Tuesday, 9 September 2014

Old tree will become young fruit

ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय में 50 साल पुरानी 78 प्रजातियों के 80 पेड़ों को फिर से फलदार बनाने के लिए नया प्रयोग किया जा रहा है। 200 मीटर ऊंचाई तक छोड़कर इन पेड़ों को काट दिया गया है। जल्द ही अब इसमें शाखाएं फूटने लगेंगी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि दो साल के भीतर इन पेड़ों में फलों का उत्पादन होना शुरू हो जाएगा। करीब पांच साल में रिकार्ड उत्पादन होने लगेगा।

महाविद्यालय में अक्सर इस तरह के प्रयोग होते रहते हैं। उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंच चुके महाविद्यालय के बागीचों के आम के पेड़ों में ग्राफक्टिंग लखनऊ के रहमान खेड़ा स्थित अनुसंधान केंद्र के सुझाव पर किया गया है। शुरुआती दौर में करीब 5 प्रजातियों पर इस प्रयोग को आजमाया गया। प्रयोग सफल रहा। अब उन पेड़ों में नई शाखाएं फूटने लगीं हैं। प्रयोग करीब 80 पेड़ों पर किया जा रहा है। 78 प्रजातियों के इस बागीचे में पिछले दिनों 80 पेड़ों की वैज्ञानिक पद्धति से कटाई की गई।

पेड़ों की मशीन से कटाई के बाद उसमें बोडेक्स पेस्ट लगाया गया है। प्रुनिंग वाले पेड़ों को फंफूद व कीटनाशक से बचाने के लिए इस हरे रंग के पेस्ट को लगया गया है। महाविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार 80 पेड़ों में जल्द ही शाखाएं फूटने लगेंगी। दो साल में ये पेड़ फिर से हरे- भरे हो जाएंगे और इसमें प्रजातियों के मुताबिक फल में निकलने लगेंगे। शुरुआती दौर में भले ही उत्पादन की मात्रा कम होगी, लेकिन इसके बाद के सालों में उत्पादन इतना अधिक होगा, जैसे इन पेड़ों से शुरुआत में होता था।

वह प्रजातियां, जिनका हो रहा जीर्णोद्धार

0 लंगडा

0 अलफांजू

0 दो फला

0 करेला

0 बंगलोरा

0 रानी पसंद

0 दहियाड़

0 रानी रमन्ना

0 खिरमा

0 हिमसागर

0 आम्रपाली

0 चौसा

0 बाम्बे ग्रीन

0 मलिका

0 सुंदरजा

0 दिलपसंद

...तो सूख कर गिर जाते पेड़

कृषि महाविद्यालय के अधिकारियों का मानना है कि इन पेड़ों में 40 की उम्र तक ही फल आते हैं। इन पेड़ों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। उनकी उम्र 50 के करीब हो गई थी। करीब चार साल से इनमें उत्पादन काफी कम हो रहा था। यदि समय रहते इनका जीर्णोद्धार की योजना नहीं बनाई जाती तो आने वाले 5 से 10 सालों में यह सूख कर अपने गिर जाते।

इनका कहना है

कृषि महाविद्यालय की 14 एकड़ जमीन के इस आम बागीचे में 25 हजार आम का उत्पादन हुआ था। यानी पेड़ों में फलों का उत्पादन काफी कम हो गया था। इसे देखते हुए इनका जीर्णोद्धार किया जा रहा है। दो साल के भीतर इनमें फिर से फल लगने शुरू हो जाएंगे। इसके बाद करीब 25 से 30 साल तक इन बुजुर्ग पेड़ों से फल निकलेगा। ग्राफक्टिंग करके एक तरह से हमने धरोहर को बचाया है।

सीआर गुप्ता डीन, ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय

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