Friday 2 May 2014

There is giu village of old saint mysterious mummy

हिमाचल का गीयू गांव। यहां है 550 साल पुरानी एक संत कि प्राकृतिक ममी। जिसके बाल और नाखून अभी भी बड़ते हैं। जिसे लोग देखकर हैरान हैं। गोवा के बीम जीसस चर्च के संत फ्रांसिस जेवियर की मौत के बाद उनके शव को केमिकल्स से संरक्षित करके ममी बनाई गई थी।

यह ममी हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्पीति जिले के गीयू गांव में रखी हुई है। यह ममी लगभग 550 साल पुरानी है। इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ रहे हैं।

तिब्बत से 2 किमी दूर

ये ममी बैठी हुई अवस्था में है जबकि दुनिया में पाई गईं बाकी ममी लेटी हुई अवस्था में मिलती हैं। गीयू गांव हर साल में 6 से 8 हीने बर्फ की वजह से बाकी दुनिया से कटा रहता है। क्योकि यह गांव काफी ऊंचाई पर स्थित है और ये तिब्बत से मात्र 2 किलोमीटर दूर है ।

गांव वालो की मानें तो ये ममी पहले गांव में ही रखी हुई थी और एक स्तूप में स्थापित थी, पर 1974 में भूकम्प आया तो ये कहीं पर दब गई । उसके बाद सन 1995 में आईटीबीपी के जवानो को सडक बनाते समय ये ममी मिली और उन्होंने इसे सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया।

ममी के सिर से निकला खून

कहा जाता है कि उस समय कुदाल सिर में लगी इस ममी के और कुदाल लगने के बाद ममी के सिर से खून भी निकला। जिसका निशान आज भी मौजूद है। इसके बाद सन 2009 तक ये ममी आईटीबीपी के कैम्पस में ही रखी रही। इसके बाद गांव वालो ने इस ममी को गांव में लाकर स्थापित कर दिया।

ममी को रखने के लिए शीशे का एक कैबिन बनाया गया है। इस ममी की देखभाल गांव में रहने वाले परिवार करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वे ममी के बारे में जानकारी देते है। यहां पर देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने आते हैं।

इस ममी के बाल भी हैं। ममी की जांच भी की गई थी जिसमें वैज्ञानिको ने बताया था कि ये 545 वर्ष पुरानी है । पर इतने साल तक बिना किसी लेप के और जमीन में दबी रहने के बावजूद ये ममी कैसे इस अवस्था में है ये आश्चर्य का विषय है ।

गांव में बिच्छुओं का प्रकोप

कहते हैं कि करीब 550 वर्ष पूर्व गीयू गांव में एक संत थे। गीयू गांव में इस दौरान बिच्छुओं का बहुत प्रकोप हो गया। इस प्रकोप से गांव को बचाने के लिए संत फ्रांसिस जेवियर ने ध्यान लगाने के लिए लोगों से उसे जमीन में दफन करने के लिए कहा।

जब संत फ्रांसिस जेवियर को जमीन में दफन किया गया तो उनके प्राण निकलते ही गांव में इंद्रधनुष निकला और गांव बिच्छुओं से मुक्त हो गया।

बौद्ध भिक्षु सांगला तेनजिंग

जबकि कुछ लोगो का कहना है कि ये ममी बौद्ध भिक्षु सांगला तेनजिंग की है जो तिब्बत से भारत आए और यहां पर जो एक बार योगमुद्रा में बैठे तो फिर उठे ही नहीं।

ऐसा माना जाता है कि ममी के बाल और नाखुन बढ़ते हैं लेकिन गीयू गांव के लोगों की मानें तो अब ममी के बाल और नाखुन बढऩे कम हो गए हैं। बाल कम होने के कारण ममी का सिर गंजा होने लगा है।

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