Monday, 10 March 2014

Shrimad bhagwat is not lecture but remedy

श्रीमद् भागवत उपदेश नहीं, बल्कि जीवात्मा का उपचार है। यह मानव को जीवन जीने की कला सिखाती है। जीव की गति उसके कर्मों पर निर्भर करती है। पत्रकार, कलाकार और कथाकार, सत्यम्‌, शिवम्‌ और सुंदरम्‌ के उपासक होते हैं। हिंदुस्तान की माताएं भक्त, दाता और वीर को जन्म देती हैं। हमारे इतिहास में इस बात के कई उदाहरण हैं।

ये बातें कथावाचक राजेश शास्त्री ने कहीं। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि कपिल भगवान ने अपनी माता को पंच ज्ञान कराया था। सत्कर्मों का सुखद परिणाम है कि हमें मानव देह मिली है।

श्रीमद् भागवत ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का पथ है। इस पर चलने से जीव का कल्याण अवश्य होगा। इसमें भक्ति के जरिए निवृत्ति मार्ग पर प्रकाश डाला गया है। व्यक्ति की सच्ची संपत्ति धन दौलत नहीं, बल्कि संस्कार संपन्न संतति है। संतान में संस्कारों का रोपण माता-पिता के द्वारा किया जाता है। इसमें शास्त्र विशेष सहायक होते हैं।

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