Wednesday 12 February 2014

In the present age of kalpvriksha

भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं है वह हम सब के ह्रदयों में मौजूद है, अगर जरूरत है तो सिर्फ महसूस करने की। वह मुझमें भी है और तुममे भी वहां आदिकाल से इस नश्वर जीव जगत में एक उजाले की तरह है जो अंधेरा(पाप) बढ़ने पर जरुर आता है।

जिस दिन हमारा मन भगवान की सच्ची भक्ति में लग जायेगा उसी दिन से हमें भगवान की उपस्थिति महसूस होने लगेगी।जिस भागवत कथा को हम सुनते हैं हमें मालूम होना चाहिए भगवान भी इस कथा को सुनने के लिए मृत्युलोक आए थे।

श्रीमद भागवत हमें सीधे श्री कृष्ण के दर्शन कराती है। श्रीमद भागवत एक ऐसा कल्पवृक्ष है जिससे हम जो भी मागेंगे वो हमें अवश्य मिलेगा लेकिन उससे पहले हमें भगवान पर विश्वास करना होगा उसके बाद देखना भगवान हमारे जीवन को इतना अनमोल बना देंगे की हर व्यक्ति प्रभु से जिंदगी जीने के लिए और कई दिन मागेगा।

मानव जीवन हमें बार–बार नहीं मिलता इसका हमें दुरूपयोग नहीं अपितु सदुपयोग करना चाहिए। आज हमारे देश में गंगा मैया,यमुना मैया,गौ माता कुछ भी सुरक्षित नहीं है क्यों ?

क्योंकि आज हम अपनी संस्कृति को भूलकर संसार की मोह माया में लिप्त हो चुके हैं। जिस कार्य के लिए भगवान ने हमें यह मनुष्य योनि दी है। उससे हम भटक चुके हैं।

इस दुनिया के हमारे सभी मित्र भोगी और लालची हैं तो हम ऐसे मित्रों को क्यों अपना बनाये जो हमें धर्म से अधर्म की ओर ले जाएं,सभ्य रास्ते पर ले जाने की बजाय असभ्य रास्ते की ओर ले जाएं।

इसलिए हमें दुनिया के लोगों को अपना मित्र बनाने की बजाय सर्वेश्वर श्री कृष्ण भगवान को अपना बनाना चाहिए, वही आपका सच्चा मित्र और आपका सब कुछ है।

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