प्रदेश में आत्महत्या के मामले का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। अंदाजा लगाना मुश्किल है कि बीते 4 साल में 17739 आत्महत्या (फांसी लगाना/कलाई काटना/गला काटना) और पॉइजनिंग (जहर खाने से संबंधित) के मामले सामने आए हैं। 108 संजीवनी एक्सप्रेस की हाल ही में सामने आई रिपोर्ट इसका खुलासा कर रही है।
स्थिति इसलिए और भी ज्यादा चौंकाने वाली है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से जहां इन 4 साल में संजीवनी एक्सप्रेस ने आत्महत्या का प्रयास करने वाले 16556 लोगों को अस्पताल पहुंचाया, वहीं शहर में यह आंकड़ा महज 1184 ही रहा। हर साल आत्महत्या के प्रकरण की संख्या 2 हजार से ज्यादा बढ़ रही है।
ज्यादातर ग्रामीणों ने पिया था कीटनाकश
जानकारों का स्पष्ट कहना है कि आत्महत्या की बड़ी वजह किसान और किसानी में पैदा हुआ संकट है। बेरोजगारी, गरीबी और आर्थिक तंगी भी। जहां महज 515 मामले फांसी लगाना/कलाई काटना/गला काटना के हैं, तो वहीं केमिकल पॉइजनिंग यानी रसायनिक जहर का सेवन कर जीवन-लीला समाप्त करने का प्रयास 13665 लोगों ने किया। तो क्या यह कोशिशें किसान आत्महत्या की ओर इशारा करने वाली तस्वीर है? यह सवाल इसलिए भी उठ रह है कि ऐसी कोशिशें करने वाला ज्यादातर ग्रामीणों ने रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया है।
नशा भी कारण
इन्हीं आंकड़ों के अध्ययन करने से पता चला कि रायपुर, बिलासपुर, महासमुंद, धमतरी, बस्तर में सर्वाधित मामले प्रकाश में आए। रात 12बजे से सुबह 7बजे तक औसत से कम, जबकि 9 बजे से रात 12बजे तक हर घंटे हजार लोगों ने (चार साल के आंकड़े) आत्महत्या की कोशिश की। ग्रामीणों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे मनोरोगियों ने बड़ी वजह नशा के अत्याधिक सेवन को बताया है। यह नशा शराब, तंबाकू, ड्रग हो सकता है।
'नईदुनिया' से बातचीत में 108 संजीवनी एक्सप्रेस के पीआरओ सिबू कुमार ने बताया कि पहले उनका प्रबंधन भी इसे लेकर हैरत में पड़ गया, लेकिन यह सच्चाई है। उन्होंने कहा कि कितनों की मौत हुई, जानकारी नहीं होती, क्योंकि 108 संजीवनी सेवा का काम सिर्फ मरीज को अस्पताल पहुंचाना है।
केस-
साल-दर-साल
25जनवरी 2011से 31मार्च 2011- 154
अप्रैल 2011से 31मार्च 2012 तक- 2513
अप्रैल 2012से 31मार्च 2013 तक- 4870
अप्रैल 2013से 31मार्च 2014 तक- 6955
अप्रैल 2014से 31अगस्त 2014 तक- 3398
केमिकल पॉइजनिंग के मामले सर्वाधिक-
आत्महत्या (फांसी लगाना/कलाई काटना/गला काटना)- 515, केमिकल पॉइजनिंग (रसायनिक जहर)- 13665, दवाईयां- 419, फूड पॉइजनिंग (विषाक्त भोजन से)- 648, हर्बल पॉइजनिंग- 574, और अन्य प्रकार से पॉइजनिंग के मामले की संख्या 1918 रही। यह आंकड़े संकेत देते हैं कि आत्महत्या की कोशिश करने वाले ज्यादातर खेती किसानी से जुड़े लोग ही हैं। किसान कर रहा है, क्योंकि गांवों में कीटनाशक के रूप में ही सबसे ज्यादा रासायनिक जहर उपलब्ध है।
किस आयुवर्ग में अधिक मामले
आंकड़ों के मुताबिक 19 साल से अधिक आयुवर्ग के 4443, 20-29 साल आयुवर्ग के 6178, 30-39 आयुवर्ग के 3530, 40-49आयुवर्ग के 2059 और 60साल से कम आयुवर्ग वाले 649लोगों ने या तो जहर खाया, फांसी लगाई, कलाई काटी या फिर किसी अन्य कारणों से वे केमिकल पॉइजनिंग के चपेट में आए हैं।
किसान कर्ज में डूबे हैं
किसान कर्ज में डूब रहे हैं, मजदूरों को रोजी-रोटी नहीं मिल रही है। यही वजह कि गांव में बसना वाले लोग आत्महत्या कर रहे हैं। इसके लिए पूरी तरह से सरकार की नीतियां, योजनाएं दोषी हैं, सरकार दोषी है। कई बार विधानसभा में इन मुद्दों को उठाया गया, लेकिन सरकार कहती है कि पिता के नाम पर खेती की जमीन है तो उसका बेटा किसान नहीं होगा। मैं मानता हूं कि 90 फीसदी मामलों में रोटी-रोटी का अभाव आत्महत्या करने का कारण है।
-धनेंद्र साहू, विधायक
किसानों की बदहाली से इंकार नहीं
मैं किसान हूं, इसलिए चीजों को समझता हूं। किसान बदहाल हैं। इससे इंकार नहीं है, लेकिन विदर्भ जैसी स्थिति प्रदेश में नहीं है। किसान को बदहाली विरासत में मिली है, आज किसान अकेलापन महसूस करता है। और जब उसका किसानी से किन्हीं कारणवश मोह भंग हो जाता है तब वह अन्य कोई व्यवसाय में जाए, वह सोचता भी नहीं है। आत्महत्या के मामले हैं, सिर्फ किसान से जुड़े हुए हैं, ऐसा नहीं है।
-चंद्रशेखर साहू, पूर्व कृषि मंत्री
सीधी बात-
108का लाभ तो मिल रहा है
रामसेवक पैकरा, गृहमंत्री
सवाल- 108 संजीवनी एक्सप्रेस के आंकड़े कहते हैं कि प्रदेश में 17हजार लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की इनमें 16हजार ग्रामीण हैं?
जवाब- मुख्यमंत्री जी ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा की शुरुआत की है, इसका लाभ लोगों को मिल रहा है। घटना होगी तो आंकड़ों में बढ़ोत्तरी तो होगी ही।
सवाल- जानकारों का कहना है कि आत्महत्या के पीछे वजह बेरोजगारी, आर्थिक तंगी और गरीबी है?
जवाब- कौन कहता है? सरकार की इतनी योजनाएं संचालित हो रही हैं, सभी को काम मिल रहा है। बेरोजगार वे हैं जो काम नहीं करना चाहते। हमारे यहां तो मजदूर नहीं मिल रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।
एक्सपर्ट-
किसानों की स्थिति चिंताजनक
सरकार की नीतियां जो किसानों के लिए बनाई गई हैं, उसका लाभ सिर्फ बड़े किसानों को मिल रहा है। छोटे किसान तक तो नीतियां पहुंच ही नहीं रही हैं। छोटे किसानों का धान नहीं उठ रहा है, ऐसे में आप उनकी मनोस्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। आर्थिक तंगी आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह है, उसके बाद बेरोजगारी, गरीबी और फिर दूसरे अन्य कारण भी हो सकते हैं। मैं मानता हूं कि राज्य में किसानों की स्थिति बेहद ही चिंता जनक है।
-डॉ. जेएल भारद्वाज, अर्थशास्त्री
रोजी-रोटी का संकट आत्महत्या की वजह
जिन आंकड़ों की आप बात कर रहे हैं, उनमें से 90 फीसदी आत्महत्या के मामले ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। एक आंकड़ा यह भी है कि राज्य में हर साल 2हजार किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने तो उनका रिकॉर्ड रखना ही बंद कर दिया है। किसान और किसानी दोनों संकट में है। प्रदेश विकास का दावा इन्हीं आंकड़ों से गलत साबित हो जाता है। आत्महत्या का एक बड़ा कारण रोजी-रोटी का संकट है। किसान कर्ज में डूबा है, फसल नहीं बिक रही, बिक रही है तो वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा। ऐसे में तंग आकर किसान जान दे रहे हैं।
-संजय पराते, सचिव मंडल सदस्य, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
विशेषज्ञ की राय-
डॉ. मनोज साहू, वरिष्ठ मनोचिकित्सक
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और अब आप बता रहे हैं कि 108 संजीवनी एक्सप्रेस ने भी कहा है कि छत्तीसगढ़ में सुसाइडल केस ज्यादा हैं तो यह सीरियसली रिसर्च का विषय है। देखिए, इसके कई कारण हो सकते हैं। मैं नहीं मानता कि ग्रामीण क्षेत्रों में आत्महत्या के मामले शहर से कम होंगे, इस पर मेरी भी एक रिपोर्ट है।
1- नशा- छत्तीसगढ़ में लोग अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा नशा करते हैं। और यही नशा कई बार गलत कदम उठाने के लिए विवश कर देता है।
2- तनाव- तनाव कई प्रकार के हो सकते हैं, पारिवारिक, आर्थिक, व्यापार में या फिर नौकरी में। प्रदेश में रायपुर, बिलासपुर के अलावा कहीं भी ऐसे तनावग्रस्त लोगों के उपचार की व्यवस्था नहीं है, इसलिए लोग ऐसे कदम उठा रहे हैं।
3- सहनशीलता घटना- पहले लोगों में सहनशीलता होती थी, बर्दाश्त कर लेते थे, लेकिन अब जरा-सी बात पर जान दे देते हैं। इसमें टीवी की बड़ी भूमिका है, जो हमें गलत दिशा में ले जा रही है।
स्थिति इसलिए और भी ज्यादा चौंकाने वाली है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से जहां इन 4 साल में संजीवनी एक्सप्रेस ने आत्महत्या का प्रयास करने वाले 16556 लोगों को अस्पताल पहुंचाया, वहीं शहर में यह आंकड़ा महज 1184 ही रहा। हर साल आत्महत्या के प्रकरण की संख्या 2 हजार से ज्यादा बढ़ रही है।
ज्यादातर ग्रामीणों ने पिया था कीटनाकश
जानकारों का स्पष्ट कहना है कि आत्महत्या की बड़ी वजह किसान और किसानी में पैदा हुआ संकट है। बेरोजगारी, गरीबी और आर्थिक तंगी भी। जहां महज 515 मामले फांसी लगाना/कलाई काटना/गला काटना के हैं, तो वहीं केमिकल पॉइजनिंग यानी रसायनिक जहर का सेवन कर जीवन-लीला समाप्त करने का प्रयास 13665 लोगों ने किया। तो क्या यह कोशिशें किसान आत्महत्या की ओर इशारा करने वाली तस्वीर है? यह सवाल इसलिए भी उठ रह है कि ऐसी कोशिशें करने वाला ज्यादातर ग्रामीणों ने रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया है।
नशा भी कारण
इन्हीं आंकड़ों के अध्ययन करने से पता चला कि रायपुर, बिलासपुर, महासमुंद, धमतरी, बस्तर में सर्वाधित मामले प्रकाश में आए। रात 12बजे से सुबह 7बजे तक औसत से कम, जबकि 9 बजे से रात 12बजे तक हर घंटे हजार लोगों ने (चार साल के आंकड़े) आत्महत्या की कोशिश की। ग्रामीणों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे मनोरोगियों ने बड़ी वजह नशा के अत्याधिक सेवन को बताया है। यह नशा शराब, तंबाकू, ड्रग हो सकता है।
'नईदुनिया' से बातचीत में 108 संजीवनी एक्सप्रेस के पीआरओ सिबू कुमार ने बताया कि पहले उनका प्रबंधन भी इसे लेकर हैरत में पड़ गया, लेकिन यह सच्चाई है। उन्होंने कहा कि कितनों की मौत हुई, जानकारी नहीं होती, क्योंकि 108 संजीवनी सेवा का काम सिर्फ मरीज को अस्पताल पहुंचाना है।
केस-
साल-दर-साल
25जनवरी 2011से 31मार्च 2011- 154
अप्रैल 2011से 31मार्च 2012 तक- 2513
अप्रैल 2012से 31मार्च 2013 तक- 4870
अप्रैल 2013से 31मार्च 2014 तक- 6955
अप्रैल 2014से 31अगस्त 2014 तक- 3398
केमिकल पॉइजनिंग के मामले सर्वाधिक-
आत्महत्या (फांसी लगाना/कलाई काटना/गला काटना)- 515, केमिकल पॉइजनिंग (रसायनिक जहर)- 13665, दवाईयां- 419, फूड पॉइजनिंग (विषाक्त भोजन से)- 648, हर्बल पॉइजनिंग- 574, और अन्य प्रकार से पॉइजनिंग के मामले की संख्या 1918 रही। यह आंकड़े संकेत देते हैं कि आत्महत्या की कोशिश करने वाले ज्यादातर खेती किसानी से जुड़े लोग ही हैं। किसान कर रहा है, क्योंकि गांवों में कीटनाशक के रूप में ही सबसे ज्यादा रासायनिक जहर उपलब्ध है।
किस आयुवर्ग में अधिक मामले
आंकड़ों के मुताबिक 19 साल से अधिक आयुवर्ग के 4443, 20-29 साल आयुवर्ग के 6178, 30-39 आयुवर्ग के 3530, 40-49आयुवर्ग के 2059 और 60साल से कम आयुवर्ग वाले 649लोगों ने या तो जहर खाया, फांसी लगाई, कलाई काटी या फिर किसी अन्य कारणों से वे केमिकल पॉइजनिंग के चपेट में आए हैं।
किसान कर्ज में डूबे हैं
किसान कर्ज में डूब रहे हैं, मजदूरों को रोजी-रोटी नहीं मिल रही है। यही वजह कि गांव में बसना वाले लोग आत्महत्या कर रहे हैं। इसके लिए पूरी तरह से सरकार की नीतियां, योजनाएं दोषी हैं, सरकार दोषी है। कई बार विधानसभा में इन मुद्दों को उठाया गया, लेकिन सरकार कहती है कि पिता के नाम पर खेती की जमीन है तो उसका बेटा किसान नहीं होगा। मैं मानता हूं कि 90 फीसदी मामलों में रोटी-रोटी का अभाव आत्महत्या करने का कारण है।
-धनेंद्र साहू, विधायक
किसानों की बदहाली से इंकार नहीं
मैं किसान हूं, इसलिए चीजों को समझता हूं। किसान बदहाल हैं। इससे इंकार नहीं है, लेकिन विदर्भ जैसी स्थिति प्रदेश में नहीं है। किसान को बदहाली विरासत में मिली है, आज किसान अकेलापन महसूस करता है। और जब उसका किसानी से किन्हीं कारणवश मोह भंग हो जाता है तब वह अन्य कोई व्यवसाय में जाए, वह सोचता भी नहीं है। आत्महत्या के मामले हैं, सिर्फ किसान से जुड़े हुए हैं, ऐसा नहीं है।
-चंद्रशेखर साहू, पूर्व कृषि मंत्री
सीधी बात-
108का लाभ तो मिल रहा है
रामसेवक पैकरा, गृहमंत्री
सवाल- 108 संजीवनी एक्सप्रेस के आंकड़े कहते हैं कि प्रदेश में 17हजार लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की इनमें 16हजार ग्रामीण हैं?
जवाब- मुख्यमंत्री जी ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा की शुरुआत की है, इसका लाभ लोगों को मिल रहा है। घटना होगी तो आंकड़ों में बढ़ोत्तरी तो होगी ही।
सवाल- जानकारों का कहना है कि आत्महत्या के पीछे वजह बेरोजगारी, आर्थिक तंगी और गरीबी है?
जवाब- कौन कहता है? सरकार की इतनी योजनाएं संचालित हो रही हैं, सभी को काम मिल रहा है। बेरोजगार वे हैं जो काम नहीं करना चाहते। हमारे यहां तो मजदूर नहीं मिल रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।
एक्सपर्ट-
किसानों की स्थिति चिंताजनक
सरकार की नीतियां जो किसानों के लिए बनाई गई हैं, उसका लाभ सिर्फ बड़े किसानों को मिल रहा है। छोटे किसान तक तो नीतियां पहुंच ही नहीं रही हैं। छोटे किसानों का धान नहीं उठ रहा है, ऐसे में आप उनकी मनोस्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। आर्थिक तंगी आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह है, उसके बाद बेरोजगारी, गरीबी और फिर दूसरे अन्य कारण भी हो सकते हैं। मैं मानता हूं कि राज्य में किसानों की स्थिति बेहद ही चिंता जनक है।
-डॉ. जेएल भारद्वाज, अर्थशास्त्री
रोजी-रोटी का संकट आत्महत्या की वजह
जिन आंकड़ों की आप बात कर रहे हैं, उनमें से 90 फीसदी आत्महत्या के मामले ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। एक आंकड़ा यह भी है कि राज्य में हर साल 2हजार किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने तो उनका रिकॉर्ड रखना ही बंद कर दिया है। किसान और किसानी दोनों संकट में है। प्रदेश विकास का दावा इन्हीं आंकड़ों से गलत साबित हो जाता है। आत्महत्या का एक बड़ा कारण रोजी-रोटी का संकट है। किसान कर्ज में डूबा है, फसल नहीं बिक रही, बिक रही है तो वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा। ऐसे में तंग आकर किसान जान दे रहे हैं।
-संजय पराते, सचिव मंडल सदस्य, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
विशेषज्ञ की राय-
डॉ. मनोज साहू, वरिष्ठ मनोचिकित्सक
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और अब आप बता रहे हैं कि 108 संजीवनी एक्सप्रेस ने भी कहा है कि छत्तीसगढ़ में सुसाइडल केस ज्यादा हैं तो यह सीरियसली रिसर्च का विषय है। देखिए, इसके कई कारण हो सकते हैं। मैं नहीं मानता कि ग्रामीण क्षेत्रों में आत्महत्या के मामले शहर से कम होंगे, इस पर मेरी भी एक रिपोर्ट है।
1- नशा- छत्तीसगढ़ में लोग अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा नशा करते हैं। और यही नशा कई बार गलत कदम उठाने के लिए विवश कर देता है।
2- तनाव- तनाव कई प्रकार के हो सकते हैं, पारिवारिक, आर्थिक, व्यापार में या फिर नौकरी में। प्रदेश में रायपुर, बिलासपुर के अलावा कहीं भी ऐसे तनावग्रस्त लोगों के उपचार की व्यवस्था नहीं है, इसलिए लोग ऐसे कदम उठा रहे हैं।
3- सहनशीलता घटना- पहले लोगों में सहनशीलता होती थी, बर्दाश्त कर लेते थे, लेकिन अब जरा-सी बात पर जान दे देते हैं। इसमें टीवी की बड़ी भूमिका है, जो हमें गलत दिशा में ले जा रही है।
Source: Chhattisgarh News and MP Hindi News
No comments:
Post a Comment