बाएं सूंड के गणपति के विषय के बारे में धार्मिक ग्रंथों में बहुत कम विवरण मिलता है। शिवपुराण में वर्णित है कि भगवान गणेश मां पार्वती द्वारा उत्पन्न दिव्य अवतार हैं।
महाराष्ट्र के अष्टविनायकों में से लेण्याद्री के गिरिजात्मक स्वरूप को गणेश अवतार एवं अन्य सात को महागणपति कहा जाता है। जब विशेष सिद्धि या मोक्ष प्राप्ति के लिए गणेशजी की आराधना की जाती है तब बाएं सूंड के गणपति की पूजा का विधान है।
समाज में यह भ्रांति फैली हुई है कि बाएं गणपति की पूजा अगर संपूर्ण विधि से नहीं की जाती है ताे गणेश जी नाराज हो जाते हैं। वैसे किसी भी पौराणिक ग्रंथ और शास्त्रों में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है जहां बाएं सूंड के गणपति की पूजा को निषिद्ध माना गया हो।
यदि घर में बाएं सूंड के गणेश जी हों और वहां उपद्रव होते हों तो उसके अन्य कारण हो सकते हैं। इसका संबंध गणेश प्रतिमा से जाेड़ना ठीक नहीं है। अगर गणपति की सूंड की नाेंक उनके बायीं तरफ हो तो वह सिद्धि विनायक और दायीं ओर हो तो ऋद्धि विनायक कहलाते हैं।
महाराष्ट्र के अष्टविनायकों में से लेण्याद्री के गिरिजात्मक स्वरूप को गणेश अवतार एवं अन्य सात को महागणपति कहा जाता है। जब विशेष सिद्धि या मोक्ष प्राप्ति के लिए गणेशजी की आराधना की जाती है तब बाएं सूंड के गणपति की पूजा का विधान है।
समाज में यह भ्रांति फैली हुई है कि बाएं गणपति की पूजा अगर संपूर्ण विधि से नहीं की जाती है ताे गणेश जी नाराज हो जाते हैं। वैसे किसी भी पौराणिक ग्रंथ और शास्त्रों में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है जहां बाएं सूंड के गणपति की पूजा को निषिद्ध माना गया हो।
यदि घर में बाएं सूंड के गणेश जी हों और वहां उपद्रव होते हों तो उसके अन्य कारण हो सकते हैं। इसका संबंध गणेश प्रतिमा से जाेड़ना ठीक नहीं है। अगर गणपति की सूंड की नाेंक उनके बायीं तरफ हो तो वह सिद्धि विनायक और दायीं ओर हो तो ऋद्धि विनायक कहलाते हैं।
Source: Spiritual Hindi News & 2014 Ka Rashifal
No comments:
Post a Comment