Monday 24 February 2014

You can become rich with remembering

संसार के लगभग हर धर्म में माला जपने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। मालाएं कई तरह की होतीं हैं कोई माला मोतियों माणिक की बनी होती है तो कोई तुलसी के काष्ठ (लकड़ी) की।

मान्यता है कि इनमें पत्थर से बनी माला काफी शुभ है। प्रत्येक साधना में अलग-अलग मालाओं का उल्लेख रहता है। इसका कारण यही है, मालाएं तो सभी एक सी ही हैं। जिस साधना विशेष के लिए जिस माला का प्रयोग बताया जाता है उस साधना के लिए वही माला प्रयुक्त करनी चाहिए।

कहते हैं कि मालाओं का पूजा के समय उपयोग करने पर आपको धन की प्राप्ति होती है। और लक्ष्मी जी की कृपा हमेशा आप पर बनी रहती है।

श्री लक्ष्मी साधना के लिए हमेशा सिद्ध की गई माला से लक्ष्मी साधना संपन्न होती है। अगर बगैर सिद्ध की हुई माला से प्रयास किया भी जाए तो असफलता ही मिलेगी जो मुख्य बात होती है वह माला में नहीं बल्कि इस बात में होती है कि वह किन मंत्रो से और किस पद्धति से प्राण प्रतिष्ठित की गई है।

महत्व मंत्र उर्जा एवं प्राणश्चेतना का ही होता है शेष माला का पदार्थ एक आधार का काम करता है। वैसे बाजार में सभी प्रकार की मालाएं मिलती हैं बिना मंत्र सिद्ध की हुई माला चेतना के नाम पर वे निष्प्राण होती हैं और इसी कारण साधना के लिए यह विफल हो जाती हैं।
 

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