Wednesday 17 September 2014

Panchayats contractor and corruption undermined by disease

गांव के विकास की कमान सम्हालने वाले पंचायतों को ठेकेदारी और भ्रष्टाचार की बीमारी ने खोखला कर दिया है। पंचायतों द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यो की गुणवत्ता हमेशा से विवाद और सवालों के घेरे में रही है। ऐसा ही एक मामला जिला मुख्यालय जशपुर से महज 3 किमी दूर स्थित ग्राम पंचायत सारूडीह में उजागर हुआ है। इस पंचायत में लाखों की लागत से सीमेंट और क्रांकीटयुक्त नाला निर्माण के 3 माह बाद ही पहली बरसात में बह गया। ग्रामसभा में मामला उठने के बाद भी अब तक इस मामले में प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। नाराज ग्रामीणों ने उपसरपंच के नेतृत्व में कलेक्टर से मिलकर मामले की शिकायत की है। ग्रामीणों की शिकायत है कि पंचायत में चल रहे निर्माण कार्य सहित किसी भी गतिविधियों की सूचना ग्रामसभा के पटल पर नहीं रखी जाती है। उल्लेखनीय है कि इंदिरा आवास सहित अन्य घोटालों को लेकर यह पंचायत पहले भी विवादों के घेरे में रह चुका है।

ग्राम पंचायत सारूडीह में प्रशासन द्वारा लाखों की लागत से नाला का निर्माण किया गया था। जानकारी के मुताबिक आटापाट पहाड़ के ठीक नीचे स्थित सारूडीह में पहाड़ी से उतरने वाली पानी एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। बरसात के दौरान पानी के तेज धार से मिट्टी का कटाव और घरों में पानी घुस जाने से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए प्रशासन ने पहाड़ी के किनारे से लेकर बस्ती के बाहर तक नाला का निर्माण कराया है ताकि पहाड़ी से उतरने वाला पानी नाला के माध्यम से निकल बस्ती के बाहर चला जाए। लेकिन घटिया निर्माण कार्य के चलते शासन की लाखों रुपए के साथ ग्रामीणों के मंसूबे पर भी पानी फेर दिया। निर्माण के महज दो माह बाद ही बरसात के पहली फुहार में नवनिर्मित नाला पूरी तरह से पानी में बह गया। वर्तमान में नाला के दीवार टूट जाने और मलबा भर जाने से बरसात का पानी ओवर फ्लो होकर लोगों के घरों और खेतों में घुस रहा है। इससे नाराज ग्रामीणों ने उपसरपंच अनिरूद्व सिन्हा के नेतृत्व में कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर मामले की जांच व कार्रवाई की मांग की है।

ग्रामीणों ने बताया कि नाला निर्माण पूरी तरह से ठेकेदारी प्रथा की भेंट चढ़ गई। पंचायतों के अधीन होने वाले निर्माण कार्यो में ठेकेदारी प्रथा को शासन स्तर से ही प्रतिबंधित किया जा चुका है। कलेक्टर एचएस गुप्ता ने भी इस संबंध में अधिकारियों को चेतावनी दे रखी है। लेकिन इसका फिलहाल जिले में कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। सारूडीह के ग्रामीणों ने बताया कि नाला निर्माण कार्य पंचायत द्वारा न कराया जाकर किसी ठेकेदार के द्वारा कराया गया था। निर्माण कार्य के दौरान कोई भी अधिकारी इसे देखने नहीं आया। अधिकारियों की इस लापरवाही का लाभ उठाते हुए ठेकेदार ने निर्माण कार्य में जमकर मनमानी की। इसी का नतीजा पहले बरसात में नाला के बहने के रूप में सामने आया। सारूडीह के ग्रामीणों ने बताया कि नाला के निर्माण में ठेकेदार द्वारा जमकर मनमानी की गई है। घटिया निर्माण सामग्री के साथ डुप्लीकेट सीमेंट का भी प्रयोग किया गया है। नाला निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा तैयार टीएस के मुताबिक मटेरियल के प्रयोग न होने और घटिया सीमेंट के कारण ही पहली बरसात में नाले का दीवार बह गई।

ग्राम पंचायत सारूडीह के उपसरपंच अनिरूद्व सिन्हा ने बताया कि पंचायत की सचिव से नाला निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्यो की जानकारी मांगने पर दिया ही नहीं जाती। यहां तक कि ग्रामसभा में भी निर्माण कार्य सहित पंचायत के अन्य खर्चो का ब्योरा ग्रामसभा के पटल पर नहीं रखा गया है। उपसरपंच,पंच व ग्रामीणों ने पंचायत में हुए निर्माण कार्य व किए गए व्यय की गहराई से जांच करने की मांग की है।

ठेकेदार द्वारा नाला के दीवार निर्माण भी निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं बनाया है। पानी की धार में बहे दीवार को देखने से स्पष्ट पता चलता है कि ठेकेदार ने दीवार के नीचे में मोटाई बमुश्किल 6-7 इंच रखी है और अधिकारियों के आंख में धूल झोंकने के लिए ऊपर में 10 इंच कर दिया । दीवार का बेस बेहद कमजोर होने की वजह ये बरसात के पानी की तेज धार को दीवार सह नहीं पाया और यह बह गया। मामले की जांच किए जाने पर निर्माण कार्य में बरती गई मनमानी उजागार हो सकती है।

पंचायत के ग्रामसभा में निर्माण कार्य सहित किसी भी खर्च का ब्योरा नहीं रखा जाता है। इसकी शिकायत अधिकारियों से की गई है। ग्रामीणों को मामले में प्रशासन द्वारा किए जाने वाली कार्रवाई का इंतजार है।

अनिरूद्व सिन्हा,उपसरपंच,सारूडीह

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