Tuesday 21 January 2014

Munishri declares: Things can turn the intellect

 
मुनि और मिठास का जन्म-जन्मांतर का संबंध है। लोग उनकी कीमती वाणी को सुनने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं। लोगों की आस्था ही है, जो क्रांतिकारी संत मुनिश्री तरुणसागर महाराज के कड़वे प्रवचनों के बाद भी उन्हें अन्य संतों से अलग बनाती है।


प्रस्तुत हैं, मुनिश्री के कड़वे प्रवचनों के कुछ अंश।

जीवन युद्ध है, आप योद्धा

जीवन एक युद्धक्षेत्र है। तुम सब योद्धा हो। यहां हर किसी को जीवन से लड़ना होता है। जीवन में मुसीबतें भी आती हैं। उनसे लड़ना सीखो। मुसीबतों के सामने झुकने और घुटने टेकने से काम नहीं चलेगा।

जीवन में आई चुनौतियां भी एक चुनाव हैं। चुनाव का सामना तो करना ही होगा। हालांकि यह पैराशूट लेकर विमान से कूदने जैसा साहस भरा काम है। तुम्हें इस निराशा के चक्र से बाहर निकलना होगा कि मैं कुछ नहीं कर सकता। अपने साहस को मजबूत बनाइए और आज ही चल पड़िए। सफलता तुम्हारे साथ हर पल है, किंतु पहला कदम तो तुम्हें ही उठाना होगा।

मन की माला फेरो

साधक के लिए माला का और संसारी के लिए माल का बड़ा महत्व होता है। माला की प्रतिष्ठा में ही मंत्र की प्रतिष्ठा है। जप करते समय माला और मन का गिरना अच्छा नही है। माला मालिक की प्रार्थना है। नोट गिनने के लिए भी दो उंगली चाहिए फिर माला क्यों नहीं गिनते भाई!


वरमाला के लिए आप सभी कैसे उत्सुक रहते हैं? और कर-माला के लिए? माला फेरते समय न स्वयं हिलना चाहिए, ना ही माला को हिलाना चाहिए? यह नहीं कि वह नीचे जमीन पर पड़ी रहे। माला से माल मिलता है, फिर व्यक्ति मालामाल होता है।

क्रोध का सकारात्मक उपयोग करें

क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। क्रोध एक बार दिमाग पर हावी हो गया तो दीवाला निकालकर ही दम लेता है।क्रोध जहां है, वहां दीवाली कैसे? वहां तो दीवाला ही होगा। हर क्रोधी को एक दिन क्रोध का खामियाजा उठाना पड़ता है। इसलिए क्रोध करें भी तो रोज नहीं, सप्ताह में एक दिन। कभी-कभी क्रोध करोगे तो सामने वाले पर उसका असर भी पड़ेगा।

रोज दिन में दस बार क्रोध करोगे तो सामने वाला कहेगा इनकी तो चिल्लाने की आदत पड़ गई है। हां, हो सके तो कभी-कभी खुद पर क्रोध और शत्रुओं को क्षमा करें। अपने विरोधियों के साथ समय बिताएं और मित्रों को पहचानने की कोशिश करें।

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