Thursday, 4 September 2014

Back breaking labor but demand wages had received threats

जम्मू-कश्मीर में दलाल के हाथों बेचे गए आठ छत्तीसगढ़िया मजदूर परिवारों से ईंटभट्ठे में दिनभर हाड़तोड़ काम लिया जाता था, लेकिन मजदूरी मांगने पर जान से मारने की धमकी दी जाती थी। मजदूरी के नाम पर केवल पेट भरने के लिए चंद पैसे दिए जाते थे। ईंटभट्ठा ठेकेदार के चंगुल से छुड़ाकर बुधवार सुबह रायपुर लाए गए मजदूरों ने अपनी व्यथा नईदुनिया को बताई।

ये मजदूर परिवार उस दिन को याद कर अपने आपको कोस रहे हैं जब दलाल फागू ने अच्छे पैसे दिलाने का झांसा देकर उन्हें जम्मू के ईंटभट्ठे लेजाकर भगवान भरोसे छोड़ दिया था। इन मजदूरों में से कोई 20 वर्षों से तो कोई 10 तो कोई पांच वर्षों से वहां बंधुवा बनकर काम कर रहे थे। मजदूरों को हमेशा अलग-अलग ईंटभठ्ठों में ले जाकर काम कराया जाता था।

बंधुवा मजदूर बनाकर रखा

पीड़ित मजदूरों ने बताया कि उन्हें जम्मू की नवाशहर तहसील में महेंद्र चौधरी के ईंटभट्ठे में पिछले कई महीनों से बंधुवा बनाकर रखा गया था। ईंटभट्ठे का मालिक न तो मजदूरी देता था और न ही भट्ठे से बाहर निकलने देता था। घर वापस जाने की बात कहने पर ईंटभठ्ठा मालिक धमकाकर कैम्पस में बंद करके रखता था और जान से मारने की धमकी भी देता था। मजदूर सुशील वैष्णव किसी तरह ठेकेदार के चंगुल से भागकर छत्तीसगढ़ पहुंचा और उसने इसकी जानकारी गांववालों और बंधुवा मुक्ति मोर्चा के लोगों को दी।

इसके बाद 28 अगस्त को बंधुवा मुक्ति मोर्चा के निर्मल गोराना जम्मू पहुंच कर नवाशहर के उपजिलाधिकारी से संपर्क कर मजदूरों को वहां की पुलिस के सहयोग से मुक्त करवाया। लेकिन जम्मू के अधिकारी ईंट भट्ठा मालिक का सहयोग करते रहे और मजदूरों का मुक्ति प्रमाण पत्र मांगने पर उल्टे निर्मल गोराना को ही थाने में बैठा दिया गया। निर्मल गोराना ने बंधुवा मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ की कोआर्डिनेटर ममता शर्मा से संपर्क कर उन्हें इसकी जानकारी दी।

इसके बाद ममता शर्मा ने छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव, श्रम आयुक्त, डीजीपी को इन मजदूरों को सुरक्षित छत्तीसगढ़ लाने और ईंटभठ्ठा मालिक व दलाल के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर कार्रवाई करने की गुहार लगाई। इसके बाद स्वामी अग्निवेश की मदद से सभी आठ बंधुवा मजदूर परिवारों को जम्मू से छत्तीसगढ़ लाया गया।

अब काम की तलाश में बाहर नहीं जाएंगे

वापस अपने प्रदेश व घर लौटने की खुशी मजदूरों के चेहरे साफ झलक रही थी। मजदूरों को उम्मीद है कि गांव लौटने के बाद गुजर-बसर करने के लिए सरकारी मदद मिलने के अलावा उनके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का ख्याल रखा जाएगा। फिलहाल उनके पास न तो जमीन है और न ही रहने के लिए घर। उनके पास शरीर पर पहने फटे व गंदे कपड़े के अलावा दो-चार बर्तन ही हैं।

पीड़ित मजदूरों ने बताया कि वे अब कभी काम की तलाश में प्रदेश से बाहर नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि जम्मू के विभिन्न क्षेत्रों में अभी भी कई छत्तीसगढ़िया परिवार बंधुवा मजदूर बनकर काम कर रहे हैं। इनकी तादाद हजारों में है। इन मजदूरों को छुड़ाने के लिए सरकारी मदद की जरूरत है।

बचपन में गया, जवानी में लौटा

मजदूर परिवार के साथ वापस लौटा जम्मूलाल केंवट जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम कनकपुर का रहने वाला है। उसने बताया कि वह अपने माता-पिता के साथ बचपन में जम्मू गया था। उसे अच्छी तरह याद है कि माता-पिता पैसे कमाकर वापस लौटने की मंशा से गए थे। लेकिन ठेकेदार के चंगुल में इस कदर फंसे कि वहां से लौट ही नहीं पाए। जम्मूलाल का पूरा बचपन जम्मू में ही बीता।

वह अब जवान हो चुका है और शादीशुदा भी। जम्मू के चार बच्चे भी हैं। उसे उम्मीद ही नहीं थी कि वह अपने गांव वापस लौट पाएगा। लेकिन समाजसेवी संस्थाओं की मदद से वापस गांव लौटना उसके लिए एक सपने के समान है। जम्मूलाल के पास फिलहाल खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं है। उसे उम्मीद है कि सरकार की तरफ से रोजगार के साथ रहने के लिए कुछ मदद मिलेगी।

बर्तन-जेवर बेचकर वापस आए

जांजगीर-चांपा जिले के मिसदा निवासी जम्मूबाई और ननकाराम ने बताया कि वापस लौटने के लिए उन्हें बर्तन, जेवर आदि तक बेचना पड़ा। अब परिवार का पेट कैसे पालेंगे, इसकी चिंता सता रही है। दस साल से जम्मू में रहे कुटीघाट निवासी संजीवन लाल केंवट ने बताया कि ईंटभठ्ठे में उन्हें एक हजार नग ईंट बनाने के एवज में पांच सौ रुपए देने की बात कही गई थी, लेकिन ठेकेदार चंद रुपए देकर धमकाता था कि यहां से गए तो जान से जाओगे। ठेकेदार के गुर्गे हमेशा मजदूरों पर नजर रखते थे।

मजदूर परिवार में 22 बच्चे व 20 महिलाएं

ईंटभठ्ठे से छुड़ाए गए छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा व बलौदाबाजार जिले के आठ मजदूर परिवार बुधवार को राजधानी पहुंचे। इन आठ परिवारों में 54 सदस्य हैं, जिनमें 22 बच्चे व बीस महिलाएं हैं।

स्टेशन नहीं पहुंचे अफसर

ट्रेन से रायपुर पहुंचे इन मजदूरों की सुध लेने के लिए स्टेशन में एक भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था। केवल एनजीओ के पदाधिकारी व सदस्य ही मजदूरों की मदद के लिए आए थे, जो मजदूरों को उनके गृहगांव पहुंचाने की व्यवस्था भी कर रहे थे। एनजीओ के पदाधिकारियों ने बताया कि म विभाग के अफसरों को मजदूरों के आने की सूचना दी गई थी। इसके बावजूद कोई नहीं आया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

रोजगार व पुनर्वास की व्यवस्था करे सरकार

बंधुवा मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ की कोआर्डिनेटर ममता शर्मा ने पीड़ित मजदूरों को बंधुवा मुक्ति प्रमाण पत्र दिलवाकर उनके पुनर्वास व रोजगार की व्यवस्था किए जाने की मांग छत्तीसगढ़ सरकार से की है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मांग की है कि प्रदेश में मानव तस्करी पर रोक लगाने के साथ गांव में सर्वे कराकर गरीब परिवारों को आसपास की फैक्ट्रियों में रोजगार दिलाया जाए, ताकि मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन न करना पड़े।

छुड़ाए गए मजदूर परिवार

मुखिया सदस्य

बरसाती विश्वकर्मा 06

गांधी विश्वकर्मा 06

छोटू केंवट 05

सुशील वैष्णव 05

ननका केंवट 05

जम्मूलाल केंवट 06

जगदीश यादव 05

संजीवन केंवट 07

No comments:

Post a Comment