Friday, 28 March 2014

Note is awakened human consciousness

प्रशासन और प्रशासक का सच्चा और समर्थ होना आवश्यक है। वही सच्चा और समर्थ प्रशासक होता है, जो अपने नागरिकों की हर इच्छा पूरी कर सके और यह तब ही संभव है जब उसका प्रशासन उस सत्ता से हो रहा हो, जो समस्त संभावनाओं का क्षेत्र है।

मनुष्य ब्रह्म की प्रति-छबि है और उसके अंदर अपरिहार्य रूप से निहित ब्रह्मत्व को वैदिक शिक्षा द्वारा न केवल वैयक्तिक रूप से, बल्कि सामूहिक स्तर पर जागृत किया जा सकता है। भारत की सनातन सत्ता के अनुभव के आधार पर चला आ रहा है कि सफल प्रशासन के लिए वैदिक तकनीकों का अभ्यास आवश्यक है।

यह अभ्यास आनन्दमय है। अभ्यास में आनंद की जो वर्षा होती है, उससे व्यक्त जीवन का हर पक्ष खिल उठता है। जीवन का हर क्षेत्र आनंदमयी गुणों में परिणत हो जाता है। यह विज्ञान सिद्ध है। विज्ञान का अर्थ है किसी विषय का पूर्ण तार्किक विवेचन और टेक्नोलॉजी का अर्थ है, इन विवेचनों से प्रतिपादित सिद्धांतों का कार्यरूप में अमल लाना है।

वेद विज्ञान की विशेषता यह है कि उसमें विज्ञान और टेक्नोलॉजी दोनों की सत्ता एक ही है। वेद जिस भावातीत आत्मा का स्पंदन है, वह व्यक्त, अव्यक्त और व्यक्त एवं अव्यक्त की संधि रूप हमारी चेतना में अपरिहार्य रूप से विद्यमान होने के कारण मानवीय सीमा से कुछ भी बाहर नहीं रहने देती।

भावातीत ध्यान और यौगिक फ्लाइंग से मानवीय चेतना को उसकी मौलिकता और पूर्णता में जगाकर, जागी हुई भावातीत चेतना का प्रयोगकर जीवन के समस्त क्षेत्रों में पूर्णता प्रदान की जा सकती है। मनुष्य योनि में केवल भौतिक जीवन जीना अमूल्य जीवन की बर्बादी है।

जीवन की भौतिक उपलब्धियां शारीरिक श्रम और संघर्ष के बिना भी प्राप्त की जा सकती हैं। यह सही है कि जीवन को कर्म की दरकार होती है लेकिन कर्म जब अपने सूक्ष्मतर स्तर पर होता है, उस स्तर पर होता है जो मन की सूक्ष्माति सूक्ष्म उपाधियों बुद्धि,वैयक्तिक अहं और समष्टि के अहं का भी स्रोत है, तो जो चाहा जाता है वह शारीरिक स्तर पर बिना कुछ किए हासिल हो जाता है। वेद की भाषा में इसे ही संकल्पसिद्धि कहा जाता है।

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