अघोरियों का जीवन जितना कठिन है, उतना ही रहस्यमयी भी। इनकी साधना विधि सबसे ज्यादा रहस्यमयी होती है जिसकी अपनी शैली, अपना विधान है, अपनी अलग विधियां हैं।
अघोरी का मतलब होता है घोर नहीं यानी वह बहुत सरल और सहज होते हैं। जिसके मन में कोई भेदभाव नहीं हो। अघोरी हर चीज को समान भाव से देखते हैं। वे सड़ते जीव के मांस को भी उतना ही स्वाद लेकर खा सकते हैं, जितना स्वादिष्ट पकवानों को स्वाद लेकर खाया जा सकता है।
कहते हैं कि अघोरियों की दुनिया निराली है। वे जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसे सब कुछ दे देते हैं। उनकी कई ऐसी बातें हैं, जिसे सुनकर आप हैरान हो सकते हैं।
1. अघोरी किसी बात पर अड़ जाएं तो उसे पूरा किए बगैर नहीं छोड़ते। गुस्सा हो जाएं तो किसी भी हद तक जा सकते हैं। अधिकांश अघोरियों की आंखें लाल होती हैं, जैसे वो गुस्से में हों, लेकिन उनका मन उतना ही शांत भी होता है। काले वस्त्रों में लिपटे अघोरी गले में धातु की बनी नरमुंड की माला पहनते हैं।
2. वे अमूमन श्मशान में ही अपनी कुटिया बनाते हैं। वहां एक धूनी जलती रहती है। जानवरों में वो सिर्फ कुत्ता पालना पसंद करते हैं। उनके साथ उनके शिष्य रहते हैं। अघोरी अपनी बात के बहुत पक्के होते हैं। वे अगर किसी से कोई बात कह दें तो उसे जरूर पूरा करते हैं।
3. अघोरी तीन तरह की साधना करते हैं। शिव साधना, शव साधना और श्मशान साधना। शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़े रहकर साधना की जाती है। बाकी तरीके शव साधना की ही तरह होते हैं। इस साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पैरहै। ऐसी साधनाओं में मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ाई जाती है।
4. शव और शिव साधना के अतिरिक्त तीसरी साधना होती है श्मशान साधना। इसमें आम परिवार के लोग भी शामिल हो सकते हैं। इस साधना में मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है। उस पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। यहां प्रसाद के रूप में मांस-मंदिरा की जगह मावा चढ़ाया जाता है।
5. अघोरी गाय का मांस छोड़ कर बाकी सभी चीजें खाते हैं। अघोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है, इसलिए वे श्मशान में रहना ही ज्यादा पंसद करते हैं। श्मशान में साधना करना शीघ्र फलदायक होता है। यहां आमतौर पर लोग जाते नहीं, इसीलिए साधना में विघ्न पड़ने का कोई प्रश्न नहीं उठता। उनके मन से अच्छे-बुरे का भाव निकल जाता है।
6. कम ही लोग जानते हैं कि अघोरियों की साधना में इतना बल होता है कि वो मुर्दे से भी बात कर सकते हैं। ये बातें पढ़ने-सुनने में भले ही अजीब लगें, लेकिन इन्हें पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता। उनकी साधना को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती।
अघोरी का मतलब होता है घोर नहीं यानी वह बहुत सरल और सहज होते हैं। जिसके मन में कोई भेदभाव नहीं हो। अघोरी हर चीज को समान भाव से देखते हैं। वे सड़ते जीव के मांस को भी उतना ही स्वाद लेकर खा सकते हैं, जितना स्वादिष्ट पकवानों को स्वाद लेकर खाया जा सकता है।
कहते हैं कि अघोरियों की दुनिया निराली है। वे जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसे सब कुछ दे देते हैं। उनकी कई ऐसी बातें हैं, जिसे सुनकर आप हैरान हो सकते हैं।
1. अघोरी किसी बात पर अड़ जाएं तो उसे पूरा किए बगैर नहीं छोड़ते। गुस्सा हो जाएं तो किसी भी हद तक जा सकते हैं। अधिकांश अघोरियों की आंखें लाल होती हैं, जैसे वो गुस्से में हों, लेकिन उनका मन उतना ही शांत भी होता है। काले वस्त्रों में लिपटे अघोरी गले में धातु की बनी नरमुंड की माला पहनते हैं।
2. वे अमूमन श्मशान में ही अपनी कुटिया बनाते हैं। वहां एक धूनी जलती रहती है। जानवरों में वो सिर्फ कुत्ता पालना पसंद करते हैं। उनके साथ उनके शिष्य रहते हैं। अघोरी अपनी बात के बहुत पक्के होते हैं। वे अगर किसी से कोई बात कह दें तो उसे जरूर पूरा करते हैं।
3. अघोरी तीन तरह की साधना करते हैं। शिव साधना, शव साधना और श्मशान साधना। शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़े रहकर साधना की जाती है। बाकी तरीके शव साधना की ही तरह होते हैं। इस साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पैरहै। ऐसी साधनाओं में मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ाई जाती है।
4. शव और शिव साधना के अतिरिक्त तीसरी साधना होती है श्मशान साधना। इसमें आम परिवार के लोग भी शामिल हो सकते हैं। इस साधना में मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है। उस पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। यहां प्रसाद के रूप में मांस-मंदिरा की जगह मावा चढ़ाया जाता है।
5. अघोरी गाय का मांस छोड़ कर बाकी सभी चीजें खाते हैं। अघोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है, इसलिए वे श्मशान में रहना ही ज्यादा पंसद करते हैं। श्मशान में साधना करना शीघ्र फलदायक होता है। यहां आमतौर पर लोग जाते नहीं, इसीलिए साधना में विघ्न पड़ने का कोई प्रश्न नहीं उठता। उनके मन से अच्छे-बुरे का भाव निकल जाता है।
6. कम ही लोग जानते हैं कि अघोरियों की साधना में इतना बल होता है कि वो मुर्दे से भी बात कर सकते हैं। ये बातें पढ़ने-सुनने में भले ही अजीब लगें, लेकिन इन्हें पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता। उनकी साधना को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती।
Source: Spiritual News & Horoscope 2014
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