महावीर जयंती ऐसा अवसर है जो हमें भगवान महावीर के जीवन की उपयोगिता पर विचार करने का अवसर देता है। चूंकि बीते वर्षों में भी समाज में कोई परिवर्तन नहीं दिखता है। हम वैसे ही हैं जैसे थे।
अंधकार यथावत है। महावीर द्वारा प्रदत्त प्रकाश हमारे भीतर नहीं पहुंच सका है और इसलिए आज भी महावीर जयंती मनाने की प्रासंगिकता है। आज भगवान का मंदिर बनवाने की आवश्यकता नहीं है स्वनिर्माण की जरूरत है। आचार्य ज्ञानभूषण के अनुसार महावीर जयंती भूमि शुद्धि व दीक्षा दिवस के रूप में अनुपम आयोजन है।
महावीर की वाणी, उनका दर्शन हमारे पास है। आज सबसे बड़ी कठिनाई यही है कि भक्त उनकी पूजा करना चाहता है उनके विचारों का अनुगमन नहीं करना चाहता है। महावीर का दर्शन केवल अहिंसा और समता का दर्शन नहीं है क्रांति का दर्शन भी है।
उनकी प्रजा ने केवल अध्यात्म और धर्म को उपकृत नहीं किया अपितु व्यवहार जगत को भी संवारा है। उनकी मृत्युंजयी साधना ने आत्मप्रभा को ही भास्कर नहीं किया बल्कि अपने समग्र परिवेश को सिंचित किया है। उन्होंने जन जन को तीर्थंकर बनने का रहस्य समझाया है।
उन्होंने अहिंसा को जीकर अनुभव की वाणी में दुनिया को उपदेश दिया। आपाधापी और चकाचौंध भरे समय में तो भगवान महावीर के संदेशों की प्रासंगिकता बढ़ गई है।
अंधकार यथावत है। महावीर द्वारा प्रदत्त प्रकाश हमारे भीतर नहीं पहुंच सका है और इसलिए आज भी महावीर जयंती मनाने की प्रासंगिकता है। आज भगवान का मंदिर बनवाने की आवश्यकता नहीं है स्वनिर्माण की जरूरत है। आचार्य ज्ञानभूषण के अनुसार महावीर जयंती भूमि शुद्धि व दीक्षा दिवस के रूप में अनुपम आयोजन है।
महावीर की वाणी, उनका दर्शन हमारे पास है। आज सबसे बड़ी कठिनाई यही है कि भक्त उनकी पूजा करना चाहता है उनके विचारों का अनुगमन नहीं करना चाहता है। महावीर का दर्शन केवल अहिंसा और समता का दर्शन नहीं है क्रांति का दर्शन भी है।
उनकी प्रजा ने केवल अध्यात्म और धर्म को उपकृत नहीं किया अपितु व्यवहार जगत को भी संवारा है। उनकी मृत्युंजयी साधना ने आत्मप्रभा को ही भास्कर नहीं किया बल्कि अपने समग्र परिवेश को सिंचित किया है। उन्होंने जन जन को तीर्थंकर बनने का रहस्य समझाया है।
उन्होंने अहिंसा को जीकर अनुभव की वाणी में दुनिया को उपदेश दिया। आपाधापी और चकाचौंध भरे समय में तो भगवान महावीर के संदेशों की प्रासंगिकता बढ़ गई है।
Source: Spiritual Hindi Stories & Aaj Ka Rashifal
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