नक्सल विरोधी अभियान में बस्तर में अर्ध सैनिक बल के द्वारा अमेरिकी माइन डिटेक्टर का इस्तेमाल किए जाने के आसार हैं। बताया जाता है कि यह डिटेक्टर जमीन के नीचे गा डे गए आईईडी को भी डिटेक्ट करने में समर्थ है।
सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चर्चा में बताया बस्तर समेत देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में बारूदी सुंरग से निपटना सुरक्षा बलों के लिए सबसे ब डी चुनौती है। जवानों को नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सर्वाधिक नुकसान बारूदी विस्फोटों के चलते उठाना प डा है।
पुलिस या सीआरपीएफ के बीडीएस बम डिस्पोजल स्क्वॉड के पास अब तक पक्की स डक के चार फीट नीचे छिपाए गए विस्फोटक को तलाशने की कोई तकनीक नहीं है। बताया गया है कि पश्चिम देशों की सेनाओं के द्वारा उपयोग किए जा रहे एनएन-पीएसएस 14 माइंन डिटेक्टर का परिणाम काफी बेहतर रहा है। इसकी मदद से जमीन से काफी नीचे विस्फोटक भी निष्क्रि य किया जा सकता है।
इसका सफल उपयोग अमेरिकी सेनाओं ने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ किया था। इसे बारूदी सुंरग के खिलाफ कारगर हथियार माना जा रहा है। सीआरपीएफ के स्थानीय अधिकारी का कहना है कि इस विषय पर वरिष्ठ अधिकारी ही आधिकारिक रूप से कुछ कह सकते हैं।
चल रहा परीक्षण
सीआरपीएफ के महाराष्ट्र पुणे स्थित आईएमआई (आईईडी मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट) में इस माइन डिटेक्टर का वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन व परीक्षण किया जा रहा है। इसके सपुल होने के उपरांत संस्थान अपना सुझाव देगी। केंद्रीय गृहमंत्रालय के द्वारा इन माइन डिटेक्टरों की खरीदी के बारे में योजना बनाई जा रही है। वहीं इनका इस्तेमाल वामपंथी उग्र वादियों से ल डाई में किया जाएगा।
डीआरडीओ ने भी किया उपकरण का इजाद
केंद्र सरकार के एक्शन प्लान में रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार किए जा रहे कुछ उपकरण भी शामिल हैं। इनमें माइन डिटेक्टर रोबोट सबसे कारगर बताया गया है। रिमोट चलित इस यंत्र का सफल प्रयोग भी किया गया है। तीन फीट का रोबोट 500 मीटर के दायरे से संचालित किया जा सकता है।
यह जमीन के भीतर व बाहर गा डे गए आईईडी का न केवल पता लगाता है बल्कि उसे जमीन से बाहर खींचकर डिफ्यूज करने में भी समर्थ है। सायरन बजाकर यह जमीन के नीचे स्थित विस्फोटक की सूचना देता है। बहरहाल इस तकनीक का अंतिम परीक्षण चल रहा है।
सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चर्चा में बताया बस्तर समेत देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में बारूदी सुंरग से निपटना सुरक्षा बलों के लिए सबसे ब डी चुनौती है। जवानों को नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सर्वाधिक नुकसान बारूदी विस्फोटों के चलते उठाना प डा है।
पुलिस या सीआरपीएफ के बीडीएस बम डिस्पोजल स्क्वॉड के पास अब तक पक्की स डक के चार फीट नीचे छिपाए गए विस्फोटक को तलाशने की कोई तकनीक नहीं है। बताया गया है कि पश्चिम देशों की सेनाओं के द्वारा उपयोग किए जा रहे एनएन-पीएसएस 14 माइंन डिटेक्टर का परिणाम काफी बेहतर रहा है। इसकी मदद से जमीन से काफी नीचे विस्फोटक भी निष्क्रि य किया जा सकता है।
इसका सफल उपयोग अमेरिकी सेनाओं ने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ किया था। इसे बारूदी सुंरग के खिलाफ कारगर हथियार माना जा रहा है। सीआरपीएफ के स्थानीय अधिकारी का कहना है कि इस विषय पर वरिष्ठ अधिकारी ही आधिकारिक रूप से कुछ कह सकते हैं।
चल रहा परीक्षण
सीआरपीएफ के महाराष्ट्र पुणे स्थित आईएमआई (आईईडी मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट) में इस माइन डिटेक्टर का वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन व परीक्षण किया जा रहा है। इसके सपुल होने के उपरांत संस्थान अपना सुझाव देगी। केंद्रीय गृहमंत्रालय के द्वारा इन माइन डिटेक्टरों की खरीदी के बारे में योजना बनाई जा रही है। वहीं इनका इस्तेमाल वामपंथी उग्र वादियों से ल डाई में किया जाएगा।
डीआरडीओ ने भी किया उपकरण का इजाद
केंद्र सरकार के एक्शन प्लान में रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार किए जा रहे कुछ उपकरण भी शामिल हैं। इनमें माइन डिटेक्टर रोबोट सबसे कारगर बताया गया है। रिमोट चलित इस यंत्र का सफल प्रयोग भी किया गया है। तीन फीट का रोबोट 500 मीटर के दायरे से संचालित किया जा सकता है।
यह जमीन के भीतर व बाहर गा डे गए आईईडी का न केवल पता लगाता है बल्कि उसे जमीन से बाहर खींचकर डिफ्यूज करने में भी समर्थ है। सायरन बजाकर यह जमीन के नीचे स्थित विस्फोटक की सूचना देता है। बहरहाल इस तकनीक का अंतिम परीक्षण चल रहा है।
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