Tuesday 21 January 2014

Satsang confidence key to success

जीवन में हर मनुष्य को निश्चित स्थान पर पहुंचने के लिए अपना लक्ष्य तय करना चाहिए। उसे पाने के लिए गंभीर और सकारात्मक चिंतन जरूरी है, जो बिना आत्मविश्वास के संभव नहीं है। व्यक्ति जब तक खुद पर विश्वास नहीं रखता है, वह आगे नहीं बढ़ सकता।

यह बात आध्यात्मिक गुरु स्वामी अवधेशानंद ने शुक्रवार को इंदौर आईएमए कॉनक्लेव में कही। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति छोटे से छोटा काम भी आत्मविश्वास से करता है, उसकी सफलता तय है। आत्मविश्वास ही सफलता की चाबी है।

अहम फैसले लेते समय हमारी सोच सकारात्मक हो, तभी रास्ता निकलेगा, जो जीवन में लक्ष्य और उपलब्धियां हासिल करने में मददगार होगा। मनुष्य चिंतन के दौरान या तो भविष्य के बारे में सोचने लगता है या अतीत में चला जाता है।

अतीत के जख्मों को न कुरेदें

अतीत की कुछ अच्छी बातों से सीख लेकर भविष्य संवारा जाए, तब तो ठीक है, मगर लोग अतीत के पन्नों को पलटने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं और जख्मों को कुरेद कर ताजा करते हैं। ऐसे लोग भविष्य के साथ वर्तमान में भी तकलीफ उठाते हैं, जिससे उनका जीवन मुश्किलों भरा हो जाता है। बस चिंतन की इस प्रक्रिया से बचना चाहिए।

स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि जीवन में मनुष्य कभी थोड़े से खुश नहीं होता। मन में हमेशा थोड़े से कुछ ज्यादा पाने की उम्मीद रहती है। यह भाव असफलता की ओर लेकर जाता है। थोड़े का भय हमें खुद का विकास करने से रोकता है। जीवन में मनुष्य को जितना भी मिलता है, उसकी तुलना दूसरों से पहले करता है। यही थोड़े का भय दुखी होने की सिवा कुछ और नहीं देगा। इस भय से बचने के लिए सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प के बिना नहीं दूर हो सकता है।

कोई वस्तु पूरी नहीं होती

उन्होंने कहा कि संसार की हर वस्तु अधूरी है। उसे पूरा करने के लिए मनुष्य को लगातार प्रयास करते रहना चाहिए, तभी लक्ष्य पाना आसान होगा। सकारात्मक सोच और प्रयास से हर वस्तु को संपूर्ण किया जा सकता है। बस इसके लिए थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है।

आर्ट ऑफ लिविंग की तरह ही आर्ट ऑफ थिंकिंग भी जीवन की एक निरंतर प्रक्रिया है। सही दिशा में सोच ऊर्जा देती है, जो हालात को नियंत्रण में रखने की कला सिखाती है। यह आने के बाद मनुष्य को छोटे-छोटे मौके पर भी खुशी मिलेगी और सुखी जीवन बिता सकेंगे।
 

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