Thursday, 25 September 2014

Raipur medical college of fake mark sheets appointments

पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एक और नया भर्ती घोटाला सामने आया है। साल 2012 में 12 पदों पर क्लास-3 कर्मचारियों की भर्ती की गई थी, जिसके कुछ ही दिनों बाद कॉलेज डीन को शिकायत पहुंची कि जिनकी नियुक्ति हुई है, वे पात्र नहीं हैं। डीन ने शिकायत को नजरअंदाज करते हुए डीएमई की जांच के आदेश संबंधी फाइल को नस्तीबद्ध (बंद) करवा दिया।

लेकिन वर्तमान डीन ने जब नस्तीबद्ध फाइल खुलवाई तो कॉलेज में हड़कंप मच गया है। जांच के दौरान ही एक कर्मचारी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। सूत्र बताते हैं कि इस कर्मचारी की मार्कशीट जांच में फर्जी पाई गई है। 'नईदुनिया' से बातचीत में डीन डॉ. एके चंद्राकर ने कहा कि कॉलेज में गैंग सक्रिय है। उन्होंने यह भी कहा कि जांच जारी है, इसलिए कुछ भी डिस्क्लोज नहीं कर सकते।

कॉलेज में इसी साल रेडियोग्राफर, लैब अटेंडेंट की भर्ती में बड़ी गड़बड़ी सामने आई थी। इसमें मामले में एक बाबू को सस्पेंड कर दिया गया था। अब फिर भर्ती में गड़बड़ी उजागर हुई है। 'नईदुनिया' ने पड़ताल में पाया कि साल 2012 में 12 पदों पर स्टोर कीपर/लिपिक, कम्प्यूटर ऑपरेटर की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ था, जिसके लिए हजारों आवेदन आए थे। भर्ती की इस पूरी प्रक्रिया का जिम्मा 2 डॉक्टर्स समेत 5 कर्मचारियों पर था। इस भर्ती कमेटी के अध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल थे। कमेटी ने स्क्रूटनिंग से लेकर दस्तावेज सत्यापन किया और दक्षता परीक्षा भी ली।

दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान ओरिजनल दस्तावेजों से मिलान करना था, यहीं पर सारी गड़बड़ी की गई। फर्जी मार्कशीट को भी ओके कर दिया गया। नियुक्ति के बाद कर्मचारी संघ और अभ्यर्थियों ने डीन को लिखित शिकायत की। जब डीन ने कार्रवाई नहीं की तो चिकित्सा शिक्षा संचालक (डीएमई) का दरवाजा लोगों ने खटखटाया। तब डीएमई ने जांच के लिए डीन को लिखा था।

मिली जानकारी के मुताबिक तत्कालीन डीन डॉ. एके शर्मा ने फाइल को नस्तीबद्ध करवा दिया था। लेकिन वर्तमान डीन डॉ. अशोक चंद्राकर ने फाइल खुलवाई और नेत्र सर्जन और प्रोफेसर डॉ. एमएल गर्ग को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया। उनकी जांच जारी है, सूत्र बताते हैं कि लगभग सभी 12 कर्मचारियों की नियुक्ति में गड़बड़ी है।

स्टोर लिपिक भागा नौकरी छोड़कर

पड़ताल के दौरान यह भी पता चला कि जांच कमेटी ने 2012 में नियुक्त हुए स्टोर लिपिक घनश्याम साहू को तलब किया था। लेकिन उसने जांच कमेटी के सामने आने के बजाय नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया। यह भी खबर है कि घनश्याम साहू की 12वीं की मार्कशीट जांच के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल भेजी गई थी। ऑनलाइन वेरीफिकेशन में मार्कशीट में कुल अंक 252 हैं, जबकि नौकरी पाने के लिए लगाई गई मार्कशीट में 352 अंक हैं। घनश्याम साहू रायपुर का रहने वाला है, लेकिन उसने परिवीक्षा अवधि में स्वयं के व्यय पर मेडिकल कॉलेज रायगढ़ अपना तबादला करवा लिया था, जो जांच में अहम बिंदु है।

कार्रवाई होगी, भले ही दबाव क्यों न हो

2012 में हुई भर्ती मामले की जांच जारी है, इसलिए मैं इस संबंध में कुछ भी नहीं बता सकता। लेकिन कॉलेज में गैंग सक्रिय है, बड़े स्तर पर लेन-देन के साथ गड़बड़ी हुई है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, कार्रवाई होगी। भले ही दबाव क्यों न हो?

डॉ. अशोक चंद्राकर, डीन, मेडिकल कॉलेज रायपुर

 

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