उपरांत रामकथा में दूसरा प्राचीन ग्रंथ है 'अध्यात्म रामायण।' इसमें राम का ईश्वरत्व उभरता दृष्टिगत होता है।
इस रामायण को राम कथा के उत्तर खंड के रूप में भी स्वीकारा जाता है। 'आनंद रामायण' में भक्ति की प्रधानता है। इसमें राम की विभिन्न लीलाओं तथा उपासना संबंधी अनुष्ठानों की विशेष चर्चा है।
रामायण में सीता की महत्ता
'अद्भुत रामायण' अपने नाम के अनुरूप कथा प्रसंगों और वर्णन शैली में अद्भुत है। इसमें सीता की महत्ता विशेष रूप से प्रस्तुत की गई है। उन्हें 'आदिशक्ति' और 'आदिमाया' बताया गया है, जिसकी प्रस्तुति स्वयं राम भी सहस्त्रनाम स्तोत्र द्वारा करते हैं। लोकप्रियता की दृष्टि से तुलसी कृत 'रामचरितमानस' सबसे आगे है।
लोकभाषा में होने के कारण इसने रामकथा को जनसाधारण में अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया। रामलीलाओं के मंचन की दृष्टि से राधेश्याम कृत रामायण का भी विशेष स्थान है। हिंदी क्षेत्रों की अपेक्षाकृत कम पढ़ी-लिखी जनता के बीच इस रामायण को काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई।
रामायण कई प्रादेशिक भाषाओं में भी लिखी गई, जिसका आधार विभिन्न संस्कृत ग्रंथ रहे हैं। नौवीं शताब्दी में कवि कंबन ने तमिल भाषा में 'कंब रामायण' की रचना की। रंगनाथ रामायण, कवयित्री मोल्डा रचित मोल्डा रामायण और 'भास्कर' तेलुगू भाषा में लिखी गई रामायण हैं।
प्रादेशिक भाषाओं में रामकथा पर आधारित सबसे पुरानी रामायण उड़िया में लिखी गई 'रूइपादकातेणपदी रामायण' है, जो नौवीं शताब्दी में लिखी गई।
मुस्लिम देशों में भी है लोकप्रिय
मुस्लिम देश इंडोनेशिया में तो रामायण को राष्ट्रीय पवित्र पुस्तक का गौरव प्राप्त है। वहां अदालतों में प्राय: रामायण पर ही हाथ रखकर शपथ ली जाती है। वहां इस ग्रंथ का नाम है 'काकविन रामायण'।
थाइलैंड में रामकथा को 'रामकियेन' या 'रामकीतिर' कहा जाता है। कंबोडिया में रामकथा को 'रामकेर' कहा जाता है।
जावा के मंदिरों में वाल्मीकि रामायण के श्लोक उद्धृत हैं। इसके साथ ही लाओस, वियतनाम, सुमात्रा तथा बाली आदि दक्षिण पूर्व अनेक एशियाई देशों में भी रामकथा का प्रभाव दिखता है।
मुगल काल में भी नहीं रही अछूती
मुगल काल में रामायण का फारसी अनुवाद (मसीही रामायण) भी प्रकाशित हुआ था, जो रामकथा की लोकप्रियता का एक उदाहरण है। 1623 ईसवी में फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख साद मसीह ने भी 'दास्ताने राम व सीता' शीर्षक से रामकथा लिखी थी।
उर्दू में रामकथा पर एक ग्रंथ रघुवंशी 'उर्दू रामायण' भी है, जिसके लेखक हैं बाबू सिंह बालियान हैं। इसमें सभी प्रकार की उपलब्ध रामकथाओं तथा उनके लेखकों का विवरण दिया गया है।
राम कण - कण में हैं
कहते हैं कि 'राम हर कण कण में मौजूद हैं। मन से जो रावण निकाले राम उसके मन में हैं।' भगवान राम की लोकप्रियता का कारण उनका चरित्र है श्रीराम ने ईसा मसीह, पैगंबर मोहम्मद, गुरु नानक, गौतम बुद्ध की तरह कोई नया धर्म नहीं शुरु किया बल्कि वह सनातन धर्म की पताका फहराते रहे।
एक कारण यह भी है कि लोग उनके आदर्शों के कारण भी उन्हें अपने आदर्श मानते हैं।
वाल्मीकि रामायण जो कि मूलतः संस्कृत भाषा में लिखी गई है। इसे पढ़कर ऐसा नहीं लगता मानो उन्होंने श्रीराम के बारे में जो कुछ भी देखा और सुना उसे उन्होंने वेदों की भाषा में अंकित किया है।
वाल्मीकि रामायण के अलावा अन्य रामायण भी लोकप्रिय हैं, उनमें 'अध्यात्म रामायण', 'आनंद रामायण', 'अद्भुत रामायण' तथा तुलसीदास कृत 'श्री रामचरितमानस' आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
गोस्वामी तुलसीदास ने अनेकानेक रामायण ग्रंथ लिखे जाने के संदर्भ में कहा है कि- 'रामायन सतकोटि अपारा।'
वाल्मीकि रामायण के उपरांत रामकथा में दूसरा प्राचीन ग्रंथ है 'अध्यात्म रामायण।' इसमें राम का ईश्वरत्व उभरता दृष्टिगत होता है।
इस रामायण को राम कथा के उत्तर खंड के रूप में भी स्वीकारा जाता है। 'आनंद रामायण' में भक्ति की प्रधानता है। इसमें राम की विभिन्न लीलाओं तथा उपासना संबंधी अनुष्ठानों की विशेष चर्चा है।
रामायण में सीता की महत्ता
'अद्भुत रामायण' अपने नाम के अनुरूप कथा प्रसंगों और वर्णन शैली में अद्भुत है। इसमें सीता की महत्ता विशेष रूप से प्रस्तुत की गई है। उन्हें 'आदिशक्ति' और 'आदिमाया' बताया गया है, जिसकी प्रस्तुति स्वयं राम भी सहस्त्रनाम स्तोत्र द्वारा करते हैं। लोकप्रियता की दृष्टि से तुलसी कृत 'रामचरितमानस' सबसे आगे है।
लोकभाषा में होने के कारण इसने रामकथा को जनसाधारण में अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया। रामलीलाओं के मंचन की दृष्टि से राधेश्याम कृत रामायण का भी विशेष स्थान है। हिंदी क्षेत्रों की अपेक्षाकृत कम पढ़ी-लिखी जनता के बीच इस रामायण को काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई।
रामायण कई प्रादेशिक भाषाओं में भी लिखी गई, जिसका आधार विभिन्न संस्कृत ग्रंथ रहे हैं। नौवीं शताब्दी में कवि कंबन ने तमिल भाषा में 'कंब रामायण' की रचना की। रंगनाथ रामायण, कवयित्री मोल्डा रचित मोल्डा रामायण और 'भास्कर' तेलुगू भाषा में लिखी गई रामायण हैं।
प्रादेशिक भाषाओं में रामकथा पर आधारित सबसे पुरानी रामायण उड़िया में लिखी गई 'रूइपादकातेणपदी रामायण' है, जो नौवीं शताब्दी में लिखी गई।
मुस्लिम देशों में भी है लोकप्रिय
मुस्लिम देश इंडोनेशिया में तो रामायण को राष्ट्रीय पवित्र पुस्तक का गौरव प्राप्त है। वहां अदालतों में प्राय: रामायण पर ही हाथ रखकर शपथ ली जाती है। वहां इस ग्रंथ का नाम है 'काकविन रामायण'।
थाइलैंड में रामकथा को 'रामकियेन' या 'रामकीतिर' कहा जाता है। कंबोडिया में रामकथा को 'रामकेर' कहा जाता है।
जावा के मंदिरों में वाल्मीकि रामायण के श्लोक उद्धृत हैं। इसके साथ ही लाओस, वियतनाम, सुमात्रा तथा बाली आदि दक्षिण पूर्व अनेक एशियाई देशों में भी रामकथा का प्रभाव दिखता है।
मुगल काल में भी नहीं रही अछूती
मुगल काल में रामायण का फारसी अनुवाद (मसीही रामायण) भी प्रकाशित हुआ था, जो रामकथा की लोकप्रियता का एक उदाहरण है। 1623 ईसवी में फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख साद मसीह ने भी 'दास्ताने राम व सीता' शीर्षक से रामकथा लिखी थी।
उर्दू में रामकथा पर एक ग्रंथ रघुवंशी 'उर्दू रामायण' भी है, जिसके लेखक हैं बाबू सिंह बालियान हैं। इसमें सभी प्रकार की उपलब्ध रामकथाओं तथा उनके लेखकों का विवरण दिया गया है।
राम कण - कण में हैं
कहते हैं कि 'राम हर कण कण में मौजूद हैं। मन से जो रावण निकाले राम उसके मन में हैं।' भगवान राम की लोकप्रियता का कारण उनका चरित्र है श्रीराम ने ईसा मसीह, पैगंबर मोहम्मद, गुरु नानक, गौतम बुद्ध की तरह कोई नया धर्म नहीं शुरु किया बल्कि वह सनातन धर्म की पताका फहराते रहे।
एक कारण यह भी है कि लोग उनके आदर्शों के कारण भी उन्हें अपने आदर्श मानते हैं।
Source: Spiritual News in Hindi & Hindi Rashifal 2014
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