वसंत पंचमी हमारे देश के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, मॉरीशस सहित कई देशों में मनाई जाती है। भारत में भी इसे विविध तरीकों से मनाया जाता है।
सरस्वती पूजन के जरिए कला संस्कृति और विद्या जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में और भी अच्छा काम करने की कामना की जाती है। यहां हम ऐसे ही कुछ धार्मिक स्थलों के बारे में आपको बता रहे हैं जहां मां सरस्वती की पूजा वर्षों से की जा रही है। जहां वसंत पंचमी पर जाना अति शुभकारी माना गया है।
1. मैहर का शारदा मंदिर
मध्यप्रदेश के चित्रकूट से लगे सतना जिले में मैहर शहर की लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर मां दुर्गा के शारदीय रूप देवी शारदा का मंदिर है। मां मैहर देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियों तय करनी पड़ती हैं। महावीर आल्हा और उदल को वरदान देने वाली मां शारदा देवी को पूरे देश में मैहर की शारदा माता के नाम से जाना जाता है।
2. श्रृंगेरी का मंदिर
यहां का शारदा मंदिर भी लोकप्रिय है। इसे शरादाम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। ज्ञान और कला की देवी को समर्पित, शरादाम्बा, दक्शनाम्नाया पीठ को आचार्य श्री शंकर भागावात्पदा द्वारा 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था। किंवदंतियों के अनुसार, 14 वीं शताब्दी के दौरान इष्टदेव की चंदन की प्राचीन प्रतिमा को सोने और पत्थर से अंकित कर प्रतिस्थापित किया गया था।
3. पुष्कर का सरस्वती मंदिर
राजस्थान के पुष्कर में विद्या की देवी सरस्वती का मंदिर है। यहां वे नदी भी हैं और उन्हें उर्वरता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि सदियों से लेखक, कलाकार अपनी-अपनी कलाओं को निखारने के लिए पुष्कर आते हैं।
4. श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर
यह देश के प्रमुख सरस्वती मंदिर में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में स्थित है। बासर मंदिर निजामाबाद से 50 किलोमीटर दूर गोदारी नदी के किनारे स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद ऋषि व्यास शांति की खोज में निकले।
पढ़ें : ऋतुराज वसंत की दस्तक से प्रकृति का श्रृंगार
वे गोदारी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंचे और देवी की आराधना की। उनसे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए। देवी के आदेश पर उन्होंने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी। चमत्कार स्वरूप रेत के ये तीन ढेर तीन देवियों की प्रतिमा में बदल गए जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलाईं।
5. कोट्टयम का सरस्वती मंदिर
केरल का अकेला ऐसा मंदिर है जो देवी सरस्वती को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण मूकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर चिंगावनम के पास स्थित है। लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर को किझेप्पुरम नंबूदिरी ने स्थापित किया था।
पढ़ें : यहां है मां सरस्वती का नगर जहां हुई थी गायत्री छंद की रचना
उन्होंने इस प्रतिमा को खोजा और इसे पूर्व की तरफ मुख करके स्थापित किया । पश्चिम की तरफ मुख करके एक और प्रतिमा की स्थापना की गई लेकिन उसका कोई आकार नहीं है। प्रतिमा के पास एक दीया है जो हर वक्त जलकर प्रकाश प्रज्वलित करता रहता है।
सरस्वती पूजन के जरिए कला संस्कृति और विद्या जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में और भी अच्छा काम करने की कामना की जाती है। यहां हम ऐसे ही कुछ धार्मिक स्थलों के बारे में आपको बता रहे हैं जहां मां सरस्वती की पूजा वर्षों से की जा रही है। जहां वसंत पंचमी पर जाना अति शुभकारी माना गया है।
1. मैहर का शारदा मंदिर
मध्यप्रदेश के चित्रकूट से लगे सतना जिले में मैहर शहर की लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर मां दुर्गा के शारदीय रूप देवी शारदा का मंदिर है। मां मैहर देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियों तय करनी पड़ती हैं। महावीर आल्हा और उदल को वरदान देने वाली मां शारदा देवी को पूरे देश में मैहर की शारदा माता के नाम से जाना जाता है।
2. श्रृंगेरी का मंदिर
यहां का शारदा मंदिर भी लोकप्रिय है। इसे शरादाम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। ज्ञान और कला की देवी को समर्पित, शरादाम्बा, दक्शनाम्नाया पीठ को आचार्य श्री शंकर भागावात्पदा द्वारा 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था। किंवदंतियों के अनुसार, 14 वीं शताब्दी के दौरान इष्टदेव की चंदन की प्राचीन प्रतिमा को सोने और पत्थर से अंकित कर प्रतिस्थापित किया गया था।
3. पुष्कर का सरस्वती मंदिर
राजस्थान के पुष्कर में विद्या की देवी सरस्वती का मंदिर है। यहां वे नदी भी हैं और उन्हें उर्वरता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि सदियों से लेखक, कलाकार अपनी-अपनी कलाओं को निखारने के लिए पुष्कर आते हैं।
4. श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर
यह देश के प्रमुख सरस्वती मंदिर में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में स्थित है। बासर मंदिर निजामाबाद से 50 किलोमीटर दूर गोदारी नदी के किनारे स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद ऋषि व्यास शांति की खोज में निकले।
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वे गोदारी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंचे और देवी की आराधना की। उनसे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए। देवी के आदेश पर उन्होंने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी। चमत्कार स्वरूप रेत के ये तीन ढेर तीन देवियों की प्रतिमा में बदल गए जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलाईं।
5. कोट्टयम का सरस्वती मंदिर
केरल का अकेला ऐसा मंदिर है जो देवी सरस्वती को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण मूकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर चिंगावनम के पास स्थित है। लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर को किझेप्पुरम नंबूदिरी ने स्थापित किया था।
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उन्होंने इस प्रतिमा को खोजा और इसे पूर्व की तरफ मुख करके स्थापित किया । पश्चिम की तरफ मुख करके एक और प्रतिमा की स्थापना की गई लेकिन उसका कोई आकार नहीं है। प्रतिमा के पास एक दीया है जो हर वक्त जलकर प्रकाश प्रज्वलित करता रहता है।
Source: Spiritual News in Hindi & Rashifal 2014
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