Monday 24 March 2014

There are 28 thousand manuscripts of vedas

वेद हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ माने जाते हैं, जो मानव सभ्यता के सबसे प्राचीन लिखित साहित्यिक धरोहर हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियां आज भी पुणे के भंडारग्रह ओरियंटल रिसर्च संस्था में उपलब्ध हैं।

वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी ऋग्वेद को विश्व विरासत में स्थान दिया है। सनातन हिंदू धर्म का मूल सिद्धांत कर्म और पुनर्जन्म सिद्धांत हैं।

हिंदुओं के पवित्र ग्रंथो के दो विभाग हैं- एक है 'श्रुति' और दूसरा 'स्मृति'। श्रुति ईश्वर निर्मित और स्मृति मानव निर्मित है। श्रुति शब्द में वेद अभिप्रेत हैं। वेद को 4 भागों में संपादित किया गया है।

(1) संहिता या मंत्र

(2) ब्राह्मण-यज्ञयागादि कर्मकांड

(3) अरण्यक में चिंतन और उपासना विधि

(4) उपनिषद।

उपनिषदों का विषय ब्रम्हा विद्या है। ये वेदों के आरण्यक भाग के अंत में आते हैं, इसलिए वेदों के इन उपसंहारात्मक और तत्वज्ञान विषयक विभाग को वेदांत कहते हैं। उपनिषद कम से कम 4000 वर्ष पूर्व के हैं। उपनिषदों की कुल संख्या 1179 है। उसमें से 108 महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें से 11 उपनिषद जिनमें भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा भाष्य लिखा गया है वे प्रमुख हैं। उपनिषदों के रचियताअज्ञात हैं।

हिंदू धर्म के तीन आधार ग्रंथ हैं।

(1) उपनिषद

(2) गीता

(3) ब्रम्हासूत्र

इन तीनों को प्रस्थान त्रयी कहते हैं। उपनिषद शब्द का अर्थ श्री शंकराचार्य द्वारा कठोपनिषद में स्पष्ट किया गया है।

इसका सरल अर्थ यह है वह ज्ञान जो परम सत्य को अपने निकट निश्चयात्मक रूप से ले जाकर वहां स्थित कर देता है, पर संक्षेप में उपनिषद के और भी अर्थ हैं, अभिन्न पर संक्षेप में उपनिषद वह ज्ञान है जो परमात्मा अभिन्नता से ज्ञान करा देता है।

इसलिए हैं वेद उपयोगी

आज उपनिषदों का अध्ययन कम होता जा रहा है। हजारों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों ने जो ज्ञान स्मरण रखकर परंपरा से आज तक हमें उपलब्ध कराया है उसके लिए हमें कृतज्ञ होना चाहिए और इस ज्ञान का हमें निरंतरता के साथ अध्ययन जारी रखना चाहिए।

वेदों और उपनिषद का अध्ययन न केवल आपको ज्ञान बढ़ता है बल्कि आपको सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो हर मुश्किल में आपके लिए एक अमृत की तरह काम करता है।

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