Monday, 8 September 2014

Manturam pawar will log fir on hariprasad bhupesh singdev and rajesh tiwari

अंतागढ़ उपचुनाव में अपना नाम वापस लेकर कांग्रेस में हलचल पैदा करने वाले मंतूराम पवार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव, छत्तीसगढ़ के प्रभारी वीके हरिप्रसाद व प्रदेश कांग्रेस के महासचिव राजेश तिवारी के खिलाफ आदिवासी हरिजन थाने में एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में हैं। श्री पवार नई दिल्ली से दूरभाष पर चर्चा कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि चुनाव में नामांकन भरने के बाद से इन चारों के व्यवहार से उन्होंने खुद को काफी दुखी व असहज महसूस किया था। इसी के चलते नामांकन दाखिल करने के बाद भी उन्हें अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। श्री पवार ने कहा कि वे जंतर-मंतर के धरने में शामिल नहीं होंगे, लेकिन मीडिया के माध्यम से सोनिया जी व राहुल जी तक अपनी बात जरूर पहुंचाएंगे।

मिला उल्‍टा जवाब, तो ले लिया नामांकन

श्री पवार ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी से लगातार पांचवीं बार अपना नामांकन दाखिल किया था। इसके पहले एकमात्र चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले लड़े थे। नामांकन दाखिल करने के पहले एवं नामांकन दाखिल होने के बाद की स्थिति में उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों से चुनाव के लिए पैसे आदि की व्यवस्था करने के लिये लगातार कहते रहे। उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि यदि चुनाव के लिये सारे कांग्रेसजन एकजुट नहीं होंगे और पैसे की व्यवस्था नहीं होगी तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे।

यह सब जानकारी होने के बाद भी इन चारों नेताओं ने उन्हें उल्टा ही जवाब दिया। इससे घबराकर और आहत होकर वे स्वविवेक से कांकेर जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा अधिकृत रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष जाकर नामांकन वापस ले लिया। श्री पवार ने कहा कि वे इन चारों नेताओं के व्यवहार से काफी आहत हो चुके थे। ये उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। इसके चलते आत्महत्या करने की स्थिति तक भी वे पहुंच चुके थे। इन सारी बातों को उन्होंने पत्नी से छिपाए रखा था।

चुनाव से हटने के लिए मजबूर किया

श्री पवार ने कहा कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, या फिर निर्दलीय, इनके द्वारा किसी आदिवासी नेता को कोई भी प्रताड़ित करता है तो ऐसी स्थिति में एसटीएससी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं। मुझे मजबूर किया गया। आहत किया गया। मानसिक रूप से कष्ट दिया गया। अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये इन नेताओं ने उन्हें इस्तेमाल किया फिर चुनाव मैदान से हटने के लिए मजबूर कर दिया।

श्री पवार ने कहा कि उनका परिवार, उनका समाज और लगभग 48 प्रतिशत आदिवासी इनसे दुखी हो गये हैं। वे कांग्रेस के प्रति पूरी आस्था रखते थे। 20 व 22 वर्षो से लगातार कांग्रेस से जुड़े हुए थे। उन्हें बार-बार यह जताया जा रहा था कि कांग्रेस में मेरी औकात क्या है। इन नेताओं को इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करने के पूर्व सोचना चाहिये था। वे कोई बच्चा नहीं हैं।

बस्तर की राजनीति में बदलाव के दिए संकेत

श्री पवार ने कहा कि भाजपा में या अन्य किसी पार्टी में जाने का उन्होंने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। बस्तर संभाग के उन सभी कार्यकर्ताओं से जिनके लगातार फोन आ रहे हैं, उनसे मिलकर उनकी भावनाओं को समझकर ही आगे कुछ निर्णय लूंगा। वे बस्तर के नेता हैं।

निश्चित रूप से आगे चलकर कार्यकर्ता अगर उन्हें सुझाव देंगे और सहयोग देंगे तो पृथक दंडकारण्य की मांग, पृथक बस्तर राज्य की मांग एवं क्षेत्रीय पार्टी बनाने की स्थिति पर भी विचार कर सकते हैं। उन्होंने अपने ऊपर लगने वाले उस आरोप का भी खंडन किया जिसमें कहा गया है कि अजीत जोगी के कहने पर उन्होंने अपना नाम वापस लिया है।

जंतर-मंतर के धरने में नहीं होऊंगा शामिल

श्री पवार ने कहा कि वे दिल्ली के जंतर-मंतर में 8 सितंबर को होने वाले कांगे्रस के धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे। लेकिन दिल्ली की मीडिया के माध्यम से अपनी व्यथा और मुद्दों को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी तक पहुंचाने का प्रयास अवश्य करेंगे। मंतूराम ने कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के आदमी थे। उनकी आस्था सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अजीत जोगी, मोतीलाल वोरा, चरणदास महंत, रविन्द्र चौबे के प्रति रही है। न तो अजीत जोगी ने उन्हें खरीदा है और न ही भाजपा ने। यदि इस प्रकार का भ्रम फैलाया जा रहा है तो इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

साजिश के तहत हरवाना चाहते थे चुनाव

मंतूराम पवार ने कहा कि वे अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार की रणनीति के तहत अपने कार्यकर्ताओं व क्षेत्र के जमीनी कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार में लगाना चाहते थे, किंतु हरिप्रसाद, भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव व राजेश तिवारी ने उन सारे नामों को काट दिया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से चुनाव संबंधी सारा फंड राजेश तिवारी के पास ही आ रहा था। यही लोग मिलकर मेरे को कहीं न कहीं कमजोर करके साजिश के तहत चुनाव हरवाना चाहते थे। इस बात को वे इन चारों नेताओं के समक्ष कह चुके थे।

मुझ पर आरोप लगाने की बजाए इन चारों को निकालने की मांग करें

मंतूराम ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस द्वारा जंतर-मंतर में धरना देना और चुनाव आयोग की सिस्टम को चुनौती देना एक प्रश्नवाचक चिन्ह है जबकि केन्द्रीय चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि अंतागढ़ का उपचुनाव न तो रद्द होगा और न ही निरस्त होगा। जो लोग उनके ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं, ऐसे लोगों के लिये वे कहना चाहते हैं कि सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को प्रदेश के ऐसे नेताओं को तत्काल पद से हटाने की मांग करनी चाहिये। कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के दिल्ली स्थित निवास पर जाकर छत्तीसगढ़ के ऐसे कांग्रेसियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग करनी चाहिए।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस खत्म होने की कगार पर

श्री पवार ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस खत्म होने की कगार पर है। यदि इन नेताओं के हाथों में नेतृत्व रहा तो पूरे छत्तीसगढ़ में स्थानीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस साफ हो जायेगी। राहुल गांधी के कांग्रेस संगठन में चुनाव के सिस्टम को लागू करना चाहिये, जिससे ब्लाक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक चुनाव के प्रक्रिया के तहत ही नेतृत्व निर्धारित हो। जबरदस्ती थोपे गये नेताओं के कारण ही आज श्री बघेल प्रदेश अध्यक्ष बने हैं।

भूपेश बघेल के नेतृत्व में ही केशकाल नगर पंचायत का चुनाव विवादित हो गया था। इन्हीं कांग्रेसियों के कारण केशकाल में कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव हारा था। अंतागढ़ के उपचुनाव की परिस्थिति से अवगत होने के बाद भी इन्हीं कांग्रेसियों ने कांग्रेस का भठ्ठा बैठाया। कहीं न कहीं भूपेश बघेल की और उनके साथ जुड़े नेताओं की भाजपा से साठगांठ है। ये पार्टी के लिए नहीं, अपने स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं।

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