Tuesday 1 April 2014

Brmhacharini get quietness of mother worship morality and restraint

मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी । देवी मां के दायं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमण्डल धारण किए रहतीं हैं।

पूर्वजन्म में देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इसलिए इनका नाम शास्त्रों में ब्रह्मचारिणी कहा गया है।

कठिन तपस्या करने के कारण देवी ब्रह्मचारिणी का शरीर एकदम क्षीण हो गया था। तब देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रम्हाचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताया।

फल की प्राप्ति

मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम की वृद्धि होती है।

करें इस मंत्र का जाप

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रम्हाचारिण्यनुत्तमा।।

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