हनुमान जयंती पवनपुत्र हनुमान के जन्म की प्रसंग तिथि है। हनुमान शिव के ग्यारहवें अवतार के रूप में सर्वत्र पूजनीय हैं। चूंकि शिव भी राम का स्मरण करते हैं इसलिए उनके अवतार हनुमान को भी राम नाम प्रिय है। हनुमान बल और बुद्धि के देव हैं।
रामकथा उनके बिना पूरी नहीं होती। वे धर्म में इस शिक्षा के साथ हैं कि अपनी बुद्धि और बल के गर्व से दूर रहते हुए, विनम्र होकर ही संसार का आदर प्राप्त किया जा सकता है। उनका श्रद्धाभाव अतुलनीय है। मंदिरों में हनुमानजी की मूर्ति को पर्वत उठाए और राक्षस का मान मर्दन करते हुए दिखाया जाता है लेकिन राम मंदिरों में वे प्रभु चरणों में मस्तक झुकाए बैठे हैं। वे अनुपम भक्त हैं।
हनुमान के संबंध में एक लोककथा है कि एक बार वे माता अंजनी को रामायण सुना रहे थे। उनकी कथा से प्रभावित माता अंजनी ने पूछा, 'तुम इतने शक्तिशाली हो कि तुम्हारी पूंछ के एक वार से पूरी लंका को उड़ा सकते थे, रावण को मार सकते थे और मां सीता को छुड़ाकर ला सकते हो फिर तुमने ऐसा क्यों नहीं किया?
अगर तुम ऐसा करते तो युद्ध में नष्ट हुआ समय बच जाता? हनुमान विनम्रता से कहते हैं, 'क्योंकि राम ने कभी मुझे ऐसा करने के लिए नहीं कहा।" राम के प्रति इस अगाध श्रद्धा के कारण हनुमान पूरे संसार में पूजे जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन अगर भक्त 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो उनके कष्टों का हरण होता है। हनुमान बाण से सभी तरह के तांत्रिक रोगों का नाश होता है। राम नाम मात्र से ही वे सारे मनोरथ पूरे करते हैं।
हनुमान जी को सिंदूर क्यों
रामायण में एक कथा प्रसिद्ध है कि हनुमानजी ने जानकी की मांग में सिंदूर लगा देख आश्चर्य से पूछा- माते, आपने यह लाल द्रव्य मस्तक पर क्यों लगाया है?माता जानकी ने हनुमान की इस भोली उत्सुकता पर कहा, 'पुत्र, इसे लगाने से मेरे स्वामी की रक्षा होती है, वे दीर्घायु होते हैं और वे मुझ पर सदैव प्रसन्न रहते हैं।
हनुमानजी ने यह सुना तो वे बहुत प्रसन्ना हुए और विचार किया कि जब अंगुलीभर सिंदूर से प्रभु की रक्षा होती है तो क्यों न पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर स्वामी को सुरक्षित कर दूं। उन्होंने वैसा ही किया। जब वे इस तरह श्रीराम के सामने पहुंचे तो प्रभु मुस्कुराए बिना न रह सके। हनुमान का विश्वास मां जानकी के वचनों में पक्का हो गया। तभी से हनुमान की भक्ति का स्मरण करते हुए उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।
रामकथा सुनते हैं हनुमान
माना जाता है कि जहां रामकथा होती है वहां हनुमान कथा सुनने पहुंचते हैं। कहा गया है एक बार राजदरबार में श्रीराम ने हनुमान को अपने गले से मोती की माला उतार कर दी। हनुमान ने हर एक मोती को दांत से काटकर देखा और पूरी माला तोड़ दी। श्रीराम ने पूछा इतनी सुंदर माला तुमने दांत से काट-काटकर क्यों फेंक दी।
हनुमान ने कहा कि प्रभु जिस वस्तु में आप नहीं वह मेरे किस काम की। तब श्रीराम ने पूछा, तुम्हारे हृदय में श्रीराम का निवास है? हनुमान ने हृदय चीरकर दिखाया कि उसमें राम, लक्ष्मण और सीता विद्यमान है। हनुमान को राम नाम प्रिय है। जहां भी रामकथा होती है वहां वे कथा श्रवण आते हैं।
रामकथा उनके बिना पूरी नहीं होती। वे धर्म में इस शिक्षा के साथ हैं कि अपनी बुद्धि और बल के गर्व से दूर रहते हुए, विनम्र होकर ही संसार का आदर प्राप्त किया जा सकता है। उनका श्रद्धाभाव अतुलनीय है। मंदिरों में हनुमानजी की मूर्ति को पर्वत उठाए और राक्षस का मान मर्दन करते हुए दिखाया जाता है लेकिन राम मंदिरों में वे प्रभु चरणों में मस्तक झुकाए बैठे हैं। वे अनुपम भक्त हैं।
हनुमान के संबंध में एक लोककथा है कि एक बार वे माता अंजनी को रामायण सुना रहे थे। उनकी कथा से प्रभावित माता अंजनी ने पूछा, 'तुम इतने शक्तिशाली हो कि तुम्हारी पूंछ के एक वार से पूरी लंका को उड़ा सकते थे, रावण को मार सकते थे और मां सीता को छुड़ाकर ला सकते हो फिर तुमने ऐसा क्यों नहीं किया?
अगर तुम ऐसा करते तो युद्ध में नष्ट हुआ समय बच जाता? हनुमान विनम्रता से कहते हैं, 'क्योंकि राम ने कभी मुझे ऐसा करने के लिए नहीं कहा।" राम के प्रति इस अगाध श्रद्धा के कारण हनुमान पूरे संसार में पूजे जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन अगर भक्त 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो उनके कष्टों का हरण होता है। हनुमान बाण से सभी तरह के तांत्रिक रोगों का नाश होता है। राम नाम मात्र से ही वे सारे मनोरथ पूरे करते हैं।
हनुमान जी को सिंदूर क्यों
रामायण में एक कथा प्रसिद्ध है कि हनुमानजी ने जानकी की मांग में सिंदूर लगा देख आश्चर्य से पूछा- माते, आपने यह लाल द्रव्य मस्तक पर क्यों लगाया है?माता जानकी ने हनुमान की इस भोली उत्सुकता पर कहा, 'पुत्र, इसे लगाने से मेरे स्वामी की रक्षा होती है, वे दीर्घायु होते हैं और वे मुझ पर सदैव प्रसन्न रहते हैं।
हनुमानजी ने यह सुना तो वे बहुत प्रसन्ना हुए और विचार किया कि जब अंगुलीभर सिंदूर से प्रभु की रक्षा होती है तो क्यों न पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर स्वामी को सुरक्षित कर दूं। उन्होंने वैसा ही किया। जब वे इस तरह श्रीराम के सामने पहुंचे तो प्रभु मुस्कुराए बिना न रह सके। हनुमान का विश्वास मां जानकी के वचनों में पक्का हो गया। तभी से हनुमान की भक्ति का स्मरण करते हुए उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।
रामकथा सुनते हैं हनुमान
माना जाता है कि जहां रामकथा होती है वहां हनुमान कथा सुनने पहुंचते हैं। कहा गया है एक बार राजदरबार में श्रीराम ने हनुमान को अपने गले से मोती की माला उतार कर दी। हनुमान ने हर एक मोती को दांत से काटकर देखा और पूरी माला तोड़ दी। श्रीराम ने पूछा इतनी सुंदर माला तुमने दांत से काट-काटकर क्यों फेंक दी।
हनुमान ने कहा कि प्रभु जिस वस्तु में आप नहीं वह मेरे किस काम की। तब श्रीराम ने पूछा, तुम्हारे हृदय में श्रीराम का निवास है? हनुमान ने हृदय चीरकर दिखाया कि उसमें राम, लक्ष्मण और सीता विद्यमान है। हनुमान को राम नाम प्रिय है। जहां भी रामकथा होती है वहां वे कथा श्रवण आते हैं।
Source: Spiritual Hindi News & Horoscope 2014
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