ज़िंदगी के दो पहलू होते हैं सुख और दुःख। इन दोनों पहलुओं से होते हुए इंसान आगे की ओर बढ़ता जाता है।
जिंदगी जीने के फलसफे को समझने के बहुत ही रोचक तरीके हैं। एक तो यही है कि सुख व दुख यह जिदंगी के दो निश्चित पहलू है जिसे आज सुख मिल रहा है वह कल दुखी हो सकता है और जो आज दुखी है वह सुखी होगा। यह क्रिया मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से चलती आ रही है।
इन दोनों में से चित्त ही है जो हममें से अधिकांश को सबसे अधिक प्रभावित करता है। या तो हम बहुत ही गंभीर रूप से बीमार हों या फिर आधारभूत आवश्यकताओं से वंचित हो जाएं,हमारी शारीरिक स्थिति की भूमिका जीवन में गौण होती है। यदि हमारा शरीर संतुष्ट हो तो हम असल में उसकी उपेक्षा करते हैं। परन्तु चित्त प्रत्येक घटना को दर्ज कर लेता है फिर चाहे वह घटना कितनी ही छोटी ही क्यों न हो।
कहते हैं कि मेरे अपने सीमित अनुभव के आधार पर मैंने देखा है कि आंतरिक शांति की अधिकतम मात्रा प्रेम तथा करुणा के विकास से आती है।
हम दूसरों के सुख के विषय में जितना अधिक सावधान रहते हैं, हमारे अपने कल्याण की भावना उतनी अधिक होती है। दूसरों के प्रति एक सद्भाव का विकास करना अपने चित्त में स्वाभाविक रूप से चित्त को सहजता देता है। यह हममें जो भी भय अथवा असुरक्षा की भावना हो, उसे दूर करने में सहायक होता है और हमें किसी भी आने वाली बाधा का सामना करने की शक्ति देता है। यह जीवन में सफलता का परम स्रोत है।
इस संसार में जब तक हम जीवित हैं तब तक बाधाओं का सामना करना हमारे लिए कर्म की तरह है। यदि ऐसे अवसरों पर हम आशा छोड़ कर निरुत्साहित हो जाएं, तो हम अपनी कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता को कम करते हैं।
केवल हम ही नहीं,बल्कि प्रत्येक को दुःखों का सामना करना पड़ता है तो यह यथार्थवादी परिप्रेक्ष्य हमारी कठिनाइयों पर काबू पाने के निश्चय और क्षमता को और बढ़ाएगा। निश्चित रूप से इस प्रकार की मनोवृत्ति से,प्रत्येक बाधा हमारे चित्त में सुधार लाने के लिए एक और बहुमूल्य अवसर प्रतीत होगा।
अर्थात् हम दूसरों के दुःखों के प्रति सच्ची करुणा की भावना और उनकी पीड़ा दूर करने के लिए निश्चय की भावना का विकास कर सकते हैं। फलस्वरूप, हमारी अपनी शांति और आंतरिक शाक्ति अधिक होगी।
अगर हम लोभ, मोह, माया, तृष्णा को छोड़ परमपिता परमात्मा की आराधना में डूब जाएं तो दुख हमको स्पर्श भी नहीं कर सकेगा। याद रखें कि 'दुनिया में कर्म ही पूजा है और यह कर्म ही आपको चिरकाल के लिए महान बनाता है।'
जिंदगी जीने के फलसफे को समझने के बहुत ही रोचक तरीके हैं। एक तो यही है कि सुख व दुख यह जिदंगी के दो निश्चित पहलू है जिसे आज सुख मिल रहा है वह कल दुखी हो सकता है और जो आज दुखी है वह सुखी होगा। यह क्रिया मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से चलती आ रही है।
इन दोनों में से चित्त ही है जो हममें से अधिकांश को सबसे अधिक प्रभावित करता है। या तो हम बहुत ही गंभीर रूप से बीमार हों या फिर आधारभूत आवश्यकताओं से वंचित हो जाएं,हमारी शारीरिक स्थिति की भूमिका जीवन में गौण होती है। यदि हमारा शरीर संतुष्ट हो तो हम असल में उसकी उपेक्षा करते हैं। परन्तु चित्त प्रत्येक घटना को दर्ज कर लेता है फिर चाहे वह घटना कितनी ही छोटी ही क्यों न हो।
कहते हैं कि मेरे अपने सीमित अनुभव के आधार पर मैंने देखा है कि आंतरिक शांति की अधिकतम मात्रा प्रेम तथा करुणा के विकास से आती है।
हम दूसरों के सुख के विषय में जितना अधिक सावधान रहते हैं, हमारे अपने कल्याण की भावना उतनी अधिक होती है। दूसरों के प्रति एक सद्भाव का विकास करना अपने चित्त में स्वाभाविक रूप से चित्त को सहजता देता है। यह हममें जो भी भय अथवा असुरक्षा की भावना हो, उसे दूर करने में सहायक होता है और हमें किसी भी आने वाली बाधा का सामना करने की शक्ति देता है। यह जीवन में सफलता का परम स्रोत है।
इस संसार में जब तक हम जीवित हैं तब तक बाधाओं का सामना करना हमारे लिए कर्म की तरह है। यदि ऐसे अवसरों पर हम आशा छोड़ कर निरुत्साहित हो जाएं, तो हम अपनी कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता को कम करते हैं।
केवल हम ही नहीं,बल्कि प्रत्येक को दुःखों का सामना करना पड़ता है तो यह यथार्थवादी परिप्रेक्ष्य हमारी कठिनाइयों पर काबू पाने के निश्चय और क्षमता को और बढ़ाएगा। निश्चित रूप से इस प्रकार की मनोवृत्ति से,प्रत्येक बाधा हमारे चित्त में सुधार लाने के लिए एक और बहुमूल्य अवसर प्रतीत होगा।
अर्थात् हम दूसरों के दुःखों के प्रति सच्ची करुणा की भावना और उनकी पीड़ा दूर करने के लिए निश्चय की भावना का विकास कर सकते हैं। फलस्वरूप, हमारी अपनी शांति और आंतरिक शाक्ति अधिक होगी।
अगर हम लोभ, मोह, माया, तृष्णा को छोड़ परमपिता परमात्मा की आराधना में डूब जाएं तो दुख हमको स्पर्श भी नहीं कर सकेगा। याद रखें कि 'दुनिया में कर्म ही पूजा है और यह कर्म ही आपको चिरकाल के लिए महान बनाता है।'
Source: Spiritual News in Hindi & Horoscope 2014
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