Monday 31 March 2014

Chaitra navratri will accompany the launch of the hindu new year

भारतीय सनातन धर्म में नववर्ष का शुभारंभ सोमवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा) से हो रहा है। इसी दिन देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र का शुभारंभ होगा। नौ दिनों में रोजाना देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना होगी। पहले दिन शैलपुत्री की आराधना होगी। घरों-मंदिरों में शक्ति उपासना के लिए विशेष मुहूर्तोंमें घट स्थापित किए जाएंगे। महापर्व की शुरुआत देवी के शैल पुत्री स्वरूप की आराधना से होगी।

41वां नामक संवत्सर

हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत् 2071 एवं संवत्सरों की श्रृंखला का 41वां नामक संवत्सर होगा। इस तिथि से विक्रम संवत् का प्रारंभ भी होता है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारंभ किया था। ग्रंथों के अनुसार उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के राजा विक्रमादित्य ने इसी तिथि से कालगणना के लिए विक्रम संवत् का प्रारंभ किया था। जो आज भी हिंदू कालगणना के लिए सर्वाेत्तम माना जाता है।

अबूझ मुहूर्त

हिंदी पंचाग काल गणना का प्रथम माह चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा अर्थात गुड़ी पड़वा जिसे अबूझ मुहूर्त बताया है अर्थात बिना पंचांग देखे ही कोई भी शुभ कार्य इस दिन प्रारंभ कर सकते हैं। भगवान विष्णु का प्रथम मत्स्यावतार भी इसी दिन हुआ है।

60 साल बाद आया परिवर्तन

ज्योतिषाचार्य पं. धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार सन् 1953 के बाद 2014 में 19 जून से 2 नवंबर तक न्याय व धर्म के प्रतीक ग्रह शनि तुला व गुरू कर्क दोनों ही अपनी-अपनी उच्च राशि में होंगे। 60 साल कई अनुठे शुभ परिवर्तन होंगे एवं गुरु कर्क उच्च राशि में आने से किसी भी राशि की कन्या को विवाह में गुरु के 4, 8, 12 होने पर भी कोई अवरोध नही आएगा।

चंद्रदेव निभाएंगे राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की भूमिका

ज्योतिषीय कालगणना के अनुसार प्रत्येक संवत् का एक विशेष नाम होता है और विभिन्न् ग्रह इस संवत् के स्वामी, राजा व मंत्री होते हैं। जिसका असर वर्ष भर जन सामान्य पर दिखाई देता है। आकाशीय सत्ता के लिए ग्रहीय व्यवस्था के हिसाब से राजा, मंत्री और सहायक मंत्रियों का चयन हो चुका है। हिंदू पंचांग के हिसाब से नए साल से आकाशीय सत्ता की डोर चंद्र के हाथ में होगी। चंद्र राजा और मंत्री दोनों ही पदों पर रहेंगे। नये वर्ष राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की भूमिका चंद्रदेव निभाएंगे। चंद्र के राजा होने से नववर्ष उत्तम फलदायी होगा।

पांच कार्य शुभ और पांच क्रूर ग्रहों के पास

इस बार आकाशीय सत्ता के पांच कार्य शुभ और पांच क्रूर ग्रहों के पास हैं। संवत्- 2071 राजा- चंद्र, मंत्री- चंद्र, धान्येश- गुरु-पूर्व दिशा, धान्येश- मंगल, मेघेश- सूर्य, रसेश- शनि, दुर्गेश- सूर्य, नीरसेश-बुध,फलेश-सूर्य, धनेश- बुध।

चैत्र नवरात्र में पांच दिन है खास योग-संयोग

ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा के अनुसार इस बार तीज-त्योहार व शुभ योगों का भी संयोग बन रहा है। अंतिम दिवस नवमी पुष्य नक्षत्र में आने के कारण यह दिन और भी खास हो गया है। प्रतिपदा से नवमी तक देवी के विभिन्न् स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के 5 दिन खास योग-संयोग के कारण इस बार पर्व अतिशुभ हो गया है। इन दिनों में श्रद्धालु पूजा-अर्चना, साधना के साथ पुण्यलाभ ले सकते हैं।

पहले दिन गुड़ी पड़वा के दिन घटस्थापना, 1 अप्रैल को चैतीचांद सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत योग, 2 अप्रैल को सौभाग्य सुंदरी योग, 4 को श्रीराम राज्योत्सव, 8 अप्रैल को नवमीं के दिन पुष्य नक्षत्र योग खास होगा।

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