भारी बारिश के कारण रविवार से गंगरेल बांध से पानी छोड़ने का सिलसिला शुरु हुआ, जो अभी तक बरकरार है। सोमवार सुबह से दोपहर तक 55 हजार क्यूसेक की रफ्तार से पानी छोड़ा गया। लेकिन शाम और रात होते तक पानी की मात्रा घटाई गई। वैसे भी इस अवधि में जलग्रहण क्षेत्र में बारिश नहीं हुई। जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार रात 1 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक 6 घंटे के दौरान लगातार 66100 क्यूसेक प्रति सेकंड की रफ्तार से गंगरेल बांध से पानी छोड़ा गया।
गंगरेल से छूटा पानी रुद्री बैराज आने के बाद रफ्तार से महानदी में बहता रहा। इस वजह से तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया था। रफ्तार से पानी छूटने की वजह से अछोटा पुल के नीचे महानदी तट पर बसे कुछ घरों में पानी भी घुस गया। जिससे लोग परेशान रहे। जल संसाधन विभाग के मुताबिक सोमवार सुबह 7 बजे गंगरेल बांध में पानी की आवक 70930 क्यूसक थी। जबकि इसके मुकाबले 39632 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था।
सुबह 8 बजे से 12 बजे तक महानदी में 65100 क्यूसेक की रफ्तार से पानी छोड़ा गया। दोपहर 1 बजे कैचमेंट एरिया से पानी की आवक में कमी आने के कारण पानी छोड़ने की रफ्तार कम कर 55200 क्यूसेक कर दी गई। सोमवार शाम 7 बजे की स्थिति में गंगरेल बांध में 31.151 टीएमसी जलभराव था। 19267 क्यूसेक पानी की आवक थी। तथा 3 गेट खोलकर 20550 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। आवक कम होने के कारण दोपहर 1 बजे से पानी छोड़ने की रफ्तार कम कर दी गई।
1 बजे 55200 क्यूसेक पानी छूट रहा था। 2 बजे पानी छोड़ने की रफ्तार 45000 कर दी गई। इसके बाद शाम को पानी छोड़ने की रफ्तार घटाकर 30000 क्यूसेक कर दी गई। शाम 7 बजे 20550 क्यूसेक पानी गंगरेल बांध से छूट रहा था। भुरसीडोंगरी के एनीकट को नुकसान नगरी क्षेत्र में भारी बारिश के कारण सीतानदी उफान पर है। सीतानदी की बाढ़ के कारण भुरसीडोंगरी के एनीकट को नुकसान पहुंचा है। भुरसीडोंगरी के श्यामाचरण नेताम ने बताया कि बाढ़ के पानी की चपेट में आकर उसके खेत के 3 पेड़ गिर गए हैं।
खेत में भी पानी भर गया है।इससे पहले भी पिछले माह की भारी बारिश से बाढ़ आया था। जिसमें उसके 6 पेड़ों को नुकसान पहुंचा। ठेकेदार और विभाग की लापरवाही के कारण एनी कट के आसपास के किसानों को नुकसान हो रहा है। मुरूमसिल्ली बांध 100 फीसदी मुरूमसिल्ली बांध 100 फीसदी भर गया है। यहां 7329 क्यूसेक आवक के मुकाबले 7213 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। दुधावा बांध में 95 प्रतिशत जलभराव है। 24052 क्यूसेक पानी आ रहा है तथा 8485 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। सोंढूर बांध में 94 प्रतिशत पानी है। यहां 7111 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई है। 10637 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
गंगरेल से छूटा पानी रुद्री बैराज आने के बाद रफ्तार से महानदी में बहता रहा। इस वजह से तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया था। रफ्तार से पानी छूटने की वजह से अछोटा पुल के नीचे महानदी तट पर बसे कुछ घरों में पानी भी घुस गया। जिससे लोग परेशान रहे। जल संसाधन विभाग के मुताबिक सोमवार सुबह 7 बजे गंगरेल बांध में पानी की आवक 70930 क्यूसक थी। जबकि इसके मुकाबले 39632 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था।
सुबह 8 बजे से 12 बजे तक महानदी में 65100 क्यूसेक की रफ्तार से पानी छोड़ा गया। दोपहर 1 बजे कैचमेंट एरिया से पानी की आवक में कमी आने के कारण पानी छोड़ने की रफ्तार कम कर 55200 क्यूसेक कर दी गई। सोमवार शाम 7 बजे की स्थिति में गंगरेल बांध में 31.151 टीएमसी जलभराव था। 19267 क्यूसेक पानी की आवक थी। तथा 3 गेट खोलकर 20550 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। आवक कम होने के कारण दोपहर 1 बजे से पानी छोड़ने की रफ्तार कम कर दी गई।
1 बजे 55200 क्यूसेक पानी छूट रहा था। 2 बजे पानी छोड़ने की रफ्तार 45000 कर दी गई। इसके बाद शाम को पानी छोड़ने की रफ्तार घटाकर 30000 क्यूसेक कर दी गई। शाम 7 बजे 20550 क्यूसेक पानी गंगरेल बांध से छूट रहा था। भुरसीडोंगरी के एनीकट को नुकसान नगरी क्षेत्र में भारी बारिश के कारण सीतानदी उफान पर है। सीतानदी की बाढ़ के कारण भुरसीडोंगरी के एनीकट को नुकसान पहुंचा है। भुरसीडोंगरी के श्यामाचरण नेताम ने बताया कि बाढ़ के पानी की चपेट में आकर उसके खेत के 3 पेड़ गिर गए हैं।
खेत में भी पानी भर गया है।इससे पहले भी पिछले माह की भारी बारिश से बाढ़ आया था। जिसमें उसके 6 पेड़ों को नुकसान पहुंचा। ठेकेदार और विभाग की लापरवाही के कारण एनी कट के आसपास के किसानों को नुकसान हो रहा है। मुरूमसिल्ली बांध 100 फीसदी मुरूमसिल्ली बांध 100 फीसदी भर गया है। यहां 7329 क्यूसेक आवक के मुकाबले 7213 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। दुधावा बांध में 95 प्रतिशत जलभराव है। 24052 क्यूसेक पानी आ रहा है तथा 8485 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। सोंढूर बांध में 94 प्रतिशत पानी है। यहां 7111 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई है। 10637 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
Source: Chhattisgarh Hindi News and MP Hindi News
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