Friday, 12 September 2014

Faith messing up the plight of immersion into the pool contained statues

स्थानीय प्रशासन ने नर्मदा में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। विडंबना यह है कि तीर्थनगरी में विसर्जन के लिए बनाए गए कुंडों का पानी नर्मदा में मिल रहा है। इन कुंडों में बच्चे उतरकर मूर्तियों के ऊपर चलते हुए सिक्के एवं अन्य सामग्री खोज रहे हैं। बाढ़ आने पर कुंडों की मूर्तियां भी नर्मदा में समा जाएगी। खुले कुंडों में प्रवेश कर जानवर भी मूर्तियों को प्रदूषित कर रहे हैं। इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के नदियों में किसी तरह की प्रतिमाओं के विसर्जन पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इसी के तहत प्रशासन ने भी सख्ती दिखाते हुए नर्मदा नदी में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं होने दिया। नगर पंचायत द्वारा ब्रह्मपुरी में बनाए गए कुंडों में हजारों गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करवाया गया था।

ओंकारेश्वर नर्मदा रक्षा मंच के प्रदीप ठाकुर ने ओंकारेश्वर, मोरटक्का, खेड़ीघाट, नावघाट खेड़ी में प्रशासन द्वारा गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन नहीं होने देने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पूरे देश में नदियों में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि जहां से पीने के पानी का वितरण होता है ऐसे नदियों एवं जलाशयों में कोई भी प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं होने दिया जाए।

ओंकारेश्वर में भी प्रशासन द्वारा इस निर्देश का पालन किया गया है। वहीं बुरहानपुर में ताप्ती नदी, खरगोन जिले के कुंदा, बड़वाह के पास चोरल, पुनासा तहसील की कावेरी नदी में हजारों प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया गया। इन नदियों में मूर्तियों का विसर्जन रोकने वाला कोई नहीं था। श्री ठाकुर ने शासन से अन्य नदियों में भी प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाने की मांग की है।

सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश वर्मा ने कहा कि नर्मदा नदी में प्रतिमाओं के विसर्जन नहीं होने दिया गया यह अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि विसर्जन के लिए बनाए गए कुंडों का पानी भी नर्मदा में मिल रहा है। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। कुंडों में बच्चे उतरकर मूर्तियों के ऊपर चलते हुए सिक्के एवं अन्य सामग्री खोज रहे हैं। बाढ़ आने पर कुंडों की मूर्तियां भी नर्मदा में समा जाएगी। खुले कुंडों में प्रवेश कर जानवर भी मूर्तियों को प्रदूषित कर रहे हैं। ऐसे दृश्य देखकर भावनाएं आहत होती हैं। -निप्र

बंद करेंगे कुंड

अभी प्रतिमाओं का विसर्जन चल रहा है। बाद में ग्राम पंचायत और नगर पंचायत से कहकर कुंडों को बंद कर दिया जाएगा।

-मुकेश काशिव, तहसीलदार ओंकारेश्वर

घाट का विरोध - पर्यटन विभाग करवा रहा निर्माण

खेड़ीघाट स्थित जबरेश्वर महादेव मंदिर के पास 15 लाख रुपए की लागत से घाट का निर्माण किया जा रहा है। इस निर्माण को लेकर मोरटक्का के नागरिकों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि जहां पर घाट का निर्माण किया जा रहा है वहां रेती के अलावा कुछ नहीं है।

समाजसेवी मुकेश शुक्ला ने नवनिर्मित घाट के निर्माण को लेकर प्रदेश के पर्यटन मंत्री को पत्र लिखा है। इसमें उल्लेख किया गया है कि जिस स्थान पर निर्माण कार्य हो रहा है उसके नीचे करीब 20 फुट तक रेत के अलावा कुछ भी नहीं है। निर्माण करने से पहले केंद्रीय जल आयोग की अनुमति लेनी पड़ती है।

नर्मदा में कहां तक बाढ़ आएगी और जहां पर निर्माण हो रहा है वह बाढ़ में बहेगा तो नहीं। पर्यटन विभाग ने ऐसा कुछ नहीं किया।इधर भाजपा नेता सत्यदेव जोशी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस निर्माण को लेकर शिकायत की है।

उन्होंने लिखा है कि नर्मदा किनारे पर्यटन विभाग ने जो भी निर्माण कार्य किए हैं सब नर्मदा की बाढ़ में बह चुके हैं। इसमें ओंकार पर्वत का परिक्रमा मार्ग, गौमुखघाट, ब्रह्मपुरीघाट पर करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य शामिल हैं। श्री जोशी ने कहा है कि खेड़ीघाट का पुराना घाट काफी जर्जर हो चुका है। उसी में सुधार कर उसे मजबूत किया जाना चाहिए। इससे नर्मदा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियों से निजात मिल सकेगी।

जानकारी में नही

खेड़ीघाट नर्मदा तट पर घाट निर्माण के संबंध में मुझे जानकारी नहीं है। आपसे जानकारी मिली है कि बालू रेती पर निर्माण किया जा रहा है। जांच करवाकर निर्माण कार्य बंद कर दिया जाएगा।

- निलेश पिंगले, पर्यटन विभाग प्रभारी, ओंकारेश्वर क्षेत्र

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