Thursday 17 April 2014

Look at life as a whole

हम जानते हैं कि समस्याएं हैं। लेकिन केवल नकारात्मक पक्षों के बारे में ही सोचते रहने से समस्याओं का हल नहीं निकलता बल्कि इससे मन की शांति भंग होती है। अगर आप चीजों को संपूर्णता में देखते हैं तो आप बुरी से बुरी चीज में कुछ अच्छाई तलाश सकते हैं।

मैंने अपने अभी तक के जीवन में कई कठिनाइयां देखी हैं और मेरे देश ने भी बहुत मुश्किल वक्त देखा। लेकिन मैं हमेशा मुस्कुराता हूं, मेरी यह मुस्कुराहट संक्रामक है। जब लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं हंसने की शक्ति कैसे जुटाता हूं तो मैं कहता हूं कि मैं मुस्कुराने को एक अभ्यास की तरह, एक काम की तरह लेता हूं।

तिब्बतवासियों के लिए मुस्काराना उनके चरित्र का एक हिस्सा होता है। तिब्बतवासी जापानी और भारतीयों से बहुत अलग होते हैं। वे जर्मन और अंग्रेज की तरह नहीं होकर इटलीवासियों की तरह बहुत खुशमिजाज होते हैं।

मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मुझे मुस्कुराहट अपने परिवार से विरासत में मिली है। मैं एक बहुत छोटी जगह से आता हूं बड़े शहर से नहीं इसलिए मेरी प्रसन्नाता में आनंद भी घुलामिला है। हम तिब्बतवासी हमेशा अपने आपको मुग्ध करते रहते हैं, एकदूसरे के साथ कुछ अच्छे पल बांटते हैं, यह हमारी आदत में शामिल है।

और हमेशा की तरह इन्हीं बातों में मैं यह भी जोड़ना चाहूंगा कि हम जो हैं उसमें बने रहने की जिम्मेदारी को समझते हैं। हम जानते हैं कि समस्याएं हैं। लेकिन केवल नकारात्मक पक्षों के बारे में ही सोचते रहने से समस्याओं का हल नहीं निकलता और इससे मन की शांति भी भंग होती है। हर चीज हालांकि सापेक्ष है।

अगर आप चीजों को संपूर्णता में देखते हैं तो आप बुरी से बुरी चीज में भी कुछ अच्छाई तलाश सकते हैं। जब आप चीजों को वृहद रूप में देखते हैं तो यह समझते हैं कि इसका बुरा हिस्सा कौन सा है और फिर उसे स्वीकार करते हैं। यही भाव मेरे भीतर भी है कि मैं चीजों को स्वीकार करता हूं और उन्हें स्वीकार करने में बुद्ध दर्शन मेरी बहुत मदद करता है।

मैं हमेशा कहता हूं कि एक घोर आत्मनिष्ठ व्यक्ति दूसरों के बारे में भी सोचता है। एक उदाहरण हम लोगों का ही देना चाहूंगा जिन्होंने अपना देश खो दिया। हमारा अपना कोई देश नहीं है। लेकिन इस तरह की परिस्थितियों में भी कुछ फायदे हैं। जैसे कि अपनी बात करूं तो, मैं आधी शताब्दी से निर्वासित जीवन बिता रहा हूं लेकिन इसी दौरान मुझे इस पूरी दुनिया में बहुत से नए घर मिले।

अगर मैं अपने देश में ही रह जाता तो दुनिया की रंगबिरंगी संस्कृति को जानने का अवसर किस तरह मिलता। दुनिया के अनेक देशों के वैज्ञानिकों और अर्थशााियों से मिलने का मौका ही नहीं मिलता।

निर्वासित जीवन बहुत दुर्भाग्यशाली है लेकिन मैंने हमेशा अपने मन को प्रसन्न अवस्था में रखने का प्रयास किया है, बिना किसी निश्चित आश्रयस्थली के भी सामने आने वाली संभावनाओं को स्वीकार किया है। इस तरह मैं अपने भीतर की शांति को सहेज पाता हूं।

अगर हम इसी से संतुष्ट हो जाते कि करुणा, तार्किकता और धैर्य अच्छे गुण हैं तो शायद इन गुणों को कभी भी अपने भीतर पैदा नहीं कर पाते। कठिन अवसरों से हम इन गुणों को अभ्यास में ला सके। इस तरह की स्थितियां किन्होंने पैदा की? स्वाभाविक रूप से वे हमारे मित्र नहीं थे वे हमारे शत्रु थे जिन्होंने हमारे मार्ग को कठिन बनाया। इसलिए इस रास्ते पर आगे बढ़ते हुए हमें अपने शत्रुओं का आभारी होना चाहिए जो हमारे शिक्षक साबित हुए।

हमें अपने उन शत्रुओं का आभारी होना चाहिए कि उनकी वजह से ही हम अपने मन में शांति महसूस करने में सक्षम हुए। क्रोध और घृणा ही हमारे असल शत्रु हैं जिन्हें हमें जीतना होता है वे नहीं जो हमारे जीवन में विभिन्ना मौकों पर हमारे सामने आते हैं।

मैं तो अपने उन शत्रुओं का भी आभारी हूं जिन्होंने मुझे जीवन को इस संपूर्णता में स्वीकार करना सिखाया। कैसे कहें कि यह अच्छा है और वह बुरा, बल्कि जो इस क्षण है वही सबसे सुंदर है, वही श्रेष्ठ है। स्थितियां जो हैं जैसी हैं उन्हें हम किस तरह लेते हैं शायद यही हमें परिमार्जित करता है।

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