Monday, 2 June 2014

If you are not a prisoner of its ease anywhere

व्यक्ति अपने लिए आरामदायक सहजता तलाशता है लेकिन इस सहजता की आदत मुश्किल में डाल सकती है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहने पर आप बदलावों के साथ कदमताल में पिछड़ जाते हैं।

कहते हैं, 'एक जहाज किनारे पर सबसे सुरक्षित होता है लेकिन जहाज सिर्फ किनारे पर खड़ा रहने के लिए नहीं बनाया जाता है। अक्सर लोग अपनी जिंदगी में बदलाव के सवाल से जूझते हैं। वे खुद को अपनी मौजूदा स्थितियों में संतुष्ट नहीं पा रहे होते हैं लेकिन बदलाव के लिए उनके भीतर पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती है या कहें वे खुद को एक कम्फर्ट जोन में पाते हैं और उससे बाहर नहीं निकल पाते हैं।

ये लोग अपनी जिंदगी में बदलाव करने से हिचकते हैं। उन्हें असुरक्षा का डर सताता है। वे जिस तरह सहज स्थितियों के आदी हो जाते हैं उनसे बाहर निकलना भी उनके लिए कठिनाई पैदा करता है। अधिकांश लोगों के साथ यह भी होता है कि अपने लिए नई संभावनाएं तलाशते हुए वे खुद से बहुत सवाल पूछने लगते हैं और जब अपने ही सवालों के उत्तर नहीं दे पाते हैं तो अपने कम्फर्ट जोन से भी बाहर नहीं निकल पाते हैं।

ऐसे में तात्कालिक रूप से तो लगता है कि राहत है लेकिन लंबे समय में कम्फर्ट जोन से बाहर नहीं निकलना आपके लिए नया सीखने के सारे दरवाजे बंद कर देता है। लंबे समय तक अगर आप सहज स्थिति से बाहर निकलने की कोई कोशिश नहीं करते हैं तो चुनौतियों के लिए की जाने वाली तैयारियों में भी पिछड़ जाते हैं। जब आप लंबे समय इस सहजता की आदत लगा बैठते हैं तो जीवन में नई संभावनाओं की तरफ कदम नहीं बढ़ा पाते हैं।

कार्ल सेंडबर्ग ने एक बार कहा था, 'मेरे भीतर एक बाज है जो ऊंची उड़ान चाहता है लेकिन मेरे भीतर ही एक हिप्पोपोटेमस भी है जो कीचड़ में पड़ा रहना चाहता है।" मनुष्य के भीतर दोनों ही तरह के भाव होते हैं जिनकी कश्मकश चलती रहती है। जो लोग संभावनाओं की ओर खुद को प्रेरित कर पाते हैं वे जीवन में आगे बढ़ जाते हैं। कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने का डर मनुष्य के सबसे आम डरों में से है।

कम्फर्ट जोन क्यों?

    आप अपनी सहजता के दायरे में इसलिए भी बने रहते हैं क्योंकि आपको लगता है कि इससे बाहर निकलने पर आप असफल हो सकते हैं।

    अपनी सहज दुनिया से बाहर के लोगों और जगहों से संवाद की अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं रहता। लगता है कि आपमें वो बात नहीं है।

    बाहर की बदलती दुनिया को अपने स्वभाव के विपरीत पाते हैं और उसी जगह बने रहना चाहते हैं जहां मौजूदा समय में हैं।

    नई चुनौतियों या प्रयोगधर्मिता के प्रति शुरू से आपका रुझान नहीं रहा और तय फॉर्मेट में ज्यादा खुशी महसूस करते हैं।

    असुरक्षा का भय सताता है और नकारात्मकता की तरफ अधिक ध्यान देने की आदत के कारण भी अपनी तय दुनिया में ही बना रहना ठीक समझते हैं।

अपने कम्फर्ट जोन से आगे बढ़ते हुए खुद से कहें आप सबकुछ नहीं पा सकते जीवन में जब भी आप संभावनाओं को देखते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपके भीतर एक द्वंद्व पैदा होता है और आपको वर्षों से जमी जमाई चीजों से बाहर निकलने में कुछ छूटने का एहसास होने लगता है।

लेकिन जब तक आप कुछ छोड़ेंगे नहीं, नई चीजों के लिए जगह कैसे बनेगी। नई संभावनाओं को पाने के लिए पुरानी आशंकाओं से मुक्त होना जरूरी है। जब तक पिछले समय के बारे में सोचते रहेंगे आपके कदम आगे की ओर नहीं बढ़ेंगे।

कुछ मिनटों में फैसला करें

जब आप अपने मन का काम करने का निर्णय लेते हैं तो उसका फैसला करने में आपको कुछ ही सेकंड लगते हैं। जब आप अपने निर्णय पर पहुंच जाते हैं तो फिर दूसरों को भी उससे अवगत करा देते हैं कि अब आप क्या करना चाहते हैं। अगर आपने अपने मन में पक्का इरादा कर लिया है तो फिर फैसला लेने में देर नहीं लगती है और फिर आप चीजों के बारे में बहुत नहीं सोचते हैं।

अनिश्चितताओं को अपनाएं

भले ही आप इसके लिए तैयार हों या न हों लेकिन अनिश्चितताएं जीवन का हिस्सा हैं। या तो हम आने वाली चीजों के प्रति नकारात्मक भाव से सोच सकते हैं या फिर उनकी तरफ बहुत सकारात्मक तरीके से बढ़ सकते हैं। यह सहज वृत्ति होती है कि व्यक्ति नकारात्मकता से ज्यादा चिंतित होता है और अधिक सतर्क भी और इसलिए वह उसके निर्णयों को ज्यादा प्रभावित भी करती है। लेकिन अगर आप यह मान लें कि जीवन में अनिश्चितता सभी दूर है तो आपको आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

दूसरों का नहीं, अपना सोचें

अक्सर हम कम्फर्ट जोन से निकलने से पहले यही सोचते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचेंगे और इसलिए कोई भी साहसिक कदम नहीं उठा पाते हैं। असल में दूसरों के बारे में सोचते हुए हम खुद को कमजोर कर लेते हैं। ऐसे मौकों पर यह जरूरी है कि सिर्फ अपने बारे में सोचा जाए।

यह न सोचें कि दूसरे आपको लेकर क्या बातें करेंगे। ऐसे समय अपनी संभावना को सोचें। जब भी हम किसी फैसले की घड़ी में होते हैं तो अक्सर थोड़े नर्वस और चिंतित होते हैं और ऐसे भावुक और कमजोर क्षणों में अक्सर सहजता जीत जाती है। थोड़ी भी अतिरिक्त चिंता हमें कमजोर कर देती है और हम आगे नहीं जा पाते हैं।

पैसा सबकुछ नहीं को विचारें

अक्सर कुछ लोग अपनी दुनिया से यह कहते हुए भी बाहर नहीं निकलते हैं कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता। यह सच है कि पैसा सबकुछ नहीं होता लेकिन नई चीजों को सीखना आपके जीवन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक ही दुनिया में रहते हुए आप बदलाव के साथ कदमताल नहीं कर पाते हैं। जब आपकी सहज दुनिया के भीतर ही कुछ समय बाद चीजें बदलती हैं तो आप खुद को पिछड़ा महसूस करते हैं। इसलिए पैसे के लिहाज से नहीं बल्कि सीखने की संभावनाओं को देखें।

रोज आएं कम्फर्ट से बाहर

    नई तरह का संगीत सुनें- अगर आप संगीत के शौकीन हैं तो एक ही तरह के गीत सुनने के बजाय नई तरह का संगीत सुनें जो आपको अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने में मदद करेगा।

    खाने में कुछ नया प्रयोग करें- हर सप्ताह या हर महीने में किसी नई रेसिपी को लेकर प्रयोग कर सकते हैं। यह बहुत ही रोमांचक अनुभव बन सकता है।

कुछ नया पढ़ें- आपके मित्र आपके पढ़ने को लेकर एक धारणा बनाकर चलते हैं और ऐसे में आपको कुछ नए विषयों को आजमाना चाहिए। यह आपको नए विचार भी देगा।

नए रास्ते तलाशें- अक्सर दफ्तर से घर लौटते हुए अगर आप एक ही रूट से आते हैं तो कभी-कभार रास्ता बदलकर देखना चाहिए। कभी व्हीकल बदलना भी मजेदार अनुभव दिला सकता है।
 

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