Thursday 20 March 2014

Why all the major festival will be celebrated 10 days ago

इस साल आने वाले सभी बड़े त्योहार पिछले वर्ष की तुलना में दस दिन पहले आ रहे हैं। पंडितों की माने तो इस अंतर का कारण वर्ष 2015 में अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) का होना है। तब इसमें दो आषाढ़ मास होंगे।

अधिकमास हर तीन वर्ष में एक बार आता है। यही वजह है कि उसके आने के एक वर्ष पूर्व तिथियों का घटना शुरू हो जाता है, जबकि अधिकमास वाले वर्ष के बीतने के बाद वाले वर्ष में तिथियों का बढ़ना शुरू होता है, जिसका असर त्योहारों की तिथियों में बदलाव के रूप में दिखाई देता है।

11 दिन का अंतर

पं. संजय शास्त्री ने बताया कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हर वर्ष 14 या 15 फरवरी को ही होता है, इस कारण मकर संक्राति की तिथि प्रभावित नहीं होती है। शेष त्योहारों की तिथि में 10 तो कभी 11 दिन का अंतर आता है। ज्योतिष गणना के अनुसार एक चंद्र वर्ष 354 और सूर्य वर्ष 365 दिन का होता है।

इन 11 दिनों के अंतर का असर यह होता है कि तीसरे वर्ष में अधिकमास की स्थिति बन जाती है और हिंदी तिथियों के अनुसार कभी दो आषाढ़ तो कभी दो जेष्ठ आदि होते हैं। पं. शास्त्री के अनुसार अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी होते हैं। पुरुषोत्तम मास नाम पड़ने के पीछे का कारण एक पौराणिक प्रसंग से जुड़ा है।

इस लिए कहते हैं पुरुषोत्तम मास

कथा यह है कि हिरण्यकश्यप ने ब्रम्हाजी से वरदान प्राप्त किया था कि वर्ष के 12 माह में से किसी भी माह में मेरी मृत्यु न हो। तब भगवान विष्णु के अवतार नृसिंह भगवान ने अधिकमास बनाया और हिरण्यकश्यप का वध इसी 13वें माह में किया। तब भगवान ने इस माह को अपना नाम पुरुषोत्तम दिया था।..

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