लंबे समय से विवाद में उलझी मध्यप्रदेश सड़क परिवहन की तालाबंदी की अंतिम मंजूरी पर आगामी सोलह सितंबर को दिल्ली में फैसला होगा। इस दिन केंद्रीय श्रम मंत्रालय में त्रि-पक्षीय बैठक होगी। गौरतलब है कि निगम में श्रम कानून लागू होने की वजह से श्रम मंत्रालय की मंजूरी सबसे जरूरी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक श्रम मंत्रालय ने इस त्रिपक्षीय बैठक के लिए मप्र के परिवहन विभाग के अधिकारियों और सपनि की तालाबंदी के खिलाफ लड़ रहे सभी ट्रेड यूनियन पदाधिकारियों को सोलह सितंबर को दिल्ली बुलाया है। दोनों पक्षों की सुनवाई श्रम मंत्रालय के संयुक्त सचिव करेंगे।
बताया जाता है कि मप्र सरकार ने हाल में केंद्र को पत्र भेजकर सपनि को 31 अक्टूबर से औपचारिक रूप से बंद करने की अनुमति(डीम्ड) मांगी थी। इसकी भनक मिलते ही कर्मचारी यूनियनों ने श्रम मंत्रालय को पत्र भेजकर विरोध किया और पक्ष रखने का मौका मांगा । इसके चलते मामला उलझ रहा है। वजह यह है कि श्रम मंत्रालय कुछ वर्ष पहले भी कह चुका है कि शेष कर्मचारियों के व्यवस्थापन के बिना तालाबंदी की अनुमति संभव नहीं है।
मप्र सरकार ने सपनि को बंद करने का फैसला वर्ष 05 में किया था,तब से सरकार लगभग दस हजार कर्मचारियों को वीआरएस दे चुकी है तथा बसों का संचालन पूरी तरह बंद हो गया है। फिलहाल निगम में 463 कर्मचारी और देनदारी से जुड़े मामलों का निपटारा बाकी है।
श्रम मंत्रालय के अफसर इस प्रकरण पर चुप्पी साधे हैं।,लेकिन एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि सपनि की जो हालत है,उसके चलते किसी उचित निष्कर्ष पर पहुँचकर इसे बंद किया जाना ही विकल्प है। वहीं यूनियन के अध्यक्ष श्यामसुंदर शर्मा के मुताबिक कर्मचारियों का अन्य महकमों में संविलियन अथवा छठवें वेतनमान के आधार पर वन टाइम सेटलमेंट के अतिरिक्त कुछ भी मंजूर नहीं किया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक श्रम मंत्रालय ने इस त्रिपक्षीय बैठक के लिए मप्र के परिवहन विभाग के अधिकारियों और सपनि की तालाबंदी के खिलाफ लड़ रहे सभी ट्रेड यूनियन पदाधिकारियों को सोलह सितंबर को दिल्ली बुलाया है। दोनों पक्षों की सुनवाई श्रम मंत्रालय के संयुक्त सचिव करेंगे।
बताया जाता है कि मप्र सरकार ने हाल में केंद्र को पत्र भेजकर सपनि को 31 अक्टूबर से औपचारिक रूप से बंद करने की अनुमति(डीम्ड) मांगी थी। इसकी भनक मिलते ही कर्मचारी यूनियनों ने श्रम मंत्रालय को पत्र भेजकर विरोध किया और पक्ष रखने का मौका मांगा । इसके चलते मामला उलझ रहा है। वजह यह है कि श्रम मंत्रालय कुछ वर्ष पहले भी कह चुका है कि शेष कर्मचारियों के व्यवस्थापन के बिना तालाबंदी की अनुमति संभव नहीं है।
मप्र सरकार ने सपनि को बंद करने का फैसला वर्ष 05 में किया था,तब से सरकार लगभग दस हजार कर्मचारियों को वीआरएस दे चुकी है तथा बसों का संचालन पूरी तरह बंद हो गया है। फिलहाल निगम में 463 कर्मचारी और देनदारी से जुड़े मामलों का निपटारा बाकी है।
श्रम मंत्रालय के अफसर इस प्रकरण पर चुप्पी साधे हैं।,लेकिन एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि सपनि की जो हालत है,उसके चलते किसी उचित निष्कर्ष पर पहुँचकर इसे बंद किया जाना ही विकल्प है। वहीं यूनियन के अध्यक्ष श्यामसुंदर शर्मा के मुताबिक कर्मचारियों का अन्य महकमों में संविलियन अथवा छठवें वेतनमान के आधार पर वन टाइम सेटलमेंट के अतिरिक्त कुछ भी मंजूर नहीं किया जाएगा।
Source: MP News in Hindi and Chhattisgarh Hindi News
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