वैवाहिक सुख के बाद संतान सुख की चाह सभी को होती है। अगर आपके घर किसी भी कारण से बच्चें की किलकारियां नहीं गूंज पा रही हों तो आप संतान प्राप्ति की मनोकामना बप्पा के दर पर आकर पूरी कर सकते हैं। इसके लिए बस! निभानी होगी एक छोटी सी रस्म।
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के सुवासरा में बसे हैं 'मगरा गणेश'। यहां नास्तिक भी आस्था की गंगा में नहाए बिना नहीं रह पाता। यहां हर बुधवार को लगता है गोद भराई का मेला।
इस दिन विवाहित महिलाओं की गोद पारंपरिक तरीके से बप्पा के सामने भरी जाती है बप्पा के दरबार में इन महिलाओं को देते हैं संतान प्राप्ति का वरदान। कहते हैं बप्पा के दरबार में सूनी गोद भराई जाने के बाद जल्द ही संतानोत्पत्ति की प्राप्ति हो जाती है।
वैसे तो संकट हरता, बुद्दि विधाता गणपति के कई रूप हैं। जिसमें से एक है यहां हजारों वर्षों से विराजमान है। माना जाता है बुद्धिदाता की मूर्ति 5 हजार साल पुरानी है। जिसे पांडवों ने अपने हाथों से बनाया था।
अज्ञातवास के दौरान जब पांडव यहां से गुजरे तो उन्होंने गणेश जी की आराधना यहां करनी चाही। तब उन्होंने इस मगरे (पहाड़ की चट्टान) से बप्पा की मूर्ति को बनाया। पांडव रोज बप्पा की पूजा करते थे जिसके चलते उनके कष्ट कटते देर नहीं लगी। पहाड़ की चट्टान से बने होने के चलते गणपति को 'मगरा गणेश' कहा जाता है।
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के सुवासरा में बसे हैं 'मगरा गणेश'। यहां नास्तिक भी आस्था की गंगा में नहाए बिना नहीं रह पाता। यहां हर बुधवार को लगता है गोद भराई का मेला।
इस दिन विवाहित महिलाओं की गोद पारंपरिक तरीके से बप्पा के सामने भरी जाती है बप्पा के दरबार में इन महिलाओं को देते हैं संतान प्राप्ति का वरदान। कहते हैं बप्पा के दरबार में सूनी गोद भराई जाने के बाद जल्द ही संतानोत्पत्ति की प्राप्ति हो जाती है।
वैसे तो संकट हरता, बुद्दि विधाता गणपति के कई रूप हैं। जिसमें से एक है यहां हजारों वर्षों से विराजमान है। माना जाता है बुद्धिदाता की मूर्ति 5 हजार साल पुरानी है। जिसे पांडवों ने अपने हाथों से बनाया था।
अज्ञातवास के दौरान जब पांडव यहां से गुजरे तो उन्होंने गणेश जी की आराधना यहां करनी चाही। तब उन्होंने इस मगरे (पहाड़ की चट्टान) से बप्पा की मूर्ति को बनाया। पांडव रोज बप्पा की पूजा करते थे जिसके चलते उनके कष्ट कटते देर नहीं लगी। पहाड़ की चट्टान से बने होने के चलते गणपति को 'मगरा गणेश' कहा जाता है।
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