Friday 19 September 2014

Veterinary doctor gangster ran before police came

इंदौर सहित प्रदेश के कई हिस्सों में स्कोरर बैठाकर परीक्षा दिलाने वाला रायबरेली (यूपी) का एक वेटरनरी डॉक्टर इंदौर पुलिस के पहुंचने से पहले ही भाग निकला। उसका खुलासा गिरफ्त में आए दो आरोपियों ने किया। इसके पहले वे आरोपी जौनपुर के एक डॉक्टर का नाम लेकर बरगला रहे थे, जबकि उस नाम का कोई डॉक्टर था ही नहीं।

एरोड्रम टीआई कन्हैयालाल दांगी ने बताया कि 9 सितंबर को गिरफ्तार बृजेश जायसवाल और डीपी यादव ने कबूला कि पूरे खेल का मास्टरमाइंड यूपी के फतेहपुर का डॉ. राकेश पिता बंशलाल कुर्मी है, जो फिलहाल रायबरेली के शासकीय पशु चिकित्सालय में पदस्थ है। पुलिस रायबरेली पहुंची, लेकिन राकेश पहले ही भाग निकला। पुलिस उसकी तलाश में लगी है। डीपी यादव ने बताया कि राकेश काफी शातिर है। उसने कई लोगों को पीएमटी पास करवाई है। वह हर साल कई स्कोरर को बैठाता था और उसके कई लोगों से संबंध थे। पुलिस ने राकेश की तस्दीक कर ली है और संभावना जताई है। यादव ने कबूला कि राकेश उसके साथ मथुरा वेटरनरी कॉलेज में पढ़ा है। तब उसकी दोस्ती हुई थी।

बरगला रहे थे पहले

इसके पहले यादव ने पुलिस को गैंग के सरगना के रूप में जौनपुर के मोहनसिंह ठाकुर का नाम लिया था और बताया था कि वह लखनऊ आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ता है। पुलिस लखनऊ पहुंची तो पता चला कि इस नाम का कोई शख्स है ही नहीं और ऐसा कोई छात्र भी लखनऊ में नहीं पढ़ा है। इसके बाद जौनपुर में भी तलाश की, लेकिन सुराग नहीं मिला। पुलिस ने यादव की धुनाई की तो उसने राकेश कुर्मी का नाम कबूला।

बाल विनय मंदिर में पकड़ाया झूठ

2011 में बाल विनय मंदिर में हुई पीएमटी के दौरान एक छात्र पकड़ाया था, जो दूसरे की जगह बैठा था। इसके बाद खुलासे होते चले गए। 2011 में ग्वालियर के विवेक की जगह डीपी यादव ने, धार के चेतन की जगह बृजेश जायसवाल ने, ग्वालियर के दीपक की जगह धीरेंद्र तिवारी ने और टीकमगढ़ के आशीष की जगह सत्येंद्र तिवारी ने परीक्षा दी थी। शुरुआत में सत्येंद्र को पुलिस ने पकड़ा था। इसके बाद धीरेंद्र को गिरफ्तार किया। डीपी यादव गाजीपुर जिले में पदस्थ था। सत्येंद्र लखनऊ में इंटर्नशिप कर रहा था, वहीं बृजेश और सतेंद्र वर्मा दोनों गोरखपुर शासकीय कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे थे।

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