जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का मंगलवार को शहर आगमन हुआ। रायपुर रोड स्थित हरीश शाह के फार्म हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने सांई प्रचार को हिंदू धर्म की एकता के लिए खतरा बताया। उन्होंने नशामुक्त समाज की स्थापना पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि लोग सीता-राम, राधा-कृष्ण की जगह सांई राम और सांई कृष्ण कहने लगे हैं। सांई समर्थ चाहते हैं कि लोग सांई में रमे रहें और मंदिरों को भूल जाएं। उन्होंने कहा कि मैं सांई का भगवान नहीं मानता। हम सनातन धर्म पर विश्वास करते हैं। सांई ने नहीं कहा कि मैं भगवान हूं, तो लोग उन्हें भगवान क्यों मानते हैं। श्रद्धा की बात लोग करते हैं, लेकिन श्रद्धेय की बात नहीं करते । सनातन धर्मी उसे मानेगा जो शास्त्र में लिखा है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि धर्म गुरु होने के नाते लोगों को धर्म की बातें बताना आवश्यक है, लेकिन लोगों बाध्य नहीं किया जा सकता। मूर्ति पूजा के सवाल पर उन्होंने कहा कि पत्थर में भगवान नहीं होता और मूर्तियां कारखाने में रखी हुई पूज्य नहीं होती। मूर्ति जब मंदिर में आती है और वैदिक रीति से प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है तो मूर्ति पूजन के योग्य बनती है। धर्मांतरण के विषय में उन्होंने कहा कि झारखंड में उनका आश्रम है, जहां धर्मांतरण रोकने का ही कार्य किया जाता है। बड़ी संख्या में लोगों को वापस हिंदू धर्म की ओर लाया गया है। इस वजह से धर्मांरतण रोकने के लिए विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। अभी हिंदू धर्म और आस्था के साथ ही एकता को बचाना बेहद जरूरी है।
पहले स्कूलों में दी जाती थी गीता की शिक्षा
उन्होंने कहा कि आजादी से पहले स्कूलों में गीता व रामामण का पाठ पढ़ाया जाता था, लेकिन अभी स्कूलों में अंग्रेजी का बोलबाला है। लोगों में हिंदू धर्म की शिक्षा का व्यवस्था होना चाहिए, जिससे वे अपने धर्म और उसकी महत्ता को समझ सकें। मंदिरों में एक्ट के तहत धर्म की शिक्षा नहीं हो पाती। इस वजह से सरकार को इस दिशा में पहल करना चाहिए। जिससे मदरसों और चर्च की तरह हमारे सनातन धर्म की भी शिक्षा हो सके।
महिलाओं का सम्मान ही सर्वोपरि
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि समाज के विकास में महिलाओं की प्रमुख भूमिका है। महिलाओं का सम्मान ही सर्वोपरि है। आज के समय में महिलाओं के साथ घटने वाली घटना से समाज प्रभावित हो रहा है। ये घटनाएं व्यक्ति नशे की हालत में करता है। नशा व्यक्ति की विवेक शून्य कर देता है। इस वजह से सबसे पहले नशे में पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए।
गृहमंत्री ने साध ली चुप्पी
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद के शिष्य ब्रह्मचारी रामानंद ने कहा कि रविवार की रात कुरुद के पास शंकराचार्य की काफिले से एक जीप भिड़ गई थी। घटना के 24 घंटे के बाद भी गृहमंत्री राम सेवक पैकरा ने कोई भी बयान जारी नहीं किया, जबकि पूर्व में कवर्धा में हुई धर्म संसद के विषय में उन्होंने कहा था कि यह धर्म सभा असंवैधानिक व अनैतिक है। उन्होंने कहा कि गुरुजी की सुरक्षा के लिए भी कोई विशेष प्रबंध नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि बिलासपुर सीमा में प्रवेश के बाद हर पल की खबर प्रशासनिक अधिकरियों को दी जा रही है, लेकिन उन्होंने भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की है। हमें लगता है कि जो हादसा हुआ है वह सामान्य नहीं था। ये सब सांई समर्थकों की साजिश है। उन्होंने कहा कि हो सकता है गृहमंत्री भी सांई समर्थक होंगे। इस वजह से वे चुप हैं।
उन्होंने कहा कि लोग सीता-राम, राधा-कृष्ण की जगह सांई राम और सांई कृष्ण कहने लगे हैं। सांई समर्थ चाहते हैं कि लोग सांई में रमे रहें और मंदिरों को भूल जाएं। उन्होंने कहा कि मैं सांई का भगवान नहीं मानता। हम सनातन धर्म पर विश्वास करते हैं। सांई ने नहीं कहा कि मैं भगवान हूं, तो लोग उन्हें भगवान क्यों मानते हैं। श्रद्धा की बात लोग करते हैं, लेकिन श्रद्धेय की बात नहीं करते । सनातन धर्मी उसे मानेगा जो शास्त्र में लिखा है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि धर्म गुरु होने के नाते लोगों को धर्म की बातें बताना आवश्यक है, लेकिन लोगों बाध्य नहीं किया जा सकता। मूर्ति पूजा के सवाल पर उन्होंने कहा कि पत्थर में भगवान नहीं होता और मूर्तियां कारखाने में रखी हुई पूज्य नहीं होती। मूर्ति जब मंदिर में आती है और वैदिक रीति से प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है तो मूर्ति पूजन के योग्य बनती है। धर्मांतरण के विषय में उन्होंने कहा कि झारखंड में उनका आश्रम है, जहां धर्मांतरण रोकने का ही कार्य किया जाता है। बड़ी संख्या में लोगों को वापस हिंदू धर्म की ओर लाया गया है। इस वजह से धर्मांरतण रोकने के लिए विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। अभी हिंदू धर्म और आस्था के साथ ही एकता को बचाना बेहद जरूरी है।
पहले स्कूलों में दी जाती थी गीता की शिक्षा
उन्होंने कहा कि आजादी से पहले स्कूलों में गीता व रामामण का पाठ पढ़ाया जाता था, लेकिन अभी स्कूलों में अंग्रेजी का बोलबाला है। लोगों में हिंदू धर्म की शिक्षा का व्यवस्था होना चाहिए, जिससे वे अपने धर्म और उसकी महत्ता को समझ सकें। मंदिरों में एक्ट के तहत धर्म की शिक्षा नहीं हो पाती। इस वजह से सरकार को इस दिशा में पहल करना चाहिए। जिससे मदरसों और चर्च की तरह हमारे सनातन धर्म की भी शिक्षा हो सके।
महिलाओं का सम्मान ही सर्वोपरि
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि समाज के विकास में महिलाओं की प्रमुख भूमिका है। महिलाओं का सम्मान ही सर्वोपरि है। आज के समय में महिलाओं के साथ घटने वाली घटना से समाज प्रभावित हो रहा है। ये घटनाएं व्यक्ति नशे की हालत में करता है। नशा व्यक्ति की विवेक शून्य कर देता है। इस वजह से सबसे पहले नशे में पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए।
गृहमंत्री ने साध ली चुप्पी
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद के शिष्य ब्रह्मचारी रामानंद ने कहा कि रविवार की रात कुरुद के पास शंकराचार्य की काफिले से एक जीप भिड़ गई थी। घटना के 24 घंटे के बाद भी गृहमंत्री राम सेवक पैकरा ने कोई भी बयान जारी नहीं किया, जबकि पूर्व में कवर्धा में हुई धर्म संसद के विषय में उन्होंने कहा था कि यह धर्म सभा असंवैधानिक व अनैतिक है। उन्होंने कहा कि गुरुजी की सुरक्षा के लिए भी कोई विशेष प्रबंध नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि बिलासपुर सीमा में प्रवेश के बाद हर पल की खबर प्रशासनिक अधिकरियों को दी जा रही है, लेकिन उन्होंने भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की है। हमें लगता है कि जो हादसा हुआ है वह सामान्य नहीं था। ये सब सांई समर्थकों की साजिश है। उन्होंने कहा कि हो सकता है गृहमंत्री भी सांई समर्थक होंगे। इस वजह से वे चुप हैं।
Source:Chhattisgarh Hindi News and MP Hindi News
No comments:
Post a Comment