Friday, 7 March 2014

After three years will be free holy bhadra

तीन साल के बाद होली दहन के लिए अशुभ माने जाने वाली भद्रा का साया पर्व पर नहीं पड़ेगा। इस बार दहन निर्विवाद रूप में 16 मार्च को रविवार के दिन सर्वार्थसिद्धि योग में प्रदोषकाल के दौरान होगा। इस बार त्योहार पर गृह-नक्षत्रों के सकारात्मक खेल को ज्योतिष के जानकार मंगलकारी बता रहे हैं।

तीन साल से अशुभ माने जाने वाली भद्रा का साया होलिका दहन के लिए तय समय पर पड़ता आ रहा है। इसके चलते भद्रा के मुख का त्याग कर होली दहन का वैकल्पिक मार्ग अपनाया जा रहा था। इस बार दहन के दिन भद्रा सुबह 10.01 मिनट पर खत्म हो जाएगी।

ज्योतिर्विद् श्याम बापू के अनुसार, शास्त्रों में उल्लेख है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में दहन किया जाता है। प्रतिपदा, चतुर्दशी और भद्राकाल में होली दहन के लिए सख्त मनाई है। फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा रहित प्रदोषकाल में होली दहन को श्रेष्ठ माना गया है।

पं. धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार इस वर्ष प्रदोषकाल में शाम 6.30 से 8.30 बजे तक होलिका दहन के लिए श्रेष्ठ समय है। इस दौरान शुभ व अमृत की चौघड़िया भी प्राप्त हो रही है।

प. जयदेव भट्ट के अनुसार, इस दिन पूर्णिमा सूर्योदय से रात 10.38 तक रहेगी। उत्तरा फाल्गुन नक्षत्र 16 को 12.23 से 17 को दोपहर 2 बजे तक रहेगा। सर्वार्थसिद्धि योग दोपहर 12.24 से दिवस पर्यंत रहेगा। 17 को धुरेड़ी मनाई जाएगी।

सूर्य की बेटी और शनि की बहन

ज्योतिर्विद् देवेंद्र कुशवाह ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। यह कड़क स्वभाव की मानी गई है। मान्यता है कि ब्रह्म देवता ने भद्रा को नियंत्रित करने के लिए कालगणना और पंचांग में विशिष्ट स्थान दिया है। भद्रा के दौरान विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन और होलिका दहन को निषेध माना गया है। इसकी अवधि 7 से 13 घंटे 20 मिनट तक होती है।

लगेगा मांगलिक कार्यों पर विराम

ओम वशिष्ठ के अनुसार होलाष्टक के साथ मांगलिक कार्यों पर विराम लगेगा। जहां कुछ पंचांग में होलाष्टक की तारीख 8 मार्च तो कुछ में 9 मार्च बताई गई है। इसके साथ ही 41 दिन के लिए विवाह पर विराम लग जाएगा। 16 मार्च तक होलाष्टक होने से मांगलिक आयोजन नहीं होंगे।

इसके बाद 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा जो 14 अप्रैल तक रहेगा। इसके चलते शुभ कार्य नहीं होंगे। शुभ कार्य की शुरुआत 18 अप्रैल से वैवाहिक आयोजनों की शुरुआत होगी। होलाष्टक के साथ ही रंगों के त्योहार का उल्लास अपना रंग जमाने लगेगा।

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