शहर के महाराजबाड़े के जनकगंज उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छत शुक्रवार सुबह भरभराकर गिर गई। यहां शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधन दिखाया जाने वाला था। सुबह करीब 10.20 पर हुए इस हादसे के दौरान स्कूल में कोई छात्र मौजूद नहीं था। जिससे एक बड़ा हादसा होने से टल गया। इस स्कूल में दो शिफ्ट में 1200 छात्र पढ़ते हैं।
आज दोपहर 12 बजे से लगना था
स्कूल आम दिना में स्कूल सुबह सात बजे से लगता है, लेकिन आज प्रधानमंत्री का संबोधन दिखाए जाने की वजह से स्कूल का समय दोपहर 12 बजे से रखा गया था। जो छत गिरी है उसके नीचे करीब 500 लोगों के बैठने का एक हाल था, इसी हाल में पीएम का कार्यक्रम दिखाने के लिए तैयारियां की गई थी। स्कूल करीब 150 साल पुराना बताया जा रहा है। जिसमें 3 प्राइमरी, दो मीडिल और एक हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित किए जा रहे थे।
पाकिस्तान से आए शरणार्थी भी रुके थे
आजादी के बाद हुए भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से आए शरणार्थी भी इसी स्कूल में रुके थे। बताया जाता है कि जनकोजीराव सिंधिया के दौरान 1857 से पहले यहां माध्यमिक विद्यालय संचालित किया जाता था।
उठले लगे सवाल
जर्जर हो चुके स्कूल भवन में बच्चों को पढ़ाए जाने पर सवाल खडे़ होने लगे हैं। आखिर कैसे बच्चों की जान दाव पर लगाकर उन्हें इस स्कूल में पढ़ाया जा रहा था। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन, नगर निगम और शिक्षा विभाग के आल अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
कुछ दिनों पहले स्कूल में रिपेयरिंग हुई थी। ईश्वर का शुक्र है कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। एल.एस. त्यागी, स्कूल प्राचार्य
आज दोपहर 12 बजे से लगना था
स्कूल आम दिना में स्कूल सुबह सात बजे से लगता है, लेकिन आज प्रधानमंत्री का संबोधन दिखाए जाने की वजह से स्कूल का समय दोपहर 12 बजे से रखा गया था। जो छत गिरी है उसके नीचे करीब 500 लोगों के बैठने का एक हाल था, इसी हाल में पीएम का कार्यक्रम दिखाने के लिए तैयारियां की गई थी। स्कूल करीब 150 साल पुराना बताया जा रहा है। जिसमें 3 प्राइमरी, दो मीडिल और एक हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित किए जा रहे थे।
पाकिस्तान से आए शरणार्थी भी रुके थे
आजादी के बाद हुए भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से आए शरणार्थी भी इसी स्कूल में रुके थे। बताया जाता है कि जनकोजीराव सिंधिया के दौरान 1857 से पहले यहां माध्यमिक विद्यालय संचालित किया जाता था।
उठले लगे सवाल
जर्जर हो चुके स्कूल भवन में बच्चों को पढ़ाए जाने पर सवाल खडे़ होने लगे हैं। आखिर कैसे बच्चों की जान दाव पर लगाकर उन्हें इस स्कूल में पढ़ाया जा रहा था। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन, नगर निगम और शिक्षा विभाग के आल अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
कुछ दिनों पहले स्कूल में रिपेयरिंग हुई थी। ईश्वर का शुक्र है कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। एल.एस. त्यागी, स्कूल प्राचार्य
Source: MP News in Hindi and Chhattisgarh News
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