सरकार जलविद्युत परियोजनाओं के चलते अवरुद्ध हुई भागीरथी नदी को मुक्त कराने की योजना बना रही है। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने बुधवार को कहा कि टिहरी बांध से छेड़छाड़ किए बगैर ही भागीरथी के प्रवाह को अविरल बनाने के लिए देश के जाने-माने वैज्ञानिकों से परामर्श किया जा रहा है।
पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से यहां आयोजित नदी संरक्षण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उमा ने कहा, 'धरासू से आगे भागीरथी रुक गई है जिसके चलते गंगाजल को शुद्धता देने वाला ब्रह्मद्रव गंगा तक नहीं पहुंच पाता। इसलिए इस बात की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं कि टिहरी बांध से छेड़छाड़ किए बगैर भागीरथी को एक अलग धारा बनाकर देवप्रयाग तक लाया जाए ताकि इसे गंगासागर तक पहुंचाया जा सके। सरकार जाने-माने वैज्ञानिकों से परामर्श कर रही है कि क्या टिहरी बांध को अलग छोड़कर कोई धारा बनाना संभव है। फिलहाल गंगा की धारा में सिर्फ अलकनंदा और मंदाकिनी का जल ही आ रहा है।'
उमा ने कहा, सरकार गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के साथ ही अन्य नदियों को भी निर्मल बनाने की ठोस योजना तैयार कर रही है। सचिवों का समूह भी इस पर काम कर रहा है। यमुना की सफाई के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का इस पर पूरा ध्यान है। यमुना के किनारे वृक्षारोपण के जरिये हमने इस संबंध में अपनी प्रतिबद्धता जता दी है। उमा ने कहा कि गंगा की सफाई के लिए धन की कमी नहीं है। निजी क्षेत्र ने भी मदद की पेशकश की है। इसके अलावा अन्य देशों ने भी सहयोग का हाथ बढ़ाया है।
उमा ने स्पष्ट किया कि वह नदियों पर जलविद्युत परियोजनाओं की विरोधी नहीं हैं लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि नदी किसी समय सूखे नहीं। उन्होंने बताया कि गंगा के संरक्षण पर विचार करने के लिए उनके मंत्रलय ने पांच जुलाई को एक बैठक बुलाई है जिसमें वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ, पर्यावरणविद और गैर सरकारी संगठन भाग लेंगे।
पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से यहां आयोजित नदी संरक्षण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उमा ने कहा, 'धरासू से आगे भागीरथी रुक गई है जिसके चलते गंगाजल को शुद्धता देने वाला ब्रह्मद्रव गंगा तक नहीं पहुंच पाता। इसलिए इस बात की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं कि टिहरी बांध से छेड़छाड़ किए बगैर भागीरथी को एक अलग धारा बनाकर देवप्रयाग तक लाया जाए ताकि इसे गंगासागर तक पहुंचाया जा सके। सरकार जाने-माने वैज्ञानिकों से परामर्श कर रही है कि क्या टिहरी बांध को अलग छोड़कर कोई धारा बनाना संभव है। फिलहाल गंगा की धारा में सिर्फ अलकनंदा और मंदाकिनी का जल ही आ रहा है।'
उमा ने कहा, सरकार गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के साथ ही अन्य नदियों को भी निर्मल बनाने की ठोस योजना तैयार कर रही है। सचिवों का समूह भी इस पर काम कर रहा है। यमुना की सफाई के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का इस पर पूरा ध्यान है। यमुना के किनारे वृक्षारोपण के जरिये हमने इस संबंध में अपनी प्रतिबद्धता जता दी है। उमा ने कहा कि गंगा की सफाई के लिए धन की कमी नहीं है। निजी क्षेत्र ने भी मदद की पेशकश की है। इसके अलावा अन्य देशों ने भी सहयोग का हाथ बढ़ाया है।
उमा ने स्पष्ट किया कि वह नदियों पर जलविद्युत परियोजनाओं की विरोधी नहीं हैं लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि नदी किसी समय सूखे नहीं। उन्होंने बताया कि गंगा के संरक्षण पर विचार करने के लिए उनके मंत्रलय ने पांच जुलाई को एक बैठक बुलाई है जिसमें वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ, पर्यावरणविद और गैर सरकारी संगठन भाग लेंगे।
Source: Spiritual News in Hindi
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