Wednesday 16 April 2014

May is the best for marriage

होलाष्टक पर 8 मार्च से विवाह के शुभ मुहूर्तों पर रोक लगी थी। करीब डेढ़ महीने बाद अब 16 अप्रैल से फिर विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो रहे हैं।

परेशानी की बात यह है कि अप्रैल में जिस दिन विवाह का अंतिम मुहूर्त है, उससे दो दिन बाद राजधानी में लोकसभा का मतदान होगा। विवाह वाले दिन से वाहनों का अधिग्रहण शुरू हो जाएगा। इसके चलते बारात लाने-ले जाने की समस्या से लोगों को जूझना पड़ेगा।

अप्रैल में जहां पांच शुभ मुहूर्त में फेरे होंगे वहीं मई में सबसे ज्यादा 12 मुहूर्त हैं। मई में ही महामुहूर्त अक्षय तृतीया भी पड़ रही है, महामुहूर्त में सैकड़ों शादियां होंगी। जून में जहां 10 मुहूर्त हैं, वहीं जुलाई में मात्र तीन मुहूर्त हैं और 8 जुलाई से देवशयनी एकादशी के बाद फिर पांच महीने तक मुहूर्त नहीं है। दिसंबर में भी सिर्फ तीन मुहूर्त हैं।

तुलसी पूजा के बाद भी मुहूर्त नहीं

पं.मनोज शुक्ला कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के ज्यादातर पंडित व ज्योतिषी लड़का-लड़की की कुंडली और देव पंचाग के अनुसार विवाह का शुभ मुहूर्त निकालते हैं। छत्तीसगढ़ की भौगोलिक परिस्थितियों व ग्रह नक्षत्रों को ध्यान में रखकर देव पंचांग बनाया गया है। वर्ष 2014 के देव पंचांग के अनुसार जुलाई तक अनेक मुहूर्त हैं और फिर देवशयनी एकादशी पर भगवान के शयनकाल का समय शुरू होने से देवउठनी एकादशी तक विवाह नहीं किए जा सकेंगे। यहां तक कि 3 नवंबर को तुलसी पूजा देवउठनी एकादशी के बाद भी विवाह मुहूर्त नहीं है। पूरे नवंबर में एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है। दिसंबर के पहले पखवाड़े में तीन मुहूर्त हैं और इसके बाद खरमास लग जाएगा और फिर अगले साल संक्रांति तक लोगों को विवाह के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

देव पंचांग के अनुसार मुहूर्त

माह कुल दिन तारीख

अप्रैल 5 दिन 16, 18, 20, 21 और 22

मई 12 दिन 1, 2, 4, 10, 11, 15, 17, 19, 24, 25, 29 व 30

जून 10 दिन 4, 6, 7, 10, 11, 12, 13, 15, 20, 21,

जुलाई 5 दिन 1, 2, 3, 4, व 5

अगस्त, सितंबर, अक्टूबर व नवंबर में मुहूर्त नहीं

दिसंबर 3 दिन 6, 8 व 12

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