अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस द्वारा उतारे गए डमी प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने का मामला अब गरमाने लगा है। कांग्रेस ने दिल्ली में केंद्रीय निर्वाचन आयोग से की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने राज्य सरकार के कहने पर कांग्रेस के डमी प्रत्याशी का नामांकन निरस्त किया है।
इधर कांकेर जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस आरोप को आधारहीन बताते हुए कहा है कि कांग्रेस के डमी प्रत्याशी के नामांकन में प्रस्तावकों के नाम ही नहीं थे, इसलिए निरस्त किया गया है और यह कार्रवाई पूरी तरह से कानून के तहत की गई है।
'नईदुनिया' ने एक सितंबर को प्रकाशित खबर में सबसे पहले यह जानकारी दी थी कि कांग्रेस के डमी प्रत्याशी के नामांकन में भी गलती की गई थी। यह गड़बड़ी दो तरह से हुई थी। पहली तो यह कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी मंतूराम पवार की पत्नी को डमी प्रत्याशी बनाया गया। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार एक ही परिवार से अधिकृत और डमी प्रत्याशी नहीं बनाए जाते। कांग्रेस जिला कांग्रेस के अध्यक्ष नरेश ठाकुर मान चुके हैं कि नामांकन फार्म में प्रस्तावकों के दस नाम होने चाहिए थे, जो नहीं थे।
अब कांग्रेस ने ही डमी प्रत्याशी का विवाद आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग से की गई शिकायत में जिला निर्वाचन अधिकारी और राज्य सरकार के खिलाफ आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार और कांग्रेस की डमी प्रत्याशी सविता पवार सहित 14 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था।
स्क्रूटनी के दिन केवल एक प्रत्याशी, कांग्रेस की डमी प्रत्याशी सविता पवार का नामांकन इस बिना पर निरस्त किया गया कि डमी प्रत्याशी द्वारा बी फार्म जमा नहीं किया गया था, जो कि पूरी तरह से गलत था, क्योंकि डमी प्रत्याशी के नामांकन को रद्द करने का यह आधार नहीं बनाया जा सकता है। नामांकन पत्र का यह निरस्तीकरण चुनाव चिन्ह आरक्षण और आदेश 1968 आवंटन 13 (इ)(ब)(म) और 13 । के प्रावधानों के विपरीत था। हमारे बार-बार आग्रह के बाद कांग्रेस के डमी उम्मीदवार का नामांकन निरस्त कर दिया गया।
दस प्रस्तावकों के नाम नहीं थे, इसलिए डमी कानामांकन निरस्त हुआ- डीईओ
कांकेर की जिला निर्वाचन अधिकारी(डीईओ) अलरमेल मंगई डी. ने नईदुनिया से चर्चा करते हुए कांग्रेस के आरोप को निराधार बताया है। उनका कहना है कि डमी प्रत्याशी के नामांकन पत्र में दस प्रस्तावकों के नाम होने चाहिए थे, जो नहीं थे, इसलिए ही नामांकन निरस्त किया गया। डीईओ का यह भी कहना है कि नामांकन पत्रों की जांच(स्क्रूटनी) के समय आपत्ति की जानी थी, वह भी नहीं की गई। बी फार्म में केवल मंतूराम पवार का नाम था।
इधर कांकेर जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस आरोप को आधारहीन बताते हुए कहा है कि कांग्रेस के डमी प्रत्याशी के नामांकन में प्रस्तावकों के नाम ही नहीं थे, इसलिए निरस्त किया गया है और यह कार्रवाई पूरी तरह से कानून के तहत की गई है।
'नईदुनिया' ने एक सितंबर को प्रकाशित खबर में सबसे पहले यह जानकारी दी थी कि कांग्रेस के डमी प्रत्याशी के नामांकन में भी गलती की गई थी। यह गड़बड़ी दो तरह से हुई थी। पहली तो यह कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी मंतूराम पवार की पत्नी को डमी प्रत्याशी बनाया गया। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार एक ही परिवार से अधिकृत और डमी प्रत्याशी नहीं बनाए जाते। कांग्रेस जिला कांग्रेस के अध्यक्ष नरेश ठाकुर मान चुके हैं कि नामांकन फार्म में प्रस्तावकों के दस नाम होने चाहिए थे, जो नहीं थे।
अब कांग्रेस ने ही डमी प्रत्याशी का विवाद आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग से की गई शिकायत में जिला निर्वाचन अधिकारी और राज्य सरकार के खिलाफ आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार और कांग्रेस की डमी प्रत्याशी सविता पवार सहित 14 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था।
स्क्रूटनी के दिन केवल एक प्रत्याशी, कांग्रेस की डमी प्रत्याशी सविता पवार का नामांकन इस बिना पर निरस्त किया गया कि डमी प्रत्याशी द्वारा बी फार्म जमा नहीं किया गया था, जो कि पूरी तरह से गलत था, क्योंकि डमी प्रत्याशी के नामांकन को रद्द करने का यह आधार नहीं बनाया जा सकता है। नामांकन पत्र का यह निरस्तीकरण चुनाव चिन्ह आरक्षण और आदेश 1968 आवंटन 13 (इ)(ब)(म) और 13 । के प्रावधानों के विपरीत था। हमारे बार-बार आग्रह के बाद कांग्रेस के डमी उम्मीदवार का नामांकन निरस्त कर दिया गया।
दस प्रस्तावकों के नाम नहीं थे, इसलिए डमी कानामांकन निरस्त हुआ- डीईओ
कांकेर की जिला निर्वाचन अधिकारी(डीईओ) अलरमेल मंगई डी. ने नईदुनिया से चर्चा करते हुए कांग्रेस के आरोप को निराधार बताया है। उनका कहना है कि डमी प्रत्याशी के नामांकन पत्र में दस प्रस्तावकों के नाम होने चाहिए थे, जो नहीं थे, इसलिए ही नामांकन निरस्त किया गया। डीईओ का यह भी कहना है कि नामांकन पत्रों की जांच(स्क्रूटनी) के समय आपत्ति की जानी थी, वह भी नहीं की गई। बी फार्म में केवल मंतूराम पवार का नाम था।
Source:MP Hindi News and Chhattisgarh News
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