अरुणाचल प्रदेश के सुबंसरी जिले के जीरो में स्थित दुनिया में सबसे बड़े माने गए इस 25 फीट ऊंचे और 22 फीट चौड़े शिवलिंग की खोज जुलाई, 2004 में लकड़ी काटने वाले प्रेम सुब्बा ने की थी। सबसे ऊंचे शिवलिंग के अलावा ठीक उसी जगह पर उससे छोटे देवी पार्वती और कार्तिकेय मंदिर हैं।
इनके बायीं और भगवान गणेश और सामने की चट्टान पर नंदी की आकृति भी है। खास बात है कि शिवलिंग के निचले हिस्से में जल का अनवरत प्रवाह बना रहता है। शिवलिंग के ऊपरी हिस्से में स्फटिक की माला भी साफ दिखाई देती है।
ये सभी पूरी तरह से प्राकृतिक रूप में मौजूद हैं और इनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसके चारों ओर हमेशा हरा-भरा रहने वाला जंगल है। विडंबना देखिए कि बाबा अमरनाथ और केदारनाथ पर सियासत करने वाले दल भी इन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।
चीन की सीमा के पास अरुणाचल को पूरे देश से सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से जोड़ने की क्षमता इस शिव परिवार में है। स्थानीय मंदिर प्रशासन ने इस स्थान का नाम 'सिद्धेस्वरनाथ मंदिर' रखा है। अब इस जगह पर हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
2004 में हुई थी खोज
शिवपुराण में दिए गए ब्योरे के अलावा इस शिव परिवार के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख और कहीं नहीं मिलता। शिवलिंग और शिव परिवार की उत्पत्ति ठीक उसी तरह हुई है, जैसा कि शिव पुराण में इसका उल्लेख है। शिव पुराण के नव खंड के 17वें अध्याय में इसका जिक्र है।
इसके मुताबिक सबसे ऊंचा शिवलिंग लिंगालय नाम की जगह पर पाया जाएगा। कालांतर में वह जगह अरुणाचल के नाम से जानी जाएगी। अरुणाचल प्रदेश को वर्ष 1954 से उत्तर-पूर्व फ्रंटियर एजेंसी (एनईएफए) के नाम से जाना जाता था। 20 फरवरी, 1987 को नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश रखा दया।
इसी राज्य में अब तक का सबसे बड़ा शिवलिंग पाया जाना भी अपने आप में अनोखा दैवीय संयोग है। राज्य में 1970 के करीब शुरू हुई पुरातात्विक खुदाई में हिंदू धार्मिक स्थलों के मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, यह उसमें सबसे ताजा है।
इनके बायीं और भगवान गणेश और सामने की चट्टान पर नंदी की आकृति भी है। खास बात है कि शिवलिंग के निचले हिस्से में जल का अनवरत प्रवाह बना रहता है। शिवलिंग के ऊपरी हिस्से में स्फटिक की माला भी साफ दिखाई देती है।
ये सभी पूरी तरह से प्राकृतिक रूप में मौजूद हैं और इनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसके चारों ओर हमेशा हरा-भरा रहने वाला जंगल है। विडंबना देखिए कि बाबा अमरनाथ और केदारनाथ पर सियासत करने वाले दल भी इन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।
चीन की सीमा के पास अरुणाचल को पूरे देश से सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से जोड़ने की क्षमता इस शिव परिवार में है। स्थानीय मंदिर प्रशासन ने इस स्थान का नाम 'सिद्धेस्वरनाथ मंदिर' रखा है। अब इस जगह पर हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
2004 में हुई थी खोज
शिवपुराण में दिए गए ब्योरे के अलावा इस शिव परिवार के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख और कहीं नहीं मिलता। शिवलिंग और शिव परिवार की उत्पत्ति ठीक उसी तरह हुई है, जैसा कि शिव पुराण में इसका उल्लेख है। शिव पुराण के नव खंड के 17वें अध्याय में इसका जिक्र है।
इसके मुताबिक सबसे ऊंचा शिवलिंग लिंगालय नाम की जगह पर पाया जाएगा। कालांतर में वह जगह अरुणाचल के नाम से जानी जाएगी। अरुणाचल प्रदेश को वर्ष 1954 से उत्तर-पूर्व फ्रंटियर एजेंसी (एनईएफए) के नाम से जाना जाता था। 20 फरवरी, 1987 को नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश रखा दया।
इसी राज्य में अब तक का सबसे बड़ा शिवलिंग पाया जाना भी अपने आप में अनोखा दैवीय संयोग है। राज्य में 1970 के करीब शुरू हुई पुरातात्विक खुदाई में हिंदू धार्मिक स्थलों के मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, यह उसमें सबसे ताजा है।
Source: Spiritual News in Hindi & Horoscope 2014
No comments:
Post a Comment