Friday, 5 September 2014

aiims will take care of the patients treatment does not desire death

इलाज से ना-उम्मीद हो गए मरीजों में इच्छा मृत्यु की भावना न आने देने व अंतिम समय दर्द रहित गुजारने के लिए राजधानी के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) में पेलीएटिव केयर की शुरुआत होगी। इसमें लाइलाज बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के दर्द को कम करने के लिए दवाइयां व उपचार दिया जाएगा।

हाल में एम्स दिल्ली ने एक प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को भेजा है कि एम्स दिल्ली सहित सभी एम्स में लाइलाज बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को इस तरह का उपचार व देखरेख उपलब्ध कराई जाए, जिससे उनमें इच्छा मृत्यु का ख्याल न आए। इसके लिए पेलीएटिव केयर को मजबूत बनाने व पेलीएटिव केयर की पढ़ाई कराने पर जोर दिया गया है। एम्स भोपाल इसी सिलसिले में अपने यहां जल्द ही पेलीएटिव केयर की शुरुआत करने जा रहा है।

क्या है पेलीएटिव केयर

पेलीएटिव केयर मरीजों को बीमारी का इलाज नहीं बल्कि दर्द से निजात देने की पद्धति है। जब मरीज बीमारी की उस स्थिति में पहुंच जाता है,जब उसका इलाज संभव न हो तो मरीज को पेलीएटिव केयर दी जाती है। इसके तहत मरीज को दवा के तौर पर मारफीन (अफीम) भी दी जाती है। इसके साथ ही डॉक्टर मरीज को डिप्रेशन, चिंता व डर को दूर करने का भी प्रयास करते हैं। पेलीएटिव केयर मुख्य रूप से कैंसर के मरीजों को दी जाती है।

अस्पताल शुरू होने के साथ केयर

एम्स भोपाल में अस्पताल शुरू होने के साथ ही पेलीएटिव केयर मिलना शुरू हो जाएगी। एम्स का 24 घंटे का अस्पताल 15 सितम्बर से शुरू करने का लक्ष्य है। फुल फ्लेज्ड अस्पताल शुरू करने की तारीख 25 दिसम्बर तय की गई है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन पर एम्स अस्पताल देश को समर्पित किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां जारी हैं।

मरीजों के इलाज के साथ ही उनके दर्द को दूर करना भी अस्पताल की जिम्मेदारी है। एम्स में लाइलाज बीमारियों के लिए मरीजों को पेलीएटिव केयर दी जाएगी।

- डॉ. संदीप कुमार, डायरेक्टर, एम्स भोपाल

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