पुराणों के अनुसार केदार महिष अर्थात् भैंसे का पिछला अंग (भाग) है। मंदिर की ऊंचाई 80 फीट है, जो एक विशाल चबूतरे पर खड़ा है। मंदिर के निर्माण में भूरे पत्थरों का उपयोग हुआ है।
'स्कंद पुराण' में भगवान शंकर जी माता पार्वती से कहते हैं, 'हे प्राणोश्वरी! यह क्षेत्र उतना ही प्राचीन है, जितना कि मैं हूं। मैंने इसी स्थान पर सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्म के रूप में परब्रह्मत्व को प्राप्त किया, तभी से यह स्थान मेरा चिर-परिचित आवास है। यह केदारखंड मेरा चिरनिवास होने के कारण भू-स्वर्ग के समान है।'
केदारखंड में उल्लेख है, 'अकृत्वा दर्शनम् वैश्वय केदारस्याघनाशिन:, यो गच्छेद् बदरीं तस्य यात्र निष्फलताम् व्रजेत्'।
मौसम
गर्मियों में धूप खिलने पर मौसम मनोरम और रात को ठंड। बारिश होने पर पारा गर्मियों में भी शून्य से नीचे आ जाता है। जून से सितंबर तक बरसात रहती है, पहाड़ों से चट्टानें टूटकर गिरने का खतरा। अक्टूबर से कड़ाके की ठंड शुरू। दिसंबर से मार्च तक पारा शून्य से 10 डिग्री नीचे तक लुढ़क जाता है।
वेशभूषा
मई से अगस्त तक हल्के ऊनी कपड़े सितंबर से नवंबर तक भारी ऊनी कपड़े।
Source: Spiritual News in Hindi & Horoscope 2014
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