Tuesday, 4 February 2014

Why we use shri shri 108 in the spiritual name

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य व अध्यात्मिक व्यक्ति के नाम के पहले श्री श्री 108 लगाया जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे कि 108 अंक का क्या महत्व है ?

वेदान्त में एक मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 का उल्लेख मिलता है जिसका अविष्कार हजारों वर्षों पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों ने किया था ।

प्रकृति में 108 का महत्व़

सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी/सूर्य का व्यास 150,000,000 किमी/1,391,000 किमी = 108 (पृथ्वी और सूर्य के बीच 108 सूर्य सजाये जा सकते हैं।

सूर्य का व्यास/ पृथ्वी का व्यास 1,391,000 किमी/12,742 किमी = 108 यानी सूर्य के व्यास पर 108 पृथ्वियां सजाई सा सकती हैं।

पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच की दूरी/चन्द्र का व्यास 384403 किमी/3474.20किमी यानी हमारी पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच 108 चन्द्रमा और आ सकते हैं।

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सभी 9 ग्रह जो कि अब 8 हैं। भचक्र एक चक्र पूरा करते समय 12 राशियों से होकर गुजरते हैं। सभी 9 ग्रह भचक्र का एक चक्कर पूरा करते समय 27 नक्षत्रों को पार करते हैं और प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं।

कह सकते हैं कि ब्रह्म, शून्यता और अनंत विश्व के संयोग को ही 108 द्वारा सूचित किया गया है।जिस प्रकार ब्रह्म की शाब्दिक अभिव्यंजना प्रणव (अ + उ + म्) है और नादीय अभिव्यंजना ऊँ की ध्वनि है ठीक उसी उसी प्रकार ब्रह्म की 'गणितीय अभिव्यंजना 108' है।



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