Friday 19 September 2014

Burns to hands and feet were shackled knifetongs mother

एक बार फिर सौतेली मां का रिश्ता कंलकित हुआ है। मां, जिसकी कोख में संतान पल रही है, उसी मां ने अपनी सौत की बेटियों को इतनी बुरी तरह से मारा-पीटा और जलाया कि इन बेटियों की दास्तां को सुनकर रूह कांप जाए। रिश्तों से भरोसा उठ जाए। सौतेली मां का सबसे ज्यादा कहर इन सगी बहनों में बड़ी बहन पर टूटा, 11साल की इस मासूम के शरीर का ऐसा कोई अंग नहीं है, जिस पर जख्म न हों। ये कहती है कि 'चाची (सौतेली मां) हाथ-पैर बांधकर मारती थी, कहती थी भाग जा यहां से... हम मार सह लेते थे, लेकिन भागते नहीं थे। भागकर कहां जाते... सुबह से झाड़ू-पोंछा-बर्तन मंजवाती और कहती जब तक काम नहीं होगा खाना नहीं मिलेगा।'

मानवता को शर्मसार करने वाली यह दास्तां हैं साजिया (बदला हुआ नाम) (11) और उसकी छोटी बहन सानिया (बदला हुआ नाम) (10) की। बुधवार को चाइल्ड लाइन और पुलिस की मदद से कबीर नगर स्थित कमल हसन नामक व्यक्ति के घर से इन बच्चियों को रिहा करवाया गया। इन दोनों का इलाज डॉ. अंबेडकर अस्पताल में जारी है। साजिया के सिर से लेकर पैर के तलबे तक में गहरे जख्म हैं, तो नाजिया को भी चेहरे में चोट है।

'नईदुनिया' ने साजिया और सानिया दोनों से बात की। नाजिया डरी हुई है। साजिया दर्द में है, लेकिन वह समझदार है और उसने जो आपबीती बताई, वह सौतेली मां अंजली के दिए जख्मों की कहानी है। मुस्कान ने बताया- 'हम अपने अब्बू, अम्मी के साथ मेरठ में रहते थे। पता नहीं अम्मी कहीं चली गई। अब्बू का नाम कमल हसन है, दूसरी मां का नाम अंजली। मेरी अम्मी का नाम शमा है। चाची (दूसरी मां) कहती है कि अब्बू को अब्बू नहीं चाचा कहना और मुझे चाची, कभी धोखे से अब्बू निकल जाता तो मारती थी। मैं तीसरी तक स्कूल गई और कुछ दिन पहले मुझे चाचा (अब्बू) यहां ले आए। चाची हमें रोज मारती थी, उसके हाथ में जो आ जाता उससे मुझे और नाजिया को मारती। हम रोज सुबह 5 बजे उठ जाते, घर की सफाई करते, बर्तन मांजते, झाड़ू-पोंछा करते। कपड़े धोते। जब यह सब काम हो जाता तो चाची हमसे कहती की जा खाना बना ले और खा ले। रोज 2-3 बजे तक हम खाना खाते और रात में फिर से पूरा काम करने के बाद 11-12 बजे तक।' इतने कहने के बाद साजिया रूक गई। दरअसल वह भूखी थी, और उसे अस्पताल प्रबंधन ने दाल-चावल दिया उसने खाना-खाया, पानी पिया और फिर उसने हर सवाल का जवाब दिया। अस्पताल पीआरओ शुभ्रा सिंह ठाकुर ने बताया कि दोनों बच्चियों के सभी टेस्ट हो चुके हैं, साजिया को ठीक होने में वक्त लगेगा।

साजिया के जख्म-

दोनों आंख में सूजन, पलक फटी, माथा-गर्दन में जले के निशान, हाथ फ्रेक्चर, पीठ में चोट, पीठ के निचले हिस्से में जले के गंभीर जख्म। अंबेडकर अस्पताल के न्यूरोसर्जन, आर्थो सर्जन, पीडियाट्रिक सर्जन ने साजिया की जांच की है। उसका सीटी स्कैन भी करवाया गया है। उसके सिर में चोट की वजह से पस भर गई है। जख्मों की वजह से वह करवट भी नहीं बदल पाती।

सानिया के जख्म- दाईं आंख, पीठ और हाथ-पैर में चोट। सानिया को कम चोट है, इसलिए वह अपनी बहन साजिया की अस्पताल में देख-रेख कर रही है।

चाकू गरम कर जलाया-

साजिया की आंख सूजी हुई है, खून जमने की वजह से आंख के नीचे हरा निशान पड़ चुका है। उसकी एक पलक फट चुकी थी, जिसे डॉक्टर्स ने टांगे दिए हैं। साजिया ने बताया कि चाची ने आलू छिलने के लिए कहा, मैंने आलू छिला। उन्होंने छिलका फेंकने कहा, मैं फेंककर आई। मैं सीढ़ी पर जा बैठी। चाची ने कहा क्यों बैठी है नीचे आ। मैं नीचे आई, उन्होंने कहा कि 10 बार उठ्क-बैठक लगा। मैंने लगाई और फिर उन्होंने इकबाल और जावेद (दोनों कमल हसन के साथ केटेरिंग का काम करते हैं) को मेरे हाथ पकड़ने के लिए कहा। चाची गरम चाकू लेकर आई और मुझे जलाया। वह बोली की यहां से भाग जा, नहीं तो ऐसे ही मार खाती रहेगी।

कमल पिता है, इस पर संदेह-

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस अफसर इस बात की जांच कर रहे हैं कि कमल साजिया और सानिया का पिता है कि नहीं। इसके लिए एक टीम मेरठ रवाना होने वाली है। जो मेरठ में कमल हसन के माता-पिता का बयान लेगी और कोशिश करेगी कि वह इन बच्चियों की मां को ढूंढ निकाले। पुलिस इनका डीएनए टेस्ट भी करवाने की तैयारी में है।

आरोपियों को जमानत-

इस मामले के सामने आने के बाद पुलिस ने बुधवार को आरोपी पिता कमल हसन और सौतेली मां अंजली को हिरासत में ले लिया था। दोनों पर बाल संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने आईपीसी की धारा 323, 294, 34 के तहत प्रकरण दर्ज किया। कमल हसन को जमानत मिल चुकी है, जबकि अंजली गर्भवती है, उसे अंबेडकर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

डीएनए टेस्ट के लिए लिख रहा हूं

पुलिस ने प्राथमिकता के आधार पर धाराएं लगाई है। हम एक टीम मेरठ भेज रहे हैं, हमें पहले यह क्लीयर करना है कि कमल उसका पिता है या नहीं। मैं डीएनए टेस्ट के लिए भी लिख रहा हूं। प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत भी कार्रवाई करेंगे। पुलिस ने बाल संरक्षण आयोग को लिखा है कि वह बच्चों की परवरिश की व्यवस्था करे।

ओमप्रकाश पाल, पुलिस अधीक्षक

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