Monday 28 April 2014

Hindu lucky day akshaya tritiya

अक्षय तृतीया (अखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक माना जाता है। वैसे तो बारह महीनों के शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ मानी जाती है लेकिन वैशाख माह की तिथि अति स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में मानी गई है। माना जाता है कि इस शुभ दिन जिनका परिणय-संस्कार होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है।

इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नाता के लिए भी विशेष अनुष्ठान होता है जिससे अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन को धर्मशास्त्रों में शुभ फलदायक माना गया है और इसलिए इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य आरंभ किया जा सकता है। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना है।

यह दिन सिर्फ परिणय मुहूर्त के लिहाज से ही ठीक नहीं है बल्कि समस्त शुभ कार्यों जिमें स्वर्ण और आभूषण खरीदने, गृह प्रवेश, पद भार ग्रहण, वाहन खरीदी, भूमि पूजतन और किसी नए व्यापार की शुरुआत के लिए भी इसे बिलकुल उपयुक्त अवसर माना गया है।

क्यों हैं अक्षय तृतीया का महत्व

हमारे धर्म शााों में अक्षय तृतीया एक प्रमुख अवसर के रूप में प्रतिष्ठित है। भविष्य पुराण के अनुसार इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। विष्णु के अवतार भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव तीनों इसी दिन धरा पर अवतरित हुए। हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ बद्रीनारायण के पट भी अक्षय तृतीया को ही खुलते हैं। इस तिथि के महत्ता के कारण ही आज भी वृंदावन के बांके बिहारी के मंदिर में विग्रह के श्री चरण दर्शन केवल इस शुभ दिन को ही हो पाते हैं, शेष दिन वे पूरे वाों से ढके रहते हैं।

साढ़े तीन शुभ मुहूर्त

पूरे वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त माने जाते हैं उनमें अक्षय तृतीया को प्रमुख स्थान दिया गया है। ये मुहूर्त हैं चैत्र शुक्ल गुड़ी पड़वा, वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया, आश्विन शुक्ल विजयादशमी तथा दीपावली की पड़वा का आधा दिन। इन साढ़े तीन तिथियों को शुभ फलदायक माना जाता है।

अक्षय तृतीया पर क्या करें

अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र या गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की शांत चित्त होकर विधि विधान से पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है। नैवेद्य में जौ या गेहूं या सत्तू, ककडी और चने की दाल अर्पित की जाती है। तत्पश्चात फल, फूल, बर्तान तथा वस्त्र आदि दान कर दक्षिणा देने की मान्यता है। इस दिन ग्रीष्म का प्रारंभ माना जाता है इसलिए इस दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड़, सकोरे, पंखे, खड़ाऊं, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककडी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि गर्मी के मौसम में लाभ देने वाली वस्तुओं का दान किया जाता है। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद अथवा पीले गुलाब से करना चाहिए।

जैन धर्म में भी पूजनीय

जैन धर्मावलम्बियों के लिए भी अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान ने एक वर्ष की तपस्ता पूर्ण करने के पश्चात इक्षु (गन्नो) रस से पारायण किया था। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान ने सत्य व अहिंसा का प्रचार करने एवं अपने कर्म बंधनों को तोड़ने के लिए संसार के भौतिक व पारिवारिक सुखों को का त्यागते हुए जैन वैराग्य अंगीकार किया था। सत्य और अहिंसा का प्रचार करते हुए प्रभु हस्तिनापुर गजपुर पधारे जहां उनके पौत्र सोमयश का शासन था।

प्रभु का आगमन सुनकर संपूर्ण नगर दर्शनार्थ उमड़ पड़ा। सोमयश के पुत्र राजकुमार श्रेयांस कुमार ने प्रभु को देखकर पहचान लिया और तत्काल शुद्ध आहार के रूप में प्रभु को गन्नो का रस दिया, जिससे आदिनाथ ने व्रत का पारायण किया। जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि गन्नो के रस को इक्षुरस भी कहते हैं, इसी कारण यह दिन इक्षु तृतीया एवं अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाने लगा।

Why to wear rudraksh

रूद्राक्ष के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक धारियां खिंची होती हैं। इन्हें मुख कहा जाता है। इन्हीं धारियों के आधार पर एकमुखी से सत्ताईस मुखी तक रूद्राक्ष फलते हैं, जिनका अलग-अलग महत्व व उपयोगिता है।

जिस रूद्राक्ष में स्वयं छिद्र होता है, चाहे वह किसी भी मुख का हो, अपने गुण-धर्म के आधार पर श्रेष्ठ होता है। रुद्राक्ष धारण करने से कभी किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती है अत: हमारे धर्म एवं हमारी आस्था में रूद्राक्ष का स्थान रत्नों से भी उच्च है।

इस दिन पहनें रुद्राक्ष

रूद्राक्ष को हमेशा सोमवार के दिन प्रात:काल शिव मन्दिर में बैठकर गंगाजल या कच्चे दूध में धो कर, लाल धागे में अथवा सोने या चांदी के तार में पिरो कर धारण किया जा सकता है।

तीन तरह के विशेष रुद्राक्ष

गौरी शंकर रुद्राक्ष : यह रुद्राक्ष प्राकृतिक रुप से जुडा़ होता है शिव व शक्ति का स्वरूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को सर्वसिद्धिदायक एवं मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। गौरी शंकर रुद्राक्ष दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति लाता है।

गणेश रुद्राक्ष : इस रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरुप माना जाता है. इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष विद्या प्रदान करने में लाभकारी है विद्यार्थियों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभदायक है।

गौरीपाठ रुद्राक्ष : यह रुद्राक्ष त्रिदेवों का स्वरूप है। इस रुद्राक्ष द्वारा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है।

21 तरह के विशेष रूद्राक्ष

1. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है। इस एकमुखी रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तथा भगवान आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है।

2. दो मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना जाता है। इसमें अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा की शीतलता प्राप्त होती है।

3. तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप माना गया है। तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों का शमन होता है।

4. चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे धारण करने से नर हत्या जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष को प्रदान करता है।

5. पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है। यह पंच ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है। पंचमुखी को धारण करने से अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. तथा सुखों को प्राप्ति होती है।

6. छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा एवं संतान देने वाला होता है।

7. सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है। इस सप्तमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

8. आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है। अष्टमुखी रुद्राक्ष राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का क्षय करके मोक्ष देता है।

9. नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भहत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है। नौमुखी रुद्राक्ष को यम का रूप भी कहते हैं। यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है।

10. दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है। दस मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं।

11. एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है। एकादश मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है।

12. द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता है। इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह फल प्रदान करता है।

13. तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।

14. चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है। इसे सिर पर धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है।

15. पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।

16. सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है। यह रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है।

17. सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है। इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है।

18. अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.

19. उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह सुख एवं समृद्धि दायक होता है।

20. बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है। इस बीस मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं सताता।

21. इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास है। इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता है।

Vaastu according to vastu bedroom

शयनकक्ष के वास्तु का हमारी शांति और सुकून से गहरा संबंध है। शयनकक्ष ही वह जगह है जो हमें आपधापी के बाद शांति और आराम देती है। वास्तु सम्मत शयनकक्ष हमारे कष्टों को दूर करता है और हमारे जीवन में प्रसन्नाता लाता है। शयनकक्ष से जुड़े कुछ सुझावों पर ध्यान देकर आप उस कक्ष को अपने लिए लाभकारी बना सकते हैं।

1. पलंग शयनकक्ष के द्वार के पास नहीं होना चाहिए इससे चित्त में व्याकुलता और अशांति बनी रहेगी।

2. शयनकक्ष का द्वार एक पल्ले का होना चाहिए।

3. विद्यार्थियों के लिए पश्चिम दिशा में सिरहाना उपयुक्त होता है।

4. गृहस्वामी का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम कोण में अथवा पश्चिम दिशा में होना चाहिए। दक्षिण-पश्चिम अर्थात नैर्ऋत्य कोण पृथ्वी तत्व अर्थात स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।

5. बच्चों, अविवाहितों अथवा मेहमानों के लिए पूर्व दिशा में शयनकक्ष होना चाहिए, परंतु इस कक्ष में नवविवाहित जोड़े को नहीं ठहरना चाहिए।

6. अगर गृहस्वामी को अपने कार्य के सिलसिले में अक्सर टूर पर रहना पड़ता हो तो शयनकक्ष वायव्य कोण में बनाना श्रेयस्कर होगा।

7. शयनकक्ष में पलंग या बेड इस तरह हो कि उस पर सोते हुए सिर पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर रहे। इस तरह सोने से प्रात: उठने पर मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होगा। पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है, यह जीवनदाता और शुभ है।

8. उत्तर दिशा धनपति कुबेर की दिशा मानी गई है, अत: प्रात: उठते ही उस तरफ मुंह होना भी शुभ है।

9. उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोने से बुरे स्वप्न अधिक आते हैं और नींद ठीक से नहीं होती।

10. यदि भवन में एक से ज्यादा मंजिलें हैं तो शयनकक्ष ऊपरी मंजिल पर होना चाहिए।

11. शयनकक्ष में पलंग के दाईं ओर छोटी टेबल आवश्यक वस्तु या दूध, पानी के लिए स्थापित की जा सकती है।

Live today as if he is not to touch relive the tension

एक बुनियादी स्तर पर, मनुष्य होने के नाते हम सब एक समान हैं, हम में से हर एक सुख की आकांक्षा रखता है और हम में से प्रत्येक दुख नहीं झेलना चाहता। आज, बढ़ती मान्यता, साथ ही ठोस वैज्ञानिक प्रमाण हैं जो हमारी चित्त की स्थिति और सुख के बीच घनिष्ठ संबंध की पुष्टि करता है।

एक ओर हममें से कई ऐसे समाजों में रहते हैं जो भौतिक रूप से बहुत विकसित हैं, पर फिर भी हमारे बीच कई ऐसे हैं जो बहुत सुखी नहीं हैं। समृद्धि के सुन्दर धरातल के नीचे एक प्रकार की मानसिक अशांति है, जो निराशा, अनावश्यक झगड़े, नशीली दवाइयों या शराब पर निर्भरता, और सबसे बुरी स्थिति में आत्महत्या है।

ऐसी कोई गारंटी नहीं है कि केवल धन आपको आनंद अथवा जो तृप्ति आप चाहते हैं वह दे सकता है। यही आपके मित्रों के संबंध में भी कहा जा सकता है। जब आप क्रोध या घृणा की एक तीव्र अवस्था में होते हैं तो एक बहुत अंतरंग मित्र भी आपको एक प्रकार से ठंढा, सर्द, अलग और कष्टदायी प्रतीत हो सकता है।

परन्तु, मनुष्य के रूप में हमें यह अद्भुत मानव बुद्धि की भेंट मिली है। इसके अतिरिक्त, सभी मनुष्यों में दृढ़ संकल्प और उस दृढ़ता को वे जिस किसी दिशा में चाहें निर्धारित करने की क्षमता होती है। जब तक हम यह स्मरण रखें कि हमारे पास मानव बुद्धि की अनोखी भेंट है और दृढ़ता के विकास की क्षमता है और उसका उपयोग सकारात्मक ढंग से करते हैं, हम अपने अंतर्निहित मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा कर पाएंगे।

यह अनुभव कि हममें यह महान मानव क्षमता है हमें आधारभूत शक्ति देता है। यह मान्यता ऐसे तंत्र के रूप में कार्य कर सकती है जो हमें बिना आशा खोए अथवा कम आत्म सम्मान की भावना में डूबे, किसी भी कठिनाई से निपटने के लिए क्षमता प्रदान करती है, फिर चाहे हम किसी भी प्रकार की परिस्थिति का सामना क्यों न कर रहे हों।..

Friday 25 April 2014

Special five day stay in may for shopping

मई में शादी-विवाह के साथ ही खरीद के लिए भी पांच दिन तक शुभ मुहूर्त हैं। इस महीने एक, दो, पांच, छह व 14 मई को खरीदी के लिए अच्छे मुहूर्त आ रहे हैं। एक और दो मई को दोनों दिन अक्षय तृतीया रहेगी।

पांच व छह को पुष्य नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग और 14 को बैसाख पूर्णिमा रहेगी। पंडितों के अनुसार इन पांच दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन जैसे शुभ कार्य के साथ भूमि, भवन, वाहन व ज्वैलरी की खरीदी समृद्धिदायक रहेगी। पं. संजय शास्त्री के अनुसार एक मई को अक्षय तृतीया तिथि दोपहर 11.25 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन दोपहर 12.05 बजे तक रहेगी।

2 मई को उदया तिथि में तृतीया होने से खरीद-फरोख्त करने के लिए यह दिन शुभ हैं। 5 मई को शाम 5.15 बजे पुष्य नक्षत्र योग शुरू होगा, जो अगले दिन छह मई की शाम 7.52 बजे तक रहेगा। खरीद-फरोख्त के लिए श्रेष्ठ माने जाने वाले पुष्य नक्षत्र के साथ दोनों दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इसी तरह 14 मई को बैसाख पूर्णिमा का दिन भी शुभ कार्य व गृह उपयोगी वस्तुओं की खरीदी के लिए उत्तम दिवस है।

दान करने से भी मिलेगा पुण्य

वैशाख माह की गणना सर्वोत्तम माह में की जाती है। भारतीय काल गणना में जो अबूझ मुहूर्त वाले दिन हैं, उनमें अक्षय तृतीया शामिल है। इस दिन स्वर्ण यानी सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। पं. शास्त्री के अनुसार अक्षय तृतीया पर राशि के अनुसार खरीदी व दान करें तो प्राप्त होने वाला पुण्य फल कई गुना अधिक मिलता है।

राशि अनुसार ये वस्तुएं खरीदें

मेष: स्वर्ण आभूषण, भूमि

वृषभ: चांदी व अन्य सफेद वस्तुएं

मिथुन:भवन, गृह उपयोगी वस्तुएं

तुला:वाहन, भवन, सफेद वस्तुएं

वृश्चिक: भूमि, भवन, वाहन

कर्क: चांदी, भवन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम

कन्या: वाहन, हरे रंग की वस्तुएं

सिंह:स्वर्ण, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम

धनु:स्वर्ण आभूषण, वाहन

मकर:स्वर्ण व भूमि

कुंभ: स्वर्ण, तांबा व कांसा

मीन: भूमि, भवन व वाहन

Most amazing thing that you do not know god pdmapani

पद्मपाणि की जो सबसे अद्भुत बात है वह उनके स्वरूप की शोभा है। हालांकि वे एक पुरुष हैं लेकिन उनकी भाव भंगिमा को आज हम एक स्त्रियोचित भंगिमा ही कहेंगे। यह श्रृंगारित छवि अधिकांशत: किसी नृतक की तरह चिह्नित की गई है जो इच्छा को ही पीड़ा के मूल में बता रही है।

नहीं, यह लेख राजनीतिक पार्टियों के विषय में नहीं है जो कि कमल या हाथ को अपने प्रतीक चिह्न के तौर पर बताती हैं। यह कथा तो पद्मपाणि के बारे में हैं जो कमल धारण करते हैं, महाराष्ट्र की अजंता गुफाओं में बना बुद्धकाल का भित्ति चित्र जो भारत के सबसे प्राचीन कला प्रमाणों में से माना जाता है।

यह चित्र करीब 1600 वर्षों पहले उकेरा गया और भारतीय इतिहास के सर्वाधिक प्राचीन भित्ति-चित्रों में गिना जाता है। इसे बुद्ध भिक्षुओं ने एक अंधेरी गुफा में उकेरा और किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि मठ के भिक्षु द्वारा ऐसा सौंदर्यपूर्ण चित्र क्यों और कैसे रचा गया होगा जो देखने वाले की कल्पना से भी परे है। संभवत: इस तरह के भित्तिचित्र सार्वजनिक स्थलों पर भी बनाए गए होंगे लेकिन वे इतिहास में शेष नहीं बचे।

हमारे पास जो शेष है वह पद्मपाणि की तरह के चित्र ही हैं जो हमें गुजरे समय की स्मृति देते हैं और वे विचार देते हैं जो आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं। पद्मपाणि की जो सबसे अद्भुत बात है वह उनके रूप की शोभा है। हालांकि वे एक पुरुष हैं लेकिन उनकी भाव भंगिमा को आज हम एक स्त्रियोचित भंगिमा ही कहेंगे। इसे त्रि-भंगा कहेंगे या ऐसा शरीर जो तीन जगहों पर मुड़ा है- गर्दन, पीठ और नितंब।

उन्होंने एक हाथ में कमल पुष्प धारण कर रखा है। यह कला संसार में बहुधा मिलने वाले किसी आक्रामक लड़ाके की भंगिमा या किसी साधू की शांतिपूर्ण मुद्रा से बिलकुल अलग है। यह श्रृंगारित छवि अधिकांशत: किसी नृतक की तरह चिह्नित की गई है जो इच्छा को ही पीड़ा के मूल में बता रही है। लेकिन पद्मपाणि बुद्ध के बारे में नहीं है, वह बोधिसत्व के विषय में है।

शाक्यमुनि बुद्ध के करीब 500 वर्षों बाद संस्कृत लिपि जिसे कि लोटस सूत्र के रूप में जाना जाता है वह सामने आई और उसने यह दावा किया कि उसमें बुद्ध द्वारा बताए गए प्रज्ञावान विचार थे लेकिन उन्हें नागाओं (भूमिगत सपेरों) के राज्य में बंद करके रखा गया था जब तक कि मानवता उनके लिए तैयार नहीं हो जाती। इस पुस्तक में, बुद्ध कभी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए और इस संसार में कोई एक बुद्ध है भी नहीं। इस दुनिया में कई अनश्वर प्रज्ञा के मनुष्य हैं। इन्हीं के बीच बोद्धिसत्व हैं जिन्होंने अपना प्रबोधन टाल दिया है तब तक के लिए जब तक कि सारी मानवता सभी तरह की दरिद्रता से मुक्त नहीं हो जाती।

अवलोकितेश्वर (वे जो स्वर्ग से नीचे मुख करके मानवता की पीड़ा को देख रहे हैं) उनमें से एक हैं। पद्मपाणि अवलोकितेश्वर का एक रूप है। यह लोट्स सूत्र चीन में लोकप्रिय हुआ और अवलोकितेश्वर को एक करूणामय स्त्री ग्वानयिन के रूप में देखा गया। इसे पद्मपाणि के उभयलिंगी स्वभाव के रूप में भी देखा जा सकता है।

कथा इस तरह है कि एक दिन, अपने प्रवचन के पश्चात बुद्ध को श्रोताओं के बीच में बैठा एक श्रोता किंचित दुविधा में दिखा और स्पष्टता चाहता था। और तब बुद्ध ने एक कमल उठाया और उस बहुत साधारण भाव से उन सभी को प्रज्ञा प्राप्त हुई जो इस ओर ध्यान दे रहा था। यह प्रतीकात्मक संवाद किसी भी शाब्दिक संवाद की तुलना में बहुत प्रभावशाली था। बुद्ध का यह स्वरूप बाद में पद्मपाणि से जुड़ गया। कमल एक प्राचीन भारतीय प्रतीक है, ऐसा प्रतीक जिसके कई अर्थ हैं और कई बड़े झूठे या असत्य अर्थ भी हैं।

कमल भौतिकता से भी जुड़ा है (मधुमक्खियों के लिए शहद का स्रोत)। यह आध्यात्मिकता से भी जुड़ा है (सुंदरता के साथ कीचड़ में खिलता है)। यह यौन इच्छाओं का संकेतक भी है (तब खिलता है जब सूर्य उदित होता है)। यह निर्लिप्तता को भी दर्शाता है (जो जल में रहकर भी जल से अप्रभावित रहता है)। आज भी पद्मपाणि की भाव-भंगिमा पहले से दुविधा में पड़े विद्यार्थी को और अधिक संशय में नहीं डालती है बल्कि इसने तो शायद उसे वह उत्तर देखने में मदद की है जिसे वह खोज रहा है।

Micromax Canvas 2 Colours A120 with changeable back covers listed online

Micromax Canvas 2 Colours A120 with changeable back covers listed online
Micromax has listed a new smartphone, Canvas 2 Colours A120, on its official website.

The company has not mentioned the pricing and availability of the phone. The phone sports better hardware compared to the original Canvas 2 and Canvas 2 Plus smartphones.

The USP of the Canvas 2 Colours smartphone is its changeable back panels. Micromax will bundle Red and Blue back cover panels with the Dark Grey variant of Canvas 2 Colours and Yellow and Green back cover panels with the White variant of Canvas 2 Colours.
According to the listing, Canvas 2 Colours sports a 5-inch HD (720 x 1280p) IPS display.

It is powered by a 1.3GHz quad-core MediaTek MT6582 processor and 1GB RAM. The phone comes with 4GB internal storage, with support for microSD cards of up to 32GB. It runs Android 4.2 Jelly Bean.


From indiatimes News

Wednesday 23 April 2014

Lord hanuman of 12 names

श्री राम भक्त श्री हनुमान जी के इन बारह नामों का स्मरण यदि आप करते हैं तो ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है।

बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की बजरंगबली दसों दिशाओं और आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं।

ये हैं पवनपुत्र हनुमान जी के 12 चमत्कारी नाम

1. ऊँ हनुमान

2. ऊँ अंजनी सुत

3. ऊँ वायु पुत्र

4. ऊँ महाबल

5. ऊँ रामेष्ठ

6. ऊँ फाल्गुण सखा

7. ऊँ पिंगाक्ष

8. ऊँ अमित विक्रम

9. ऊँ उदधिक्रमण

10. ऊँ सीता शोक विनाशन

11. ऊँ लक्ष्मण प्राण दाता

12. ऊँ दशग्रीव दर्पहा

नाम की अमिट महिमा

1. प्रात: काल उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।

2. नित्य नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है।

3. दोपहर में नाम लेने वाला व्यक्ति धनवान होता है।

4. दोपहर संध्या के समय नाम लेने वाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है।

5. रात्रि को सोते समय नाम लेने वाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है

6. इन बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं और आकाश पाताल से रक्षा करते हैं।

7. लाल स्याही से मंगलवार को भोजपत्र पर ये बारह नाम लिखकर मंगलवार के दिन ही ताबीज बांधने से कभी ‍सिरदर्द नहीं होता! गले या बाजू में तांबे का ताबीज ज्यादा उत्तम है!

8. भोजपत्र पर लिखने के काम आने वाला पेन नया होना चाहिए।

हनुमान जी का विशेष मंत्र

अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहं।

दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

सकलगुण निधानं, वानराणामधीशं।

रघुपतिप्रिय भक्तं, वातजातं नमामि।

ऊँ श्री हनुमंते नम:

Can become something special this wednesday 7

सफलता किसी पैमाने की मोहताज नहीं होती और सफलता का कोई शार्ट कट भी नहीं होता। यह बातें तमाम जगह हम पढ़ चुके हैं। सवाल यह नहीं कि आप कितने सफल है बल्कि यह कि आपने यह सफलता अर्जित करने के लिए कितने असफल प्रयास किए जिससे यह साबित हो सका की आपने सफलता का स्वाद बड़े ही धैर्य के साथ चखा है।

याद रखें सफलता उनको ही मिलती है जो पूरे मन से काम करते हैं और कहा भी गया है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं बल्कि कुछ करना पड़ता है।

इस मंत्र का करें उच्चारण

सुबह उठते ही सबसे पहले अपनी दोनों हथेलियों को जोड़कर उनका दर्शन करें और इस मंत्र का उच्चारण करें।

कराग्रे वसते लक्ष्मी

कर मध्ये सरस्वती।

कर मूले तु गोविन्द:

प्रभाते कर दर्शनम्

सात दिन सात उपाय

सोमवारः शीशे में अपना मुख मण्डल देखने के उपरांत ही घर से निकलें।

मंगलवारः कोई भी मिष्ठान खाएं।

बुधवारः हरे धनिए के पत्ते खाएं।

बृहस्पतिवारः सरसों के कुछ दाने मुंह में रख कर घर से निकलें।

शुक्रवारः दही खाने के उपरांत ही घर से बाहर जाएं।

शनिवारः अदरक और घी को आपस में अच्छे से मिला लें और उसका सेवन करें।

रविवारः पान का पत्ता अपने पर्स में रखने के उपरांत ही घर से निकलें।

Saturday 19 April 2014

Somewhere in your horoscope sum not kaal sarap yoga

यदि जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहू और केतु के एक ही बाजू में स्थित हों तो ऐसी ग्रह स्थिति को कालसर्प योग कहते हैं।

यह योग ठीक नहीं माना जाता है। जिसकी कुंडली में यह योग होता है, उसमें शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता और निराशा की भावना बनी रहती है।

ऐसे में व्यक्ति अपने अंत की कामना करने लगता है। उसे आर्थिक तंगी परेशान करती है। पति-पत्नी के बीच मन-मुटाव बना रहता है।

पर इन सभी परेशानियों का कारण आपको कालसर्प योग लगता है, तो इसे दूर किया जा सकता है। बस, आप अगर इन उपायों को आजमाएं तो काफी हद तक इस समस्या से छुटकारा हासिल कर सकते हैं।

1. तांबे के किसी भी आकार की नाग प्रतिमा बनवाकर उसकी प्राण-प्रतिष्ठा करवाकर, शिवमंदिर में चढ़ाएं।

2. नियमित रूप से हनुमानजी की उपासना के साथ शनिवार को सुंदरकाण्ड के पाठ के साथ ऊँ हं हनुमंते रुद्रात्मकाये हुं फट् मंत्र का 1 माला जप करने से कालसर्प योग के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

3. महीने के पहले बुधवार को नीले कपड़े में काले उड़द बांधकर वट वृक्ष की 108 परिक्रमा आरंभ करें।

4. ग्रहणकाल में किसी ऐसे शिव मंदिर की पिंडी पर पांचमुखी नाग की तांबे की मूर्ति अपनी श्रद्धानुसार लगवाएं, जिस पर पहले से नागदेवता नहीं हों।

5. जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्व योग हो, उसे कालसर्प योग लॉकेट धारण करना चाहिए।ऐसा यंत्र चांदी द्वारा निर्मित कराया जाता है। यंत्र का आकार सर्प के फैले हुए फन जैसा होता है।

Religious ideas for saturday

सप्ताह में मंगलवार और शनिवार दो ऐसे दिन हैं जो हर व्यक्ति के लिए बहुत खास होते हैं, क्योंकि इन दोनों दिन पूजा अर्चना करने का विशेष लाभ मिलता है। मंगलवार का दिन हनुमानजी और मंगल देवता की विशेष पूजा का दिन है तो शनिवार शनि और बजरंगबली की आराधना का दिन है।

कहते हैं हमारे कर्मों से ही समय बदल सकता है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में बुरा समय चल रहा है तो वह ज्योतिष के अनुसार बताए गए कुछ उपाय अपनाकर बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदल सकते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन ऐसे ही कुछ आजमाने चाहिए।

1. शनिदेव की शुभ दृष्टि प्राप्त करने के लिए किसी भी शनिवार से यह उपाय शुरू करें। इस उपाय के अनुसार आपको लगातार सात शनिवार तक बिना किसी प्रकार की देर किए हुए एक-एक नारियल किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करना चाहिए। साथ ही नारियल प्रवाहित करते समय एकाग्र मन से ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप करें लाभ मिलेगा।

2. लगातार सात शनिवार इस प्रकार करने से समस्याओं का प्रभाव कम हो जाएगा और हनुमानजी के साथ ही शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होगी। इसके अलावा हर मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

3. मंगलवार के दिन हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी का जन्म मंगलवार के दिन ही हुआ है और इसी वजह से इस दिन बजरंग बली की पूजा विशेष फल देने वाली मानी गई है।

4. मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और आपके पास पर्याप्त समय हो तो सुंदरकांड का पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ करने वाले व्यक्ति पर हनुमानजी की कृपा बहुत जल्दी होती है।

Good friday is a unique festival of forgiveness and love

गुड फ्राइडे ईसाई धर्म को मानने वाले अनुयायियों के लिए एक बेहद खास दिन है। गुड फ्राइडे के ही दिन प्रभु ईसा मसीह अपने अनुयायियों के कल्याण के लिए सूली पर चढ़ गए थे। यह दिन क्षमा के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। प्रभु यीशू अपने अनुयायियों को क्षमा करने का संदेश देते हैं।

गुड फ्राइडे की शुरुआत 40 दिन पहले ही हो जाती है। गुड फ्राइडे इन 40 दिनों की समाप्ति का दिन होता है। ईसाई धर्म को मानने वाले लोग पूरे 40 दिन तक संयम और व्रत का निर्वाहन कर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं।

इस बारे में सेंट जोन्स चर्च( देवास जिले के चापड़ा) के फादर प्रकाश बताते हैं गुड फ्राइडे दरअसल यह पर्व क्षमा और प्रेम का पर्व है। यह पर्व दुःख पूर्ण इसलिए है कि इस दिन प्रभु यीशू ने इस दिन मृत्युदंड स्वीकार किया था। प्रभु यीशू को इसी दिन क्रास पर यहूदी नेताओं ने चढ़ाया था।

यीशू धर्म गुरु थे यह बात उनको बिल्कुल भी ठीक नहीं लगती है क्यों कि वह अपना ही स्वामित्व वहां चाहते थे। यहूदी समुदाय के लिए एक चुनौती बन गए थे। यही कारण था कि वह उन्हें अपने रास्ते से हटाना चाहते थे।

पर प्रभु यीशू परमपिता के पुत्र थे। ऐसे में उन्होंने लोगों को बताया कि वह सिर्फ उन यहूदियों के अहम् को मिटाने के लिए क्रास पर चढ़ रहे हैं। ताकि उनके अहम् का अंत हो जाए।

यीशू ने पहले ही बता दिया था कि उनको कोई मार नहीं सकता ऐसे में यीशू क्रास पर चढ़े जरूर पर वह पुनः जीवित हो गए और ईश्वर के पुत्र और सत्य की विजयी हुई।

How John Sculley’s smartphone brand Obi could succeed in the Indian market

How John Sculley’s smartphone brand Obi could succeed in the Indian market
Naturally, everyone wants a piece of one of the fastest growing smartphone markets in the world. India has seen a number of new brands make an entry in the smartphone market last year alone. From Chinese companies such as Gionee and Oppo, to American PC giants HP to brands such as Japan’s Panasonic, which has given up on the smartphone game back home, but has a big budget for India. Motorola made a comeback with the ultra-popular Moto G.

So it’s no surprise that former Apple CEO John Sculley is planning on adding to the number, according to a report in BGR India. Former Micromax and HTC top exec Ajay Sharma will be leading the business in India. The company will be called Obi and company will launch a series of smartphone, with the first device said to be coming in April. The supposed price range is between Rs 5,000 and Rs 15,000, which makes us a bit sceptical about the brand’s chances.

 In the report, talking about the new company, Sharma is said to have insisted that their “forthcoming devices will have a different positioning and USP.” But in the same price range as most well-known Indian brands, there’s very little head room for playing the brand positioning game. Once again, it could be about the price and specs proposition and as we have said in the past, it takes more than just that...


From firstpost News

Facebook launches new service which will share your location to within half a mile

The Nearby Friends feature uses your smartphone's GPS system to tell your Facebook friends you are nearby - provided that you both have the new feature turned on
Facebook users in the U.S. will soon be able to see which of their friends are nearby using a new feature that the company launched on Thursday.

The Nearby Friends feature must be turned on by the user, so people shouldn't expect to broadcast their location unknowingly.

It will use your smartphone's GPS system to tell your Facebook friends you are nearby - provided they have the feature turned on as well. Rather than share your exact location, it will show only that you are nearby, say, within half a mile.

If you like, you can manually share a more precise location with a specific friend you'd like to meet up with. Friends can see where you're located in a particular park, airport or city block. By default, your exact location will be shared for only an hour, although you can change this.

Nearby Friends launches amid the growing popularity of location-based mobile dating apps such as Tinder and Hinge. But unlike those apps, Facebook's feature will let you meet up only with people who are already your friends.

Facebook, whose motto has long been ‘move fast and break things,’ built a lot of precautions in this new tool as it tries to avoid privacy fiascos that often bubble up when it makes changes to its service.

The new motto, ‘ship love,’ is evident in the cautious rollout of Nearby Friends, said Jules Polonetsky, director of the Future of Privacy Forum, an industry-backed think tank in Washington. He has advised Facebook on privacy issues, including the latest feature..


From dailymail.co.uk News

Sony Xperia E1 review: An affordable phone that offers serious performance for its class

Priced at Rs 10,490, Sony Xperia E1 is a good phone to buy if you’re into music, along with some minor multitasking.Music lovers on a budget can totally rejoice with the Sony Xperia E1 Dual Sim. With a dedicated Walkman button and cool music app, you can be assured of a rich musical experience. It is also a very compact and lightweight phone given its plastic outer shell. Obviously, at Rs 10,490 this phone doesn’t look and feel upmarket. Besides, the phone carries only a 3MP camera without flash and no front camera. Might be a deal-breaker, but before you decide, here’s the inside scoop on this smartphone.

DESIGN

The Phone looks and feels plastic, therefore it weighs just 120 grams. You might also say it’s a fairly chubby phone from the side measuring at 12mm. That’s not great news for the manufacturer because nowadays even affordable phones such as the MOTO G sport a sleeker look and come with wide colour options. However, barring the looks it’s a well put together phone and given its modest dimensions (2.46 inch wide), it’s perfect for single-handed use.

You also have a Walkman key on top of the phone. The button is meant to control the music and integrates with the Sony’s music app. Press it long enough and it kick-starts the Walkman app, while double pressing it skips to the next song. Quite a neat feature for music aficionados.

DISPLAY

The E1 has got a biggish 4-inch display with 800 x 480 pixels. The display isn’t great and lacks colour depth. In fact, if you tilt the phone you will notice a poor contrast and loss of colours. But given the price, you’ll feel it’s not all that bad.

This phone, however, has an automatic brightness adjustment feature that adjusts according to outdoors visibility....


From financialexpress News

Nokia recalls 30,000 chargers for Lumia 2520 tablet

Finnish telecom company Nokia on Thursday recalled 30,000 chargers for its Lumia 2520 tablet due to risk it could give customers an electric shock.

The AC-300 charger, manufactured by a third-party supplier, was sold in Austria, Britain, Denmark, Finland, Germany, Russia, Switzerland and the US.

The Lumia 2520 is the first tablet by Nokia, once the world leader in the mobile phone industry but which lost its top place to South Korea's Samsung in 2012.

"The plastic cover of the charger's exchangeable plug could come loose and separate," the company said in a statement.

"If loose and separated, certain internal components pose a hazard of an electric shock if touched while the plug remains in a live socket." ..


From hindustantimes News

Thursday 17 April 2014

Lakshmi is free from the narrow idea

उड़िया भाषा में प्रचलित लक्ष्मी पुराण की कथा सामाजिक पद और खाद्य पदार्थों के बीच वितरण के संबंध को स्पष्ट करती है। बताती है किस किसी भी तरह के भेदभाव से लक्ष्मी सदैव मुक्त है।

हम अक्सर यही अनुमान लगाते हैं कि पुराण संस्कृत में रचित हैं। पूरे भारत में यही माना जाता है पर यह सत्य नहीं है। उदाहरण के लिए बलराम दास द्वारा 15 वीं शताब्दी में रचित लक्ष्मी पुराण उड़िया भाषा में लिखी गई है। इसमें उस घटना का वर्णन है जो पुरी में घटित हुई, जहां भव्य जगन्नाथ मंदिर स्थापित है।

इस मंदिर में, कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र सहित शोभायमान हैं और आने वाले श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी करते हैं। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि भगवान की पत्नी, लक्ष्मी मुख्य मंदिर में कहीं भी नजर नहीं आती हैं। यह मंदिर अपनी रसोई के लिए विख्यात है जहां पर शोभायित भगवान के लिए बड़ी मात्रा में भोजन तैयार किया जाता है।

यही वह जगह है जहां कि भगवान हर वर्ष रथ और नाव यात्रा पर अपने सहोदर सहित निकलते हैं। यहां भगवान कई परंपराओं का निभाते हैं जिनमें मार्गशीर्ष माह में आने वाली श्राद्ध पंरपरा भी सम्मिलित है जिसमें वे अपने माता-पिता (अदिती-कश्यप, कौशल्या-दशरथ, यशोदा-नंद, देवकी- वसुदेव) को श्रद्धा अर्पण करते हैं। यहां हर 12 वर्ष में सभी देवता मृत्यु का वरण भी करते हैं (और उनके लिए एक अंतिम संस्कार स्थल भी बना हुआ है) और पुन: जन्म लेते हैं।

इससे पहले कि हम इस कथा में गहरे उतरें, यह स्मरण रखना आवश्यक है कि यहां पारंपरिक कथाकारों ने देवताओं को ऐतिहासिक या परालौकिक दृष्टि से नहीं देखा है, वे जाग्रत अवस्था में हैं जो सामान्य जीवन जीते हैं और सामान्य लोगों के साथ रहते हुए उनके साथ श्रेष्ठतम मार्ग यह हम कहें कि असाधारणता के अनुसरण का संवाद करते हैं।

एक दिन, बलभद्र ने लक्ष्मी को एक झाडू लगाने वाली के घर में प्रवेश करते देख लिया। उन्होंने घोषणा की कि अब लक्ष्मी अपवित्र हो गई हैं और अपने अनुज को आदेश दिया कि उन्हें घर में प्रवेश न दिया जाए। कृष्ण ने अपने अग्रज के आदेश का पालन किया और मंदिर के द्वार बंद कर दिए।

आने वाले कुछ दिनों में देवताओं को चिंतित करने वाली बात यह हुई कि उन्हें कोई भोजन नहीं परोसा गया। पता करने पर मालूम हुआ कि रसोई में भोजन बना ही नहीं क्योंकि सभी सब्जियां और फल, दालें और अनाज, सभी मसाले भंडार गृह और बाजार से गायब हो गए हैं। यहां तक कि पीने के लिए एक बूंद जल भी शेष नहीं बचा। देव सहोदरों ने पाया कि इस विपदा का कारण लक्ष्मी को त्यागना ही है।

इसके बाद श्रीकृष्ण ने देवी लक्ष्मी से क्षमा मांगी और उनसे वापस मंदिर आने की याचना की। भाई-बहनों ने सीखा और समझा कि धन की देवी किसी भी तरह के प्रदूषण से अपवित्र नहीं होती हैं। खाद्य पदार्थ बिना किसी भेदभाव के लोगों की क्षुधा को तृप्त करते हैं, चाहे वह मार्ग बुहारने वाला हो या फिर राजा या देवता। दूसरे शब्दों में कहें तो भोजन सत्य है, जो किसी भी तरह के मानवीय दृष्टिकोण से स्वतंत्र है। अपवित्र होने का कोई भी विचार जो कि जाति प्रथा से उपजा है वह मिथ्या है, क्योंकि वह मानवीय दृष्टिकोण पर निर्भर है।

यह पौराणिक कथा कुछ भी हो सकती है लेकिन ब्राह्मण या पैतृक विचार से उपजी नहीं हो सकती। स्वाभाविक रूप से इसका अर्थ यह भी नहीं कि यह मार्क्सवादी सोच की है, अधीनतावादी या नारीवादी विचार है जैसा कि बहुत से शिक्षाविद् संकेत देते हैं।

यह किसी भी तरह का संकेतक, सूचक या उपदेशात्मक आख्यान नहीं है, जैसा कि बाइबल या कुरान या फिर मानव अधिकारों की घोषणा होती है। यह एक विचारात्मक आख्यान है। यह कथा सामाजिक पद और खाद्य पदार्थों के वितरण के बीच के संबंध पर प्रश्न खड़ा करती है, हमारी समझ का विस्तार करती है और सत्य और मिथ्या के बीच अंतर करने की तरफ हमारा ध्यान खींचती है।

Look at life as a whole

हम जानते हैं कि समस्याएं हैं। लेकिन केवल नकारात्मक पक्षों के बारे में ही सोचते रहने से समस्याओं का हल नहीं निकलता बल्कि इससे मन की शांति भंग होती है। अगर आप चीजों को संपूर्णता में देखते हैं तो आप बुरी से बुरी चीज में कुछ अच्छाई तलाश सकते हैं।

मैंने अपने अभी तक के जीवन में कई कठिनाइयां देखी हैं और मेरे देश ने भी बहुत मुश्किल वक्त देखा। लेकिन मैं हमेशा मुस्कुराता हूं, मेरी यह मुस्कुराहट संक्रामक है। जब लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं हंसने की शक्ति कैसे जुटाता हूं तो मैं कहता हूं कि मैं मुस्कुराने को एक अभ्यास की तरह, एक काम की तरह लेता हूं।

तिब्बतवासियों के लिए मुस्काराना उनके चरित्र का एक हिस्सा होता है। तिब्बतवासी जापानी और भारतीयों से बहुत अलग होते हैं। वे जर्मन और अंग्रेज की तरह नहीं होकर इटलीवासियों की तरह बहुत खुशमिजाज होते हैं।

मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मुझे मुस्कुराहट अपने परिवार से विरासत में मिली है। मैं एक बहुत छोटी जगह से आता हूं बड़े शहर से नहीं इसलिए मेरी प्रसन्नाता में आनंद भी घुलामिला है। हम तिब्बतवासी हमेशा अपने आपको मुग्ध करते रहते हैं, एकदूसरे के साथ कुछ अच्छे पल बांटते हैं, यह हमारी आदत में शामिल है।

और हमेशा की तरह इन्हीं बातों में मैं यह भी जोड़ना चाहूंगा कि हम जो हैं उसमें बने रहने की जिम्मेदारी को समझते हैं। हम जानते हैं कि समस्याएं हैं। लेकिन केवल नकारात्मक पक्षों के बारे में ही सोचते रहने से समस्याओं का हल नहीं निकलता और इससे मन की शांति भी भंग होती है। हर चीज हालांकि सापेक्ष है।

अगर आप चीजों को संपूर्णता में देखते हैं तो आप बुरी से बुरी चीज में भी कुछ अच्छाई तलाश सकते हैं। जब आप चीजों को वृहद रूप में देखते हैं तो यह समझते हैं कि इसका बुरा हिस्सा कौन सा है और फिर उसे स्वीकार करते हैं। यही भाव मेरे भीतर भी है कि मैं चीजों को स्वीकार करता हूं और उन्हें स्वीकार करने में बुद्ध दर्शन मेरी बहुत मदद करता है।

मैं हमेशा कहता हूं कि एक घोर आत्मनिष्ठ व्यक्ति दूसरों के बारे में भी सोचता है। एक उदाहरण हम लोगों का ही देना चाहूंगा जिन्होंने अपना देश खो दिया। हमारा अपना कोई देश नहीं है। लेकिन इस तरह की परिस्थितियों में भी कुछ फायदे हैं। जैसे कि अपनी बात करूं तो, मैं आधी शताब्दी से निर्वासित जीवन बिता रहा हूं लेकिन इसी दौरान मुझे इस पूरी दुनिया में बहुत से नए घर मिले।

अगर मैं अपने देश में ही रह जाता तो दुनिया की रंगबिरंगी संस्कृति को जानने का अवसर किस तरह मिलता। दुनिया के अनेक देशों के वैज्ञानिकों और अर्थशााियों से मिलने का मौका ही नहीं मिलता।

निर्वासित जीवन बहुत दुर्भाग्यशाली है लेकिन मैंने हमेशा अपने मन को प्रसन्न अवस्था में रखने का प्रयास किया है, बिना किसी निश्चित आश्रयस्थली के भी सामने आने वाली संभावनाओं को स्वीकार किया है। इस तरह मैं अपने भीतर की शांति को सहेज पाता हूं।

अगर हम इसी से संतुष्ट हो जाते कि करुणा, तार्किकता और धैर्य अच्छे गुण हैं तो शायद इन गुणों को कभी भी अपने भीतर पैदा नहीं कर पाते। कठिन अवसरों से हम इन गुणों को अभ्यास में ला सके। इस तरह की स्थितियां किन्होंने पैदा की? स्वाभाविक रूप से वे हमारे मित्र नहीं थे वे हमारे शत्रु थे जिन्होंने हमारे मार्ग को कठिन बनाया। इसलिए इस रास्ते पर आगे बढ़ते हुए हमें अपने शत्रुओं का आभारी होना चाहिए जो हमारे शिक्षक साबित हुए।

हमें अपने उन शत्रुओं का आभारी होना चाहिए कि उनकी वजह से ही हम अपने मन में शांति महसूस करने में सक्षम हुए। क्रोध और घृणा ही हमारे असल शत्रु हैं जिन्हें हमें जीतना होता है वे नहीं जो हमारे जीवन में विभिन्ना मौकों पर हमारे सामने आते हैं।

मैं तो अपने उन शत्रुओं का भी आभारी हूं जिन्होंने मुझे जीवन को इस संपूर्णता में स्वीकार करना सिखाया। कैसे कहें कि यह अच्छा है और वह बुरा, बल्कि जो इस क्षण है वही सबसे सुंदर है, वही श्रेष्ठ है। स्थितियां जो हैं जैसी हैं उन्हें हम किस तरह लेते हैं शायद यही हमें परिमार्जित करता है।

If you do not sleep like this

चीनी वास्तुशास्त्र फेंग शुई का एक सिद्धांत है, कि जहां समस्या है वहां उसका समाधान भी है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांत पूर्णतः वैज्ञानिक आधार पर बने हैं। इस बात की पुष्टि हम कुछ वास्तु सिद्धांतों के विश्लेषण से कर सकते हैं।

सोते समय सिर दक्षिण में

मनुष्य का सिर उत्तरी ध्रुव और पैर दक्षिण ध्रुव में होने से दोनों में विकर्षण पैदा होगा परिणामस्वरूप मनुष्य के शरीर में रक्त प्रवाह और नींद में बाधा पैदा होने से तनाव उत्पन्न होगा। इसी कारण वास्तु शास्त्र के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य के लिए सोते समय सिर दक्षिण में व पैर उत्तर दिशा की ओर होने चाहिए।

पूर्व दिशा में आंगन

घर का आंगन पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। क्यों कि सूर्य की जीवनदायी प्रातः काली किरणों का अधिक से अधिक लाभ आपको मिल सके, और प्रातः काल धूप स्नान स्नान किया जा सके।

पूर्व दिशा में पेड़

घर के पूर्व एवं ईशान दिशा में बड़ी शाखा एवं मोटी पत्तियों वाले बड़े पेड़ को नहीं लगाना चाहिए। यह पेड़ प्रातःकालीन सूर्य की सकारात्मक किरणों को घर में प्रवेश करने में रुकावट पैदा करतेहैं।

ईशान कोण में पानी

ईशान कोण में स्थित पानी के स्त्रोत पर पड़ने वाली प्रातःकालीन सूर्य की किरणें पानी में पैदा होने वाले हानिकारक वैक्टीरिया और कीटाणुओं आदि को नष्ट करती हैं। विज्ञान ने भी स्वीकार किया है कि सूर्य की किरणों में यह शक्ति होती है।

आग्नेय कोण में रसोईघर

आग्नेय कोण में स्थित रसोई घर में पूर्व दिशा से प्रातः कालीन सूर्य किरणें प्रवेश करती हैं। जो रसोई में पैदा होने वाले हानिकारण वैक्टीरिया एवं कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं।

दीवारें ऊंची व मोटी होनी चाहिए

प्रातः कालीन सूर्य की किरणें तो लाभदायक होती हैं परंतु दोपहर के समय जब सूर्य पश्चिम दिशा में ज्यादा तेज गर्मी फैला रहा होता है तब उस समय सूर्य की किरणें हानिकारण होती है। उन हानिकारक किरणों के संपर्क में हम कम से आएं, इस कारण वास्तुशास्त्र में दक्षिण-पश्चिम दिशा में ऊंची व मोटी दीवार बनाने की सलाह दी जाती है।

Range of masses tirthankara mahaveer education

महावीर जयंती ऐसा अवसर है जो हमें भगवान महावीर के जीवन की उपयोगिता पर विचार करने का अवसर देता है। चूंकि बीते वर्षों में भी समाज में कोई परिवर्तन नहीं दिखता है। हम वैसे ही हैं जैसे थे।

अंधकार यथावत है। महावीर द्वारा प्रदत्त प्रकाश हमारे भीतर नहीं पहुंच सका है और इसलिए आज भी महावीर जयंती मनाने की प्रासंगिकता है। आज भगवान का मंदिर बनवाने की आवश्यकता नहीं है स्वनिर्माण की जरूरत है। आचार्य ज्ञानभूषण के अनुसार महावीर जयंती भूमि शुद्धि व दीक्षा दिवस के रूप में अनुपम आयोजन है।

महावीर की वाणी, उनका दर्शन हमारे पास है। आज सबसे बड़ी कठिनाई यही है कि भक्त उनकी पूजा करना चाहता है उनके विचारों का अनुगमन नहीं करना चाहता है। महावीर का दर्शन केवल अहिंसा और समता का दर्शन नहीं है क्रांति का दर्शन भी है।

उनकी प्रजा ने केवल अध्यात्म और धर्म को उपकृत नहीं किया अपितु व्यवहार जगत को भी संवारा है। उनकी मृत्युंजयी साधना ने आत्मप्रभा को ही भास्कर नहीं किया बल्कि अपने समग्र परिवेश को सिंचित किया है। उन्होंने जन जन को तीर्थंकर बनने का रहस्य समझाया है।

उन्होंने अहिंसा को जीकर अनुभव की वाणी में दुनिया को उपदेश दिया। आपाधापी और चकाचौंध भरे समय में तो भगवान महावीर के संदेशों की प्रासंगिकता बढ़ गई है।

Wednesday 16 April 2014

May is the best for marriage

होलाष्टक पर 8 मार्च से विवाह के शुभ मुहूर्तों पर रोक लगी थी। करीब डेढ़ महीने बाद अब 16 अप्रैल से फिर विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो रहे हैं।

परेशानी की बात यह है कि अप्रैल में जिस दिन विवाह का अंतिम मुहूर्त है, उससे दो दिन बाद राजधानी में लोकसभा का मतदान होगा। विवाह वाले दिन से वाहनों का अधिग्रहण शुरू हो जाएगा। इसके चलते बारात लाने-ले जाने की समस्या से लोगों को जूझना पड़ेगा।

अप्रैल में जहां पांच शुभ मुहूर्त में फेरे होंगे वहीं मई में सबसे ज्यादा 12 मुहूर्त हैं। मई में ही महामुहूर्त अक्षय तृतीया भी पड़ रही है, महामुहूर्त में सैकड़ों शादियां होंगी। जून में जहां 10 मुहूर्त हैं, वहीं जुलाई में मात्र तीन मुहूर्त हैं और 8 जुलाई से देवशयनी एकादशी के बाद फिर पांच महीने तक मुहूर्त नहीं है। दिसंबर में भी सिर्फ तीन मुहूर्त हैं।

तुलसी पूजा के बाद भी मुहूर्त नहीं

पं.मनोज शुक्ला कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के ज्यादातर पंडित व ज्योतिषी लड़का-लड़की की कुंडली और देव पंचाग के अनुसार विवाह का शुभ मुहूर्त निकालते हैं। छत्तीसगढ़ की भौगोलिक परिस्थितियों व ग्रह नक्षत्रों को ध्यान में रखकर देव पंचांग बनाया गया है। वर्ष 2014 के देव पंचांग के अनुसार जुलाई तक अनेक मुहूर्त हैं और फिर देवशयनी एकादशी पर भगवान के शयनकाल का समय शुरू होने से देवउठनी एकादशी तक विवाह नहीं किए जा सकेंगे। यहां तक कि 3 नवंबर को तुलसी पूजा देवउठनी एकादशी के बाद भी विवाह मुहूर्त नहीं है। पूरे नवंबर में एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है। दिसंबर के पहले पखवाड़े में तीन मुहूर्त हैं और इसके बाद खरमास लग जाएगा और फिर अगले साल संक्रांति तक लोगों को विवाह के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

देव पंचांग के अनुसार मुहूर्त

माह कुल दिन तारीख

अप्रैल 5 दिन 16, 18, 20, 21 और 22

मई 12 दिन 1, 2, 4, 10, 11, 15, 17, 19, 24, 25, 29 व 30

जून 10 दिन 4, 6, 7, 10, 11, 12, 13, 15, 20, 21,

जुलाई 5 दिन 1, 2, 3, 4, व 5

अगस्त, सितंबर, अक्टूबर व नवंबर में मुहूर्त नहीं

दिसंबर 3 दिन 6, 8 व 12

The reasons why saint take mausoleum

ध्यान की वह अवस्था जब व्यक्ति ईश्वर या अपने आराध्य में एकाकार हो जाता है समाधि कहलाती है। इस अवस्था में व्यक्ति को स्पर्श, रस, गंध, रूप एवं शब्द इन 5 विषयों की इच्छा नहीं रहती तथा उसे भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी आदि का आभास भी नहीं होता। ऐसा व्यक्ति शक्ति संपन्न बनकर अमरत्व को प्राप्त कर लेता है। उसके जन्म-मरण का चक्र समाप्त हो जाता है।

यही है कैवल्य ज्ञान

जैन धर्म में समाधि को कैवल्य ज्ञान और बौद्ध धर्म में निर्वाण कहा गया है। योग में इसे समाधि कहते हैं। इसके कई स्तर होते हैं।

योग का अंतिम पड़ाव

समाधि योग का सबसे अंतिम पड़ाव है। यह तभी प्राप्त हो सकता है जब व्यक्ति सभी योग साधनाओं को करने के बाद मन को बाहरी वस्तुओं से हटाकर निरंतर ध्यान करते हुए उसी में लीन होने लगता है।

संयम करना ही समाधि

पूर्ण रूप से सांस पर नियंत्रण और मन स्थिर व सन्तुलित हो जाता है, तब समाधि की स्थिति कहलाती है। प्राणवायु को 5 सेकंड तक रोककर रखना 'धारणा' है, 60 सेकंड तक मन को किसी विषय पर केंद्रित करना 'ध्यान' है और 12 दिनों तक प्राणों का निरंतर संयम करना ही समाधि है।

समाधि के प्रकार

भगवान श्री कृष्ण ने भी भागवत गीता में समाधि के बारे में विस्तार से बताया है। योग में समाधि के दो प्रकार बताए गए हैं- सम्प्रज्ञात और असम्प्रज्ञात। सम्प्रज्ञात समाधि वितर्क, विचार, आनंद और अस्मितानुगत होती है। असम्प्रज्ञात में सात्विक, राजस और तामस सभी वृत्तियों का निरोध हो जाता है।

भक्ति सागर में समाधि के 3 प्रकार बताए गए है- 1.भक्ति समाधि, 2.योग समाधि, 3.ज्ञान समाधि।

पुराणों में समाधि के 6 प्रकार बताए गए हैं जिन्हें छह मुक्ति कहा गया है- 1. साष्ट्रि, (ऐश्वर्य), 2. सालोक्य (लोक की प्राप्ति), 3. सारूप (ब्रह्मस्वरूप), 4. सामीप्य, (ब्रह्म के पास), 5. साम्य (ब्रह्म जैसी समानता) 6. लीनता या सायुज्य (ब्रह्म में लीन होकर ब्रह्म हो जाना)।

ऐसे शुरू की जाती है समाधि

जब व्यक्ति प्राणायाम, प्रत्याहार को साधते हुए धारणा व ध्यान का अभ्यास पूर्ण कर लेता है तब वह समाधि के योग्य बन जाता है। समाधि के लिए व्यक्ति के मन में किसी भी प्रकार के बाहरी विचार नहीं होते।

व्यक्ति का मन पूर्ण स्थिर रहकर आंतरिक आत्मा में लीन हो जाता है तब समाधि घटित होती है। इसलिए समाधि से पहले ध्यान के अभ्यास को बताया गया है। ध्यान से ही चित्त (मन) विचार शून्य हो जाने की अवस्था में समाधि घटित होती है।

समाधि प्राप्त व्यक्ति का व्यवहार सामान्य व्यक्ति से अलग हो जाता है, वह सभी में ईश्वर को ही देखता है और उसकी दृष्टि में ईश्वर ही सत्य होता है। समाधि में लीन होने वाले योगी को अनेक प्रकार के दिव्य ज्योति और आलौकिक शक्ति का ज्ञान प्राप्त स्वत: ही होता है।

क्यों जरूरी है मोक्ष

शरीर के जन्म और मरण के चक्र से बाहर निकलकर स्वयं को कहीं भी किसी भी रूप में अभिव्यक्त करने की ताकत और सच मानो तो इस ब्रह्मांड से अलग रहने की ताकत। ब्रह्मांड से अलग वही रह सकता है, जो ब्रह्म स्वरूप शुद्ध चैतन्य है।

Samsung Galaxy Note 3 Neo review: A potential runaway hit if Samsung irons out software kinks

Samsung in their neverending quest for world domination believes in overwhelming their audience and spoiling them for choice. There’s complete chaos in Samsung’s smartphone line-up as new models are added to fill every conceivable price bracket and phones launched a few months back are seeing price drops and overlap the new launches. A couple of months back, Samsung added yet another arsenal of products out of which, we felt the Galaxy Note 3 Neo was the most interesting of the lot. We brought you our first-hand look at the new addition to the Note family and felt it had great potential to succeed if priced right.

Well, a month or so later and Samsung has officially dropped the price down to Rs 34,670. This means you can find it online for as low as Rs 32,000. The Neo is a stripped down version of the Galaxy Note 3 but the crucial bits like the S Pen and large battery have been left relatively untouched. Finally, we have a worthy replacement for the Galaxy Note 2. So is this the real deal? Can it actually deliver Note 3-like performance for a lot lesser? Let’s find out.

Design and Build

The Samsung Galaxy Note 3 Neo looks almost identical to the Note 3. In fact, it’s not uncommon to mistake it for the Note 3. It’s a bit lighter than its big brother but not as slim. The extra heft is noticeable if you’ve used a Note 3. The one thing we really love is that Samsung has gotten rid of the hideous ribbed design on the sides. Instead, we get a more pleasing matt chrome finish which is the lesser of the two evils...


From firstpost News

LG G Flex review: There is more to this phone than the curve

LG G Flex has a curved screen that can flex itself if needed
I have always felt that Android phones have had a problem finding differentiators. That is why many of them came packed with features, mostly software, that are at the best gimmicks. But it is hard to sell a phone on a gimmick, however good the gimmick might be. That is why of late some manufacturers have been looking at design to be the big differentiator. The most different phone as far as design goes has to be the LG G Flex, with its curved screen that can flex itself if needed.

Design

Yes, with a curved screen you have a design that is bound to make some heads turn. But this is not just a gimmick of a design and seems very practical. The shape seems more conducive to making calls as it corresponds the shape of the face. But you tend to poke your ear with the top of the phone. The curve is also a bit awkward when you are carrying the phone in your shirt or jeans pocket. And, no it does not fit better in your back pocket. But the form factor is really innovative. In fact, the phone can take a bit of pressure and straighten up. This could be helpful if you accidentally end up sitting on the phone. Now you know why it is called Flex.

Another unique feature in this phone is the placement of the power and volume buttons. They on the rear panel, bang under the camera. This seems a more natural place for these buttons at it is here that your finger rests while making a call. However, you have to fight years of muscle memory to get your brain to start using these buttons as default.

The phone is also supposed to have a self-healing back cover. But the review unit I got already had a couple of scratches and I did not want to hurt it further. Obviously, it is not healing all that fast. ..


From financialexpress News

Asus Fonepad 7 Dual SIM tablet launched for Rs 12999: What to expect

Asus, on Tuesday, has launched Fonepad 7 Dual SIM voice-calling tablet in India for Rs 12999. It was initially announced at MWC in Barcelona this year, alongside an LTE variant. The device supports dual-SIM functionality and voice-calling and supports Micro-SIM cards. It comes with 7 inch LED IPS display with 1280 x 800 pixels resolution.

The new Asus Fonepad 7 runs on Android 4.3 Jelly Bean OS. It is powered by 1.2 GHz dual-core Intel 'Clover Trail+' Atom Z2520 processor with 1GB RAM. It comes with 8 GB of inbuilt storage, while Asus is also offering 16 GB on Asus Webstorage cloud space for one-year...


From telecomtiger News

Tuesday 15 April 2014

Hanuman is the only in the world is upside down

लाल लंगोट धारण किए हुए और हाथ में सोटा लिए राम भक्त हनुमानजी अहिल्याबाई की नगरी के चारों-ओर सैकड़ों वर्षों से विराजित हैं। वह कहीं रण में विजयश्री का आशीर्वाद देते रणजीत स्वरूप में हैं तो दास बगीची में भगवान राम के दास स्वरूप में। पेश है हनुमान जयंती पर रामभक्त मारुतिनंदन बजरंगबली के इंदौर स्थित मंदिर का संक्षिप्त परिचय...

सांवेर के उलटे हनुमानजी

नगर के रावेर क्षेत्र में विश्वर प्रसिद्ध पाताल विजय हनुमानन की उलटी प्रतिमा स्थापित है। दुनिया में यह एक ऐसी प्रतिमा और कहीं देखने को नहीं मिलती है। लोकप्रिय और पुरातन मंदिर होने के कारण हनुमानजी के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धा रखने वाले लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और रामभक्त हनुमानजी उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।

रण को जिताने वाले रणजीत हनुमान जी

शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित रणजीत हनुमान मंदिर अहिल्या नगरी के सबस ख्यात मंदिरों में शुमार है। इस मंदिर की स्थापना सवा सौ साल से भी पहल की गई थी। कहा जाता है कि युद्ध से पूर्व होल्कर शासक रण जीतने के लिए यहां स्थित हनुमानजी की पूजा-अर्चना और दर्शन करते थे। इससे उनको युद्ध में जीत हासिल होती थी। यही कारण है कि यहां स्थापित हनुमानजी का नाम रणजीत हनुमान मंदिर है।

दास बगीची में हनुमानजी का दास स्वरूप

शहर के पश्चिम क्षेत्र में ही दास बगीची में स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा श्री फल लिए हाथ जोड़े दास स्वरुप में है। इस प्रतिमा के कारण बड़ा गणपति स्थित इस बगीची का नाम दास बगीची पड़ा। कहते हैं कि यह ढाई एकड़ क्षेत्र में फैली इस बीगीची में प्राकृतिक वातावरण आनंदित करता है। 400 वर्ष पुरानी यह मूर्ति किसी चमत्कार से कम नहीं है। जय सियाराम बाबा की तपोस्थली रहे इस स्थान में कभी निर्मल शीतल जल बहा करता था, इसलिए यहां काले पत्थरों का घाट बना हुआ है।

सिद्धि देने वाले सिद्देश्वरजी

चिड़ियाघर के सामने स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर भक्तों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। 400 साल पुराने इस मंदिर में भगवान हनुमान की बालरूप की मनोहारी प्रतिमा है। कहते हैं कि 5 मंगलवार यहां आकर दर्शन करने पर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। सिद्धि देने वाले इस मंदिर का जीर्णोद्धार होल्कर शासकों ने कराया था।

बेटमा के खेड़ापति हनुमानजी

नगर का सबसे प्रचीन हनुमान मंदिर कुम्हार मोहल्ला स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर है। बुजुर्गों के अनुसार यह मंदिर वर्षों पुराना होकर नगर की बसाहट के समय का है। यह मंदिर कितना पुराना है। इसे ठीक से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। कहते है यह मंदिर आल्हा-ऊदल के शासनकाल के पहले का है। शमशान रोड़ स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर भी काफी प्राचीन है। इस मंदिर की विशेषता है कि यह उत्तरमुखी है।

दक्षिणामुखी हनुमानजी

शहर के व्यावसायिक क्षेत्र के भगवान नृसिंह मंदिर स्थित हनुमान मंदिर आकर्षण का केंद्र है। कहते हैं यहां स्थापित दक्षिणामुखी आदमकद प्रतिमा 500 वर्ष पुरानी है। यह खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। मंदिर का जीर्णोद्धार होलकर शासकों द्वारा कराया गया था।

After suffering hanuman devotees every

हनुमान जयंती पवनपुत्र हनुमान के जन्म की प्रसंग तिथि है। हनुमान शिव के ग्यारहवें अवतार के रूप में सर्वत्र पूजनीय हैं। चूंकि शिव भी राम का स्मरण करते हैं इसलिए उनके अवतार हनुमान को भी राम नाम प्रिय है। हनुमान बल और बुद्धि के देव हैं।

रामकथा उनके बिना पूरी नहीं होती। वे धर्म में इस शिक्षा के साथ हैं कि अपनी बुद्धि और बल के गर्व से दूर रहते हुए, विनम्र होकर ही संसार का आदर प्राप्त किया जा सकता है। उनका श्रद्धाभाव अतुलनीय है। मंदिरों में हनुमानजी की मूर्ति को पर्वत उठाए और राक्षस का मान मर्दन करते हुए दिखाया जाता है लेकिन राम मंदिरों में वे प्रभु चरणों में मस्तक झुकाए बैठे हैं। वे अनुपम भक्त हैं।

हनुमान के संबंध में एक लोककथा है कि एक बार वे माता अंजनी को रामायण सुना रहे थे। उनकी कथा से प्रभावित माता अंजनी ने पूछा, 'तुम इतने शक्तिशाली हो कि तुम्हारी पूंछ के एक वार से पूरी लंका को उड़ा सकते थे, रावण को मार सकते थे और मां सीता को छुड़ाकर ला सकते हो फिर तुमने ऐसा क्यों नहीं किया?

अगर तुम ऐसा करते तो युद्ध में नष्ट हुआ समय बच जाता? हनुमान विनम्रता से कहते हैं, 'क्योंकि राम ने कभी मुझे ऐसा करने के लिए नहीं कहा।" राम के प्रति इस अगाध श्रद्धा के कारण हनुमान पूरे संसार में पूजे जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन अगर भक्त 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो उनके कष्टों का हरण होता है। हनुमान बाण से सभी तरह के तांत्रिक रोगों का नाश होता है। राम नाम मात्र से ही वे सारे मनोरथ पूरे करते हैं।

हनुमान जी को सिंदूर क्यों

रामायण में एक कथा प्रसिद्ध है कि हनुमानजी ने जानकी की मांग में सिंदूर लगा देख आश्चर्य से पूछा- माते, आपने यह लाल द्रव्य मस्तक पर क्यों लगाया है?माता जानकी ने हनुमान की इस भोली उत्सुकता पर कहा, 'पुत्र, इसे लगाने से मेरे स्वामी की रक्षा होती है, वे दीर्घायु होते हैं और वे मुझ पर सदैव प्रसन्न रहते हैं।

हनुमानजी ने यह सुना तो वे बहुत प्रसन्ना हुए और विचार किया कि जब अंगुलीभर सिंदूर से प्रभु की रक्षा होती है तो क्यों न पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर स्वामी को सुरक्षित कर दूं। उन्होंने वैसा ही किया। जब वे इस तरह श्रीराम के सामने पहुंचे तो प्रभु मुस्कुराए बिना न रह सके। हनुमान का विश्वास मां जानकी के वचनों में पक्का हो गया। तभी से हनुमान की भक्ति का स्मरण करते हुए उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।

रामकथा सुनते हैं हनुमान

माना जाता है कि जहां रामकथा होती है वहां हनुमान कथा सुनने पहुंचते हैं। कहा गया है एक बार राजदरबार में श्रीराम ने हनुमान को अपने गले से मोती की माला उतार कर दी। हनुमान ने हर एक मोती को दांत से काटकर देखा और पूरी माला तोड़ दी। श्रीराम ने पूछा इतनी सुंदर माला तुमने दांत से काट-काटकर क्यों फेंक दी।

हनुमान ने कहा कि प्रभु जिस वस्तु में आप नहीं वह मेरे किस काम की। तब श्रीराम ने पूछा, तुम्हारे हृदय में श्रीराम का निवास है? हनुमान ने हृदय चीरकर दिखाया कि उसमें राम, लक्ष्मण और सीता विद्यमान है। हनुमान को राम नाम प्रिय है। जहां भी रामकथा होती है वहां वे कथा श्रवण आते हैं।

Asus launches Fonepad 7 Dual SIM for Rs 12,999: Intel-powered tablet with voice calling

Asus launches Fonepad 7 Dual SIM for Rs 12,999: Intel-powered tablet with voice callingAsus has finally launched the Fonepad 7 with dual-SIM functionality for Rs 12,999, at an event held in Delhi. In addition to the dual SIM slots, the latest Asus Fonepad 7 comes with an improved processor and camera compared to the refresh launched last year. The Fonepad 7 dual-SIM is the third variant of the tablet to reach Indian stores. Check out our review of the original Fonepad 7.
Asus Fonepad 7 Dual SIM sports a 7-inch LED Backlit IPS display with 1280×800 pixels of resolution. Under the hood, it comes powered by a dual-core Intel Atom Z2520 processor that’s clocked at 1.2 GHz and coupled with 1GB of RAM. The device also includes PowerVR SGX544 GPU graphics.

The tablet comes equipped with a 5-megapixel rear camera and a 1.2-megapixel front-facing camera. On the connectivity options include Wi-Fi and 3G, along with Bluetooth 3.0 and GPS support. The 8GB onboard storage is expandable up to 64GB via microSD card slot. It also gets 16GB of Asus web storage for one year. The tablet weighs 340 grams with 199.5 x 120.8 x 11.35mm dimensions. The tablet runs Android 4.3 Jelly Bean and packs in a 3950 mAh battery that promises 28 hours of talk time on 3G.

We’ll be bringing you an unboxing of the tablet as well as our first impressions. So stay tuned for more on the Asus Fonepad 7.


From FP News

Micromax Canvas Turbo Mini quick-read review: It might be a good idea to skip this one

Micromax Canvas Turbo Mini costs around Rs 12,000Mobile phones are getting bigger and bigger, but what about those of us with smaller hands? Not everyone wants a smartphone that barely fits in their pocket or something that eclipses their face when held against the ear. Like the Sony Xperia Z1 Compact and the Moto G, the Micromax Canvas Turbo Mini asks the question: do good things still come in small packages?

Specs: 4.7-inch IPS touchscreen (1280×720 pixels) | 1.3GHz quad-core Mediatek MTK6582 processor | 1GB RAM | 4GB internal memory, microSD up to 32GB | Dual-SIM (microSIM + standard SIM) | 8-megapixel rear camera, 5-megapixel front camera, 720p HD video recording | 3G, Wi-Fi, Bluetooth 4, GPS | 1800mAh battery | Android 4.2 Jelly Bean

Price: Rs 12,000 approximately

Design: With a unibody design, the Canvas Turbo Mini manages to look pretty good from a distance. It’s got a back that’s made to look like brushed aluminium, although it’s made out of plastic. And it’s light when you first hold it too. But that’s not what you notice. You notice the cheap quality of the materials. You notice the way the chrome trimming along the corners has started discolouring. You notice the innumerable scratches and blemishes on the back. And you notice how the flaps on the top and bottom of the back don’t sit flush with the plate in the middle. The Canvas Turbo Mini is that unit which is great when you take it out of the box, but quickly starts aging.

Screen: Not having a Gorilla Glass or other scratch-resistant surface is always bothersome for me and that earns the Turbo Mini some negatives. But what’s nice is that it makes full use of its 4.7-inch screen, unlike the Moto G and the Z1 Compact. There are capacitive touch buttons under the screen instead of virtual on-screen buttons. When screen space is already limited, it’s nice that a manufacturer gives you full use of it. Plus, the screen itself is pretty decent. Its failings lie in the colours being a little washed out and the fact that applying a screen guard distorts its legibility in sunlight. But apart from that, it’s everything you can want.

Performance: The Canvas Turbo struggled to have its processor keep up with the FullHD screen and a similar problem plagues the Turbo Mini. It’s simply not a smooth experience, unlike other phones priced in this range like the Moto G or even Micromax’s own.


From financialexpress News

Microsoft's Cortana review: Its improvements over Siri, Google Now aren't enough to switch to Windows Phone

Microsoft's Cortana review: Its improvements over Siri, Google Now aren't enough to switch to Windows Phone
Thanks for asking, Cortana. And thanks for making the Windows phone software better, Microsoft.

With the new Cortana virtual assistant, Windows catches up with Apple's iOS and Google's Android in a major way. Microsoft takes some of the best parts of Apple's and Google's virtual assistants and adds a few useful tools of its own. The result is Cortana, named after an artificial-intelligence character in Microsoft's "Halo" video games.

The new Windows system, Windows Phone 8.1, has several other new features, which I'll review separately Tuesday.

The update, including Cortana, will come with new phones starting next month, while existing phones will be able to download it for free in the coming months. On Monday, Microsoft is making a preview version available to software developers. I was able to test that version over the past week.

Apple's Siri virtual assistant on iPhones and iPads has a feisty personality. She has good comebacks for such questions as, "What is the meaning of life?" She's also helpful with directions, restaurant recommendations and appointment reminders. Google Now on Android phones is boring by comparison, but it's better at anticipating your needs and giving you information before you even ask.

Cortana combines Siri's personality with Google Now's knack for anticipation.

Cortana also incorporates a feature for blocking calls, texts and notifications during times of your choosing, while letting you set exceptions for specific people or emergencies (defined as someone trying to call again within three minutes). That feature is separate on iPhones and Samsung's Android phones. Cortana will also identify the name of songs heard in a retail store or bar, while you need separate apps such as SoundHound or Shazam on other phones. ..


From IBN News

Yamaha launches FZ, FZ-S and Fazer bikes in new colours

yamaha
Yamaha has launched some product refreshes to pep up its lineup in 2014. Yamaha Motor India Sales has launched the variants of the bestselling Yamaha motorcycles namely FZ, FZ-S and Fazer in vibrant colour schemes and graphics to boost sales and create more excitement among customers and motorcycle aficionados.

In all, three new colours for each FZ, FZ-S and Fazer motorcycles have been introduced along with some stylish and aggressive graphics. The refreshed Fazer is priced at Rs 77,351, FZ at Rs 70,411 and FZ-S at Rs 72,385, all ex-showroom in Delhi.

The 153cc FZ series and Fazer motorcycles are two of the most popular products offered by Yamaha Motor India Sales. These bikes have gained immense traction among customers since the launch of FZ series in 2008.

"The new colours have been introduced to suit the need of customers who are always looking at upgrading to a more stylish product to match their ever changing fashion statement and personality," the company said in a statement.

FZ boasts of street friendly performance and riding experience. Similarly, the Fazer is known for its edgy, sporty look and high performance. Fazer gets its DNA from the global Fazer series known for their sports touring and looks.

"The new FZ-S is meant for the stylish and attention seeking macho man. Dubbed as 'Lord of the Streets,' FZ-S is designed and engineered with the potential for active and even aggressive enjoyment of around-town Street riding," the company statement said.

The engine specs remain unchanged with the same 153cc, air cooled-single cylinder four stroke engine doing the duty. The engine generates maximum power of 14 PS at 7500 rpm and is mated to a 5-speed gearbox.


From indiatimes News

Wednesday 9 April 2014

Trading at BSE disrupted for second time this week

Share prices on the Bombay Stock Exchange (BSE) stopped updating for about 15-20 minutes in morning trade, marking the second consecutive session in which trading has been disrupted at Asia's oldest exchange, multiple dealers said on Wednesday.

The disruption, confirmed by seven traders from different brokerages, comes after BSE introduced on Monday a new trading system for shares called BOLT Plus, which the exchange is using under license from Deutsche Boerse.

BOLT Plus, which promises to cut trading to microseconds, was unveiled for currency and debt trading in February without any disruptions, traders said. ..

Source: Hindi News

From indiatimes News

Sun Pharma up as brokers welcome Ranbaxy purchase

Shares in Sun Pharmaceutical Industries (SUN.NS) gain as much as 7.95 percent, adding to their 2.9 percent rise on Monday, as brokers upgrade the stock after Sun agreed to buy Ranbaxy Laboratories Ltd (RANB.NS) for $3.2 billion.

Sun Pharma is heading for its biggest single-day percentage gain since May 2009. UBS upgraded Sun Pharma to "buy" from "neutral" and raised its target to 720 rupees for 660 rupees on Wednesday, citing the expected contribution to earnings from Ranbaxy.

"We believe the deal makes sense given limited overlap for Sun and Ranbaxy in India and Sun's limited presence in ROW (rest of world) markets, UBS said in a report dated Tuesday, adding Sun would be able to cut administrative and research and development costs.

On Monday, Bank of America Merrill Lynch also upgraded Sun Pharma to "buy" from "neutral", citing a higher price-to-earnings multiple after Ranbaxy's acquisition.

Ranbaxy shares gained 2.2 ercent.

Source: Hindi News

From reuters News

Wal-Mart first traditional retailer to plan e-commerce model

In a first for the domestic retail industry, the world’s largest retailer, Wal-Mart, plans to set up an online marketplace model in its cash-and-carry stores in the country.

The company announced on Tuesday that it is entering the wholesale e-commerce space and will extend the business-to-business (B2B) e-commerce platform to its Best Price Modern Wholesale store members.

The platform will provide them with a convenient online shopping opportunity. As an exclusive virtual store for its members, the e-commerce platform will provide a similar assortment of products, as well as special items.

Online retail, at present, accounts for less than 1% of the total market in India, but this space is slated to grow at 50-55% over the next three years to reach R50,400 crore by 2016, according to a report by Crisil. This is close to a four-fold rise from the estimated market size of R13,900 crore in 2013.

Moreover, at a time when the country is inviting investments in the front-end multi-brand retail sector, Wal-Mart plans to open 50 cash-and-carry or wholesale stores in the next 4-5 years in India. Walmart India owns and operates 20 Best Price Modern wholesale stores in eight states across India. The first store opened in Amritsar in May 2009.

“Wal-Mart is committed to India and we are excited about our growth plans. We will continue to focus on the cash-and-carry format as we are very happy with the way it has shaped up in the last few years. The format is also poised to grow in India and we would like to serve the growing customer base by opening 50 new cash-and-carry stores over the next 4-5 years and extend the e-commerce platform to our cash-and-carry members with a virtual shopping opportunity,” said Scott Price, president & CEO, Walmart Asia.

“Wal-Mart has become the first traditional or brick-and-mortar retailer in India to setup an online marketplace model. They have done this in the US before and are different from eBay or Amazon,” said Arvind Singhal, CMD of advisory firm Technopak.

As for the brick-and-mortar expansion of the company, Wal-Mart's presence in India was majorly hit after it ended its cash-and-carry venture with Bharti Retail last year.

After the split, the company made a number of management changes and finally appointed Krish Iyer as the president and CEO in December.


From financialexpress News

Trouble brewing again in Air India over pilots' pay cut

Trouble brewing again in Air India over pilots' pay cutTrouble is again brewing in Air India ahead of the upcoming busy holiday season, with a section of pilots resenting a proposed 15 per cent cut in their allowances, saying such a reduction would place their pay packets below what was prevailing in the market.

The pilots feel such a cut would be substantial as about 60 per cent of their total pay package comprised various allowances, while airline officials say a 15 per cent slash in allowances was being effected for all sections of employees of the cash-strapped national carrier, including the pilots.

Airline officials downplayed the threat of a strike or an agitation by pilots over the issue, saying the final salary structure would be decided only after negotiations with the cockpit crew were over.

A few rounds of talks have already taken place between the two sides in the recent past.

The officials said there was no proposal to cut salaries which were being brought in tune with the Department of Public Enterprises (DPE) guidelines for all employees, barring pilots, engineers and cabin crew. It was only the allowances where the reduction was being proposed, they said.

Most of the discontented pilots operate narrow-body aircraft like Airbus-320s on domestic and nearby foreign routes and belong to the erstwhile Indian Airlines. The total pay packet for a commander in this category ranges between Rs 4-5 lakh a month, while a co-pilot gets between Rs 2-3 lakh.

The largest reduction would be for executive commanders of wide-body aircraft, whose monthly pay packet could fall by close to Rs one lakh to around Rs 7.5 lakh. Senior wide-body pilots, who fly on international routes, get around Rs 6-7 lakh, while the co-pilots have a package of Rs 5-6 lakh.

While the Indian Commercial Pilots Association (ICPA) has not accepted the new structure and said it would hold further discussions amongst its cadre, the airline management has asked the pilots to respond in 21 days.

Air India's total staff bill comes to around Rs 3,200 crore, of which one-third or around Rs 1,100 crore goes to pay the pilots alone, who number around 1,600 compared with the total staff strength of about 25,000.

The officials said the proposal to slash the allowances by 15 per cent across the board would help the airline to earn Rs 250 crore annually.

They said the airline, which was earlier the market leader in terms of pay and perks which matched global levels, was now in the process of adjusting them to the market levels prevalent in India due to the financial crunch...

Source: Hindi News

From intoday News

God we do not see the illusion of ego

अधिकतर लोग ईश्वर की सत्ता को मानते हैं, फिर क्या वजह है कि लोग यह मानते हुए भी उसे देख नहीं पाते? इसका जवाब यह है कि उन लोगों को ईश्वर इसलिए दिखाई नहीं देता, क्योंकि माया का आवरण मनुष्य के ऊपर पड़ा होता है। जैसे सूर्य सबको प्रकाश और ऊष्मा देता है, लेकिन यदि वह बादलों से घिर जाए, तो अपना काम नहीं कर पाता। माया का पर्दा भी इसी प्रकाश है।

अब प्रश्न यह है कि यह माया है क्या? माया है हमारा अहंकार। अहंकार के रूप में यह माया बिलकुल सूर्य के सामने आ गए मेघ की तरह ही है। इसी के कारण हम ईश्वर को नहीं देख पाते। इसे इस तरह समझो कि अगर मैं अपने अंगोछे की ओट कर लूं, तो तुम मुझे नहीं देख सकते, लेकिन सच्चाई यह है कि मैं तुम्हारे बिलकुल नजदीक हूं।

इसी तरह ईश्वर भी हमारे बहुत निकट है, किंतु अहंकार रुपी आवरण के कारण हम उसे नहीं देख पाते। क्योंकि जब अहंकार रहता है, तब न ज्ञान होता है, न मुक्ति मिलती है। अहंकार के कारण घमंड आता है।

हांडी में रखे दाल, चावल, पानी या आलू को हम तभी छू सकते हैं, जब तक उसे आग पर न रखा जाए। जीव की देह भी हांडी की तरह है। धन, मान-सम्मान, विद्या-बुद्धि,जाति-कुल आदि उन दाल, चावल और आलुओं की तरह हैं। अहंकार वह आग है, जो इनमें शामिल होकर उन्हें तप्त कर देती है।

अहंकार रुपी अग्नि के कारण जीव गर्म होता है। 'मैं' (स्वयं को महत्वपूर्ण समझने) का भाव जब तक पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता, मनुष्य को मुक्ति नहीं मिलती।

'मैं' से 'तुम' पर आजाने से ही अहंकार से मुक्ति मिलती है। अहंकार या 'मैं' दो तरह का होता है। एक कच्चा 'मैं' और दूसरा पक्का 'मैं'। 'मैं' जो कुछ देखता, सुनता या महसूस करता हूं, उसमें कुछ भी मेरा नहीं है, यहां तक कि यह शरीर भी मेरा नहीं है। मैं नित्यमुक्त हूं, ज्ञान-स्वरूप हूं।

यह विचार पक्का 'मैं' है, यह भक्ति औरज्ञान का 'मै है, जो सकारात्मक है। वहीं 'यह मेरा मकान है, यह मेरी पत्नी है, यह मेरा शरीर है, यह कच्चा 'मैं' है। यही माया है। जो अहंकार मनुष्य को कामिनी-कंचन में आबद्ध करता है, वह नकारात्मक है।

दरअसल, मैं और मेरा, यह अज्ञान का भाव है। तुम और तुम्हारा-यही ज्ञान है। जो सच्चा भक्त होता है, वह कहता है- जो कुछ भी कर रहे हो, वह तुम्ही कर रहे हो, मेरा तो कुछ भी नहीं है। मैं तो तुम्हारे लिए कर्म कर रहा हूं। मैं सिर्फ एक छोटा-सा शब्द है, इसे दूर करना अत्यंत कठिन है, लेकिन असंभव भी नहीं।

यदि कोशिश करने से 'मैं' नहीं जाता, तो उसे दास बना लो। इस भाव में रहो कि मैं दास हूं। ईश्वर का दास हूं, भक्त हूं। ऐसे 'मैं' में कोई दोष नहीं।

मिठाई खाने से अम्लदोष होता है, पर मिश्री इसका अपवाद है। इसी तरह यह 'मैं' बुरा नहीं। दास का मैं, भक्त का मैं और बालक का मैं जलराशि परखिंची हुई रेखा के समान हैं, जो ज्यादा देर नहीं टिकते। जीव और ब्रह्म में भेद बस इसलिए है कि उनके बीच 'मैं' खड़ा हुआ है।

पानी में लाठी डाल दी जाए,तो पानी दो भागों में बंटा हुआ दिखाई देता है। अहं या मैं ही वह लाठी है। इसे उठा लो, तो पानी एक हो जाएगा। जीव और ब्रह्म आपस में मिल जाएंगे।

Sri rama navami special article

राम के चरित्र की खूबियों के महासागर से यदि आज व्यक्ति मुट्ठी भर बातों का भी पालन करे तो देश में पनप रही तमाम बुराइयों का समाधान अपने आप ही संभव हो जाएगा। भारत की भाषाओं के साथ ही विदेशी भाषाओं में भी रामायण का अनुवाद हुआ है। भारत की लगभग हर लोक परंपरा में राम के जीवन और किंवदंती का उल्लेख मिलता ही है।

आलेख का शीर्षक स्वदेश फिल्म के गीत 'राम तेरे मन में हैं राम मेरे मन में हैं, मन से रावण जो निकाले राम उसके मन में हैं' की वो पंक्तियां हैं जिन्हें जावेद अख्तर ने राम की छवि को मर्यादा पुरुषोत्तम से भी आगे ले जाते हुए करुणा तथा शांति के प्रतीक के तौर पर लिखीं हैं। आज के इस अशांति और अराजकता के माहौल में राम की यह छवि और ज्यादा प्रभावित और प्रेरित करती है।

राम एक आदर्श शासक

देश में जब असत्य, लोभ, अहंकार की भावनाएं अपने उबाल पर हों, तब एक बार फिर राम जैसे अवतारी पुरुष की जरूरत महसूस होती है। हालांकि ईश्वरीय अवतारों में विश्वास न करने वाला पक्ष इस बात पर हंस भी सकता है और रामकथा को महज मिथक मानकर सिरे से खारिज भी कर सकता है।

यदि इन बातों को नजरअंदाज करते हुए सिर्फ राम के व्यक्तित्व का विश्लेषण किया जाए तो समकालीन परिस्थितियों में राम हमारे लिए और भी प्रसांगिक हो जाते हैं। आदर्श शिष्य, आदर्श पुत्र, आदर्श मित्र, आदर्श शासक और एक समाज सुधारक के रूप में राम हमेशा उल्लेखनीय हैं।

राम का चरित्र संपूर्णता का पर्याय रहा है। राम ने अपने संपूर्ण जीवन में अनुशासित और मर्यादित रहते हुए सदैव सत्य और न्याय की बात कही है। राम के चरित्र की खूबियों के महासागर से यदि आज व्यक्ति मुट्ठी भर बातों का भी पालन करें तो देश में पनप रहीं तमाम बुराइयों का समाधान अपने आप ही संभव हो जाएगा। राम पारिवारिक और सामाजिक जीवन की दृष्टि से भी हमारे समक्ष उच्चतम आदर्श स्थापित करते हैं।

राम एक आदर्श शिष्य

राम अपने गुरु विश्वामित्र की सेवा में सदैव तत्पर रहे हैं। सीता स्वयंवर के समय राम गुरु से आज्ञा मिलने के उपरांत ही खड़े हुए और उन्हें प्रमाण करके ही धनुष उठाने को गए। तुलसीदास जी रामायण में लिखते हैं कि...

'गुरु आगमनु सुनत रघुनाथा।

द्वार जाय पद नावउ माथा।।

सादर अरघ देइ घर आने।

सोरह भांति पूजि सनमाने।।

गहे चरन सिय सहित बहोरी।

बोले राम कमल कर जोरी।

गुरु के आगमन की सूचना मिलते ही राम सीता के साथ द्वार पर आकर गुरु का सम्मान करते हैं।अगले दोहे में तुलसीदासजी लिखते हैं कि गुरु के घर आने पर राम प्रसन्नता व्यक्त करते हुए घर के पवित्र होने की बात कहते हैं। साथ ही राम यह भी कहते हैं कि आप समाचार भेज देते तो मैं स्वयं उपस्थित हो जाता। इस तरह गुरु से भावनात्मक जुड़ाव और सम्मान की सीख है। वर्चुअल माध्यमों से शिक्षा ग्रहण करने वाली पीढ़ी के लिए नैतिक मूल्यों की शिक्षा के लिए राम एक श्रेष्ठ आदर्श हैं।

राम एक आदर्श पुत्र

समस्त पौराणिक आख्यानों में राम एक आदर्श पुत्र सिद्ध हुए हैं। माता कैकयी के 14 वर्ष के वनवास की मांग को पूरा करने के लिए पिता दशरथ के आदेश पर राम सहर्ष वनवास जाने को तैयार हो गए। इस क्रम में ही वे माता कैकयी से कहते हैं, 'सुन जननी सोइ सुत बड़ भागी, जो पितुमातु वचन अनुरागी'।

वनवास जाने के पहले भी राम भरत को माता-पिताकी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखनेकी प्रार्थना करते हैं। अपना राज-पाट भी भरत को सौंप देते हैं। माता-पिता के लिए त्याग की बात तो दूर, वर्तमान में लोग संयुक्त परिवार में रहने से भी कतराने लगे हैं। अत: ऐसे लोगों के लिए राम का चरित्र महानता की पराकाष्ठा है।

राम एक आदर्श शासक राम का चरित्र एक आदर्श राजा के रूप में भी हमारे समक्ष उभरता है। राम की अवधारणा थी कि जिस राजा के शासन में प्रजा दु:खी रहती है, वह नृप अवश्य ही नरक का अधिकारी होता है।

राम एक आदर्श भाई

राम का अपने भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न से भीगहरा प्रेम था। मेघनाद के शक्तिबाण से लक्ष्मण के घायल होने पर राम अत्यंत भावुक हो उठे थे। सीता की रक्षा केलिए भाई के प्राण जाने की आशंका मात्र से उनका मनग्लानि से भर उठा।

भरत पर भी राम का अपार स्नेह था। भरत जब राम को लौटा लाने के लिए चित्रकूट पहुंचे तो राम ने उन्हें कर्तव्य की बात कहते हुए प्रेम से समझाया और निवेदन करने पर अपनी दोनों खड़ाऊ देकर प्रेम से विदा किया। भाई-भाई के आपस में विवाद और आपस में बढ़ती दूरियों के दौर में, मनमुटाव रखने वाले भाइयों के लिए राम का भ्रातृप्रेम एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

राम पर्यावरण हितैषी

चित्रकूट प्रवास के के दौरान राम ने वहां मौजूद वन्य-जीवों सेमित्रवत व्यवहार रखा। रामायण में तुलसीदासजी लिखते हैं कि हाथी, सिंह, बंदर और हिरण ये सभी बैर छोड़कर साथ-साथ विचरण करते थे। शिकार के लिए घूमते हुए पशुओं के समूह श्रीरामचन्द्रजी की छवि देखकर विशेष आनंदित होते थे। राम ने अपनी सेना में वानर और पशुओं को भी सम्मान दिया।

पर्यावरण को सहेजना तो आज की पहली प्राथमिकता में शामिल हो जाना चाहिए। राम एक आदर्श मित्र और समाज सुधारक राम ने अपने जीवन में मित्रता की भी मिसाल पेश की है। विभीषण और सुग्रीव का उन्होंने हर परिस्थिति में साथ निभाया।

राम अपने संपूर्ण जीवन काल में छुआछूत, अस्पृश्यता और वर्ग भेद से परे रहे। छोटे-बड़े सभी के साथ राम ने समान व्यवहार रखा। शबरी के जूठे बेर भी राम ने स्नेह ग्रहण किए तो राम ने केवट को भी कृतार्थ किया। दोस्ती में स्वार्थ और बढ़ते जातिवाद को मिटाने के लिए राम एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।