Tuesday, 9 September 2014

Builders make colony on 100 corer rupee government land

22 साल पहले जिस 54 एकड़ भूमि को सरकारी घोषित कर दिया गया था, उस पर बिल्डर और पुराने भू-स्वामी ने नगर निगम के अफसरों के साथ मिलकर कॉलोनी तान दी। जमीन की कीमत करीब सौ करोड़ रुपए बताई जा रही है। बिना शासन की अनुमति अवैध रूप से आवासीय प्लाट काटकर बेचने के मामले को गंभीरता से लेते हुए ईओडब्ल्यू ने भू-माफिया अशोक गोयल व भू स्वामी जगदीश मालपानी सहित नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसे भोपाल का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा बताया जा रहा है।

ईओडब्ल्यू (राज्य आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो) के अधिकारियों ने बताया कि 1992 में नगर भूमि सीमा अधिनियम 1976 के करोंद गांव की 54 एकड़ भूमि को सरकारी घोषित किया गया था। लैण्ड सीलिंग के पहले ये जमीन मुरलीधर गंगन की थी। 1986 में गंगन की मृत्यु के बाद से अरुण कुमार, जगदीश कुमार और मुरलीधर की पत्नी आनंदी बाई हनुमानगंज जुमेराती के नाम हो गई। 1992 में यह भूमि सरकारी हो गई।

इसके खिलाफ जगदीश मालपानी हाईकोर्ट चले गए और 2005 में कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। जब कोर्ट में केस चल रहा था उस वक्त मालपानी ने पॉवर ऑफ अटार्नी अशोक गोयल को दे दी। गोयल की फर्म मेसर्स गोयल बिल्डर्स, जावेद खान और अन्य ने भूमि स्वयं की बताकर अवासीय प्लाट काट कर बेच दिए। इस भूमि पर शिवनगर और मुरलीनगर बसा हुआ है।

ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि बिल्डरों ने न तो भूमि का डायवर्सन कराया और न ही टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से नक्शा पास कराया। नगरीय भूमि सीमा समक्ष प्राधिकारी ने 1992 में भूमि प्रकरण में आदेश हो जाने के बाद भी 1998-99 में फिर से प्रकरण दर्ज कर लिया। जबकि, नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता था। बिल्डर और पूर्व भूमि स्वामी ने फर्जीवाड़ा करके सौ करोड़ रुपए मूल्य की जमीन बेचकर शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।

प्रकरण में ब्यूरो ने भूमाफिया अशोक गोयल, जावेद खान, मतलुब अली, संतोष मीना, सीताराम यादव, भूमि स्वामी जगदीश मालपानी, अरूण मालपानी के साथ नगर भूमि सीमा, तहसील हूजुर और नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया है।

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