सोमवार सुबह टीबी के कारण कानन पेंडारी के एक नर नील गाय की मौत हो गई। 6 महीने पहले बीमारी के लक्षण दिखने के बाद से उसका उपचार किया जा रहा था, लेकिन कानन प्रबंधन उसकी जान नहीं बचा सका। अधिकारियों की उपस्थिति में गाय का पोस्टमार्टम करने के बाद उसे जला दिया गया।
टीबी की पुष्टि डॉ. चंदन ने पोस्टमार्टम के दौरान भी की। उसके शरीर के अंदर सभी आर्गन में टीबी के कीटाणु मिले हैं। नील गाय की इस मौत से प्रबंधन को गहरा झटका लगा है। दरअसल जू में केवल एक नर व दूसरा मादा नील गाय थे। नर में टीबी के लक्षण डॉ. चंदन ने 6 महीने पहले नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान देखा था।
शारीरिक कमजोरी, आंख से आंसू निकलना और थोड़ी- थोड़ी देर में खांसी आ रही थी। इसके बाद से उसका लगातार उपचार किया जा रहा था। रविवार शाम से उसकी स्थिति बिगड़ गई। हालांकि रात को दवाइयां आदि देकर डॉ. चंदन समेत रेंजर टीआर जायसवाल घर लौट आए थे।
सोमवार सुबह करीब 6 बजे डॉ. चंदन उसकी स्थिति देखने के लिए कानन पेंडारी पहुंचे। थोड़ी ही देर में उसने दम तोड़ दिया। नील गाय की मौत की खबर मिलने के बाद जू के अधिकारी भी पहुंच गए। इस दौरान डीएफओ एसपी मसीह को भी सूचना दी गई। इस पर श्री मसीह भी जू पहुंचे। उनकी उपस्थिति डॉ. चंदन ने मृत नील गाय का पोस्टमार्टम किया। इसके बाद उसे जला दिया गया।
मादा को कर दिया गया था अलग
टीबी के लक्षण मिलते ही संक्रमण के डर से सबसे पहले मादा नील गाय को अलग करते हुए दूसरे केज में शिफ्ट किया गया। काफी दिनों तक उसकी निगरानी भी की गई। अभी मादा पूरी तरह स्वस्थ है।
पिछले साल नंदन वन से लाए थे
नर नील गाय को 22 जनवरी 2013 को रायपुर वनमंडल के नंदन वन जू से कुनबा बढ़ाने के लिए लाया गया था। यहां एक मादा नील गाय थी। हालांकि इन्हें जोड़े में 2010 में इंदौर जू से लाया गया था, लेकिन नर की मौत हो गई। इसके बाद से मादा अकेले ही जू में थी। नंदन वन से नर नील गाय लाया तो गया, लेकिन परिवार नहीं बढ़ सका।
जल्द ही करेंगे भरपाईः डीएफओ
डीएफओ एसपी मसीह का कहना है कि कानन पेंडारी जू में नील गाय की मौत किसी झटके से कम नहीं है। उसकी मौत टीबी से हुई है। जल्द ही इसकी भरपाई की जाएगी। इसके लिए जू में नर नील गाय लाए जाएंगे। उनका कहना है कि ग्वालियर व दिल्ली जू से वन्यप्राणियों की अदला- बदली के लिए पत्राचार किया जा रहा है। इसके अलावा नंदन वन प्रबंधन ने 5 नील गाय को देने की सहमति जताई है।
टीबी की पुष्टि डॉ. चंदन ने पोस्टमार्टम के दौरान भी की। उसके शरीर के अंदर सभी आर्गन में टीबी के कीटाणु मिले हैं। नील गाय की इस मौत से प्रबंधन को गहरा झटका लगा है। दरअसल जू में केवल एक नर व दूसरा मादा नील गाय थे। नर में टीबी के लक्षण डॉ. चंदन ने 6 महीने पहले नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान देखा था।
शारीरिक कमजोरी, आंख से आंसू निकलना और थोड़ी- थोड़ी देर में खांसी आ रही थी। इसके बाद से उसका लगातार उपचार किया जा रहा था। रविवार शाम से उसकी स्थिति बिगड़ गई। हालांकि रात को दवाइयां आदि देकर डॉ. चंदन समेत रेंजर टीआर जायसवाल घर लौट आए थे।
सोमवार सुबह करीब 6 बजे डॉ. चंदन उसकी स्थिति देखने के लिए कानन पेंडारी पहुंचे। थोड़ी ही देर में उसने दम तोड़ दिया। नील गाय की मौत की खबर मिलने के बाद जू के अधिकारी भी पहुंच गए। इस दौरान डीएफओ एसपी मसीह को भी सूचना दी गई। इस पर श्री मसीह भी जू पहुंचे। उनकी उपस्थिति डॉ. चंदन ने मृत नील गाय का पोस्टमार्टम किया। इसके बाद उसे जला दिया गया।
मादा को कर दिया गया था अलग
टीबी के लक्षण मिलते ही संक्रमण के डर से सबसे पहले मादा नील गाय को अलग करते हुए दूसरे केज में शिफ्ट किया गया। काफी दिनों तक उसकी निगरानी भी की गई। अभी मादा पूरी तरह स्वस्थ है।
पिछले साल नंदन वन से लाए थे
नर नील गाय को 22 जनवरी 2013 को रायपुर वनमंडल के नंदन वन जू से कुनबा बढ़ाने के लिए लाया गया था। यहां एक मादा नील गाय थी। हालांकि इन्हें जोड़े में 2010 में इंदौर जू से लाया गया था, लेकिन नर की मौत हो गई। इसके बाद से मादा अकेले ही जू में थी। नंदन वन से नर नील गाय लाया तो गया, लेकिन परिवार नहीं बढ़ सका।
जल्द ही करेंगे भरपाईः डीएफओ
डीएफओ एसपी मसीह का कहना है कि कानन पेंडारी जू में नील गाय की मौत किसी झटके से कम नहीं है। उसकी मौत टीबी से हुई है। जल्द ही इसकी भरपाई की जाएगी। इसके लिए जू में नर नील गाय लाए जाएंगे। उनका कहना है कि ग्वालियर व दिल्ली जू से वन्यप्राणियों की अदला- बदली के लिए पत्राचार किया जा रहा है। इसके अलावा नंदन वन प्रबंधन ने 5 नील गाय को देने की सहमति जताई है।
Source:Chhattisgarh Hindi News and MP Hindi News
No comments:
Post a Comment