Sunday, 9 February 2014

Albeit move in the right direction instead of starting

नए साल के जश्न में शामिल होने लंबे-चौड़े कद वाला एक कलाकार अपना सामान और संगीत वाद्य लेकर रेलवे स्टेशन पर उतरा। उसने टैक्सी वाले को इशारे से बुलाया और कहा - 'सैंड होटल ले चलो।'

टैक्सी वाले ने कहा, 'सौ रुपए लगेंगे।' वह व्यक्ति शहर में नया आया था, लेकिन उसे यह पता था कि यह होटल स्टेशन से सिर्फ दो किलोमीटर दूर है।

हालांकि उसे टैक्सी के किराये के बारे में नहींपता था। वह बोला - 'आप तो लूट रहे हैं। मेरे अंदर इतनी ताकत है कि अपना सामान उठाकर सैंड होटल चला जाऊं।'

वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर निकल गया। अब उसे सामान के साथ चलना काफी भारी पड़ रहा था। कुछ देर बाद उसे वही टैक्सी वाला जाते हुए दिखा।

उसने टैक्सी वाले को रोककर पूछा, 'अब तो मैने आधे से ज्यादा दूरी तय कर ली है, अब सैंड होटल के कितने रुपये लोगे?' टैक्सी वाला बोला- 200 रुपए। वह व्यक्ति फिर गुस्से से भर गया, 'वहां से सौ रुपए, यहां से दो सौ रुपए?'

टैक्सी वाले ने कहा, 'श्रीमान जी, आप होटल की विपरीत दिशा में चल रहे हैं। अब आप उससे और भी दूर आ चुके हैं।' अब वह व्यक्ति चुपचाप टैक्सी में बैठ गया।

संक्षेप में

कोई भी काम आनन-फानन में शुरू करने के बजाय हमें पहले उसके हर पहलू पर गंभीरता से सोच लेना चाहिए। आपकी दिशा सही होगी, तभी मेहनत रंग लाएगी।

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