तिलक धारण करने के पहले भस्म लगाने की परंपरा है। क्योंकि भस्म में दुर्गंध नाशक और मन को उत्तेजित करने वाले अनेक रासायनिक घटक होते हैं। इससे शरीर की सुंदरता और तेजस्विता बढ़ जाती है।
भस्म लेपन से शरीर के रंध्र बंद हो जाते है ऐसी गलतफमियां लोगों में काफी प्रचारित हैं। वास्तविकता स्थिति से अलग है।
दरअसल भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्वव्य सोख लेने की क्षमता होती है। इस कारण शरीर के संधि, कपाल, छाती के दोनों हिस्से तथा पीठ आदि पर भस्म लेपन करने से कई तरह के चर्म रोग नहीं होते हैं।
शरीर पर भस्म लगाते समय पारंपरिक विविध मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है। भस्म हाथ पर लेकर थोड़ा गीला करके तर्जनी, मध्यमा और अनामिका अंगुलियों से लगाएं। यो तीनों अगुंलियां पितृ, आत्म और देव तीर्थों के रूप में मानी गई हैं।
भस्म लेपन से शरीर के रंध्र बंद हो जाते है ऐसी गलतफमियां लोगों में काफी प्रचारित हैं। वास्तविकता स्थिति से अलग है।
दरअसल भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्वव्य सोख लेने की क्षमता होती है। इस कारण शरीर के संधि, कपाल, छाती के दोनों हिस्से तथा पीठ आदि पर भस्म लेपन करने से कई तरह के चर्म रोग नहीं होते हैं।
शरीर पर भस्म लगाते समय पारंपरिक विविध मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है। भस्म हाथ पर लेकर थोड़ा गीला करके तर्जनी, मध्यमा और अनामिका अंगुलियों से लगाएं। यो तीनों अगुंलियां पितृ, आत्म और देव तीर्थों के रूप में मानी गई हैं।
Source: Spirituality News & Hindi Horoscope
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